रोलेट एक्ट कब पारित किया गया था? - rolet ekt kab paarit kiya gaya tha?

रोलेट एक्ट कब पारित हुआ था?

(A) 8 मार्च, 1909
(B) 18 मार्च, 1919
(C) 18 अप्रैल, 1919
(D) 6 अप्रैल, 1919

Explanation : रोलेट एक्ट 18 मार्च, 1919 को पारित हुआ था। भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय भावना को कुचलने के उद्देश्य से न्यायाधीश सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई थी। इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय विधान परिषद में दो विधेयक प्रस्तुत किए गए, जिन्हें रौलेट बिल नाम दिया गया। इस कानून के अनुसार सरकार किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करके बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल सकती थी और उसको चाहे जितने समय तक जेल में रख सकती थी। इसीलिए भारतीय जनता ने इसको 'काला कानून' कह कर कटु आलोचना की। इस कानून को 'न दलील, न अपील, न वकील' भी कहा जाता है। महात्मा गांधी ने लोगों से 6 अप्रैल, 1919 को देशव्यापी हड़ताल करने के लिए कहा। सारे देश में हड़ताल की गई और जुलूस निकाले गए। दिल्ली में उस जुलूस का नेतृत्व स्वामी श्रद्धानन्द ने किया। रौलेट एक्ट के विरोध् में डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू गिरफ्तार किए गए। ....अगला सवाल पढ़े

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Rowlatt act in Hindi – दोस्तों, आज हम रॉलेट एक्ट के बारे में जानेंगे, जिसे अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध के अंत होते ही अपने स्वार्थ के लिए लागू किया था, इस एक्ट को काले कानून के नाम से भी संबोधित किया जाता है। 

रॉलेट एक्ट की पृष्ठभूमि 

जब जुलाई, 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ था, तब इस युद्ध में ब्रिटेन ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था और अंग्रेज इस युद्ध में बहुत व्यस्त थे। 

अंग्रेजों के इस प्रथम विश्व युद्ध में व्यस्त होने के कारण वे भारत में चल रही भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियों को अच्छे से संभाल नहीं पा रहे थे, इसलिए इन भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए अंग्रेजों ने भारत में डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ( Defence of India Act 1915 ) को लागू किया था। 

डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915, एक तरह का आपातकालीन आपराधिक कानून था जिसे अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए लागू किया था अर्थात अंग्रेज उस समय प्रथम विश्व युद्ध में व्यस्त थे इसलिए इस एक्ट को लागू कर के उन्होंने कुछ सख्त कानून भारतीयों पर लागू कर दिए थे। 

यह एक्ट प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने से लेकर ख़त्म होने के 6 महीने बाद तक के लिए लगाया गया था और यह प्रथम विश्व युद्ध नवंबर 1918 तक ख़त्म हो गया था। 

ब्रिटिश सरकार के अनुसार जब डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 की अवधि समाप्त हो जाएगी, तब भारत में फिर से भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियां पहले से भी ज्यादा तीव्र गति से शुरू हो जाएंगी, इसलिए अंग्रेजों ने सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई। 

इस कमेटी का उद्देश्य भारत में चल रही क्रांतिकारी गतिविधियों की जांच करना और पंजाब व बंगाल में अंग्रेजों को सबसे ज्यादा शक था, इसलिए इन क्षेत्रों की जांच सबसे महत्वपूर्ण थी। 

इस कमेटी का एक और उद्देश्य था की वे भारतीय नेताओं और क्रांतिकारियों के जर्मन सरकार और रूसी बोल्शेविक के मध्य उनके संबंधो का पता लगाए, इसके साथ ही कमेटी को भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार को सुझाव भी देने थे। 

जब इस कमेटी ने ब्रिटिश सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी, तो उस रिपोर्ट में भारतीय नेताओं और क्रांतिकारियों के जर्मन सरकार के साथ संबंध साबित कर दिए थे और साथ ही भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 की अवधि को अनिश्चित काल तक के लिए बढ़ाने का सुझाव भी दिया था। 

डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 को इसी अनिश्चित काल के लिए बढ़ाए जाने को हम “रॉलेट एक्ट” के नाम से जानते हैं और क्यूंकि इसका सुझाव सर सिडनी रॉलेट की कमेटी द्वारा दिया गया था इसलिए इस डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 के बढे हुए काल को रॉलेट एक्ट नाम दिया गया था, और इस एक्ट को 8 मार्च 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू कर दिया गया था।  

रॉलेट एक्ट का आधिकारिक नाम अराजकता और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम 1919 ( Anarchical and Revolutionary Crimes Act of 1919 ) था। 

रॉलेट एक्ट को लार्ड चेम्सफोर्ड के समय लागू किया गया था। 

इस एक्ट का उद्देश्य भारत में अंग्रेजों के खिलाफ होने वाले षड्यंत्र को शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर देना था। 

रॉलेट एक्ट के प्रावधान 

Rowlatt act in Hindi – दोस्तों, इस एक्ट के प्रावधानों से ब्रिटिश सरकार को भारत में चल रहे उनके खिलाफ षड्यंत्र को रोकने के लिए अलग शक्तियां मिलने वाली थी, आइये उन प्रावधनों पर दृष्टि डालें:

1. पुलिस को बिना किसी सर्च वारंट के किसी भी जगह की तलाशी लेने की अनुमति दे दी गई थी अर्थात किसी भी घर में पुलिस कभी भी छापा मार सकती थी और यदि वहां उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ कोई भी सबूत मिलता तो पुलिस उस व्यक्ति पर कार्यवाही कर सकती थी।
2. किसी व्यक्ति को शक के आधार पर ही 2 वर्ष के लिए कारावास में ड़ाल दिया जा सकता था। 
3. इस एक्ट के तहत एक विशेष अदालतों का गठन किया गया था,जिसमें तुरंत ही निर्णय ले लिया जाता था , इसमें 3 जज की बेंच मिलकर निर्णय लेती थी और यदि किसी व्यक्ति को दोषी करार दे दिया जाता था, तो वह व्यक्ति उससे ऊपर किसी भी अदालत में अपील नहीं कर सकता था। 
4. सार्वजनिक बैठकों पर पाबंदी लगा दी गई, अर्थात लोग कहीं भी इकठ्ठा नहीं हो सकते थे और किसी त्योहार और मेले में भी लोग इकट्ठा नहीं हो सकते थे। 
5. किसी भी तरह के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर भी पाबंदी लगा दी गई थी। 
Rowlatt act in Hindi – रॉलेट एक्ट 1919

रॉलेट एक्ट पर भारतीयों का विरोध 

इस एक्ट के विरोध में वायसराय की काउंसिलमें जो भारतीय सदस्य थे उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था, वायसराय की काउंसिल से अपना इस्तीफा देने वाले भारतीयों में से बी. ऐन. शर्मा, मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना और मज़हर उल हक़ प्रमुख नाम थे। 

भारतीय लोगों में इस एक्ट के विरोध में गुस्सा फूट चुका था। 

सत्याग्रह 

महात्मा गांधी जी ने भी इस एक्ट का विरोध किया और इस एक्ट को लेकर एक शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया और 24 फरवरी 1919 को बॉम्बे में सत्याग्रह सभा शुरू कर दी थी और अलग-अलग क्षेत्रों में सत्याग्रह सभाएं चलाई गई। 

इसके बाद गांधीजी के अनुसार 6 अप्रैल, 1919 को पूरे देशभर में हड़ताल कर दी गई थी। 

इसी क्रम में 9 अप्रैल, 1919 को एक सूचना मिली की पंजाब के बड़े नेता डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया है। 

जलियांवाला बाग नरसंहार 

पंजाब के बड़े नेता डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू के पकडे जाने के बाद अमृतसर में हालात खराब होने लग गए थे। 

लोगों ने अंग्रेजों की इमारतों में पत्थरबाज़ी शुरू कर दी थी और झंडों को आग लगाना शुरू कर दिया था, तब इस माहौल को देखते हुए 11 अप्रैल, 1919 को पंजाब में मार्शल लॉ ( Martial Law ) लगा दिया गया था। 

इसके बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा पंजाब की जिम्मेदारी जनरल डायर के हाथों में दे दी गई थी। 

इसके बाद 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर और आसपास के गांवों के लोग बैसाखी के पर्व पर जलियांवाला बाग में करीब 10 से 15 हज़ार लोग एकत्रित हुए थे।  

इतने सारे लोगों के इकट्ठा होने की खबर पाकर जनरल डायर वहां अपनी सेना के साथ पहुंचा और अपनी सेना को अंधाधुन गोलियां चलाने के आदेश दे दिए, जिसके बाद बहुत बड़ा नरसंहार हुआ और बहुत लोग इधर-उधर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे, कुछ लोग उस बाग में बने कुएं में कूद कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे। 

जनरल डायर के उस आदेश के बाद बहुत बड़ा नरसंहार हुआ था, दोस्तों, 2019 में इस घटना को 100 वर्ष पूरे हुए थे, हम हमारी तरफ से उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

गांधी जी भी देश में चल रही हिंसा से दुखी थे, और मुख्य रूप से बंगाल, गुजरात और पंजाब में लोगों ने सत्याग्रह को शांतिपूर्ण तरीके से न करके हिंसा का सहारा लेना शुरू कर दिया था। 

इतनी हिंसा को देखकर गांधी जी ने दुखी होकर 18 अप्रैल, 1919 को अपना सत्याग्रह वापस ले लिया था। 

इसके 3 वर्ष के बाद 1922 में दमनकारी कानून समिति ( Repressive laws Committee ) की रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटिश सरकार द्वारा यह रॉलेट एक्ट वापस ले लिया गया था और समय भारत में लार्ड रेडिंग वायसराय के पद पर थे। 

Rowlatt act in Hindi – रॉलेट एक्ट 1919

हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई Rowlatt act in Hindi – रॉलेट एक्ट 1919 के बारे में  जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।

धन्यवाद।


बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न

रौलट एक्ट का पूरा नाम क्या है?

रॉलेट एक्ट का आधिकारिक नाम अराजकता और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम 1919 ( Anarchical and Revolutionary Crimes Act of 1919 ) था। 

रोलेट एक्ट कब पारित किया गया था?

डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 को इसी अनिश्चित काल के लिए बढ़ाए जाने को हम रॉलेट एक्ट के नाम से जानते हैं और क्यूंकि इसका सुझाव सर सिडनी रॉलेट की कमेटी द्वारा दिया गया था इसलिए इस डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 के बढे हुए काल को रॉलेट एक्ट नाम दिया गया था, और इस एक्ट को 8 मार्च 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू कर दिया गया था।  

जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहां हुआ था?

इसके बाद 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर और आसपास के गांवों के लोग बैसाखी के पर्व पर जलियांवाला बाग में करीब 10 से 15 हज़ार लोग एकत्रित हुए थे।  

इतने सारे लोगों के इकट्ठा होने की खबर पाकर जनरल डायर वहां अपनी सेना के साथ पहुंचा और अपनी सेना को अंधाधुन गोलियां चलाने के आदेश दे दिए, जिसके बाद बहुत बड़ा नरसंहार हुआ और बहुत लोग इधर-उधर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे, कुछ लोग उस बाग में बने कुएं में कूद कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे। 

रोलेट एक्ट को काला कानून क्यों कहा जाता है?

पुलिस को बिना किसी सर्च वारंट के किसी भी जगह की तलाशी लेने की अनुमति दे दी गई थी अर्थात किसी भी घर में पुलिस कभी भी छापा मार सकती थी और यदि वहां उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ कोई भी सबूत मिलता तो पुलिस उस व्यक्ति पर कार्यवाही कर सकती थी।


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भारत में रोलेट एक्ट कब पारित किया गया?

रौलट कमेटी के सुझावों के आधार पर फरवरी 1918 में केंद्रीय विधान परिषद में दो विधेयक पेश किए गए। इनमें से एक विधेयक परिषद के भारतीय सदस्यों के विरोध के बाद भी पास कर दिया गया। इसके आधार पर 1919 ई. में रोलेट एक्ट पारित किया गया गया

रोलेट एक्ट किसके द्वारा व कब बनाया गया?

रौलट एक्ट क्या है? 8 मार्च 1919 को रॉलेट एक्ट लागू किया गया था। यह एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के क्रांतिकारी को कुचलने के लिए 'सर किडनी रॉलेक्ट' की कमेटी नियुक्त की गई थी। 1918 में कमिटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

रॉलेट एक्ट क्यों पारित किया गया?

4 1919 का रॉलेट एक्ट, जिसे आधिकारिक तौर पर 1919 के अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम के रूप में जाना जाता है, भारत की रक्षा अधिनियम, 1915 के दमनकारी प्रावधानों का अनिश्चितकालीन विस्तार था। इसे भारत में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ बढ़ते राष्ट्रवादी विद्रोह को दबाने के लिए पारित किया गया था।

रौलट एक्ट का पूरा नाम क्या है?

रौलट एक्ट का पूरा नाम क्या है? रॉलेट एक्ट का आधिकारिक नाम अराजकता और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम 1919 ( Anarchical and Revolutionary Crimes Act of 1919 ) था।