काम कैसा भी क्यों ना हो, उसे पूरा करने के लिए संसाधन की आवश्यकता होती हैं। एक विद्यार्थी चाहे कितना भी बुद्धिमान क्यों ना हो यदि उसे किताब, कॉपी, कलम, विद्यालय, शिक्षक आदि की सुविधा नहीं दी जाए तो वह कुछ भी नहीं कर सकता है। यह सभी वस्तुएं उसकी पढ़ाई के संसाधन हैं। संसाधन कितने तरह के होते हैं तथा संसाधन से आप क्या समझते हैं इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे। Show
संसाधन से आप क्या समझते हैंकिसी व्यक्ति को अपना कार्य संपादित करने के लिए जिस माध्यमों की आवश्यकता होती है उसे “संसाधन” कहा जाता है। किसी उपक्रम को स्थापित करने के लिए कई तरह की संसाधनों की आवश्यकता होती है। संसाधन से आप क्या समझते हैं उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें संसाधन के वर्गीकरण के प्रमुख आधार कौन-कौन से हैंइसके वर्गीकरण के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं-
भौतिक संसाधन किसे कहते हैंइसके अंतर्गत भूमि, मशीन, भवन, कच्चा माल आदि को शामिल किया जाता है। किसी भी
उपक्रम को चलाने के लिए यह आधारभूत आवश्यकताएं होती हैं। इसके बिना उपक्रम का कार्य अधूरा होता है। भौतिक संसाधन को प्रभावित करने वाले तत्व या कारक
भौतिक संसाधनों में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस संसाधन में अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है एक बार गलत चुनाव हो जाने पर उपकरण के भविष्य पर प्रश्न खड़ा हो जाता हैं। मानव
संसाधन – हमारे आस-पास जितने भी संसाधन होते हैं वह सभी निष्क्रिय होते हैं। मानव उसे अपनी आवश्यकता के लिए उपयोग में लाकर सक्रिय बनाता है। इस प्रकार से मानवीय संसाधन एक सक्रिय संसाधन होता है। मानव संसाधन को निम्नलिखित तत्व प्रभावित करते हैं-
तकनीकी संसाधन – इसके अंतर्गत उत्पादन की प्रक्रिया सूचना एवं संचार तंत्र आदि को शामिल किया जाता है। इनका प्रयोग एक ओर उत्पादन लागत को कम करता है तो दूसरी ओर उत्पादन की क्वालिटी बढ़ाने में मदद करता है। इस संसाधन को निम्नलिखित तत्व प्रभावित करते हैं-
वित्तीय संसाधन – वैसे तो सभी संसाधनों का अपना-अपना महत्व होता है। किसी एक के बिना उपक्रम चलाने की बात नहीं सोची जा सकती है किंतु वित्तीय संसाधन इनमें अति विशेष होता है ऐसा इसलिए कि अन्य सभी संसाधनों को यह अपनी ओर चुम्बक की भांति खींचने का कार्य करता है। कोई भी बिजनेस करना हो आप उसके लिए सारे आवश्यक संसाधन इकट्ठा कर ले लेकिन पैसे नहीं होंगे तो आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसके अंतर्गत उपक्रम संचालित करने के लिए आवश्यक स्थायी एवं कार्यशील पूंजी को शामिल किया जाता है। किसी भी उपक्रम को आरंभ करने से लेकर तकनीक से संचालित करने से दर कदम पर इसकी आवश्यकता होती है। संसाधनों की गतिशीलता में उद्यमी की क्या भूमिका होती हैसंसाधनों की गतिशीलता में एक उद्यमी की अहम भूमिका होती है
संसाधनों की आवश्यकता – साहसी को सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे किन-किन संसाधनों की आवश्यकता है। संसाधनों की पहचान करना – संसाधनों की जरुरत तय कर लेने के बाद साहसी द्वारा उपलब्ध विभिन्न साधनों में से अपने आवश्यकता के अनुसार पहचान किया जाता है कि उसे इस साधन की कितनी मात्रा चाहिए। रुकावटओं का अध्ययन करना – उपलब्ध साधनों को प्राप्त करने में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उद्यमी को इसका अध्ययन पहले से ही कर लेना चाहिए। आपूर्तिकर्ता से संपर्क करना – उद्यमी को संसाधनों के आपूर्तिकर्ताओं के साथ संपर्क स्थापित करके उसकी समय अनुसार उपलब्धि के बातों में आस्वस्थ हो जाना चाहिए। संसाधनों की मात्रा एवं समय – उद्यमी को किस साधन की कितनी मात्रा कितने समय के अंतराल पर आवश्यक होगी इसका निर्धारण पहले से ही तय कर लेना चाहिए। संसाधनों की किस्में एवं लागत – संसाधन को चुनते समय उद्यमी को इसके किस्म (Quality) पर विचार करते समय इसका मिलान इसकी लागत से करना चाहिए। वित्त की व्यवस्था – साहसी संसाधन के खरीद हेतु आवश्यक वित्त यानी कि धन की पूर्ति कहां से करेगा। इस पर भी पहले से विचार कर लेना चाहिए। यह भी पढ़े –
संसाधन गतिशीलता क्या है?इसे सुनेंरोकेंयह एक सिद्धांत है जिसका उपयोग सामाजिक आंदोलनों के अध्ययन में किया जाता है और तर्क देता है कि सामाजिक आंदोलनों की सफलता संसाधनों (समय, धन, कौशल, आदि) और उनका उपयोग करने की क्षमता पर निर्भर करती है। यह आवश्यक संसाधनों को समय पर, लागत प्रभावी तरीके से प्राप्त करने से संबंधित है।
संसाधन की परिभाषा क्या है?हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु संसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कर सकते हैं, जिसे बनाने के लिये हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है। प्रकृति का कोई भी तत्व तभी संसाधन बनता है जब वह मानवीय सेवा करता है।
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?संसाधन दो प्रकार के होते हैं- प्राकृतिक संसाधन और मानव निर्मित संसाधन।
मानव संसाधन का क्या अर्थ है?मानव संसाधन (HUMAN RESOURCES)वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में देखती है। शिक्षा प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणाम स्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूँजी है।
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