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पाठ्यचर्या के प्रकार | various types of curriculum in Hindi पाठ्यक्रम संगठन के विषय में अलग-अलग दृष्टिकोण होते हैं। इसलिए पाठ्यक्रम भी अनेक प्रकार के होते हैं। निम्नलिखित पंक्तियों में हमारे द्वारा पाठ्यचर्या के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डाला गया है-
विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या की सर्वप्रथम शुरुआत यूनानी तथा रोम के विद्यालयों में लागू करके की गई थी। इस पाठ्यचर्या के अन्तर्गत पुस्तकों को अधिक बल दिया जाता है अतः हम इसे पुस्तक आधारित या पुस्तक केन्द्रित पाठ्यचर्या भी कह सकते हैं। इस पाठ्यचर्या में विषय वस्तु पूर्व निर्धारित होती है तथा प्रत्येक विषय हेतु समय सीमा भी निर्धारित रहती है। विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या के गुण
विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या के दोष
यह पाठ्यचर्या सम्पूर्ण रूप से आनुभविक दर्शन पर आधारित है। बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास में पूर्ण रूप से सहायक है। इस पाठ्यचर्या का प्रथम विचार प्रोफेसर फमाल द्वारा रखा गया था। इस पाठ्यचर्या की शुरुवात प्रथम बार अपने विद्यालय में जान डिवी द्वारा कि गई थी। ऐसे पाठ्यचर्या का निर्माण बालक की विभिन्न अवस्थाओं की रुचियों, आवश्यकताओं, क्षमताओं तथा योग्यताओं के अनुसार किया जाता है। मांटेसरी, किंडरगार्डन तथा योजना पद्धतियाँ बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के ही उदाहरण हैं। बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के गुण
बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के दोष
इस पाठ्यचर्या के अंतर्गत बालक के विकास हेतु अनुभवों को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसी परिस्थितियां उपलब्ध कराई जाती हैं जिससे बालक को अनुभव हो तथा जीवन जीने योग्य बन सके। अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाले विभिन्न क्रियाकलापों के विश्लेषण पर आधारित है। अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या के गुण
अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या के दोष
बढ़ती तकनीकी और विज्ञान से विषय के अन्तर्गत ज्ञान की विभिन्न शाखाओं का प्रादुर्भाव हुआ है। जिससे विषय वस्तु और अधिक दिनोदिन व्यापक होती जा रही है। इस पाठ्यचर्या में समान प्रकरण वाले विषयों को एक विषय में शामिल किया जाता है। इसमें विषयों में सह सम्बन्ध का भाव रहता है। यहां पर विषय को सम्पूर्ण इकाई माना जाता है जैसे – अर्थशास्त्र, नागरिक शास्त्र, इतिहास तथा भूगोल को मिला कर एक विषय समाज शास्त्र बनता है। ठीक इसी प्रकार जीवविज्ञान, रसायन शास्त्र तथा भौतिक विज्ञान को मिलाकर एक विषय विज्ञान बनता है। व्यापक श्रेत्रीय पाठ्यचर्या के गुण
व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यचर्या के दोष
बीसवीं शताब्दी में इस पाठ्यचर्या का प्रतिपादन हुआ था। मनुष्य का मस्तिष्क ज्ञान को छोटे-छोटे इकाइयों के रूप में ग्रहण नहीं करता बल्कि इसे संपूर्ण इकाई के रूप में ग्रहण करता है यह मूल आधार है इस पाठ्यचर्या का। सबसे पहले अमेरिका में इस पाठ्यचर्या का प्रारंभ हुआ। विभिन्न विषयों का अलग अलग नहीं बल्कि समग्र रूप में अध्ययन इस पाठ्यचर्या की विशेषता है। एकीकृत पाठ्यचर्या के गुण
एकीकृत पाठ्यचर्या के दोष
छात्र अधिक से अधिक विविध ज्ञान रखने वाले बन सके यह इस पाठ्यचर्या का मूल उद्देश्य है। इस पाठ्यचर्या में जीवन संबंधी बहुत से तथ्य जैसे गृह एवं परिवारिक समस्या, उचित पोषण, घरेलू समस्या, साथ ही साथ विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हुए विकास को इस पाठ्यचर्या में शामिल किया जाता है। निम्नलिखित कुछ ऐसे प्रकरणों प्रकरणों को बताया गया है जो इस पाठ्यचर्या के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं।
समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या के गुण
समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या के दोष
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विषय केंद्रित दृष्टिकोण क्या है?परंतु यह एक ऐसा उपागम है जिसमें विषयवस्तु के चयन और संगठन का आधार पारंपरिक विषय केंद्रित उपागम से भिन्न है। इसमें ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को सह-सम्बद्ध समाकलित और करने के प्रयास किए जाते है।
पाठ्यक्रम के प्रकार कौन कौन से हैं विषय केंद्रित पाठ्यक्रम के 5 गुण बताइए?विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम : विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालकों को विषय का ज्ञान प्रदान करना है। इसमें बालक से अधिक विषयों को महत्व प्रदान किया जाता है।. बाल-केन्द्रित पाठ्यक्रम : इस पाठ्यक्रम में विषय को प्रधानता न देकर बालक को प्रधानता दी जाती है। ... . यह पाठ्यक्रम शिक्षा की आधुनिक प्रवृत्तियों पर आधारित है।. विषय केंद्रित पाठ्यचर्या में मुख्य तत्व क्या है?वर्तमान विचार धारा के अनुसार शिक्षार्थी निष्क्रिय रूप से ज्ञान को ग्रहण करने की बजाय सक्रिय रूप से ज्ञान का सृजन करने वाला होता है। जब वह कक्षा में आता है तब उसके मस्तिष्क में कुछ पूर्व विचार, अनुभव व ज्ञान भी होते हैं । इन पूर्व विचारों, अनुभवों और धारणाओं के आधार पर वह अपने कक्षागत अनुभवों की व्याख्या करता है।
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