पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

  • जीन पियाजे जीवन परिचय
  • पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
  • पियाजे के संज्ञानात्मक/मानसिक विकास की अवस्थाएं
    • इंद्रियजनित गामक अवस्था
    • पूर्व संक्रियात्मक अवस्था
    • मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
    • अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था
  • पियाजे का संज्ञानात्मक विकास विस्तार से जानने के लिए विडियो को अंत तक देखें
  • पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत के महत्वपूर्ण संप्रत्यय/विशेषता
  • पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धान्त के शैक्षिक उपयोग/ अनुप्रयोग
    • Related posts:

Show

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत(piaget’s cognitive development theory in hindi): पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत मनोविज्ञान केे विभिन्न प्रकार के सिद्धांतों में से एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त हैं। इस लेख में हम पियाजे और इसके संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

जीन पियाजे जीवन परिचय

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

जीन पियाजे एक जंतु मनोवैज्ञानिक थे। इनका जन्म 1886 ईसवी को स्विजरलैंड में हुआ था। यह जानना चाहते थे की बालकों में वृद्धि और विकास किस तरह से होता है इसके लिए इन्होंने अपने ही बच्चे को खोज का विषय बनाया और बारीकी से अध्ययन किया। परिणामस्वरूप मानसिक या संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत दिया। इनके सिद्धांत ने ज्ञानात्मक विकास के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी। आज तक ज्ञानात्मक विकास के क्षेत्र में जो भी शोध एवं अध्ययन किए गए।उनमे सबसे विस्तृत और वैज्ञानिक रूप से आदान जीन पियाजे ने किया है।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अनुसार

“वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है समावेशन कहलाती है।”

पियाजे ने अपने इस सिद्धांत में यह बात सामने रखी कि बच्चों में बुद्धि का विकास उनके जन्म से जुड़ा हुआ है। प्रत्येक बालक अपने जन्म के समय कुछ जन्मजात प्रवृत्तियां एवं सहज क्रियाओं को करने सम्बन्धी योग्यताओं जैसे- चूसना, देखना, वस्तुओं को पकड़ना आदि को लेकर पैदा होता है। जन्म के समय बालक के पास बौद्धिक संरचना के रूप में इसी प्रकार की क्रिया करने की क्षमता होती है। जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है, वैसे-वैसे उसकी भौतिक क्रियाओं का दायरा भी बढ़ जाता है।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

पियाजे के संज्ञानात्मक/मानसिक विकास की अवस्थाएं

पियाजे ने संज्ञानात्मक/मानसिक विकास को चार अवस्थाओं में विभाजित किया है। जो निम्नलिखित है

  1. इंद्रियजनित गामक अवस्था (Sensory motor stage)
  2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre-operational stage)
  3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete operational stage)
  4. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Firmal operational stage)
इंद्रियजनित गामक अवस्था जन्म से लेकर 2 वर्ष
पूर्व संक्रियात्मक अवस्था 2 से 7 वर्ष
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था 7 से 11 वर्ष
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था 11 से उपर
बालक में संज्ञानात्मक विकास की अवस्था

इंद्रियजनित गामक अवस्था

इन्द्रियजनित गामक अवस्था या संवेदी प्रेरक अवस्था (Sensory motor stage): मानसिक विकास का यह चरण जन्म से लेकर 2 वर्ष की अवधि तक पूरा होता है। इस अवस्था में बालक की मानसिक क्रियाएं उसकी इन्द्रियजनित गामक क्रियाओं के रूप में सम्पन्न होती है। उन्हें भूख लगी है वे इस बात को रो कर बताते हैं। किसी भी वस्तु को जो उन्हें चाहिए उसे दिखा कर अपनी बातें प्रकट करते हैं। इस प्रकार से इस अवस्था के बालक भाषा के अभाव में अपने चारों ओर के वातावरण को अपनी इन्द्रियजनित गामक क्रियाओं और अनुभव के माध्यम से ही जानते हैं। उन्हें विचारों के रूप में जो कुछ कहना और समझना होता है, उनकी गामक क्रियाओं के रूप में ही अभिव्यक्ति होती है। कोई वस्तु। बच्चे के सामने तभी तक होती है जब तक वह वस्तु उसकी आंखों के सामने रहे। आंखों से ओझल होते ही वस्तु उसके लिए समाप्त हो जाती है।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

पूर्व संक्रियात्मक अवस्था

पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre-operational stage): बच्चों में यह अवस्था 2 से 7 वर्ष के अन्दर होती है। इसके दौरान बालकों में भाषा का विकास ठीक प्रकार से आरम्भ हो जाता है। अभिव्यक्ति का माध्यम अब भाषा बनने लग जाती है, गामक क्रियाएं नहीं। वस्तुओं के बारे में सोचने तथा विचारने के लिए अब भाषा तथा चित्रों का प्रयोग प्रारंभ हो जाता है। बालक अपने परिवेश की वस्तु को पहचान और उनमें भेद करना प्रारम्भ कर देते हैं। वे वस्तुओं को समूह में विभाजित कर उन्हें नाम देना शुरू क देते हैं। परन्तु शुरू के वर्षों में उनका सम्प्रत्य कार्य अधूरा एवं दोषपूर्ण ही होता है।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

मूर्त संक्रियात्मक अवस्था

मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete operational stage): यह अवस्था 7 से 11 वर्ष के बालक के अन्दर होती है। बच्चों में वस्तुओं को पहचानने, विभेदीकरण करने, वर्गीकरण करने तथा उपयुक्त नाम से समझने की क्षमता विकसित हो जाती है। वे वस्तुओं के बीच समानता, सम्बन्ध, असमानता को समझने लगते हैं। शुरू में इस प्रकार के उनकी समझ मूर्त रूप तक ही सीमित होती है। उनका चिन्तन अब अधिक क्रमबद्ध एक तर्कसंगत होने लगता है। वे यथार्थ की दुनिया के समझना शुरू कर देते हैं।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था

मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Firmal operational stage): इसे अनौपचारिक संक्रियात्मक अवस्था भी कहते हैं। यह 11 वर्ष या इससे अधिक आयु के बालकों के अन्दर पाई जाती है। बालकों में इस अवस्था की मानसिक विकास संबंधी बातों को निम्न रूप से समझा जा सकता है

  • सभी प्रकार के संप्रत्यों का समुचित विकास हो जाता है।
  • भाषा संबंधी योग्यता तथा संप्रेषण शीलता का विकास अपनी ऊंचाई को छूने लगता है।
  • विचारने , सोचने , तर्क करने , कल्पना, निरीक्षण, अवलोकन, प्रेक्षण, प्रयोग आदि के द्वारा उचित निष्कर्ष निकालने की पर्याप्त योग्यता विकसित होती है।
  • स्मरणशक्ति रटने पर आधारित न होकर अब समझ पर आधारित होने लगती है।
  • चिंतन अब मूर्त नहीं रहता अमूर्त बन जाता है।
    पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?
  • वस्तुओं के स्थूल रूप का अब चिंतन प्रक्रिया के लिए उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं रहता।
  • समस्या समाधान योग्यता का उचित विकास हो जाता है।
  • बच्चों में संभावित समस्या का हल खोजने की क्षमता पैदा हो जाती है।
  • संश्लेषण, विश्लेषण तथा सूक्ष्म सिद्धांतों की स्थापना संबंधी उच्च मानसिक क्षमताओं का समुचित विकास हो जाता है।

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास विस्तार से जानने के लिए विडियो को अंत तक देखें

पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत के महत्वपूर्ण संप्रत्यय/विशेषता

1. संगठन- पियाजे प्रथम मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने व्यक्ति को जन्म से क्रियाशील तथा सूचना-प्रक्रमाणित प्राणी स्वीकार किया है।

2. अनुकूलन– अनुकूलन वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने पूर्णज्ञान एवं नवीन अनुभवों के मध्य संतुलन स्थापित करता है।

3. आत्मसातीकरण: आत्मसातीकरण से अभिप्राय है कि बालक अपनी समस्या का समाधान करने के लिए अथवा वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए पूर्व में सीखे गए क्रियाओं का सहारा लेता है।

4. समायोजन: समायोजन के अंतर्गत पूर्व में सीखी गई क्रियाएं काम में नहीं आती।बल्कि इसमें बालक अपनी योजना और व्यवहार में परिवर्तन लाकर वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करता है।

5. साम्यधारणा: ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति नई परिस्थिति के करण उत्पन्न संज्ञानात्मक असंतुलन को दूर कर संतुलन लाने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया में आत्मसातीकरण अथवा समाविष्टिकरण या दोनों की प्रक्रिया सम्मिलित होती है।

6. स्कीमा: व्यक्ति की ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जिसका सामान्यीकरण किया जा सकता है।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

7. स्कीम्स: व्यवहारों का संगठित पैटर्न जिसे आसानी से दोहराया जा सकता है। जैसे- बालक द्वारा विद्यालय के लिए तैयार होने की नित्य क्रिया।

8. संरक्षण – संरक्षण से अभिप्राय वातावरण में परिवर्तन तथा स्थिरता को पहचानने व समझने की क्षमता से है।किसी वस्तु के रूप रंग में परिवर्तन को उस वस्तु के तत्व में परिवर्तन से अलग करने की क्षमता से।

पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धान्त के शैक्षिक उपयोग/ अनुप्रयोग

पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धान्त के शैक्षिक उपयोग/ अनुप्रयोग निम्न हैं।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

उम्मीद करता हूं कि यह लेख आपको आगे बहुत फायदा पहुंचाएगी। अगर उपरोक्त जानकारी आपको अच्छी लगी है तो आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। साथ ही साथ हमारी इस वेबसाइट पर आ रहे Notification को Allow करें और आप हमारे

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?
चैनल को भी Subscribe करें। ताकि हमारा हर अपडेट आप तक सबसे पहले पहुंच सकें।

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?
पियाजे ने कौन सा सिद्धांत दिया? - piyaaje ne kaun sa siddhaant diya?

पियाजे ने कौन सा सिद्धांत प्रतिपादित किया?

जीन प्याजे ने व्यापक स्तर पर संज्ञानात्मक विकास का अध्ययन कियापियाजे के अनुसार, बालक द्वारा अर्जित ज्ञान के भण्डार का स्वरूप विकास की प्रत्येक अवस्था में बदलता हैं और परिमार्जित होता रहता है। पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धान्त को विकासात्मक सिद्धान्त भी कहा जाता है।

पियाजे के कितने सिद्धांत है?

जीन पियाजे ने बालकों के संज्ञानात्मक विकास की व्याख्या करने के लिए चार अवस्था सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।

पियाजे की चार अवस्थाएं कौन कौन सी हैं?

जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं.
संवेदी गामक अवस्था /संवेदीपेशीय अवस्था / इंद्रिय जनित गामक अवस्था /ज्ञानात्मक क्रियात्मक अवस्था / संवेदनात्मक अवस्था / ज्ञानेंद्रिय गामक अवस्था ... .
पूर्व संक्रियात्मक अवस्था / प्राक् संक्रियात्मक अवस्था / प्राक् प्रचलनात्मक अवस्था.

पियाजे का नैतिक सिद्धांत क्या है?

पियाजे के अनुसार, बालक खेल के नियमों का आदर करते हैं। अधिकांशत: नियम आपसी सहमति के आधार पर निर्मित होते हैं तथा उनमें नैतिक विकास का आधार है। जीन पियाजे के अनुसार, छोटा बालक प्रतिकारात्मक न्याय के नैतिक विचार से नियंत्रित होता है।