सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, Show कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में
उजियाली छाई, बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया, अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया, छिनी राजधानी दिल्ली
की, लखनऊ छीना बातों-बात, रानी रोयीं रिनवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार, कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान, सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम, इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में, रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार, विजय
मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी, तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार, रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी, जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी, - सुभद्रा कुमारी चौहान झांसी की रानी पाठ के रचयिता कौन है?सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर उनकी सर्वकालिक महानतम कविता 'झांसी की रानी' और आखिरी कविता 'प्रभु तुम मेरे मन की जानो'
सी की रानी के पति का नाम क्या था?साल 1842 में उनकी शादी झांसी के राजा गंगाधर राव से हुई। साल 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक बेटे को जन्म दिया।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी प्रस्तुत पंक्ति की कवयित्री कौन है?1948 में मात्र 43 वर्ष की उम्र में एक कार दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी. पढ़ें उनकी वह कविता जिसे रचकर सुभद्रा कुमारी चौहान अमर हो गयीं. दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
झाँसी की रानी कविता में सुभद्रा कुमारी चौहान ने लक्ष्मीबाई को मर्दानी क्यों कहा है?सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को 'मर्दानी' क्यों कहती हैं? उत्तर:- झाँसी की रानी एक महिला होते हुए भी उनमें पुरुषोचित गुण साहस, वीरता, युद्ध कला में निपुणता निडरता आदि गुण विद्यमान थे। उन्होंने युद्ध भूमि में अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए थे उनकी वीरता का लोहा भारतवासियों के साथ अंग्रेजों ने भी माना था।
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