विषय केंद्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं? - vishay kendrit paathyakram se aap kya samajhate hain?

विषय केंद्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं? - vishay kendrit paathyakram se aap kya samajhate hain?
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विषय केंद्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं? - vishay kendrit paathyakram se aap kya samajhate hain?
पाठ्यचर्या के प्रकार

पाठ्यचर्या के प्रकार | various types of curriculum in Hindi

पाठ्यक्रम संगठन के विषय में अलग-अलग दृष्टिकोण होते हैं। इसलिए पाठ्यक्रम भी अनेक प्रकार के होते हैं। निम्नलिखित पंक्तियों में हमारे द्वारा पाठ्यचर्या के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डाला गया है-

    • विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या
      • विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या के गुण
      • विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या के दोष
    • बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या
      • बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के गुण
      • बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के दोष
    • अनुभव केंद्रित अथवा क्रिया आधारित पाठ्यचर्या
      • अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या के गुण
      • अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या के दोष
    • व्यापक श्रेत्रीय पाठ्यचर्या
      • व्यापक श्रेत्रीय पाठ्यचर्या के गुण
      • व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यचर्या के दोष
    • एकीकृत पाठ्यचर्या
      • एकीकृत पाठ्यचर्या के गुण
      • एकीकृत पाठ्यचर्या के दोष
    • समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या
      • समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या के गुण
      • समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या के दोष
        • महत्वपूर्ण लिंक

    विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या

विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या की सर्वप्रथम शुरुआत यूनानी तथा रोम के विद्यालयों में लागू करके की गई थी। इस पाठ्यचर्या के अन्तर्गत पुस्तकों को अधिक बल दिया जाता है अतः हम इसे पुस्तक आधारित या पुस्तक केन्द्रित पाठ्यचर्या भी कह सकते हैं। इस पाठ्यचर्या में विषय वस्तु पूर्व निर्धारित होती है तथा प्रत्येक विषय हेतु समय सीमा भी निर्धारित रहती है।

विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या के गुण

  1. यह पाठ्यचर्या मानव के संकुचित कोष को प्राप्त करता है।
  2. पाठ्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
  3. केन्द्रित पाठ्यचर्या पाठ्य योजना बनाने में पूर्णरूप से समर्थ है।
  4. यह पाठ्यचर्या सरल से जटिल की तरफ अग्रसर रहती है।
  5. इसमें विषय को सृजनात्मक तथा मनोवैज्ञानिक तरह से पढ़ाया जा सकता है।
  6. यह पाठ्यचर्या सरलता पूर्वक परिवर्तित भी की जा सकती है।
  7. यह पाठ्यचर्या बाकी के विषयों के साथ सर संबंध स्थापित करता है।
  8. इसमें अध्यापक को परीक्षा लेने में आसानी होती है।
  9. इस व्यवस्था से भली भांति परिचित होने से ये शिक्षक, अभिभावक तथा विद्यार्थी का पूर्ण समर्थन प्राप्त करता है।

विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या के दोष

  1. इस पाठ्यचर्या के अन्तर्गत विद्यार्थियों को अरुचि पूर्ण विषयों को भी पढ़ना पड़ता है।
  2. इस पाठ्यचर्या द्वारा विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर पाना असंभव होता है।
  3. यह एक जटिल पाठ्यचर्या है।
  4. यह विद्यार्थियों को स्मरण की तरफ़ ले जाता है।
  5. इस पाठ्यचर्या में विषय वस्तु बिखरी अवस्था में होती है।
  6. विद्यार्थी देश की समस्या, आर्थिक तथा सामाजिक पछ से अछूता रह जाता है।
  7. इस पाठ्यचर्या के अन्तरगत मुख्य दोष शिक्षक का पर्याप्त ज्ञान भी है।
  1. बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या

यह पाठ्यचर्या सम्पूर्ण रूप से आनुभविक दर्शन पर आधारित है। बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास में पूर्ण रूप से सहायक है। इस पाठ्यचर्या का प्रथम विचार प्रोफेसर फमाल द्वारा रखा गया था। इस पाठ्यचर्या की शुरुवात प्रथम बार अपने विद्यालय में जान डिवी द्वारा कि गई थी। ऐसे पाठ्यचर्या का निर्माण बालक की विभिन्न अवस्थाओं की रुचियों, आवश्यकताओं, क्षमताओं तथा योग्यताओं के अनुसार किया जाता है। मांटेसरी, किंडरगार्डन तथा योजना पद्धतियाँ बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के ही उदाहरण हैं।

बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के गुण

  1. बालक की आवश्यकता, रुचि तथा अभिवृत्तियों के अनुसार पाठ्यचर्या का विकास किया जाता है।
  2. इस पाठ्यचर्या के पाठ्यक्रम के दौरान बालक स्वयं ही सब कुछ सीखता है, इस लिए इस पाठ्यचर्या को स्वतः कार्यात्मक पाठ्यचर्या भी कहा जाता है।
  3. उद्देश्य परक अनुभव प्रदान करती है।
  4. आधुनिक शिक्षण विधियों पर आधारित पाठ्यचर्या है यह।
  5. यह पाठ्यचर्या एक अनुभववादी दर्शन पर आधारित है।

बाल केन्द्रित पाठ्यचर्या के दोष

  1. कार्यात्मक स्वरूप छात्रों पर मानसिक दबाव उत्पन्न करता है।
  2. सीखने संबंधी स्वयं की जिम्मेदारियों तथा अन्य गतिविधियों को प्रभावित करता है।
  1. अनुभव केंद्रित अथवा क्रिया आधारित पाठ्यचर्या

इस पाठ्यचर्या के अंतर्गत बालक के विकास हेतु अनुभवों को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसी परिस्थितियां उपलब्ध कराई जाती हैं जिससे बालक को अनुभव हो तथा जीवन जीने योग्य बन सके। अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाले विभिन्न क्रियाकलापों के विश्लेषण पर आधारित है।

अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या के गुण

  1. यह पाठ्यचर्या विद्यार्थियों को अत्यधिक कार्यात्मक कार्य प्रदान करती है।
  2. इसका आधार जनतांत्रिक होता है।
  3. इस पाठ्यचर्या के अंतर्गत भौतिक तथा सामाजिक वातावरण का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है।
  4. इसके द्वारा स्कूल और समाज में संबंध स्थापित किया जाता है।
  5. यह पाठ्यचर्या लचीली तथा प्रगतिशील है।
  6. इस पाठ्यचर्या के पाठ्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थी के मानसिक और सामाजिक शक्ति का संपूर्ण विकास होता है।
  7. बालक के अंदर नेतृत्व और स्व अनुशासन की भावना का विकास होता है।

अनुभव केंद्रित पाठ्यचर्या के दोष

  1. इसमें ज्ञान का कोई क्रम नहीं होता है।
  2. पाठ्यचर्या अस्पष्ट होती है।
  3. इसके प्रयोग में समय अधिक लगता है।
  4. इसके अन्तर्गत शिक्षा का कोई उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता है।
  5. इसके पाठ्यक्रम को पढ़ने हेतु बुद्धिमान शिक्षकों की आवश्यकता होती है।
  6. इसके अन्तर्गत क्रियाओं और अनुभावों का निश्चित क्रम भी नहीं होता है।
  7. इसके द्वारा विद्यार्थियों की प्रगति का मूल्यांकन बहुत कठिन है।
  8. इसमें विभन्न अनुभवों का एक दूसरे के साथ सह सम्बन्ध भी स्थापित नहीं किया जा सकता है।
  1. व्यापक श्रेत्रीय पाठ्यचर्या

बढ़ती तकनीकी और विज्ञान से विषय के अन्तर्गत ज्ञान की विभिन्न शाखाओं का प्रादुर्भाव हुआ है। जिससे विषय वस्तु और अधिक दिनोदिन व्यापक होती जा रही है। इस पाठ्यचर्या में समान प्रकरण वाले विषयों को एक विषय में शामिल किया जाता है। इसमें विषयों में सह सम्बन्ध का भाव रहता है। यहां पर विषय को सम्पूर्ण इकाई माना जाता है जैसे – अर्थशास्त्र, नागरिक शास्त्र, इतिहास तथा भूगोल को मिला कर एक विषय समाज शास्त्र बनता है। ठीक इसी प्रकार जीवविज्ञान, रसायन शास्त्र तथा भौतिक विज्ञान को मिलाकर एक विषय विज्ञान बनता है।

व्यापक श्रेत्रीय पाठ्यचर्या के गुण

  1. विषयों के बीच का सह संबंध अत्याधिक उच्च स्तर का होता है।
  2. इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत ज्ञान स्थानांतरित करना संभव होता है।
  3. कई विषयों के ज्ञान को एक संपूर्ण इकाई के अंतर्गत रखा जाता है।
  4. यह विषय संबंधी कौशल को भी विकसित करता है।

व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यचर्या के दोष

  1. छात्र की व्यक्तिगत समस्या पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है।
  2. कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण बिना व्याख्या के ही छूट जाते हैं।
  1. एकीकृत पाठ्यचर्या

बीसवीं शताब्दी में इस पाठ्यचर्या का प्रतिपादन हुआ था। मनुष्य का मस्तिष्क ज्ञान को छोटे-छोटे इकाइयों के रूप में ग्रहण नहीं करता बल्कि इसे संपूर्ण इकाई के रूप में ग्रहण करता है यह मूल आधार है इस पाठ्यचर्या का। सबसे पहले अमेरिका में इस पाठ्यचर्या का प्रारंभ हुआ। विभिन्न विषयों का अलग अलग नहीं बल्कि समग्र रूप में अध्ययन इस पाठ्यचर्या की विशेषता है।

एकीकृत पाठ्यचर्या के गुण

  1. इस पाठ्यचर्या के अंतर्गत ज्ञान को एक संपूर्ण इकाई के रूप में रखा जाता है।
  2. अधिगम अनुभव पर आधारित होता है।
  3. आगामी जीवन में उपयोगी होती है यह पाठ्यचर्या।
  4. विद्यार्थियों की रूचियों पर विशेष बल दिया जाता है।
  5. इसके अंतर्गत पर्याप्त अध्ययन पर बल दिया जाता है।

एकीकृत पाठ्यचर्या के दोष

  1. छात्रों में रुचि यों का विकास करना अत्याधिक कठिन होता है।
  2. इसके अंतर्गत ज्ञान की कोई निश्चित रूप रेखा नहीं होती है।
  3. सभी विषयों में एकीकरण संभव नहीं है।
  4. समय अधिक लगता है।
  5. यह पाठ्यचर्या सुविधाजनक नहीं है।
  1. समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या

छात्र अधिक से अधिक विविध ज्ञान रखने वाले बन सके यह इस पाठ्यचर्या का मूल उद्देश्य है। इस पाठ्यचर्या में जीवन संबंधी बहुत से तथ्य जैसे गृह एवं परिवारिक समस्या, उचित पोषण, घरेलू समस्या, साथ ही साथ विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हुए विकास को इस पाठ्यचर्या में शामिल किया जाता है। निम्नलिखित कुछ ऐसे प्रकरणों प्रकरणों को बताया गया है जो इस पाठ्यचर्या के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं।

  1. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास।
  2. अपनी पहचान को पोषित करने के लिए आवश्यक विषय सामग्री और संवैधानिक दायित्व।
  3. भारत की सामान्य संस्कृति विरासत।
  4. लोकतंत्र या प्रजातंत्र या धर्मनिरपेक्षता की जानकारी।
  5. लिंग की समानता।
  6. पर्यावरण सुरक्षा।
  7. सामाजिक बंधन का निराकरण।
  8. छोटे परिवार के दृष्टिकोण।
  9. वैज्ञानिक प्रवृत्ति का विकास।

समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या के गुण

  1. अधिगम अनुभवों के प्रयोग को प्रोत्साहित करती है।
  2. विद्यार्थी के व्यक्तिगत तथा सामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु संगठित की जाती है।
  3. शैक्षिक कार्यक्रमों में व्यापक परिणामों की प्राप्ति में सहायक होती है।
  4. समस्या समाधान विधि और आलोचनात्मक चिंतन की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है।
  5. उपयुक्त परिस्थितियों में ज्ञान के अनुप्रयोगों का अवसर उपलब्ध कराती है।
  6. कौशल तथा योग्यता का विकास होता है।
  7. शिक्षण लचीले प्रकार का होता है।

समन्वित संबंधित पाठ्यचर्या के दोष

  1. छात्र की समस्या अनुसार विषय वस्तु का चयन नहीं किया जाता है।
  2. आवश्यक अनुदेशन सामग्री का विद्यालयों के पास ना होना।
  3. शिक्षक गैर परंपरागत शिक्षण हेतु तैयार नहीं होते हैं।
  4. अभिभावक इस पाठ्यचर्या को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
  5. ज्ञान प्राप्ति के क्षेत्र में विशिष्ट कारण के महत्व को कम कर देती है।
महत्वपूर्ण लिंक
  • Cumulative record- meaning and definition, importance/need and purpose,
  • वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष | वर्तमान शिक्षा प्रणाली के दोष (Demerits of Present Curriculum)
  • पाठ्य-पुस्तकों के प्रकार | पाठ्य-पुस्तक का अर्थ | अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ (Meaning of Text-Book in Hindi | Types of Text-Books in Hindi | Main Characteristics Of A Good Text-Book in Hindi)
  • अच्छे शिक्षण की विशेषतायें | Characteristics of good teaching in Hindi
  • शिक्षण के प्रमुख कार्य क्या क्या है | Major teaching tasks (works) in Hindi
  • प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षकों की भूमिका | Role of Teachers in Teaching Learners in Hindi
  • सीखने क्या है? | सीखने की विशेषताएं | what is learning in Hindi | characteristics of learning in Hindi
  • पाठ्य पुस्तकों की आवश्यकता | पाठ्य पुस्तकों का महत्त्व | Need And Importance Of Text-Books in Hindi
  • पाठ्यचर्या विकास की प्रक्रिया के सोपान | steps in the process of curriculum development in Hindi
  • अधिगम की प्रकृति क्या है? | अधिगम की सम्पूर्ण प्रकृति का वर्णन | What is the nature of learning in Hindi? | Description of the entire nature of learning in Hindi
  • राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का निष्कर्ष (स्वरूप) | National Curriculum Framework summery NCF, 2005
  • शिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा | शिक्षण की प्रकृति | Meaning and definition of teaching in Hindi | Nature of teaching in Hindi 
  • सीखने को प्रभावित करने वाले कारक क्या क्या हैं? | Factors affecting learning in Hindi
  • बुनियादी शिक्षण प्रतिमान क्या है? | बुनियादी शिक्षण प्रतिमान की विशेषतायें | What is the basic learning model in Hindi? | Characteristics of the basic learning model in hindi

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About the author

विषय केंद्रित पाठ्यचर्या क्या है?

यह एक ऐसा साधन है जो छात्र तथा अध्यापक को जोड़ता है । अध्यापक पाठ्यचर्या के माध्यम से छात्रों के मानसिक, शारीरिक, नैतिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक विकास के लिए प्रयास करता है । पाठ्यचर्या द्वारा छात्र को जीवन जीने की शिक्षा प्राप्त होती है ।

विषय केंद्रित दृष्टिकोण क्या है?

परंतु यह एक ऐसा उपागम है जिसमें विषयवस्तु के चयन और संगठन का आधार पारंपरिक विषय केंद्रित उपागम से भिन्न है। इसमें ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को सह-सम्बद्ध समाकलित और करने के प्रयास किए जाते है।

पाठ्यक्रम के प्रकार कौन कौन से हैं विषय केंद्रित पाठ्यक्रम के 5 गुण बताइए?

विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम : विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालकों को विषय का ज्ञान प्रदान करना है। इसमें बालक से अधिक विषयों को महत्व प्रदान किया जाता है।.
बाल-केन्द्रित पाठ्यक्रम : इस पाठ्यक्रम में विषय को प्रधानता न देकर बालक को प्रधानता दी जाती है। ... .
यह पाठ्यक्रम शिक्षा की आधुनिक प्रवृत्तियों पर आधारित है।.

विषय केंद्रित पाठ्यचर्या में मुख्य तत्व क्या है?

वर्तमान विचार धारा के अनुसार शिक्षार्थी निष्क्रिय रूप से ज्ञान को ग्रहण करने की बजाय सक्रिय रूप से ज्ञान का सृजन करने वाला होता है। जब वह कक्षा में आता है तब उसके मस्तिष्क में कुछ पूर्व विचार, अनुभव व ज्ञान भी होते हैं । इन पूर्व विचारों, अनुभवों और धारणाओं के आधार पर वह अपने कक्षागत अनुभवों की व्याख्या करता है।