परिमल क्या है क एक वाटिका ख एक सभागार ग एक साहित्यिक संस्था? - parimal kya hai ka ek vaatika kh ek sabhaagaar ga ek saahityik sanstha?

Solution : परिमल. एक साहित्यिक संस्था है। इसकी शुरुआत इलाहाबाद से हुई। आरंभ में इलाहाबाद के साहित्यिक मित्र इसके सदस्य थे। वे आपस में हिन्दी कविता, कहानी, उपन्यास नाटक आदि पर साहित्यिक गोष्ठियाँ किया करते थे। धीरे-धीरे वे गोष्ठियाँ अखिल भारतीय स्तर की होती चली गई। संस्था भी आसपास के क्षेत्रों में फैलने लगी । बाद में मुंबई, जौनपुर, मथुरा, पटना तथा कटनी में भी परिमल. की स्थापना हुई। इलाहाबाद में लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, डॉ, रघुवंश, फादर कामिल बुल्के और अन्य बड़े साहित्यकार इसमें भाग लिया करते थे। डॉ. बुल्के ने .रामकथा : उत्पत्ति और विकास. के कुछ अध्याय परिमल में पढ़े थे।

‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे लेखक एवं अन्य साहित्यकारों के हँसी-मजाक में शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते और लेखकों की रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते थे।

‘परिमल’ क्या है? लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते हैं?

Solution

‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे लेखक एवं अन्य साहित्यकारों के हँसी-मजाक में शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते और लेखकों की रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते थे।

परिमल क्या है * एक वाटिका एक सभागार एक साहित्यिक संस्था एक अखबार?

'परिमल' इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी 'परिमल' से जुड़े।

परिमल से आप क्या समझते हो 1 Point एक साहित्यिक गोष्ठी एक कॉलेज एक कमिटी उपरोक्त सभी?

'परिमल' एक साहित्यिक संस्था है जो लेखक, फ़ादर बुल्के और उनके साथियों ने मिलकर बनाई थी। फ़ादर 'परिमल' के गोष्ठियों में गंभीर बहस करते थे तथा लेखक और उसके साथियों के रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय व्याक्त करते थे। वे उन लोगों को सुझाव देते, उनके पारिवारिक उत्सवों और संस्कार में सम्मिलित होकर उन्हें आशीर्वाद भी देते थे।

परिमल क्या है तथा इसकी शुरुआत कहाँ से हुई?

एक साहित्यिक संस्था है। इसकी शुरुआत इलाहाबाद से हुई। आरंभ में इलाहाबाद के साहित्यिक मित्र इसके सदस्य थे। वे आपस में हिन्दी कविता, कहानी, उपन्यास नाटक आदि पर साहित्यिक गोष्ठियाँ किया करते थे।

परिमल किसका नाम था * 1 Point एक साहित्यकार का एक साहित्य संस्था का एक पेड़ का एक फल का?

परिमल एक कविता संग्रह है। इसकी रचना सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने की थी। यह पहली बार ई॰ सन् १९२९ में प्रकाशित हुआ।