राखी बांधने की शुरुआत कब हुई? - raakhee baandhane kee shuruaat kab huee?

इसके अलावा रक्षाबंधन  (Raksha Bandhan) को मनाने की एक और कथा है- एक पूरानी कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का कर रहे थे, तो उस समय उनकी एक उंगली कट गई थी.  जिसकी वजह से भगवान श्री कृष्ण की उंगली से रक्त बहने लगा और इसे देख कृष्ण की बहन द्रौपदी ने अपने आंचल का टुकड़ा फाड़कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली में बांधा दिया था. उस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को एक वचन दिया और कहा कि- बहन तुम्हारे इस कपड़े में लगे एक-एक सूत का कर्ज़ उतार लूंगा. इसके बाद जब भगवान श्री कृष्ण ने जब द्रौपदी का चीर हरण होता देखा तो उन्होंने अपने इस वचन को पूरा किया और द्रौपदी की लाज बचाई

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BP रक्षाबंधन की शुरुआत 1995 में हुई जब इंडिया से बांग्लादेश अलग हो तो रविंद्र नाथ टैगोर ने महा रक्षाबंधन का आयोजन किया जिसमें एक दूसरे को बांग्लादेशी मुसलमान और हिंदू इंडियन हिंदू जब राखी बांधने से दोनों के बीच में प्यार बढ़ाने के लिए तो इसकी शुरुआत 1950 में हुई

BP rakshabandhan ki shuruat 1995 mein hui jab india se bangladesh alag ho toh ravindra nath tagore ne maha rakshabandhan ka aayojan kiya jisme ek dusre ko bangladeshi musalman aur hindu indian hindu jab rakhi bandhne se dono ke beech mein pyar badhane ke liye toh iski shuruat 1950 mein hui

BP रक्षाबंधन की शुरुआत 1995 में हुई जब इंडिया से बांग्लादेश अलग हो तो रविंद्र नाथ टैगोर ने

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राखी बांधने की शुरुआत कब हुई? - raakhee baandhane kee shuruaat kab huee?
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भारत में रक्षा बंधन सब मनाते तो है लेकिन रक्षाबंधन की शुरुआत कब, कहाँ, कैसे और किसके द्वारा हुई यह बात बहुत कम लोग जानते है.

शास्त्रों  में मान्यताओं और कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन से जुड़ी कई अनोखी कहानियां है, जिससे रक्षाबंधन की शुरुआत होने की बात कही जाती है.

तो आइये जानते है रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई .

पहली मान्यता

  • भगवान विष्णु के वामन अवतार में जब राजा बलि के दान से खुश होकर विष्णु ने राजबली से वरदान मांगने को कहा, तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में साथ रहने को कहा. भगवन विष्णु बलि के संग पाताल लोक रहने चले गए.
  • इससे लक्ष्मी देवी दुःखी और परेशान हो गई और रूप बदल कर राजा बलि के पास जा पहुंची.
  • राजा बलि के सामने जाकर रोने लगी और जब बलि ने उसके रोने का कारण पूछा तब लक्ष्मी देवी ने अपने कोई भाई ना होने की बात कही. इस तरह राजा बलि लक्ष्मी माता के भाई बनकर उसकी वह इच्छा पूरी की.
  • जब लक्ष्मी माता ने राजा बलि को राखी बाँधी  तब राजा बलि ने अपनी बहन को उपहार मांगे को कहा .
  • तब माता लक्ष्मी ने उपहार में अपने पति भगवान विष्णु को माँगा और पाताल लोक छोड़ कर अपने साथ जाने की बात कही.
  • राजा बलि वचनबद्ध थे इसलिए बहन की इच्छा पूरी की और भगवान विष्णु को लक्ष्मी के साथ जाने दिया.
  • वह समय सावन पूर्णिमा का था तब से राखी बांधकर रक्षा बंधन मनाया जाता है – ये रक्षाबंधन की शुरुआत थी.

दूसरी मान्यता

  • द्रोपदी और कृष्णा के बीच बहुत गहरा प्रेम था. दोनों सखा थे और द्रोपदी कृष्ण से विवाह करना चाहती थी.
  • लेकिन भगवान कृष्ण को महाभारत और गीता का ज्ञान था. वे जानते थे कि द्रोपदी का विवाह पांडव से संभव था.
  • जब द्रोपदी से कृष्ण के विवाह की चर्चा शुरू हुई, तब कृष्ण ने द्रोपदी का विवाह अर्जुन से करने का जिक्र कर दिया और नियति के अनुसार द्रोपदी का विवाह अर्जुन से तय हो गया.
  • एक दिन द्रोपदी पांडव परिवार और आपसी कटुता से दुखी होकर शांत बैठकर रो रही थी.
  • तब कृष्ण सखा होने के नाते द्रोपदी के पास आकर उसको दुखी देख दुःख का कारण पूछा.
  • द्रोपदी ने अपने भविष्य की उदासीनता  और उनके बीच  में अपनी सुरक्षा के प्रति  चिंता व्यक्त की.
  • कृष्ण ने उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने सर पर ली और वचनबद्ध हो गए. द्रोपदी ने कृष्ण को उसके वचनबद्धता को याद रखने के लिए अपने रेशमी कपडे से एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण की कलाई में बांध दिया. ताकि आजीवन उनको अपना दिया रक्षा वचन हमेशा याद रहे.
  • तब से रक्षाबंधन की शुरुआत की बात कही जाती है.

रक्षा बंधन का मतलब सिर्फ भाई बहन का रिश्ता नहीं होता बल्कि रक्षा बंधन का मतलब रक्षा के लिए  प्रतिबद्ध, होकर उस बंधन को निभाने के लिए वचनबद्ध होकर बंधन में बंधना होता है.

रक्षा बंधन सिर्फ भाई बहन का नहीं बल्कि स्त्री की रक्षा करने वाले हर रिश्ते और है इंसान  के लिए होता है रक्षाबंधन का त्यौहार.

रक्षाबंधन बनाना कब से शुरू हुआ?

श्रीकृष्‍ण ने युधिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधें. युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया और अपनी पूरी सेना में सभी को रक्षासूत्र बांधा. युद्ध में युधिष्ठिर की सेना विजयी हुई. इसके बाद से इस दिन को रक्षाबंधन के तौर पर मनाया जाने लगा.

रक्षाबंधन की शुरुआत कब और किसने की?

रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूँ हैं। मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी।

रक्षाबंधन कब से और क्यों मनाया जाता है?

किस दिन मनाया जाता है रक्षा बंधन ? बताना चाहेंगे कि यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भाई की कलाई पर बांधे जाने वाले इन्हीं कच्चे धागों से पक्के रिश्ते बनते हैं। पवित्रता तथा स्नेह का सूचक यह पर्व भाई-बहन को पवित्र स्नेह के बंधन में बांधने का पवित्र एवं यादगार दिवस है।

सबसे पहले राखी कौन बांधा था?

ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।