राजस्थान की भाषा और बोलीयाँ ( Rajasthan kee Boliya ) Show
1. मारवाड़ी :- यह पश्चिमी राजस्थान की प्रधान बोली है जिसकी उत्पत्ति गुर्जरी अपभ्रंश से हुई है। इस भाषा में जैन साहित्य व मीरा के अधिकांश पद इसी भाषा में लिखे गए हैं मारवाड़ी की उपबोलीयाँ जैसे बागड़ी , शेखावटी , बिकानेरी , थली , खेराडी , नागौरी , देवड़ा वाटी , गोडवाडी है। 2. मेवाड़ी :- यह बोली उदयपुर , भीलवाड़ा , राजसमंद, चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में बोली जाती है महाराणा कुंभा की कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति में मेवाड़ी भाषा का प्राचीन रूप देखा जा सकता है मेवाड़ी भाषा में नी का प्रयोग ज्यादा होता है। 3. ढूंढाड़ी :- यह जयपुर टोंक अजमेर दौसा जिलों में बोली जाती है इसे जयपुरी एवं झाडशही बोली भी कहते हैं। संत दादू और उनके शिष्य की रचनाएं ढूंढाड़ी भाषा में ही है।ढूंढाड़ी बोली में ” छ ” का अधिक प्रयोग किया जाता है। जयपुर के दक्षिण पूर्व एवं टोंक के पश्चिमी भाग में चौरासी ढूंढाड़ी की उपबोली , सवाई माधोपुर के पश्चिम में और टोक के दक्षिणी भाग में नगर चोल ढ़ढारी की उप बोली बोली जाती है और जयपुर के दक्षिण में काठेढडी ढूंढाड़ी कि उप बोली बोली जाती है। 4. हाडोती :- हाडोती इसका निर्माण मेवाड़ी तथा गुजराती भाषाओं के मिश्रण से हुआ है यह राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भाग में अधिक बोली जाती है जैसे कोटा बूंदी झालावाड़ बांसवाड़ा प्रतापगढ़ आदि जिलों में। बूंदी के प्रसिद्ध कवि सूर्यमल मिश्रण के वंश भास्कर काव्य में हाड़ौती बोली का प्रयोग मिलता है। 5. मेवाती :- यह बोली अलवर भरतपुर धौलपुर तथा उत्तर प्रदेश के मथुरा हरियाणा के गुड़गांव तक बोली जाती है। 6. मालवी :- यह बोली मालवा प्रांत की होने के कारण मालवीय कहलाती है यह राज्य के झालावाड़, कोटा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ के क्षेत्र में बोली जाती है मालवी बोली में मारवाड़ी तथा ढूंढाड़ी बोली की कुछ विशेषताएं पाई जाती है निमाड़ी भाषा मालवी की उपबोली है। 7. अहीर वाटी :- पूर्वोत्तर राजस्थान की दूसरी महत्वपूर्ण बोली है इसका प्रभाव अलवर जिले की बहरोड मे ज्यादा तहसील में है। इस गोली को राठी बोली भी कहा जाता है। 8. गोडवाडी :- यह बोली गोडवाड़ प्रदेश जालौर , पाली, बाड़मेर के आसपास के क्षेत्र में अधिक बोली जाती है। यह मारवाड़ी बोली की उपबोली है। बीसलदेव रासो इस भाषा की प्रमुख रचना है। यह जालौर की आहोर तहसील से प्रारंभ होकर पाली जिले की बाली तहसील के संपूर्ण क्षेत्र में बोली जाती है। 9. खैराडी :- यह बोली मेवाड़ी ढूंढाड़ी एवं हाड़ौती बोली का मिश्रण है यह बोली जहाजपुर भीलवाड़ा में टोंक के कुछ इलाकों में बोली जाती है। 10. देवड़ा वाटी :- यह मारवाड़ी भाषा की एक बोली है यह बोली सिरोही क्षेत्र में बोली जाती है। 11. वागड़ी :- डूंगरपुर बांसवाड़ा क्षेत्र को बांगड़ क्षेत्र भी कहते हैं तथा यहां पर बोले जाने वाली बोली बागड़ी कहलाती है। बागड़ी बोली को ही भीलों की बोली भी कहते है। 12. तोरावाटी :- यह जयपुर जिले के उत्तरी भाग में सीकर झुंझुनू प्रदेश में बोली जाने वाली महत्वपूर्ण भाषा है। 13. पंजाबी :- बोली यह बोली राजस्थान के श्रीगंगानगर वह हनुमानगढ़ जिले में अधिक बोली जाती है। 14. थली/ बीकानेरी बोली :- यह बोली बीकानेर चूरू श्रीगंगानगर प्रदेश में बोली जाती है। 15. ब्रज बोली :- यह बोली राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जिले के क्षेत्रों में बोली जाती है। 16. शेखावाटी बोली :- यह बोली राजस्थान के शेखावाटी प्रदेश चूरू सीकर झुंझुनू जिले में बोली जाती है। Rajasthan ki boliyan pdf👉 Download PDF इने भी जरूर पढ़े –
राजस्थान की राज भाषा कौन सी है?राजस्थानी भाषा मुख्य रूप से राजस्थान राज्य में बोली जाती हैं, लेकिन गुजरात, हरियाणा और पंजाब में भी बोली जाती हैं। राजस्थानी भाषा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर और मुल्तान क्षेत्रों और सिंध के थारपारकर जिले में भी बोली जाती हैं।
राजस्थान में सबसे ज्यादा कौन सी भाषा बोली जाती है?सही उत्तर है मारवाड़ी। यह राजस्थानी भाषा का मानक रूप है, जिसे राजस्थान का मरुभाषा कहा जाता है। अधिकांश साहित्य इसी भाषा में लिखा गया है। भाषा पश्चिमी राजस्थान में सबसे अधिक बोली जाती है।
चूरू में कौन सी भाषा बोली जाती है?चूरू
कुवलयमाला में राजस्थान की कितनी भाषाएं?सही उत्तर 18 है। कुवलयामाला में राजस्थान की 18 भाषाओं का उल्लेख मिलता है। उद्योतन सूरी जैन साहित्य कुवलयमाला के रचयिता हैं।
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