पार्लर पानी से आप क्या समझते हैं? - paarlar paanee se aap kya samajhate hain?

विषयसूची

  • 1 रेजाणीपानी क्या है?
  • 2 पागल पानी और पातालपानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है?
  • 3 कुंई के लिए कितने रस्से की जरूरत पड़ती है *?
  • 4 कुंई का निर्माण कौन करता है?
  • 5 राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुँओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?
  • 6 पातालपानी से आप क्या समझते हैं?

रेजाणीपानी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंरेजाणीपानी- धरातल से नीचे उतरा, लेकिन पाताल में न मिलने वाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है। वर्षा-जल को मापने के लिए ‘रेजा’ शब्द का उपयोग होता है और रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को मापता है।

पागल पानी और पातालपानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंपालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

पालरपानी पातालपानी और रेजाणीपानी में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंपालरपानी- बरसाती पानी, वर्षा का जल जिसे इकट्ठा करके रख लिया जाता है और साफ़ करके प्रयोग में लाया जाता है। पातालपानी वह जल जो दो सौ हाथ नीचे पाताल में मिलता है। यह जल ज्यादातर खारा होता है। रेजाणीपानी-रेत के कणों की गहराई में खड़िया की पट्टी के ऊपर कुंई में रिस- रिसकर एकत्र होनेवाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है।

पार्लर पानी और पातालपानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है एक वाक्य में उत्तर?

इसे सुनेंरोकेंरेजाणीपानी पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है। यह धरातल से नीचे उतरता है, परंतु पाताल में नहीं मिलता। इस पानी को कुंई बनाकर ही प्राप्त किया जाता है। ‘रेजा’ शब्द का प्रयोग वर्षा की मात्रा नापने के लिए किया जाता है।

कुंई के लिए कितने रस्से की जरूरत पड़ती है *?

इसे सुनेंरोकेंकुंई के लिए कितने रस्से की आवश्यकता होती है? लगभग पाँच हाथ के व्यास की कुंई में रस्से की एक ही कुंडली का सिर्फ एक घेरा बनाने के लिए लगभग पंद्रह हाथ लंबा रस्सा चाहिए। एक हाथ की गहराई में रस्से के आठ-दस लपेटे खप जाते हैं और इतने में ही रस्से की कुल लंबाई डेढ़ सौ हाथ हो जाती है।

कुंई का निर्माण कौन करता है?

इसे सुनेंरोकेंयह सब कार्य एक कुशल कारीगर चेलवांजी या चेजारो द्वारा किया जाता है। ये पीढ़ियों के अनुभव से अपने काम में माहिर होते हैं। समाज में इनका मान होता है। कुंई में खड़िया पट्टी पर रेत के नीचे इकट्ठा हुआ जल बूंद-बूंद करके रिस-रिसकर एकत्र होता जाता है।

कुई की बंधाई कुंडली का आकार लेती हैं उसे क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंयह बंधाई भी कुंडली का आकार लेती है, इसलिए इसे सांपणी भी कहते हैं।

चेजारों के साथ गाँव समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फ़र्क आया है पाठ के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंचेजारों के साथ गाँव-समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फ़र्क आया है पाठ के आधार पर बताइए? उत्तर:- चेजारों कुंई निर्माण के दक्ष चिनाई करने वाले कारीगर को कहा जाता है। राजस्थान में पहले चेजारों को विशेष दर्जा प्राप्त था चेजारों को विदाई के समय तरह-तरह की भेंट दी जाती थी।

राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुँओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

इसे सुनेंरोकेंयह छोटी केवल व्यास में होती है, गहराई में यह कुएँ से कम नहीं होती। राजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है।

पातालपानी से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपातालपानी जलप्रपात भारत के मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर जिले की महू तहसील में स्थित है। झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है। पातालपानी के आसपास का क्षेत्र एक लोकप्रिय पिकनिक और ट्रेकिंग स्थल है। पानी का प्रवाह वर्षा के मौसम के तुरंत बाद (आमतौर पर जुलाई के बाद) सबसे अधिक होता है।

मीठा जल अथवा ताजा जल प्राकृतिक रूप से पृथ्वी पर पाया जाने वाला वह पानी है जो समुद्री और समुद्रतटीय लैगूनों के नमक मिश्रित जल से अलग है। इसे ऐसे जल के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें 0.5 भाग प्रति हजार से कम लवण घुले हुए हों।[1]

यह पृथ्वी पर कई रूपों में पाया जाता है जैसे हिम टोपियों के रूप में ध्रुवीय क्षेत्रों में या ऊंचे पर्वतों पर, नदियों में प्रवाहित धरातलीय जल, जमीन के नीचे स्थित भूगर्भिक जल, मिट्टी में उपलब्ध नमी के रूप में मृदा जल, झीलों तालाबों और पोखरों में स्थित जल इत्यादि के रूप में।

वस्तुतः मीठा जल या ताजा जल शब्द समुद्री खारे जल से अलग सारा जल है जो पृथ्वी पर पाया जाता है। यह पेय जल का समानार्थी नहीं है और पेय जल इसका एक हिस्सा मात्र है। वास्तव में पृथ्वी पर उपलब्ध मीठे जल का काफ़ी हिस्सा पीने योग्य नहीं है क्योंकि उसमें रासायनिक अथवा जैविक दूषण पाया जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Water:our rivers, lakes and wetlands". मूल से 28 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अगस्त 2014.

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Question 1:

राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

Answer:

छोटा कुआँ कुंई कहलाता है। इसे हम कुएँ का स्त्रीलिंग कह सकते हैं। इसकी गहराई और व्यास में अंतर होता है। कुएँ सौ-दो सौ हाथ तक खोदे जाते हैं जबकि कुंई को 60-65 हाथ नीचे तक खोदा जाता है। कुएँ का व्यास बहुत अधिक होता है। इसके विपरीत कुंईयों का व्यास बहुत ही कम होता है। इसके कम व्यास के कारण पानी को वाष्पित होने से रोका जाता है।

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Question 2:

दिनोदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जानें और लिखें?

Answer:

दिनोदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ हमारी बहुत प्रकार से सहायता कर सकता है। इससे हमें पता चलता है कि प्रकृति ने पानी की रक्षा के लिए बहुत से उपाय किए हुए हैं। हमें आवश्यकता उन्हें जाने और समझने की है। अतः हमें प्रकृति के संसाधनों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमारे गाँव में बिखरे चेलवांजी जैसे विशेषज्ञों की सहायता लेने की आवश्यकता है। यह बात तो सत्य है कि हम यदि भारतवर्ष में ढूँढ़े तो हमें महत्वपूर्ण जानकारियाँ और विशेषज्ञ मिल सकते हैं। इन सबसे जानकारी एकत्र कर हम अपने देश के अन्य राज्यों में पानी की समस्या के लिए ठोस उपाय निकाल सकते हैं।
देश के अन्य राज्यों द्वारा इसके लिए निम्नलिखित उपाय हो रहे हैं-

(क) नदियों के जल का महत्व समझा रहा है और उनकी साफ-सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है। हर राज्य इस स्तर पर कार्य करने में लगा हुआ है। वाराणसी तथा हरिद्वार में गंगा की सफाई में ध्यान दिया जा रहा है।

(ख) प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाया जा रहा है तथा इनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

(ग) जल संरक्षण पर अब पुनः विचार हो रहा है। पुराने तरीकों की ओर प्रत्येक राज्य की सरकार का ध्यान गया हुआ है।

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Question 3:

चेजारों के साथ गाँव-समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फ़र्क आया है? पाठ के आधार पर बताइए।

Answer:

जो लोग कुंई खोदते हैं, उन्हें चेजारे कहा जाता है। राजस्थान के गाँवों में चेजारों को विशेष स्थान प्राप्त था। कुंई खोदने के पश्चात उन्हें गाँव वालों द्वारा बहुत मान-सम्मान दिया जाता था। कुंई खोदने के पश्चात विशेष समारोह किया जाता था। चेजारों को बहुत सम्मान दिया जाता था। वर्षभर तक उन्हें प्रत्येक त्योहार में कुछ-न-कुछ भेंट दी जाती थी। यहाँ तक की फसल में उनका एक भाग भी निकालकर दिया जाता था। आज यह सब नहीं है। अब चेजारें को मज़दूरी देने का चलन आरंभ हो गया है। मात्र मज़दूरी देकर अपना काम करवा लिया जाता है।

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Question 4:

निजी होते हुए भी सार्वजनकि क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

Answer:

कुंइयों में पानी की मात्रा कम होती है। यह वर्षा का पानी वर्षभर नमी के रूप में धरती में सुरक्षित रहता है। अतः प्रत्येक घर अपनी कुंइयों का निर्माण करवाते हैं, तो इसका अर्थ होगा जो नमी है, उसका बँटवारा। यदि प्रत्येक व्यक्ति ही अनेक कुंइयाँ बनवाने लगे, तो यह बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। इससे नमी के हिस्सेदार बढ़ जाएँगे। बाद में झगड़े होने लगेंगे गाँव के लिए यह स्थिति सही नहीं है। अतः ग्राम्य समाज अंकुश लगाकर इस स्थिति को रोके रखता है। प्रत्येक व्यक्ति को एक या दो कुंइयाँ बनाने का अधिकार होता है। यदि वह और बनाना चाहता है, तो उसे ग्राम्य समाज की स्वीकृति लेनी पड़ती है। बिना उनकी स्वीकृति के कुंइयों का निर्माण करना असंभव है।

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Question 5:

कुंई  निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

Answer:

राजस्थान में पानी के तीन रूप माने जाते हैं। पालरपानी, पातालपानी तथा रेजाणीपानी। इनके विषय में जानकारी इस प्रकार हैं-
पालरपानी- यह पानी बरसात द्वारा प्राप्त होता है। इसे नदी, तालाब तथा धरती पर देखा जा सकता है।
पातालपानी- यह पानी भूजल से मिलता है। इसके स्रोत कुएँ होते हैं। यह पीने में खारा होता है।
रेजाणीपानी- यह ऐसा पानी होता है, जो वर्षा के माध्यम से धरती से नीचे चला जाता है लेकिन किन्हीं कारणों से भूजल में मिल नहीं पाता है। इसी को रेजापानी कहते हैं। यह नाम इसे वर्षा मापने की विधि से मिला है। इस विधि को रेजा कहा जाता है। इससे धरती में समाए पानी को मापा जाता है।

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पार्लर पानी से आप का क्या अर्थ है?

Explanation: पालर पानी – पालर पानी का अर्थ है – बरसात का सीधे रूप में मिलने वाला जल। वर्षा का यह जल जो बहकर नदी तालाब आदि में एकत्रित हो जाता है।

पालर क्या है?

रजनीकांत शर्मा के अनुसार पालर पानी को साफ रखने के लिए फिटकरी में एल्युमिनीयम सल्फेट एलम को साफ कर देते है।

पार्लर पानी पाताल पानी तथा ले जानी पानी के बारे में आप क्या जानते हैं?

रेजाणीपानी- यह ऐसा पानी होता है, जो वर्षा के माध्यम से धरती से नीचे चला जाता है लेकिन किन्हीं कारणों से भूजल में मिल नहीं पाता है। इसी को रेजापानी कहते हैं। यह नाम इसे वर्षा मापने की विधि से मिला है। इस विधि को रेजा कहा जाता है।

पार्लर पानी और पातालपानी के बीच का तीसरा कौन सा है?

झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है। पातालपानी के आसपास का क्षेत्र एक लोकप्रिय पिकनिक और ट्रेकिंग स्थल है। पानी का प्रवाह वर्षा के मौसम के तुरंत बाद (आमतौर पर जुलाई के बाद) सबसे अधिक होता है। गर्मी के मौसम में यह लगभग सूख जाता है, और धारा कम हो जाती है।