महाप्राण और अल्पप्राण में क्या अंतर है स्पष्ट करें? - mahaapraan aur alpapraan mein kya antar hai spasht karen?

जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें 'अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं!


ये वर्ण इस प्रकार है -

In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn :


अल्पप्राण                महाप्राण


क , ग , ङ               ख , घ


च , ज , ञ              छ , झ


ट , ड , ण               ठ , ढ


त , द , न               थ , ध


प , ब , म               फ , भ


य , र , ल , व        श , ष , स , ह

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अल्पप्राण और महाप्राण

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घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

December 29, 2013

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न                            त , थ ब , भ , म                            प , फ य , र , ल , व , ह                  श , ष , स

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श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द shrutisambhinnarthak Shabd

December 30, 2013

श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द (Shrutisambhinnarthak Shabd) :-  ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है , श्रुति+सम +भिन्न +अर्थ, इसका अर्थ है सुनने में समान लगने वाले किन्तु भिन्न अर्थ वाले दो शब्द अर्थात वे शब्द जो सुनने और उच्चारण करने में समान प्रतीत हों, किन्तु उनके अर्थ भिन्न -भिन्न हों , वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं ! Shruti Sam Bhinnarthak w ords with Different Meanings and Same Pronunciation in hindi. ऐसे शब्द सुनने या उच्चारण करने में समान भले प्रतीत हों ,किन्तु समान होते नहीं हैं, इसलिए उनके अर्थ में भी परस्पर भिन्नता होती है ;  उदाहरण - (अवलम्ब और अविलम्ब) दोनों शब्द सुनने में समान लग रहे हैं, किन्तु वास्तव में समान हैं नहीं, अत: दोनों शब्दों के अर्थभी पर्याप्त भिन्न हैं, 'अवलम्ब ' का अर्थ है - सहारा , जबकि अविलम्ब का अर्थ है - बिना विलम्ब के अर्थात शीघ्र ! ये शब्द निम्न इस प्रकार से है - अंस - अंश = कंधा - हिस्सा अंत - अत्य = समाप्त - नीच अन्न -अन्य = अनाज -दूसरा अभिराम -अविराम = सुंदर -लगातार अम्बुज - अम्बुधि = कमल -सागर अनिल

जिन वर्गों के उच्चारण में श्वास (अर्थात प्राण) वायु की मात्रा कम (अर्थात अल्प) होती है, उन्हें अल्पप्राण वर्ण कहते हैं।

दूसरे शब्दों में - जिन ध्वनियों के उच्चारण में 'हकार' की ध्वनि नहीं सुनाई पड़ती उन्हें अल्पप्राण कहते हैं।

अल्पप्राण और महाप्राण में अंतर:

अल्पप्राणमहाप्राण(a) अल्पप्राण में हकार- जैसी ध्वनि नहीं निकलती है।(a) महाप्राण में हकार- जैसी ध्वनि होती है।(b) सभी स्वर वर्ण और प्रत्येक वर्ग का 1ला, 3रा और 5वाँ वर्ण तथा समस्त अन्तःस्थ वर्ण अल्पप्राण है।(b) प्रत्येक वर्ग का 2रा और 4था तथा समस्त उष्म वर्ण महाप्राण है।(c) अल्पप्राण के उच्चारण में कम श्रम करना पड़ता है।(c) महाप्राण वर्णों का उच्चारण अधिक श्रमपूर्वक करना पड़ता है।

भाषाविज्ञान में महाप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होतें हैं जिन्हें मुख से वायु-प्रवाह के साथ बोला जाता है, जैसे की 'ख', 'घ', 'झ' और 'फ'। अल्पप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होतें हैं जिन्हें बहुत कम वायु-प्रवाह से बोला जाता है जैसे कि 'क', 'ग', 'ज' और 'प'। जब अल्प प्राण ध्वनियाँ महा प्राण ध्वनियों में परिवर्तित हो जाती है, उसे महाप्रणिकरण कहतें है। अल्पप्राण व्यञ्जन ऐसे व्यञ्जन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यञ्जन कहते हैं। इनकी सङ्ख्या २० होती है। क ग ङ च ज ञ ट ड ण ड़ त द न प ब म य र ल व इसमें क वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर च वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर ट वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर त वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर चारों अन्तस्थ व्यञ्जन - य र ल व एक उच्छिप्त व्यञ्जन - ङ याद रखने का आसान तरीक़ा वर्ग का १,३,५ अक्षर - अन्तस्थ - द्विगुण या उच्छिप्त महाप्राण व्यञ्जन ऐसे व्यञ्जन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है। उन्हें महाप्राण व्यञ्जन कहते हैं। इनकी संख्या १५ होती है। ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भ ढ़ श ष स ह इसमें क वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर च वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर ट वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर त वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर प वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर चारों उष्म व्यञ्जन - श ष स ह एक उच्छिप्त व्यञ्जन - ढ़ याद रखने का आसान तरीका :- वर्ग का २, ४ अक्षर - उष्म व्यञ्जन - एक उच्छिप्त व्यञ्जन देवनागरी लिपि में बहुत से वर्णों में महाप्राण और अल्पप्राण के जोड़े होते हैं जैसे 'क' और 'ख', 'च' और 'छ' और 'ब' और 'भ'। कुछ भाषाएँ हैं, जैसे के तमिल, जिनमें महाप्राण व्यञ्जन होते ही नहीं और कुछ भाषाएँ ऐसी भी हैं जिनमें महाप्राण और अल्पप्राण व्यञ्जन दोनों प्रयोग तो होतें हैं लेकिन बोलने वालों को दोनों एक से प्रतीत होतें हैं, जैसे अंग्रेज़ी।[1][2]

  1. ↑ Introduction to Sanskrit, Thomas Egenes, pp. 111, Motilal Banarsidass Publishers, 2003, ISBN 978-81-208-1693-0, ... (7) Unaspirated(alpa-prana). (8) Aspirated (maha-prana) ...
  2. ↑ A Corpus of Indian studies, Gaurinath Bhattacharyya Shastri, Arthur Llewellyn Basham, Sanskrit Pustak Bhandar, 1980, ... The terms mahaprana and alpaprana here can only be tatpurusa (karmadhdraya) compounds (lit. 'great breath', 'little breath') which refer to properties of aspirated and unaspirated sounds ...

अल्पप्राण और महाप्राण में क्या अंतर है?

भाषाविज्ञान में महाप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होतें हैं जिन्हें मुख से वायु-प्रवाह के साथ बोला जाता है, जैसे की 'ख', 'घ', 'झ' और 'फ'। अल्पप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होतें हैं जिन्हें बहुत कम वायु-प्रवाह से बोला जाता है जैसे कि 'क', 'ग', 'ज' और 'प'।

अल्पप्राण और महाप्राण कितने होते हैं?

इनकी संख्या 15 होती है।

महाप्राण व्यक्ति का क्या आशय है?

जब वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से ज्यादा स्वास निकलती है और वर्णों का बोध होता है उसे महाप्राण व्यंजन कहते हैं ।

महाप्राण ध्वनि कौन सा है?

महाप्राण व्यंजन उन्हें कहते हैं जिनके उच्चारण में मुख से अधिक हवा निकलती है। जैसे- ह, ध, भ, थ। हिंदी भाषा में क वर्ग आदि पाँचों वर्गो के दूसरे और चौथे वर्ण महाप्राण हैं तथा ऊष्म वर्ण भी महाप्राण हैं। अर्थात् ख्‌, घ्‌, छ्‌, झ्‌, ठ्‌, ढ़्, थ्‌, ध्‌, फ्‌, भ्‌, श्‌, ष्‌, स्‌, ह्‌ महाप्राण ध्वनियाँ हैं।