पाश्चुरीकरण दूध के क्या फायदे हैं? - paashchureekaran doodh ke kya phaayade hain?

पास्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थ (जैसे दूध और फलों के रस) को हल्की गर्मी से उपचारित किया जाता है, साधारणतः रोगजनकों को खत्म करने और दराज जीवन का विस्तार करने के लिए 100 डिग्री सेल्सियस से कम। इस प्रक्रिया का उद्देश्य उन जीवों और प्रकिण्वों को नष्ट या निष्क्रिय करना है जो खाद्य विकृति होने या रोगों में योगदान करते हैं, जैसे वनस्पति जीवाणु लेकिन अंयर्बीजाणु नहीं।

इस प्रक्रिया का नाम फ्रांसीसी सूक्ष्म जैवविज्ञानी, लुई पास्तर के नाम पर रखा गया था, जिनके 1860 के दशक में शोध से पता चला था कि ऊष्ण प्रसंस्करण शराब में अवांछित सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय कर देगा। पास्तरीकरण के दौरान खाद्य विकृति के प्रकण्वों निष्क्रिय हो जाते हैं। आज, खाद्य संरक्षण और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए डेयरी उद्योग और अन्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में पास्तरीकरण का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

`0^(@)C` तापमान पर 60 मिनटों के लिए `0^(@)C` तापमान पर 30 मिनटों के लिए `65^(@)C` तापमान पर 30 मिनटों के लिए `100^(@)C` तापमान पर 60 मिनटों के लिए

Answer : C

Solution : दूध के पाश्चुरीकरण के लिए इसे `65^(@)C` तापमान पर 30 मिनट के लिए गर्म किया जाता है। लुईस पाश्चर ने सर्वप्रथम पाश्चुरीकरण विधि का उपयोग किया था। इसमें निम्न ताप हॉल्डिंग विधि में दूध को लगभग `6.5^(@)` या `62.8^(@)C` पर लगभग `30` मिनट तक, जबकि उच्च ताप अल्प काल विधि में द्रव या दूध को `71.7^(@)C` ताप पर `15` सेकण्ड तक गर्म किया जाता है और शीघ्र ही ठण्डा किया जाता है। इससे सभी रोगकारी जीवाणु नष्ट हो जाते है।

दैनिक जागरण के कैंप से जानें-दूध शुद्ध है या नहीं

जागरण संवाददाता, बागपत : आपके जो दूध प्रयोग में ला रहे हैं, क्या वह शुद्ध है? कहीं उसमें यूरिया किसी

जागरण संवाददाता, बागपत : आपके जो दूध प्रयोग में ला रहे हैं, क्या वह शुद्ध है? कहीं उसमें यूरिया किसी खतरनाक रसायन का मिश्रण तो नहीं है। आप दूध की गुणवत्ता की जांच दैनिक जागरण द्वारा लगाए विशेष टेस्टिंग कैंप में करा सकते हैं। कैंप मुन्नालाल एन्क्लेव में व्यापार संघ के अध्यक्ष नंद लाल डोगरा के आवास के सामने लगाया गया है। यह कैंप सुबह आठ से 10 बजे तक रहेगा, जिसमें हिसार कृषि विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ व तकनीकी टीम जांच के लिए कई आधुनिक मशीनों के साथ मौजूद रहेगी।

कितनी लाएं मात्रा

जांच के लिए सिर्फ 20 मिली की मात्रा ही ली जाएगी। इसी से उसी समय जांच रिपोर्ट दे दी जाएगी।

क्या-क्या होगा खुलासा

दूध की जांच से पता चलेगा कि आप जो दूध प्रयोग कर रहे हैं उसमें पानी का अंश, सिंथेटिक, अपमिश्रण तथा रोगाणुओं व जीवाणुओं, यूरिया आदि के मिश्रण की जानकारी हाथों हाथ दे दी जाएगी।

कितना उपयोगी है दूध

दूध हमारे लिए कितना लाभदायक और जरूरी है यह हम सब जानते हैं। बच्चों के लिए यह जीवनदायिनी तो है ही यह सभी अवस्था के व्यक्तियों के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि आप जो दूध पी रहे हैं वह शुद्ध हो। चिकित्सक जब दूध पीने की सलाह देते हैं तो उसका मतलब होता है दूध के सारे तत्व मिलें। आज के दौर में तमाम लोग दूध की शुद्धता प्रभावित कर उसमें मिलावट कर देते हैं। इससे मिलावटखोरों को तो फायदा होता है, लेकिन दूध पीने वालों को इससे बेहद नुकसान होता है। पहले हम दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व और उसके फायदे पर चर्चा करेंगे। अगली सीरीज में दूध में मिलावट आदि पर चर्चा की जाएगी।

दूध के बारे में जानें

पाश्चुराइज्ड और कच्चे दूध में पोषक पदार्थ का स्तर समान होता है। पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया में दूध को कम समय के लिए उच्च तापमान पर लगभग 70 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है, जिससे दूध में मौजूद जीवाणु मर जाते हैं। पाश्चुराइज्ड दूध से किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा नहंी रहता है। दूध में पानी मिलाने से उसमें मौजूद सभी पोषक तत्वों की सांद्रता कम हो जाती है। यानी पोषक तत्वों का घनत्व कम हो जाता है। दूध के अलावा अनाज, मूंगफली और पत्तेदार सब्जियों से मिलने वाला कैल्शियम पूर्ण रूप से अवशोषित नहीं होता है।

दूध के फायदे

जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. सत्यप्रकाश का कहना है कि दूध कई पोषक पदार्थो प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, विटामिन, मैग्नीशियम का प्रमुख स्रोत है। यह हमारे शरीर के बेहद ही जरूरी है। बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि यह हर अवस्था के व्यक्तियों के लिए जरूरी है। दूध में पाया जाने वाला विटामिन बी हड्यिों के निर्माण में मददगार होता है।

दूध में विटामिन बी-3 जैसी संरचना वाले एक यौगिक के चमत्कारिक गुण सामने आए हैं। एक अध्ययन के मुताबिक आलसी जीवन शैली और वसा युक्त भोजन के बावजूद यह यौगिक छरहरा रखता है।

------------------

प्रदीप द्विवेदी

दूध का पाश्चराइजेशन: परिभाषा, तरीके, परीक्षण और उपयोग | Pasteurization of Milk: Definition, Methods, Test and Uses in Hindi!

Read this article in Hindi to learn about:- 1. पाश्चुरीकरण की परिभाषा (Definition of Pasteurization of Milk) 2. पाश्चुरीकरण की विधियाँ (Methods of Pasteurization of Milk) 3. टेस्ट (Test) 4. प्रकार(Types) 5. उपयोग (Uses).

Contents:

  1. पाश्चुरीकरण की परिभाषा (Definition of Pasteurization of Milk)
  2. पाश्चुरीकरण की विधियाँ (Methods of Pasteurization of Milk)
  3. पाश्चुरीकरण का टेस्ट (Test of Pasteurization of Milk)
  4. दूध का पाश्चुरीकरण (Types of Pasteurization of Milk)
  5. पाश्चुरीकरण के उपयोग (Uses of Pasteurization of Milk)

1. पाश्चुरीकरण की परिभाषा (

Definition of Pasteurization of Milk):

दूध या अन्य द्रव्य पदार्थों को इतने समय तथा इतने तापमान तक गर्म किया जाता है कि सभी प्रकार के रोगाणु (Pathogens) नष्ट हो जाए जो उसमें उपस्थित है इसी को Pasteurization कहते है ।

लुईस पाश्चर (Louis Pasteur) 1822-1895 ने अपने काल के एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक तथा रसायनशास्त्री थे । लुईस पाश्चर में आधुनिक जीवाणु (Bacteriology) क संस्थापक कहा जाता है । उन्होंने 1860 में एक गर्दन वाले फ्लास्क (Flask) में माँस (Meat) के टुकड़ों के या पोषक घोल (Meat Broth) को रखकर गर्म किया तथा फिर ठंडा किया ।

ठंडे हुए Flask में बाहर मई वायु खुली गर्दन से अंदर प्रवेश कर सकती थी । परन्तु सूक्ष्मजीवों (Microbes) का प्रवेश संभव नहीं था, क्योंकि वे गर्दन के घुमावदार होने के कारण गर्दन पर ही रुक जाते थे । इस प्रयोग में फिल्टर का उपयोग नहीं किया गया ।

पाश्चर ने वायु में रोगाणुओं की अल्पमात्रात्मक वितरण की महत्ता को निर्धारित कर यह सिद्ध किया कि सूक्ष्मजीव (Micro-Organism) वायु में विषम रूप से वितरित रहते है । पाश्चर ने सर्वप्रथम यह बताया कि यदि बीयर की बोतल को 50०C तापमान पर गर्म करने से उसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से विमुक्त रखा जा सकता है ।

इसी सिद्धान्त में आधार बनाकर उन्होंने पाश्चराइजेशन (Pasteurization) का सिद्धान्त प्रतिपादित किया डेयरी उद्योग इसी सिद्धान्त पर आधारित है । पाश्चर ने यह पहली बार प्रमाणित किया कि शराब, सिरका और बीयर में किण्वन (Fermentation) खमीर के कारण होता है ।

इस विधि में विसंक्रमित किए जाने वाले द्रव पदार्थ को मामूली तापक्रम (Temperature) पर एक निश्चित समयावधि तक गर्म किया जाता है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और द्रव पदार्थ के रासायनिक संगठन में कोई परिवर्तन भी नहीं होता ।

उदाहरण के लिए दूध को 62०C तापमान पर 30 मिनट तक या कुछ ही सेकंड के उच्च तापमान 74०C तक गर्म करके उसे एकदम ठंडा करके 13 डिग्री सेग्रे॰ या इससे भी कम तापमान पर ले आया जाता है । ऐसा करने से दूध के रोगजनक बैक्टीरिया जैसे Streptococcus Pyogenes तथा Mycobacterium Tuberculosis आदि के बीजाणु (Spores) उत्पन्न नहीं होते और ऊष्मा के प्रति बहुत संवेदनशील होते है या फिर नष्ट हो जाते है ।


2. पाश्चुरीकरण की विधियाँ (

Methods of Pasteurization of Milk):

पाश्चुरीकरण की तीन विधियाँ है:

(1) होल्डर विधि (Holder Method)

(2) एच॰टी॰एस॰टी॰ विधि (High Temperature and Short Time Method)

(3) यू॰एच॰टी॰ विधि (Ultra High Temperature Method)

(1) होल्डर विधि (Holder Method):

इस विधि में दूध को कम से कम आधे घंटे तक 63 से 66 डिग्री॰ से॰ तापमान तक गर्म किया जाता है और फिर तुरत ही इसे 5 से॰ तापमान तक ठंडा कर लिया जाता है । यह छोटे पैमाने पर दूध को Pathogens से मुक्त करने की तथा गाँव में उपयोग आने वाली एक अच्छी विधि है ।

(2) एच॰टी॰एस॰टी॰ विधि (High Temperature and Short Time Method):

इस विधि में दूध को लगभग 15 Second तक 72०C तापमान तक गर्म किया जाता है और फिर तुरंत ही इसे 4०C तापमान पर ठंडा कर लिया जाता है । आजकल इस विधि का सर्वाधिक उपयोग होता है । यह विधि अधिक दूध का पाश्चुरीकरण (Pasteurization) करने के लिए उपयोगी होती है ।

(3) यू॰एच॰टी॰ विधि (Ultra High Temperature Method):

इस विधि में दूध को शीघ्र ही सामान्यतः दो अवस्थाओं में गर्म किया जाता है । प्रत्येक बार में इसे केवल कुछ ही (4-5) सेकंडों के लिए गर्म किया जाता है । दूसरी बार में दूध को दबाव के अंतर्गत गर्म किया जाता है तथा दोनों अवस्थाओं के बीच तापमान में सी का अंतर होना चाहिए । इसे तुरत ही ठंडा करके जितनी जल्दी हो सके बोतल में भर लेना चाहिए ।

पाश्चुरीकरण में ऊष्मीय उपचार से सूक्ष्मजीवों को मार दिया जाता है इसे के नीचे तापमान का प्रयोग करते है । Heating के अन्तर्गत भाप, गर्म पानी या विद्युत प्रवाह के द्वारा गर्म करने के बाद ठंडा किया जाता है ।


3. पाश्चुरीकरण का टेस्ट (

Test of Pasteurization of Milk):

ये फॉस्फेट टेस्ट कहलाता है । कच्चे दूध में यह एन्नाइम फॉस्फेट पाया जाता है । यह एन्जाइम दूध के पर्याप्त पाश्चुरीकरण के द्वारा समाप्त हो जाते है । जब दूध का पाश्चुरीकरण हो तो फॉस्फेट परीक्षण सकारत्मक प्रक्रिया देता है ।

जिसमें निम्न चरण आते है:

(1) एक Short Tube में 0.5 ml. Milk लेते है । उसमें 5.0 ml. Buffer Substrate Add करते है ।

(2) Tube को Shaken करते है । कम समय में फिर 10 Mints के लिए 37०C पर Water Bath में Incubated करते है ।

(3) फिर Test Tube में 6 Drops BQS (2-6 Dibromo-Quinone-Chloromide) Solution डालकर 5 Minutes के लिए रखते है ।

(4) इसके बाद आने वाले रंग को मानक रग से मिलान करते है ।

(5) यदि भूरा रंग उत्पन्न होता है तो उपयुक्त पाश्चुरीकरण हो जाता है ।

(6) यदि नीला रग आता है तो पाश्चुरीकरण की क्रिया अनुचित है ।


4. दूध का पाश्चुरीकरण के प्रकार (Types of Pasteurization of Milk):

दूध का पाश्चुरीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है:

(1) दूध का घरेलू पाश्चुरीकरण (Home Pasteurization of Milk)

(2) दूध का औद्योगिक (Commercial Pasteurization of Milk)

(1) दूध का घरेलू पाश्चुरीकरण (Home Pasteurization of Milk):

दूध (Milk) का उपयोग जो Bottles में होता है वह Pasteurized होता है । इस Process में Bottle का Cover हटाकर थोड़ा सा दूध या अधिक निकाल लेते हैं और Cover को फिर से लगा देते हैं और Cover को हटाकर Thermometer को लगाते है ।

सारी Bottles दूध की Rack पर Set करके गर्म किया जाता है । ये 145०F पर गर्म करते है । Bottles गर्म होने के बाद नाँद (Pai) को हटाकर Bottle को 30 मिनट के लिए गर्म पानी में रखकर Reheat करते है । यह आवश्यक होता है । 30 मिनट गर्म करने बाद ठण्डे पानी में रखकर दूध को ठंडा करते है । उसके लिए बर्फ या पानी का उपयोग करते है ।

(2) दूध का औद्योगिक पाश्चुरीकरण (Commercial Pasteurization of Milk):

दूध के औद्योगिक पाश्चुरीकरण की निम्न विधियाँ हैं:

(i) Low Temperature Holding (LTH) Method

(ii) High Temperature Short Time (HTST) Method

(i) Low Temperature Holding (LTH) Method:

Low Temperature Holding Method या इसे Vat Pasteurization भी कहते है । इसमें दूध को 145०F (68.2०C) पर 30 मिनट के लिए गर्म करते है । इसके अतिरिक्त दूध को बंद Vats में Steam Coils, Hot Water Jackets या बॉटल के साइड से गर्म पानी निरन्तर छिडकते रहते है । यह प्रक्रिया पुनः गर्म Bottles पर की जाती है ।

यह LTH विधि अधिक प्रभावी है क्योंकि इस विधि से दूध में पाए जाने वाले अधिकतर 99% रोगजनक बैक्टीरिया समाप्त हो जाते है । यदि इस विधि द्वार सही रूप से पाश्चुरीकरण किया जाए तो सारे बैक्टीरिया समाप्त हो जाते है ।

(ii) High Temperature Short Time (HTST) Method:

इस विधि में दूध को 161०F (71.7०C) पर 15-30 सेक्ट के लिए गर्म किया जाता है । यह बिजली या गर्म पानी के द्वारा होता है । गर्म दूध को ठंडा करके कम तापमान पर नियंत्रित करते है । इस विधि से दूध में उपस्थित रोगजनक बैक्टीरिया समाप्त हो जाते है ।


5. पाश्चुरीकरण के उपयोग (Uses of Pasteurization of Milk):

(1) जब अधिक ऊष्मीय उपचार दिया जाता है, तो उत्पादों की संख्या को नुकसान पहुंचता है । उदाहरण- Market Milk

(2) इसका एक उद्देश्य है कि रोगजनक को समाप्त कर दिया जाए ।

(3) जीवों की मुख्य खराबी बहुत Heat Resistant वाली नहीं होती है जैसे फलों के रस में यष्टि ।

(4) भोज्य पदार्थ खराब करने वाले जीवाणुओं को परिरक्षण द्वारा खत्म किया जाता है । उदाहरण Market Milk का Chilling Process के अपनाकर देखभाल करना पडता है ।

(5) जब जीव आपस में Competing में मर जाते हैं, जैसा कि Fermentation में होता है । उसके लिए Starter Organism को Add करते है ।

उदाहरण Cheese Making Preservative Methods का उपयोग Supplement Pasteurization में रखा गया है:

(i) Refrigeration

(ii) Sealed Container में Product को Packaging से पहले Microorganisms को निकालना ।

(iii) Sealed Container को Anaerobic Conditions में Maintain करना ।

(iv) Sweetened Condensed Milk में Sugar के Concentrations को High रखना चाहिए ।

(v) Presence या Chemical Preservatives में Addition करना होता है । Pickles अचार में Organic Acids का मिलाना ।

पाश्चुरीकरण प्रक्रिया में उत्पाद तैयार करने के लिए समय और तापमान का उपयोग किया जाता है और यह उत्पाद पर निर्भर करता है ।

High Temperature Short Time (HTST), जबकि Low-temperature-Longer Time या Holding (LTH) विधि का उपयोग करते हैं । Lower Temperature, Longer Time के लिए Foods को विभिन्न प्रकार से पाश्चुरीकरण उपचार करते है ।

कुछ उदाहरण (Some Examples):

विभिन्न प्रकार के Food का Pasteurization Treatment निम्न प्रकार से किया जाता है:

(1) मार्केट दूध (Market Milk) का बहुत कम तापमान पर 62.8०C पर 30 min के Holding विधि द्वारा या 71.7०C पर 15 Second के लिए HTST विधि द्वारा होता है । ये उपचार (Treatment) का Selection एक आधार पर होता है क्योंकि Riskettasia की Thermal होती है क्योंकि Rickettsia Q Fever Coxiella Burnetti के लिए जिम्मेदार है ।

ये Coxiella Organism दूध के द्वार मानव में प्रेषित हो जाते है । ये Heat Treatment Milk के लिए बहुत अच्छा उपाय है जिससे दूध शुद्ध हो जाता है । इसके अतिरिक्त Heat Treatment दूसरे Food को भी Treat करने के लिए उपयोग में लाते हैं ।

दूध का उपयोग पनीर (Cheese) बनाने में भी किया जाता है जो कि कच्चे दूध से बनता है । Ice Cream Mix Milk का पाश्चुरीकरण कई विभिन्न तापमान (Temperature) तथा विभिन्न समय के लिए किया जाता है, जो कि Market Milk के उपचार से अधिक होता है ।

(a) Ice Cream Mix Milk को 30 मिनट के लिए 71.1०C पर गर्म करते हैं या 82.2०C पर 16 से 20 सेकंड के लिए गर्म करते है ।

(b) ग्रेप वाइन (Grape Wine) को 1 मिनिट के लिए 82 से 85०C पर Pasteurize करते हैं या Bottle में भरकर गर्म पानी में भी रखते है ।

(c) बीयर (Beer) को विभिन्न समय पर 60०C से ज्यादा पर गर्म करके Pasteurize करते है ।

(d) Dried Fruits को Packing के समय 30 से 90 मिनट तक 65.6 से 60०C पर Pasteurize करते है । ये Fruit व Package के Size पर आधारित होता है ।

(e) Fruit Juice का Treatment उन में उपस्थित Acidity, मौसम (Whether) या Packing पर निर्भर करता है । Packing Bottle या Cans में भी हो सकती है । उदाहरण के लिए Bottle Grape Juice पर 30 मिनिट तक या Flash Treatment 80 to 82०C तक कर सकते है ।

(f) Apple Juice को 60०C पर Pasteurize करते हैं तथा Bottle को 85 से 87.8०C पर 30 से 60 Second निर्धारित समय तक ही Pasteurize करते है ।

(g) सिरका (Vinegar) को Bottle में भरकर Water Bath में 65.6०C पर Pasteurize करते है । परन्तु Flash को 65.6 से 71.1०C पर गर्म करके Bottle में बद कर देते है क्योंकि सिरके का Pasteurize 60 से 65०C पर 30 मिनिट के लिए निर्धारित है ।

इन Pasteurization क्रियाओं को तापमान के अनुसार दो भागों में बाँटा गया है:

(a) 100०C तापमान के ऊपर गर्म करना (Heating at above 100०C)

(b) 100०C तापमान पर गर्म करना (Heating at about 100०C)

(a) 100०C तापमान के ऊपर गर्म करना (Heating at above 100०C):

100०C तापमान पर Steam Pressure की उपस्थिति में गर्म करना । यदि तापमान रिटार्ट से बढता हैं तो Stream Pressure भी बढ़ता है जबकि प्रेशर न हो तो समुद्र के स्तर का तापमान 100०C रहता है जो 5 lb का प्रेशर व 109०C का तापमान इसी प्रकार 10 lb, 115.5०C और 15 lb, 121.5०C का तापमान रहता है ।

जब Liquid Food को Sterilized किया जाता है तो इस तापमान का उपयोग करते है । परन्तु Cans को निर्जमीकरण करने के लिए उच्च वाष्प व प्रेशर का उपयोग किया जाता है । इन Cans को कुछ समय के लिए उच्च तापमान पर रखा जाता है । यदि दूध को 150०C तापमान पर गर्म करते हैं तो इसमें तथा Steam Infusion का प्रयोग करते है जिससे Flash Evaporation होता है और Steam Condensed हो जाती है ।

इसे जल्दी ठंडा करते है । इसके बाद Ultrahigh Temp अपनाते है । साथ में उचित Holding Times पर कुछ सैकण्ड के लिए निर्जमीकरण का उपयोग करते है । Heat Treatment का उपयोग Canned Foods में भी कर सकते है ।

(b) 100०C तापमान पर गर्म करना (Heating at about 100०C):

घर में सभी Foods 100०C पर या कम तापमान पर लम्बे समय तक Processed किए जाते है यह उपचार Micro Organism को मारने के लिए उचित है ।

परन्तु खाद्य पदार्थों में जो Bacterial Spores होते है । इसलिए Foods को Preserve करने से पहले उचित उपचार देना आवश्यक है ।

Home Canners कम अम्लीय भोज्य पदार्थ के लिए प्रेशर कुकर का उपयोग करते है । बहुत से अम्लीय भोज्य पदार्थ 100०C या कम तापमान पर Liquid Food हो जाते है । उदाहरण Sauerkraut या उच्च Acid Fruits लगभग 100०C तापमान पर Liquid Food को Boil कर सकते है या फिर उबलते हुए पानी में Food Container को रख सकते है ।

100०C के नीचे तापमान पर पहले गर्म कर सकते है और गर्म ही पैक कर सकते है । उसके बाद गर्म नहीं कर सकते है ताजी सब्जी (Fresh Vegetables) फीजिंग (Freezing) के पहले या सुखाने के बाद 100०C के लगभग ताप पर गर्म कर सकते है ।

बेकिंग के दौरान ब्रेड, केक या दूसरे बेकरी उत्पाद आंतरिक तापमान 100०C पर रहते है । परन्तु अन्दर नमी रहती है जबकि Oven तापमान अधिक गर्म रहता है । Unsealed Canned Foods को Oven में अधिक

तापमान बढ़ाकर गर्म नहीं कर सकते । अधिक तापमान 97०C पर भी ब्रेड की बेकिंग में Bacterial Spores उत्पन्न हो जाते है । Roasting Meat के आंतरिक तापमान बढकर केवल 60०C पर रहता है या 80०C पर जब Beef बन जाती है ।


दूध में पाश्चुरीकरण के क्या फायदे हैं?

पाश्चुराइज्ड और कच्चे दूध में पोषक पदार्थ का स्तर समान होता है। पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया में दूध को कम समय के लिए उच्च तापमान पर लगभग 70 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है, जिससे दूध में मौजूद जीवाणु मर जाते हैं। पाश्चुराइज्ड दूध से किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा नहंी रहता है।

पाश्चुरीकरण से क्या लाभ है?

पास्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थ (जैसे दूध और फलों के रस) को हल्की गर्मी से उपचारित किया जाता है, साधारणतः रोगजनकों को खत्म करने और दराज जीवन का विस्तार करने के लिए 100 डिग्री सेल्सियस से कम।

दूध का पाश्चुरीकरण क्या होता है?

पाश्चुरीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें दूध को हल्के गर्मी के साथ रोगजनकों को खत्म करने और दूध के अचल जीवन का विस्तार करने के लिए इलाज किया जाता है। कीटाणुशोधन किसी भी प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो जीवन के सभी रूपों जैसे कवक, बैक्टीरिया, बीजाणुओं आदि को हटाता है, मारता है या निष्क्रिय करता है।

पाश्चराइजेशन क्या है यह कैसे उपयोगी है?

Definition of Pasteurization of Milk): दूध या अन्य द्रव्य पदार्थों को इतने समय तथा इतने तापमान तक गर्म किया जाता है कि सभी प्रकार के रोगाणु (Pathogens) नष्ट हो जाए जो उसमें उपस्थित है इसी को Pasteurization कहते है ।