महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण क्या है? - mahilaon ka aarthik sashaktikaran kya hai?

सार

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भारत में आजादी के 75 साल बाद भी तमाम दावों के विपरीत महिला सशक्तीकरण अथवा महिला विकास अभी दूर की कौड़ी है।193 देशों में से केवल 22 देशों में सरकार की मुखिया या राष्ट्राध्यक्ष महिला हैं। केवल 13 देशों के कैबिनेट में 50 प्रतिशत महिला की भागीदारी है।

महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण क्या है? - mahilaon ka aarthik sashaktikaran kya hai?

महिला दिवस 2022 - फोटो : Istock

विस्तार

सम्पूर्ण विश्व में महिलाओं की उपलब्धियों एवं योगदान का जश्न मनाने के लिए कई विशेष कार्यक्रमों, समारोह आदि का आयोजन शुरू हो चुका है। नए साल की तर्ज पर अपनी मां, बहन, पत्नी, टीचर या दोस्त को अलग-अलग माध्यम से  बधाई संदेश दिए जा रहे हैं। यह जानना जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  के पीछे एक महत्पूर्ण  घटना है।

अमरीका के न्यूयॉर्क में वर्ष 1908 में  क़रीब 15 हज़ार महिलाओं ने कार्य स्थल पर होने वाले भेदभाव, समान वेतन,और वोटिंग के अधिकार के लिए एक ऐतिहासिक आंदोलन  किया था। इसके बाद वर्ष 1910 में  एक जर्मन मार्क्सवादी सिद्धांतकार, कार्यकर्ता, और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली क्लारा ज़ेटकिन ने महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार दिया एवं विश्वभर में यह अपने अपने तरीके से मनाया जाने लगा।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को वर्ष 1975 में मनाना शुरू किया। आंदोलन के 114 वर्ष के बाद भी आज हालात कुछ हद तक बदले जरूर हैं किन्तु आधी आबादी बराबरी से बहुत दूर है।

महिलाओं को नहीं मिल पाया है समान अवसर

आज भी  महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक भागीदारी के अवसर समान नहीं हैं। शैक्षिक उपलब्धियों, स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा तथा राजनीतिक सशक्तीकरण के सूचकांकों में भी आधी आबादी का प्रतिनिधित्व उचित तरीके से नहीं हुआ है।  विश्व की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाएं विश्व के हर कोने में नेतृत्व के स्तर पर कम ही आंकी गई हैं या यूं कहें कि उनकी नेतृत्व क्षमता पहचानी ही नहीं गई है।

193 देशों में से केवल 22 देशों में सरकार की मुखिया या राष्ट्राध्यक्ष महिला हैं। केवल 13 देशों के कैबिनेट में 50 प्रतिशत महिला की भागीदारी है। केवल 3 देशों में 50 प्रतिशत महिला सांसद हैं। वैश्विक स्तर की बात करें तो केवल 24 प्रतिशत महिलाएं सांसद हैं। 31 राष्ट्रों में महिला सांसदों की संख्या एकल या निचले सदनों में 10 प्रतिशत से भी कम है  4 ऐसे वाणिज्य मंडल हैं जिनमें कोई महिला नहीं है। इसी तरह, 2018 फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से केवल 24-25  महिला सीईओ हैं और 12 कंपनियों के बोर्ड में एक भी  महिला नहीं है।

विश्व के विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिन देशों में महत्वपूर्ण पदों पर 25से 30 प्रतिशत तक  महिलाओं की हिस्सेदारी है वो परंपरागत सोच एवं व्यवस्था में परिवर्तन कर महिलाओं के उत्थान का पुरजोर समर्थन करती हैं।

भारत के आंकड़े और भी निराशाजनक

भारत में आजादी के 75 साल बाद भी तमाम दावों के विपरीत महिला सशक्तीकरण अथवा महिला विकास अभी दूर की कौड़ी है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा प्रकाशित ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत की स्थिति निराशाजनक है। 156 देशों में से भारत 140 वें स्थान पर है।

यह जानकर  आश्चर्य  ही होगा कि पाकिस्तान (153) को छोड़ कर सभी पड़ोसी देशों की स्थिति भारत से बेहतर है। बांग्लादेश (65),नेपाल (106), श्रीलंका (116), मालदीव (128) एवं भूटान (130)  इस अंतर को कम करने के लिए  परिवार से संसद तक, विद्यालय से न्यायालय तक नीति निर्माताओं एवं समाज  को बहुत से काम करने होंगे।

आज़ादी के अमृत महोत्सव  भी संसद में महिलाओं का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व चिंतनीय है। लोकसभा में कुल सांसदों का केवल 14.4 फीसदी एवं  राज्यसभा में 10.4 फीसदी हिस्सेदारी है। भारत महिला सांसद के प्रतिनिधित्व के मामले में 189 देशों के बीच 142वें पायदान पर है।

राजनीतिक पाखंड ये है कि हुक्मरानों ने पंचायत चुनाव में करीब  करीब सभी राज्य में महिला आरक्षण  लागू कर दिया। किन्तु संसद एवं विधानमंडल में क्यों नहीं?  संसार के चाहे विकसित देश हों या विकाशील देश महिला के प्रति जन्म पूर्व से ही भेदभाव होता है।  महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है।

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निसंदेह सदिन प्रतिदिन की भिन्न-भिन्न भूमिकाएं जीते हुए, महिलायें किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। हमारे आस-पास महिलायें ,सहृदय बेटियाँ , संवेदनशील माताएँ, सक्षम सहयोगी और अन्य कई भूमिकाओं को बड़ी कुशलता व सौम्यता से निभा रही हैं।

लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजरअंदाज करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। सदियों से ये बंधन महिलाओं को पेशेवर व व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने से अवरुद्ध करते रहे हैं।

महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण क्या है? - mahilaon ka aarthik sashaktikaran kya hai?

महिलाओं का आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्तिकरण

उनको समाज में उचित व सम्मानजनक स्थिति पर पहुँचाने के लिए, आर्ट ऑफ़ लिविंग ने महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आरम्भ किये हैं जो अलग पृष्ठभूमि की महिलाओं के आत्म सम्मान, आंतरिक शक्ति और रचनात्मकता को पोषण करने के लिए ठोस आधार प्रदान करते हैं। इस तरह से महिलाएँ आज अपने कौशल, आत्मविश्वास और शिष्टता के आधार पर दुनिया की किसी भी चुनौती को संभालने में सक्षम हैं। वे आगे आ रहीं हैं और अपने परिवारों, अन्य महिलाओं और समाज के लिए शांति और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में स्थापित कर रही हैं।

आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा किये जा रहे 6 महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम 

  1. आर्थिक स्वतंत्रता
  2. कन्या शिक्षा
  3. एचआईवी / एड्स
  4. जेल कार्यक्रम
  5. नेतृत्व संवर्धन
  6. सामाजिक सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण पर प्रेरणा देती कहानियाँ :

तीन युवा लड़कियाँअपने दर्दनाक अतीत व दिल और दिमाग में खुदी दर्दभरी यादें लेकर श्री श्री सेवा मंदिर, गुंटूर आयीँ थीं । महोदया ‘माँ’ के संरक्षण और स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन से, आज ज्योति, तत्वमसि और श्रावणी एक जीवंत व अविनाशी उत्साह के साथ मुस्कुराती हैं। इन तीनों की जीवन कहानी जानने हेतु यहाँ क्लिक करें। 

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शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण 

शिक्षा जीवन में प्रगति करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण के लिए शिक्षा से बेहतर तरीका क्या हो सकता है ? अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से,आर्ट ऑफ़ लिविंग ने , बालिकाओं और महिलाओं को स्तरीय शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण भारत के दूरस्थ कोनों में भी समान रूप से सशक्त किया है। ज्ञान की इस नई सुबह के बारे में और जानिए !

महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण क्या है? - mahilaon ka aarthik sashaktikaran kya hai?

भारत में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम 

आर्ट ऑफ़ लिविंग के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत और कई अन्य देशों में महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त है और वे सामाजिक अन्याय के खिलाफ भी खड़ीं हुई हैं । इन महिलायों ने सकारात्मक परिवर्तन का सूत्रधार बनते हुए अन्य महिलाओं को भी शिक्षित व सशक्त बनाकर उनको अपनी आवाज व पहचान दिलाने में पुरजोर मेहनत की है।

आर्ट ऑफ़ लिविंग के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम एक उत्प्रेरक हैं जिन्होंने सदियों के अस्थिर प्रतिबंधो से मुक्त कर महिलाओं को योग्य मंच प्रदान करने में मदद की है जहाँ से वे स्वयं को सशक्त बनाकर भिन्न-2 क्षेत्रों में अपनी समानता को प्राप्त करने हेतु अग्रसर हैं।

पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम से संबंधित कुछ सफलता की कहानियाँ।

  • सूखा प्रभावित देऊलगाँव को मिला पानी : आर्ट ऑफ़ लिविंग के 50 स्वयंसेवकों ने मिलकर गाँव के 400 परिवारों की जलापूर्ति के लिए 50 दिवसीय कार्यक्रम शुरू किया है
  • प्रोजेक्ट उड़ान बना रहा है 11000 यौनकर्मियों के जीवन को आसान !! - अधिक पढ़े

महिला सशक्तिकरण का पहला कदम 

श्री श्री रवि शंकर जी कहते हैं -  “सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छूटकारा पाना है तो जरुरत है महिला सशक्तिकरण की।

पहले ‘मै सक्षम हूँ’ इस बात का महिलाओं ने खुद को यकीन दिलाना जरुरी है। मै एक स्त्री हूँ इस आत्मग्लानि में ना रहें। जब आप आत्मग्लानी में आते हो तब आपकी ऊर्जा, उत्साह और शक्ती कम होने लगती है। अध्यात्म का मार्ग एक ही ऐसा मार्ग है जहाँ आप आत्मग्लानि और अपराधी भाव से मुक्त हो सकती हैं। आत्मग्लानि और अपराधी भाव - इन दोनों में हम अपने मन के छोटेपन अनुभव करते हैं। जिससे आप अपनी आत्मा से और दूर जाती हैं।  

खुद को दोष देना बंद कर खुद की तारीफ करना शुरू करें। तारीफ करना दैवीय गुण है, है ना?
मै स्त्री हूँ, अबला हूँ, ऐसी सोच भी कभी मन में ना लायें। ऐसी आंतरिक असमानता से कुछ भी हासिल नही होगा। आप डटकर खड़ी हो जायें, अपने अधिकार प्राप्त करने हेतु जिस क्षमता की जरुरत है वह सब आप में है।  

निःसंदेह समाज में बदलाव आना भी चाहिये। लेकिन आत्मग्लानि के भाव में रहकर यह बदलाव आप नही ला सकतीं।"

विभिन्न परियोजनाओं के बारे में अधिक जानिए:

  1. पर्यावरण हित रक्षा 
  2. शिक्षा का महत्त्व 
  3. शान्ति 
  4. ग्रामीण विकास 
  5. सलाखों के परे स्वतंत्रता 
  6. हमारा सशक्तिकरण का आदर्श
  7. हमारा समग्र दृष्टिकोण 

महिलाओं की आर्थिक स्थिति क्या है?

संविधान न केवल महिलाओं को समानता की गारंटी देता है, बल्कि राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाव (positive discrimination) के उपाय करने की शक्ति भी प्रदान करता है ताकि उनके संचयी सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक अलाभ की स्थिति को कम किया जा सके।

महिला सशक्तिकरण से क्या तात्पर्य है?

महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है

भारत में महिला सशक्तिकरण क्या है?

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य क्या हैं? राजीव गाँधी योजना (सबला) के मुख्य उद्देश्य क्या हैं? इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं? प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

महिला सशक्तिकरण के कारण क्या है?

महिलाओं का भी सभी तरह के संसाधनों के ऊपर पूरा कंट्रोल क्यों होना चाहिए?