रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय क्या है? - raasaayanik niyantran evan samanvay kya hai?

हेलो स्टूडेंट आपके सामने प्रश्न दिया है कि नियंत्रण और सुमन भी है क्या है तो देखिए अगर हम बात करें नियंत्रण और समन्वय की तो शरीर के विभिन्न अंगूर की क्रियाविधि तथा उनके मध्य है शाम जस्सी है को नियंत्रण और समन्वय कहा

जाता है कहने का तात्पर्य मानव का शरीर एक इकाई के रूप में कार्य करता है और सभी अंगों के मध्य सामंजस्य होता है नियंत्रण और समन्वय के लिए हमारे शरीर में तंत्रिका तंत्र तथा अंतः स्रावी तंत्र कार्य करते हैं जो शरीर की अनेक दीक्षित और अनिश्चित क्रियाओं का नियंत्रण व संचालन करते हैं

               

   नियंत्रण और समन्वय 
      ( control and co- ordination ) 


 आज के इस टॉपिक में हम नियंत्रण और समन्वय के बारेे में जानेेगे ।


          "  जंतुओं में नियंत्रण और समन्वय  "


=>  जंतुओं में शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय दो प्रकार से होता है -

1 तंत्रिकीय नियंत्रण एवमं समन्वय (nervous control and co- ordination )

2  रासायनिक नियंत्रण एवम समन्वय ( chemical control and co-ordination )


* तंत्रिकीय नियंत्रण और समन्वय  :-

=>  उच्च श्रेणी के जंतुओं में तंत्रिकाए मिलकर तंत्रिका तंत्र का निर्माण करती है। जिसके द्वारा शारीरिक क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय किया जाता है।


=>  तंत्रिका तंत्र विभिन्न प्रकार की आंतरिक संवेदनाओं या उद्यिपनो जैसे:- भूख, प्यास, घृणा ,रोग इत्यादि तथा भौतिक , रासायनिक ,यांत्रिक प्रभाओं को ग्रहण करता है एवम शरीर के विभिन्न भागों में इनका संवहन करने तथा सम्वेदनाओं की प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए अंगों को प्रेरित करने का कार्य करता है।


=> उच्च श्रेणी के जंतुओं में तंत्रिका तंत्र ,मस्तिक (brain) ,मेरुरज्जु (spinal cord ) ,तथा विभिन्न प्रकार की तंत्रिकाओं से बना होता है।



 तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन ( nerver cell or neuron)
  

रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय क्या है? - raasaayanik niyantran evan samanvay kya hai?


=>  प्रत्येक तंत्रिका कोशिका में एक तारे जैसी रचना होती है ,जिसे साइटोन (cycton) कहते हैं। साइटोन में कोशिका द्रव्य तथा एक बड़ा न्यूक्लियस होता है।

=> इससे अनेक पतले तन्तु निकले होते है जो लम्बे होते है उन्हें अक्ष या एक्सान कहते है , जबकि जो तन्तु छोटे होते है ,उन्हें डेन्ड्राइट्स कहते है।


=> डेंड्राईट्स संवेदनाओ को ग्रहण कर उन्हें साइटोंन में भेजता है।जहाँ ये संवेदनाए विधुत आवेग में परिवर्तित हो कर एक्सोन के द्वारा तंत्रिका आवेग की और चली जाती है।




*      " मनुष्य का मस्तिष्क (human brain) "

रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय क्या है? - raasaayanik niyantran evan samanvay kya hai?


=> मानव मस्तिष्क शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण कोमल अंग है ।तांत्रिक तंत्र के माध्यम से शरीर के सभी क्रियाओं के नियंत्रण और समन्वय में यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
                   मस्तिष्क क्रेनियम या मस्तिष्क गुहा में खोपड़ी(skull) के अंदर सुरक्षित रहता है तथा यह चारों तरफ से झिल्ली से घिरा होता है ,जिसे मेनिजीज (meninges) कहते है। यह झिल्ली मस्तिष्क को बाहरी आघातों से बचाती है।


=> मस्तिष्क का वजन लगभग 1.5 kg होता है।इसे तीन भागों में बांटा गया है -


1 अग्रमस्तिष्क (forebrain)
2 मध्यमस्तिष्क ( midbrain)
3 पश्चमस्तिष्ज  ( hindbrain)

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अग्रमस्तिष्क (forebrain) :-    

इसे दो बीीह भागो में बाँटा गया है :-
a प्रममस्तिष्क या सेरिब्रम  ( cerebrum )
b डाइएनसेफलॉन (diencephalon )


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सेरिब्रम या प्रमस्तिष्क  

:-  यह मस्तिष्क का सबसे बड़ाभाग होता है जो बाए से दाए एक अनुदैधर्य  खाँचे
द्वारा बटा होता है ,जिसे प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध कहते है।इस गोलार्द्ध में अनेक अनियमित रचनाये होती है ,जिसे गाइरस (gyrus) कहते है।
                      सेरिब्रम बुद्धि और चतुराई का केंद्र होता है। इसमे सोचने ,समझने की शक्ति घृणा, कार्य करने की प्रेरणा, भय, ह्रास,कष्ट,इत्यादि जैसी क्रियाओं का नियंत्रण इसके द्वारा होता है।


नोट :-  जिस व्यक्ति में यह औसत छोटा या कम विकसित होता है वह व्यक्ति मन्द बुद्धि का होता है।


* डाइएनसेफलॉन :-  यह गोलाधो से ढका होता है जो  ताप, दर्द ,रोंने ,आभास जैैसी क्रियाओ  का नियन्त्रण करता है।


                      मध्यमस्तिष्क

=> मध्यमस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका कई समूहों में पाई जाती है ।इसमें सन्तुलन तथा आँख की पेशियों का नियंत्रण किया जाता है।


                  पश्चमस्तिष्क 

=> यह पिछला भाग में  स्थित होता है । इसे दो भागों में बांटा गया है -

a सेरिबेलम या अनुमस्तिष्क ( cerebellum)
b मस्तिष्क स्टेम ( brain stem )


* सेरिबेलम  :- इसके द्वारा ऐच्छिक पेशियों का  नियंत्रण किया जाता है।

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मस्तिष्क स्टेम   

:-   इसे दो  भागो में बांटा गया है -
a पॉन्स वैरोलाई ( pons varolii)
b मेडुला आब्लानगेट ( medulla oblongata)


* पॉन्स वैरोलाई :- यह श्वसन को नियंत्रण करने का कार्य करता है।

* मेडुला आब्लानगेट :- इसके द्वारा आवेगों का चालन मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क के बीच किया जाता है।इसमें अनेक तंत्रिका केंद्र होते हैं जो धड़कन (heart beat) ,रक्तचाप ( blood pressure) ,श्वसन की गति का नियंत्रण किया जाता है।
       मस्तिष्क के इसी भाग द्वारा खाँसना (coughing) ,छीकने ( sneezing) ,उलटी करना ( vomiting) इत्यादि क्रियाओ का नियंत्रण होता है ।

" मस्तिष्क के कार्य "

=> यह तंत्रिका तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। इसके माध्यम से जैव क्रियाओ का नियंत्रण और समन्वय किया जाता है । मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्य इस प्रकार है -



आवेग ग्रहण (to receive impules ):-  यह  सभी संवेदी अंगों से आवेगों को ग्रहण करता है  तथा उनका विश्लेषण करता है ।

ग्रहण किए गए आवेगों की अनुक्रिया ( respondingto the impulses received) :- 

=> आवेगों के विश्लेषण के बाद मस्तिष्क उनकी अनुक्रिया के लिए उचित निर्देश निर्गत करता है तथा इसी निर्देश के अनुसार अभिवाही अंग कार्य करते हैं।

3 विभिन्न आवेगों का सह संबंधन ( correlating various impules) :- 


=>  जब एक साथ भिन्न-भिन्न अंगों से मस्तिष्क को कई तरह के आवेग मिलते है तो वह इन्हे सह संबंधित कर शारीरिक कार्यो का नियंत्रण करता है।


4 सूचनाओ का भंडारण (storage of information) :-


=>  मानव मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण कार्य सूचनाओ का भंडारण करना है।ये सूचनाएं मस्तिष्क में चेतना या ज्ञान के रुप में संचित रहती है। मस्तिष्क को चेतना या ज्ञान का भंडार भी कहा जाता है।


* प्रतिवर्ती चाप ( reflex Arc) :-  जिस पथ से न्यूरॉनो में आवेगों का संचरण होता है ,उस पथ को प्रतिवर्ती चाप कहते है।



         "   रासायनिक नियंत्रण और समन्वय  "









=> जीवो में शारीरिक क्रियाओ का नियंत्रण तथा समन्वय तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट यौगिको के द्वारा होता है, जिसे हॉर्मोन कहते है।

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हॉर्मोन (harmone) :-   

यह  कार्बनिक यौगिक है जो अल्प मात्रा में  स्त्रावित्त  हो कर शारीरिक   क्रियाओ का नियंत्रण और समन्वय करता है। यह प्रेरक का काम करता है।


* हॉर्मोन अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) से स्त्रावित्त होता है।

* मनुष्य के अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियां इस प्रकार है-

1 पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland)
2 थाइरोइड ग्रंथि ( thyroid gland )
3  पारा थाइरोइड ( parathyroid gland)
4 एड्रिनल ग्रन्थि  ( adrenal gland )
5 अग्न्याशय  ( langerhans)
6 अण्डाशय और वृषण ( जनन ग्रंथि )


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पिट्यूटरी ग्रंथि  

:- पिट्यूटरी ग्रान्थि कपाल की  स्फेनॉइड हड्डी में  स्थित रहती है ।  इसका मुख्य कार्य शरीर  की
वृद्धि को नियंत्रित करना है । इसके साथ - साथ ये अन्य कई ग्रँथियो को भी नियंत्रित करता है ,इस कारण इसे मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं।


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थाइरोइड ग्रंथि  

:- आयोडीन की कमी से जो थाइरॉक्सीन  कम बनता है ,उसके गति में वृद्धि करने का काम  थाइरोइड
ग्रंथि करती है । यह श्ववास् नाली या ट्रैकिया (trachea)  के दोनों ओर लैरिक्स (larynx) के नीचे स्तिथ होती है।
          कभी-कभी ये ग्रंथि बढ़ जाती है, जिसके कारण घेंघा या गलगण्ड ( goitre) रोग हो जाता है।


* पारा थाइरोइड ग्रंथि  :- यह  ग्रंथि थाइरोइड के ठीक
पीछे होती है। इसका मुख्य काम कैल्सियम का नियंत्रण करना है।


* एड्रिनल ग्रंथि  :-  यह ग्रंथि दोनों वृक्कों के
ऊपरी  सिरे पर स्थित रहती है इसका मुख्य काम भोजन उपापचय जैसे :- कार्बोहाइट्रेट ,वसा,आदि का नियंत्रण करना है । इसके साथ-साथ जल,यौन आचरण ,डर ,गुस्सा ,उतेजना ,तनाव,आदि का भी नियंत्रण होता है।

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अग्न्याशय ग्रंथि  

:-     इसका मुुख्य कार्य
ग्लूकोज का नियंत्रण करना है। यह हल्के पीले रंग की ग्रंथि है जो आमाशय के नीचे स्थित होती है ।यदि ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और उचित मात्रा में इंसुलिन (insuline) का स्त्रवण नही होता है तो मधुमेह (diabetes)  होने का खतरा बन जाता है ।

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अण्डाशय ग्रंथि  

:-   इससे हैै हार्मोन का  स्त्राव होता है तथा   बालिकाओं के शरीर में यौनावस्था में   होने वाली सभी परिवर्तन इस हार्मोन के द्वारा  होता है।

* वृषण ग्रंथि :-  इससे स्त्रावित होने वाला  हार्मोन एड्रोजेन्स (androgens )   कहलाता है  ।इसका मुख्य
काम पुरुषों में लैंगिक लक्षणों का परिवर्द्धन करना है तथा यौन आचरण को प्रेरित करना है।



           पौधों में नियंत्रण और समन्वय


=> पौधों में एक अलग प्रकार की गति पाई जाती है जो वृद्धि से सम्बंधित नही है, जिसे उद्यिपन की क्रिया कहते है ।

=> पौधों में तंत्रिका तंत्र नही होता है परंतु इनमे बाह्य उद्यिपनो को ग्रहण करने की क्षमता होती है तथा इसके कारण इनमे गति भी होती है जिसे अनुवर्तन (tropism) या अनुवर्तिनी गति (tropic movement) कहते है ।जो निम्न प्रकार के होते है -

1 प्रकाश अनुवर्तन (phototropism )
2 गुरुत्वानुवर्तन (geotropism)
3  रासायनिक अनुवर्तन ( chemotropism )
4 जलानुवर्तन ( hydrotropism )


* प्रकाश अनुपवर्तन :-  इस गति के अंतर्गत पौधे प्रकाश की ओर गति करते है ।यह गति तने तथा पत्तियों में स्पष्ट दिखाई देती है।


* गुरुत्वानुवर्तन :- इसमे पौधे के अंग गुरुत्वाकर्षण की दिशा में गति करते है जो पौधों की जड़ो में दिखाई देता है।


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रासायनिक अनुवर्तन

: - यह गति रासायनिक उद्यिपनो के द्वारा होता है जो परागण के समय दिखाई देता है।


* जलानुवर्तन :- पौधों के अंग का जल की ओर होनेवाली गति जलानुवर्तन कहलाती है।



              पौधों में रासायनिक समन्वय


=> पौधों में रासायनिक समन्वय स्थापित करने के लिए कुछ रासायनिक पदार्थ होते है जिन्हें पादप हार्मोन या फाइटो हार्मोन कहते है । कार्य विधि और रासायनिक संघटन के आधार पर इन्हे पांच वर्गो में बांटा गया है -


1 ऑक्जिन (auxin)
2 जिबरेलन्स (gibberellins)
3 साइटकाइनिन ( cytokinin)
4 एब्सिसिक एसिड ( abscisic acid)
5 एथिलीन ( ethylene)


* ऑक्जिन :-  यह हार्मोन पौधों की तनों की वृद्धि में सहायक होता है तथा बीजरहित फलों के उत्पादन में भी सहायक होता है।

* जिबरेलिन्स :- इस का मुख्य कार्य पौधों के स्तंभ की लम्बाई में वृद्धि करना है।ये ऑक्जिन की तरह बिना बीज वाले फलों के उत्पादन में सहायक होता है।

* साइटोकाइनिन :- यह कोशिका द्रव्य को विभाजित करने का कार्य करता है तथा क्लोरोफिल को नष्ट होने से बचाता है।


* एब्सिसिक एसिड :- यह हार्मोन पत्तियों को मुरझाने तथा झरने में सहायक होता है तथा कलियों की वृद्धि एवम अंकुरण को रोकता है।

* एथिलीन :- एथिलीन का मुख्य कार्य फलों को पकाना है, इस कारण इसे पकाने वाला हार्मोन भी कहा जाता है।

रासायनिक नियंत्रण और समन्वय क्या है?

" रासायनिक नियंत्रण और समन्वय " => जीवो में शारीरिक क्रियाओ का नियंत्रण तथा समन्वय तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट यौगिको के द्वारा होता है, जिसे हॉर्मोन कहते है। * हॉर्मोन (harmone) :- यह कार्बनिक यौगिक है जो अल्प मात्रा में स्त्रावित्त हो कर शारीरिक क्रियाओ का नियंत्रण और समन्वय करता है।

नियंत्रण एवं समन्वय तंत्र की क्या आवश्यकता है?

एक जीव में नियंत्रणसमन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है? (i) यह शरीर की सभी प्रतिवर्त को नियंत्रित करता है तथा इसकी पर्यावरण के हानिकारक परिवर्तनों से सुरक्षा करता है। (ii) यह ऐच्छिक गतियों को नियंत्रण करता है। (iii) यह अनैच्छिक गतियों को नियंत्रित करता है।

पौधों में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?

उत्तर : पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोन के कारण होता है। पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं। जो उसके विशेष भागों को प्रभावित करते हैं। पादपों में प्ररोह प्रकाश के आने की दिशा की ओर ही बढ़ता है।

हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य किसका है?

मनुष्य में, नियंत्रण और समन्वय, तंत्रिका तंत्र (nervous system) और हार्मोनल प्रणाली (hormonal system) के माध्यम से होता है जिसे अंत: स्रावी प्रणाली (endocrine system) कहा जाता है।