Show सफेद मच्छर बना किसानों के लिए आफतसंवाद सूत्र, ओढा : कभी खाद तो पानी का अभाव तो कभी फसलों पर पनपी बीमारियों ने किसानों को आर्थिक चपेट संवाद सूत्र, ओढा : कभी खाद तो पानी का अभाव तो कभी फसलों पर पनपी बीमारियों ने किसानों को आर्थिक चपेट मारी है। इस समय भी कुछ ऐसा ही घटित हो रहा है किसानों के समक्ष, जिसके चलते काश्तकारों की नींद उड़ गई है और कई किसान तो मायूस होकर अपनी फसल को अपने ही हाथों से नष्ट करने पर विवश हैं। जानकारी मुताबिक इन दिनों नरमें की फसल पर सफेद मच्छर ने धावा बोलते हुए किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। इस रोग को नियंत्रण में करने हेतु किसान अंधाधुंध रसायनों का छिड़काव कर रहे है लेकिन फिर भी उक्त रोग का दुष्प्रभाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। इसी के चलते गाव पन्नीवाला मोटा में एक किसान ने सफेद मच्छर के प्रकोप से दुखी होकर अपनी पौने दो एकड़ नरमे की फसल को हल चलाकर नष्ट कर दिया। किसान विक्रम कुमार ने बताया कि उसके खेत में नरमें की फसल पर सफेद मच्छर ने हमला बोल दिया, जिससे उसकी करीब पौने दो एकड़ नरमें की फसल काली पड़ गई। जिससे पौधे का विकास रुक गया। किसान के मुताबिक उसने मच्छर से निजात पाने के लिए दवाओं पर काफी पैसा खर्च कर दिया, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिलने पर उसे दुखी मन से पौने दो एकड़ फसल पर हल चलाना पड़ा। क्षेत्र के अनेक किसानों ने बताया कि इस बार सफेद मच्छर ने नरमे की फसल पर धावा बोलकर उन्हे आर्थिक रूप से कमजोर किया है। वहीं पन्नीवाला मोटा के किसान महेन्द्र कुमार ने भी अपनी दो एकड़ नरमें की फसल को उखाड़ दिया। किसान ने बताया कि उसकी दो एकड़ फसल पर शुरूआती समय में सफेद मच्छर व चेपा ने हमला बोला। जिससे बचाव हेतु उसने करीब 13 हजार रुपयों के कीटनाशकों का छिड़काव कर दिया लेकिन नरमे पर टिडे बनने शुरू नहीं हुए। जिसके चलते उसने ओर खर्च करने की बजाय फसल को उखाड़ दिया। किसान के मुताबिक उक्त फसल न होने से उसे करीब एक लाख रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। फसल बचाने में जुटे किसान सफेद मच्छर की प्रकोप इतना ज्यादा है कि किसान महगे कीटनाशकों के जरिए अपनी फसल को बचाने का प्रयास कर रहे है। ऐसे में कीटनाशक विक्रेताओं की पूरी चादी देखी जा रही है क्योंकि किसान कृषि विशेषज्ञों के परामर्श की बजाय विक्रेताओं के अनुसार रसायनों का छिड़काव कर रहे है लेकिन फिर भी सफेद मच्छर पुन: उत्पन्न हो जाता है। हा, इस बार सफेद मक्खी का प्रकोप कुछ ज्यादा है इसलिए हम किसानों को बिना परामर्श छिड़काव करने से रोक रहे है। सफेद मच्छर के लिए किसान प्रति एकड़ ओबरान (बायर) 200 एमएल या डाईफेंटाथ्रीन (अपोलो) 250 ग्राम या इथियान 800 एमएल या ट्राजोफोस 600 एमएल का छिड़काव दस दिन के अंतराल में करे। उपरोक्त चारों कीटनाशकों में से जो दवा पहले इस्तेमाल की है उसका दोबारा छिड़काव न करे। किसान एक ही ग्रुप की 3-4 दवाओं को मिलाकर कभी छिड़काव न करें। -विजय कुमार, कृषि अधिकारी ओढा। एडीज़ एजिप्टी, येलो फीवर मच्छर, एक मच्छर है जो डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, जीका बुखार, मायारो और पीले बुखार के वायरस और अन्य रोग एजेंटों को फैला सकता है। इस मच्छर को उसके पैरों पर सफेद निशान और उसके वक्ष की ऊपरी सतह पर वीणा जैसे दिखने वाले एक अंकन और पीठ पर सफेद धारी द्वारा आसानी से पहचाने जा सकते हैं। यह मच्छर अफ्रीका में शुरु हुआ था, [1] लेकिन अब दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण क्षेत्रों [2] में पाया जाता है। [3] एक पूरी तरह से परिपक्व एडीज एजिप्टीमच्छर का औसत जीवनकाल दो से चार सप्ताह है, लेकिन शुष्क जलवायु में, उनके अंडे एक वर्ष तक रहते हैं। इसलिए, बारिश के मौसम की शुरुआत के साथ, मच्छरों के प्रजनन और परिणामस्वरूप महामारी में वृद्धि होती है। हालाँकि एडीज एजिप्टीमच्छर ज़्यादातर भोर और शाम को और छायादार क्षेत्रों में, या जब बादल छाए रहते हैं, पाए जाते हैं। वे पूरे साल और किसी भी समय संक्रमण फैला सकते हैं और फैल सकते हैं। [4] बचने के उपाय[संपादित करें]
संदर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सफेद मच्छर के काटने से क्या होता है?एक एडीज मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। एडीज मच्छर के पंख पर सफेद धारीदार निशान बने होते हैं। बारिश के शुरुआती दिनों जुलाई से सितंबर में प्रकोप ज्यादा होता है। नागरिकों को चाहिए कि इस अवधि में मच्छरों से बचाव के प्रत्येक प्रयास करें।
सफेद मच्छर के लिए कौन सी दवा डालें?सफेद मच्छर के लिए किसान प्रति एकड़ ओबरान (बायर) 200 एमएल या डाईफेंटाथ्रीन (अपोलो) 250 ग्राम या इथियान 800 एमएल या ट्राजोफोस 600 एमएल का छिड़काव दस दिन के अंतराल में करे। उपरोक्त चारों कीटनाशकों में से जो दवा पहले इस्तेमाल की है उसका दोबारा छिड़काव न करे। किसान एक ही ग्रुप की 3-4 दवाओं को मिलाकर कभी छिड़काव न करें।
डेंगू कौन सा मच्छर कहलाता है?डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में होता है । जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटता है तो वह उस रोगी का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर मे प्रवेश कर जाता है। मच्छर के शरीर मे डेंगू वायरस का कुछ और दिनों तक विकास होता है ।
एडीज मच्छर काटने से कौन सा रोग होता है?डेंगू संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। डेंगू होने से पहले मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और शरीर पर फुंसियां हो जाती है।
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