दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये निर्मित दण्ड प्रक्रिया है। यह सन् १९७३ में पारित हुआ तथा १ अप्रैल १९७४ से लागू हुआ। Show 'सीआरपीसी' दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है। जब कोई अपराध किया जाता है तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है। एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है। 'आइपीसी' भारतीय दंड संहिता का संक्षिप्त नाम है। कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उनके परिणामों का सामना करना पड़ता है। खराब व्यवहार को अपराध या जुर्म कहते हैं और इसके परिणाम को दंड कहा जाता है। जिन व्यवहारों को अपराध माना जाता है उनके बारे में और हर अपराध से संबंधित दंड के बारे में ब्योरा मुख्यतया आइपीसी में दिया गया है। जब कोई अपराध किया जाता है, तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है। एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन दोनों प्रकार की प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है।दंड प्रक्रिया संहिता के द्वारा ही अपराधी को दंड दिया जाता है ! कुछ प्रमुख धारायें[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
भारत में सीआरपीसी कब लागू हुई?दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये निर्मित दण्ड प्रक्रिया है। यह सन् १९७३ में पारित हुआ तथा १ अप्रैल १९७४ से लागू हुआ। 'सीआरपीसी' दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है।
भारत में सीआरपीसी की कितनी धाराएं हैं?सीआरपीसी (CrPC) में कुल 37 चैप्टर हैं. जिनमें कुल 484 धाराएं निहित हैं. इन्हीं पर पूरी दंड प्रक्रिया संहिता का दारोमदार रहता है. जब भी भारत की सीमा में कहीं कोई अपराध घटित होता है तब, दो प्रक्रियाएं कानूनन अमल में लाई जाती हैं.
सबसे बड़ी धारा कौन सी होती है?कोई भी व्यक्ति अगर हत्या का दोषी साबित होता है तो उसपर आईपीसी की धारा 302 लगाई जाती है. इस धारा के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है. हत्या के मामले में सजा सुनाने के पहले कत्ल के मकसद पर ध्यान दिया जाता है.
कुल धारा कितनी होती है?भारतीय दंड संहिता में कुल 511 धाराएं हैं ।
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