Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions Show सिपाही की माँ वस्तुनिष्ठ प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. सिपाही की माँ अति लघु उत्तरीय प्रश्न। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. सिपाही की माँ पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. व्याख्या- (ख) प्रसंग-पूर्ववत्। व्याख्या- (ग) प्रसंग-पूर्ववत्। व्याख्या- प्रश्न 4. प्रश्न 5. तेरी भी माँ होगी। तू माँ के दिल को नहीं समझता। मैं अपने बच्चे को अच्छी तरह से जानती हूँ। साथ ही जब मानक पलटकर सिपाही पर बन्दूक तान देता है तब बिशनी मानक को यह कहती है कि बेटा। तू इसे नहीं मारेगा। तुझे तेरी माँ की सौगन्ध तू इसे नहीं मारेगा इन संवादों से पता चलता है कि बिशनी मानक को जितना बचाना चाहती है उतना ही उस सिपाही को भी जो उसके बेटे को मारने के लिए खदेड़ रहा था। उसका दिल दोनों के लिए एक है। अत: उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। प्रश्न 6.
प्रश्न 7. बिशनी एक माँ है। माँ के सारे गुण एवं लक्षण उसमें वर्तमान हैं। इकलौते सिपाही बेटे को वह फौज में भेजने में जरा भी संकोच नहीं करती है। साथ ही पुत्र के प्रति ममता सहन ही परिलक्षित होती है मानक के पत्र की प्रतीक्षा पर भी वह पुत्र की कुशलता के प्रति चिन्तित है। बिशनी एक अविवाहित पुत्री की माँ है। पुत्री के विवाह की चिन्ता ही उसके सारे दुखों का कारण है। यह सहज और स्वाभाविक है। वह एक भारतीय एवं ग्रामीण नारी की प्रतिमूर्ति है। भला एक भारतीय नारी को अपनी जवान पुत्री की चिन्ता क्यों न हो। पुत्री को अपना भार नहीं समझती। बार-बार प्रत्येक अवसर पर वह उसके माथे को चूम लेती है। वह उसे एक वरदान के रूप में मानती है। बिशनी माँओं में माँ है। वह एक सामान्य माँ नहीं है। अपने पुत्र की चिन्ता उसे है। साथ ही दूसरे के पुत्र का भी उतना ही ख्याल रखती है। वह हर हाल में दुश्मन सिपाही की अपने पुत्र से रक्षा करने का सशक्त प्रयास करती है। किसी भी हाल में वह मानक को उसे मारने नहीं देती। धक्के खाकर भी वह बार-बार और जोरदार विरोध करती है। बिशनी में एक सहज ग्रामीण नारी के गुण भी कभी-कभी दिखाई पड़ते हैं। गाँव के चौधरी के प्रति उसका विचार सामान्य नारी के समान है। वह चौधरी की किसी बात पर भरोसा नहीं करती लेकिन उसमें कोई कपट दिखाई नहीं पड़ता वह निष्कपट है। वह एक अच्छी माँ, अच्छी पड़ोसन और अच्छी अभिभावक है। एक अच्छी नारी के सभी अच्छे गुण उसमें वर्तमान हैं। अत: बिशनी इस एकांकी की सबसे सशक्त पात्र हैं। प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. दूसरे सिपाही के घर की स्थिति भी मानक के घर की स्थिति में समान है। सिपाही की माँ बर्मा में युद्ध का समाचार सुनकर पागल हो गई है। पत्नी सिपाही के मरने पर फाँसी लगाकर जान देने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। उसके पेट में छ: माह का बच्चा भी है। दोनों घरों की समान स्थिति का संकेत मानक की माँ स्वयं उस समय देती है जब मानक सिपाही को जान से मारने पर आमादा है। मानक की माँ कहती है-“यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है।” प्रश्न 14.
प्रश्न 15.
सिपाही की माँ भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. सिपाही की माँ लेखक परिचय मोहन राकेश (1925-1972) जीवन-परिचय- रचनाएँ-मोहन राकेश की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं कहानी संग्रह-इंसान के खंडहर (1950), नए बादल (1957), जानवर और जानवर (1958), एक और जिन्दगी (1961), फौलाद का आकाश (1972), वारिस (1972)। उपन्यास-अँधेरे बंद कमरे (1961), न आनेवाला कल (1970), अंतराल (1972)। नाटक-आषाढ़ का एक दिन (1958), लहरों के राजहंस (1963), आधे-अधूरे (1969)। साहित्यिक विशेषताएँ-मोहन राकेश ‘नई कहानी’ आन्दोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे। ये बीसवीं सदी के उत्तरवर्ती युग के प्रमुख कथाकार एवं नाटककार थे। इन्होंने कई श्रेष्ठ कहानियाँ तथा उपन्यास लिखे। नाटक के क्षेत्र में तो ये विशिष्ट प्रतिभा माने जाते हैं। हिन्दी के आधुनिक रंगमंच को नई दिशा देने में इनका प्रमुख योगदान था। इसलिए ये आधुनिक हिन्दी नाटक और रंगमंच की युगांतकारी प्रतिभा के रूप में सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो चुके हैं। इनके नाटकों की परिकल्पना अत्यन्त ठोस, जटिल तथा नवीन है। इनसे प्रेरणा प्राप्त करके अनेक साहित्यकारों ने साहित्य सृजन किया। भाषा-शिल्प की विशेषताएँ-मोहन राकेश का अद्भुत भाषा शिल्प उनके साहित्य को प्रमुख विशेषता है। इनकी भाषा में सरलता तथा सहजता के साथ-साथ भावानुकूलता, . प्रसंगानुकूलता, प्रवाहमयता तथा चित्रात्मकता जैसे गुण भी विद्यमान है। सिपाही की माँ पाठ के सारांश। ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी मोहन राकेश द्वारा लिखित “अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी” से ली गई है। चिट्ठी का इंतजार-गाँव का एक साधारण घर है जिसमें बिशनी नाम की महिला अपनी चौदह वर्ष की लड़की मुन्नी के साथ रहती है। उनके घर का इकलौता बेटा लड़ाई के लिए बर्मा गया हुआ है और वह दिन-रात उसकी चिट्ठी का इंतजार करती रहती है। गाँव में डाक की गाड़ी आती है तो मुन्नी अपनी चिट्ठी लेने जाती है पर चिट्ठी नहीं आती है जिससे वो कुछ उदास हो जाती है। उसकी माँ भी चिट्ठी न आने से बहुत दुखी है। लेकिन वह माँ को बार-बार यही समझाती है कि जल्दी ही चिट्ठी आएगी। फिर वे दोनों बर्मा की दूरी को लेकर बातचीत करती है। इसी बीच मुन्नी यह कह देती है कि कहीं चिट्ठी लाने वाला जहाज डूब गया हो जिस कारण उसकी माँ उसे डाँटती है। मुन्नी की शादी की चर्चा-तभी वहाँ पड़ोस में रहने वाली कुंती आ जाती है। पहले वह वर्मा की लड़ाई के विषय में बातचीत करती है और फिर मुन्नी की शादी के बारे में पूछती है। साथ ही वह मुन्नी की शादी जल्द-से-जल्द करने को कहती है। फिर वह कहती है कि तुम्हारा लड़का जो युद्ध में गया है वह पता नहीं कब तक आएगा, क्योंकि लड़ाई का कोई पता नहीं है कि वह कब तक चलती रहे। बर्मा से दो लड़कियों का आगमन-उसी समय वहाँ दीनू कुम्हार आता है और बताता है कि दो जवान लड़कियाँ अजीब से कपड़े पहने घर-घर जाकर आटा-दाल माँग रही है। यह बताकर दीनू वहाँ से चला जाता है। इतने में वे लड़कियाँ वहाँ आ जाती है और दाल-चावल माँगती है। जब विशनी और कुंती उनके बारे में पूछती है तो वे बताती है कि मैं बर्मा से आई हुँ। वहाँ भीषण लड़ाई चल रही है जिस कारण हमारा घर-बार छिन गया है, मैं बड़ी ही मुश्किल से जंगल के रास्ते अपनी जान बचाकर आई हुँ। जब मुन्नी उनसे.फौजियों के बारे में पूछती है तो वे बताती है कि जो फौज छोड़कर भागता हैं, उसे गोली मार दी जाती है। फिर वे बर्मा की नाटकीय स्थिति का वर्णन करती है जिसे सुनकर बिशनी काँप उठती है। उसे अपने बेटे की चिन्ता सताने लगती है तथा कुंती और मुन्नी उसे ढाँढ़स बंधाती है। मुन्नी कहती है कि मेरा दिल कहता है कि भैया आप ही आएँगे। जिसे सुनकर बिशनी कुछ हिम्मत जुटाकर बोलती है तेरा दिल ठीक कहता है बेटी ! चिट्ठी न आई तो वह आप ही आएगा। माँ-बेटी की बातचीत-रात के समय माँ-बेटी आपस में बातचीत करती है। मुन्नी अपर्न माँ से कहती है कि मेरी कुछ सहेलियों के कड़े बहुत ही सुन्दर हैं जिन्हें वह सारे गाँव में दिखाती हैं। तब बिशनी उसे प्यार भरे स्वर में कहती है कि तेरा भाई तेरे लिए उनसे भी अच्छे कड़े लाएगा। स्वप्न की स्थिति : इसके बाद दोनों सो जाती हैं। स्वप्न में बिशनी को मानक (उसका बेटा) दिखाई देता है। वह उससे बातचीत करती है। वह बुरी तरह घायल है और बताता है कि दुश्मन उसके पीछे लगा है। बिशनी उसे लेटने को कहती है पर वह पानी माँगता है। तभी वहाँ एक सिपाही आता है और वह उसे मरा हुआ बताता है। यह सुनकर बिशनी सहम जाती है लेकिन तभी मानक कहता है कि मैं मरा नहीं हूँ। वह सिपाही मानक को मारने की बात कहता है। लेकिन बिशनी कहती है कि मैं इसकी माँ हूँ और इसे मारने नहीं दूंगी। सिपाही मानक को वहशी तथा खूनी बताता है। लेकिन बिशनी उसकी बात को नकार देती है। वह कहती है कि यह बुरी तरह घायल है और इसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। इसलिए तू इसे मारने का विचार त्याग दे। जवाब में सिपाही कहता है कि अगर मैं इसे नहीं मारूँगा तो यह मुझे मार देगा। बिशनी उसे विश्वास दिलाती है कि यह तुझे नहीं मारेगा। तभी मानक उठ खड़ा होता है और उस सिपाही को मारने की बात कहता है। बिशनी उसे समझाती है लेकिन वह नहीं मानता है और उसकी बोटी-बोटी करने की बात कहता है। स्वज भंग-यह सुनकर बिशनी चिल्लाकर उठ बैठती है। वह जोर-जोर से मानक ! मोनक ! कहती है। उसकी आवाज सुनकर मुन्नी वहाँ आती है। माँ की स्थिति देखकर वह कहती है कि तुम रोज भैया के सपने देखती हो, जबकि मैंने तुमसे कहा था कि भैया जल्दी आ जाएँगे। फिर वह अपनी माँ के गले लग जाती है। बिशनी उसका माथा चूमकर उसे सोने को कहती है और मन-ही-मन कुछ गुनगुनाने लगती है। सिपाही के घर की स्थिति माना के घर से भी नहीं है कैसे स्पष्ट करें?उत्तर ⇒ मुन्नी सिपाही मानक की बहन और विशनी की पुत्री है। उसकी उम्र इस लायक दो चकी है कि शादी की जा सके। वह एक निम्नमध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती है। उसके सारे सपने उसके भाई सिपाही मानक के साथ जुड़े हुए हैं।
...
8. सिपाही की माँ ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ). मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहता है?उत्तर⇒ मानक वर्मा लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था और दूसरे पक्ष की सेना जापानी थे। सेना एक-दूसरे का दुश्मन है, क्योंकि वे अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही अपने को एक-दूसरे का दुश्मन समझते हैं, इसलिए वे एक-दूसरे को मारना चाहते हैं।
बिशनी मानक की माँ है पर उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है कैसे?एकांकी के दूसरे भाग मे बिशनी सपने मे जो घटना घटती है, उसमे जो संवाद होता है उस संवाद से उसमे किसी भी सिपाही की माँ को ढूंढा जा सकता है। जब सिपाही मानक को खेदड़ते हुए बिशनी के पास ले जाता है तो मानक की गले से लिपट जाता है और सिपाही के पूछने पर की इसकी तू क्या लगती है। बिशनी का जवाब आता है- मैं इसकी माँ हूँ।
वर घर देखकर ही क्या करना है कुंती?वर - घर देखकर ही क्या करना है, कुंती ? मानक आए तो कुछ हो भी । तुझे पता ही है, आजकल लोगों के हाथ कितने बढ़े हुए हैं ।
|