'भारत का संविधान' के अन्तर्गत राज्यपाल की शक्तियां एवं कार्यअनुच्छेद 151(2).संपरीक्षा प्रतिवेदन: भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के किसी राज्य के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो उनको राज्य के विधान मण्डल के समक्ष रखवाएगा । Show अनुच्छेद 153. राज्यों के राज्यपाल: प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा । परन्तु इस अनुच्छेद की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल नियुक्त किये जाने से निवारित नहीं करेगी । अनुच्छेद 154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति: अनुच्छेद 155. राज्यपाल की नियुक्ति: राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा । अनुच्छेद 156. राज्यपाल की पदावधि: अनुच्छेद 157. राज्यपाल नियुक्त होने के लिए अर्हताएं: कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त होने का पात्र तभी होगा जब वह भारत का नागरिक है और पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है । अनुच्छेद
158. राज्यपाल पद के लिए शर्तें: अनुच्छेद 159. राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान: प्रत्येक राज्यपाल और प्रत्येक व्यक्ति, जो राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, अपना पद ग्रहण करने से पहले उस राज्य के सम्बन्ध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उस न्यायालय के उपलब्ध ज्येष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष निम्नलिखित प्ररूप में शपथ लेगा या
प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा, अर्थात्: अनुच्छेद 160. कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन: राष्ट्रपति ऐसे किसी आकस्मिकता में, जो इस अध्याय में उपबन्धित नहीं है, राज्य के राज्यपाल के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगा जो वह ठीक समझता है । अनुच्छेद 161. क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलम्बन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति: किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराये गये किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलम्बन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश के निलम्बन, परिहार या लघुकरण की शक्ति होगी । अनुच्छेद 163. राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद्: अनुच्छेद 164. मंत्रियों के बारे में अन्य उपबन्ध: अनुच्छेद 165. राज्य का
महाधिवक्ता: अनुच्छेद 166. राज्य की सरकार के कार्य का संचालन: अनुच्छेद 167. राज्यपाल को जानकारी देने आदि के
सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के कत्र्तव्य: प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का यह कत्र्तव्य होगा कि वह: अनुच्छेद 168. राज्यों के विधान-मण्डलों का गठन: अनुच्छेद
171. विधान परिषदों की संरचना: अनुच्छेद
174. राज्य के विधान-मण्डल के सत्र, सत्रावसान और विघटन: अनुच्छेद 175.
सदन या सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार: अनुच्छेद 176. राज्यपाल का विशेष अभिभाषण: अनुच्छेद 180. अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति: अनुच्छेद 184. सभापति के पद के कत्र्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उप-सभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति: अनुच्छेद 187. राज्य के विधान-मण्डल का सचिवालय: अनुच्छेद 188. सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान: राज्य की विधान सभा या विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिये गये प्ररूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा । अनुच्छेद
192. सदस्यों की निरर्हताओं से सम्बन्धित प्रश्नों पर विनिश्चय: अनुच्छेद 199. धन
विधेयक की परिभाषा: इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों से सम्बन्धित उपबन्ध हैं, अर्थात्: अनुच्छेद 200. विधेयकों पर अनुमति: अनुच्छेद 201. विचार के लिए आरक्षित विधेयक: अनुच्छेद 202. वार्षिक वित्तीय विवरण: अनुच्छेद 203. विधान मण्डल में प्राक्कलनों के सम्बन्ध में प्रक्रिया: अनुच्छेद 205. अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान: अनुच्छेद
207. वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबन्ध: अनुच्छेद 208. प्रक्रिया के नियम: अनुच्छेद 213. विधान
मण्डल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राज्यपाल की शक्ति: अनुच्छेद 217. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्तें: अनुच्छेद 219. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान: अनुच्छेद 227. सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति: अनुच्छेद 229. उच्च न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय: अनुच्छेद 230. उच्च न्यायालयों की अधिकारिता पर संघ का
राज्यक्षेत्रों पर विस्तार: अनुच्छेद 231. दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना: अनुच्छेद 233. जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति: अनुच्छेद 234. न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती: अनुच्छेद 237. कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबन्धों का लागू होना: अनुच्छेद 243(छ). ''ग्राम'' से राज्यपाल द्वारा इस भाग के प्रयोजनों के लिए, लोक अधिसूचना द्वारा ग्राम के रूप में विनिर्दिष्ट ग्राम अभिपे्रत है और इसके अन्तर्गत इस प्रकार विनिर्दिष्ट ग्रामों का समूह भी है । अनुच्छेद 243झ. वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन: अनुच्छेद 243ट. पंचायतों के लिए निर्वाचन: अनुच्छेद 243ठ. संघ राज्यक्षेत्रों का लागू होना: अनुच्छेद 243त(ग). ''महानगर क्षेत्र'' से दस लाख या उससे अधिक जनसंख्या वाला ऐसा क्षेत्र अभिपे्रत है जिसमें एक या अधिक जिला समाविष्ट हैं और जो दो या अधिक नगरपालिकाओं या पंचायतों या अन्य संलग्न क्षेत्रों से मिलकर बनता है तथा जिसे राज्यपाल, इस भाग के प्रयोजनों के लिए, लोक अधिसूचना द्वारा, महानगर क्षेत्र के रूप में विनिर्दिष्ट करें । अनुच्छेद 243त(घ). ''नगरपालिका क्षेत्र'' से राज्यपाल द्वारा अधिसूचित किसी नगरपालिका का प्रादेशिक क्षेत्र अभिपे्रत है। अनुच्छेद 243थ. नगरपालिकाओं का गठन: अनुच्छेद 243म. वित्त आयोग: अनुच्छेद 243य(घ). जिला योजना के लिए समिति: अनुच्छेद 255. सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना: यदि संसद के या किसी राज्य के विधान मण्डल के किसी अधिनियम को- अनुच्छेद 258क. संघ को कृत्य सौंपने की राज्यों की शक्ति: अनुच्छेद 267. आकस्मिकता निधि: अनुच्छेद 294. कुछ दशाओं में सम्पत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार: इस संविधान के प्रारम्भ से ही - अनुच्छेद 299. संविदाएं: अनुच्छेद 309. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें: अनुच्छेद 310. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि: अनुच्छेद 311. संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना, पद से हटाया जाना या
पंक्ति में अवनत किया जाना: अनुच्छेद 315. संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग: अनुच्छेद 316. सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि: अनुच्छेद 317. लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलम्बित किया जाना: अनुच्छेद 318. आयोग के सदस्यों और कर्मचारिवृन्द की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति: अनुच्छेद 320. लोक सेवा आयोगों के कृत्य: अनुच्छेद 323. लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन: अनुच्छेद 324. निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना: अनुच्छेद 333. राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व: अनुच्छेद 338. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग: अनुच्छेद 338क. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग: अनुच्छेद 341. अनुसूचित जातियाॅं: अनुच्छेद 342. अनुसूचित जनजातियाॅं: अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा: अनुच्छेद 356. राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबन्ध: अनुच्छेद 361. राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण: अनुच्छेद 367, व्याख्या : (2) इस संविधान में कोई भी संदर्भ चाहे वह संसद द्वारा निर्मित हो, अथवा कोई भी अधिनियम अथवा कानून चाहे वह राज्य विधान मण्डल द्वारा बनाया गया हो, राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल द्वारा जारी किये गए अध्यादेश के संदर्भ के रूप में माना जाएगा, जैसा भी मामला हो | द्वितीय व अन्य अनुसूचियों के प्रावधान ''''' राज्य सरकार के कौन कौन से कार्य होते हैं?कला और संस्कृति. वाणिज्य. संचार और आईटी. वन एवं पर्यावरण. वित्त और कर. खाद्य और सार्वजनिक वितरण. राज्य सरकार के प्रमुख कौन है?क्या यह जानकारी उपयोगी थी?
सरकार के कितने स्तर होते हैं?राज्यों का संघ होने के कारण शासन के दो स्तर हैं। केन्द्र में सरकार को केन्द्रीय सरकार और राज्य स्तर पर सरकार को राज्य सरकार कहते हैं । संघीय (केन्द्रीय) सरकार के तीन अंग हैं- विधायिका (संसद) कार्यपालिका ( राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद) और न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय)।
सरकार से आप क्या समझते हैं?सरकार कुछ निश्चित व्यक्तियों का समूह होती है जो राष्ट्र तथा राज्यों में निश्चित काल के लिए तथा निश्चित पद्धति द्वारा शासन करता है। प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है।
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