सत्यवती के पुत्रों का क्या नाम था - satyavatee ke putron ka kya naam tha

महाभारत में सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत का समग्र इतिहास वर्णित है। यह ग्रंथ अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। आओ जानते हैं महाभारत की उन महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने पति के रहे हुए भी दूसरों की सहायता से पुत्रों को जन्म दिया था।

अम्बालिका और अम्बिका : शांतनु और सत्यवती के दो पुत्र हुए। चित्रांगद और विचित्रवीर्य। चित्रांगद को युद्ध में मारा गया तब विचित्रवीर्य राजा बना। विचित्रवीर्य के विवाह के लिए भीष्म ने काशीराज की 3 कन्याओं का बलपूर्वक हरण किया था जिसमें से एक अम्बा को शाल्वराज पर अनुरक्त होने के कारण छोड़ दिया था। यही अम्बा बाद में शिखंडी के नाम से जन्मीं। अन्य दो महिलाएं अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य से कर दिया गया।

विचित्रवीर्य की 2 पत्नियां अम्बिका और अम्बालिका थीं। दोनों को कोई पुत्र नहीं हो रहा था तो सत्यवती के पुत्र वेदव्यास माता की आज्ञा मानकर बोले, 'माता! आप उन दोनों रानियों से कह दीजिए कि वे मेरे सामने से निर्वस्त्र होकर गुजरें जिससे कि उनको गर्भ धारण होगा।'


सबसे पहले बड़ी रानी अम्बिका और फिर छोटी रानी अम्बालिका गई, पर अम्बिका ने उनके तेज से डरकर अपने नेत्र बंद कर लिए जबकि अम्बालिका वेदव्यास को देखकर भय से पीली पड़ गई। वेदव्यास लौटकर माता से बोले, 'माता अम्बिका को बड़ा तेजस्वी पुत्र होगा किंतु नेत्र बंद करने के दोष के कारण वह अंधा होगा जबकि अम्बालिका के गर्भ से पाण्डु रोग से ग्रसित पुत्र पैदा होगा।'

यह जानकर के माता सत्यवती ने बड़ी रानी अम्बिका को पुनः वेदव्यास के पास जाने का आदेश दिया। इस बार बड़ी रानी ने स्वयं न जाकर अपनी दासी को वेदव्यास के पास भेज दिया। दासी बिना किसी संकोच के वेदव्यास के सामने से गुजरी। इस बार वेदव्यास ने माता सत्यवती के पास आकर कहा, 'माते! इस दासी के गर्भ से वेद-वेदांत में पारंगत अत्यंत नीतिवान पुत्र उत्पन्न होगा।' इतना कहकर वेदव्यास तपस्या करने चले गए।... अम्बिका से धृतराष्ट्र, अम्बालिका से पाण्डु और दासी से विदुर का जन्म हुआ। तीनों ही ऋषि वेदव्यास की संताने थीं।

कुंती और माद्री : कुंती और माद्री के पति का नाम पांडु था। पांडु एक शाप के चलते अपनी पत्नियों से सहवास नहीं कर सके तो उन्होंने कुंती और माद्री से 'नियोग' प्रथा के बारे में कहा। कुंती ने तब बताया कि ऋषि दुर्वासा ने उन्हें देवताओं का आह्‍वान कर पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया है। तब कुंती मंत्र शक्ति के बल पर एक-एक कर 3 देवताओं का आह्वान कर 3 पुत्रों को जन्म देती है। धर्मराज से युधिष्टिर, इंद्र से अर्जुन, पवनदेव से भीम को जन्म देती है वहीं इसी मंत्र शक्ति के बदल पर माद्री ने भी अश्विन कुमारों का आह्वान कर नकुल और सहदेव को जन्म दिया।

गांधारी : गांधारी के पुत्रों को कौरव पुत्र कहा गया लेकिन उनमें से एक भी कौरववंशी नहीं था। धृतराष्ट्र और गांधारी के 99 पुत्र और एक पुत्री थीं जिन्हें कौरव कहा जाता था। सभी कौरवों में दुर्योधन सबसे बड़ा था। गांधारी जब गर्भवती थी, तब धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ सहवास किया था जिसके चलते युयुत्सु नामक पुत्र का जन्म हुआ। इस तरह कौरव सौ हो गए।

गांधारी ने वेदव्यास से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर किया। गर्भ धारण कर लेने के पश्चात भी दो वर्ष व्यतीत हो गए, किंतु गांधारी के कोई भी संतान उत्पन्न नहीं हुई। इस पर क्रोधवश गांधारी ने अपने पेट पर जोर से मुक्के का प्रहार किया जिससे उसका गर्भ गिर गया। इस घटना को जानकर वेदव्यास तुरंत आए और बोले- 'गांधारी! तूने बहुत गलत किया। मेरा दिया हुआ वर कभी मिथ्या नहीं जाता। अब तुम शीघ्र ही सौ कुंड तैयार करवाओ और उनमें घृत (घी) भरवा दो।'

वेदव्यास ने गांधारी के गर्भ से निकले मांस पिण्ड पर अभिमंत्रित जल छिड़का जिससे उस पिण्ड के अंगूठे के पोरुये के बराबर सौ टुकड़े हो गए। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गांधारी के बनवाए हुए सौ कुंडों में रखवा दिया और उन कुंडों को दो वर्ष पश्चात खोलने का आदेश देकर अपने आश्रम चले गए। दो वर्ष बाद सबसे पहले कुंड से दुर्योधन की उत्पत्ति हुई। फिर उन कुंडों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र एवं दु:शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Bhishma Pledge: कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) द्वारा दिए गए उपदेशों का ही प्रभाव रहा कि वीर धनुर्धर अर्जुन का बंधु बांधवों के प्रति मोह भंग हुआ और युद्ध करते हुए उन्होंने कौरवों को पराजित किया. हालांकि, बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसी कुरुक्षेत्र में एक और बड़ा युद्ध हुआ जो तीन वर्ष तक चला. यह युद्ध हुआ था हस्तिनापुर नरेश राजा शांतनु के पुत्र चित्रांगद और गन्धर्वराज चित्रांगद के बीच.

सत्यवती ने दो पुत्रों को दिया था जन्म

सत्यवती से विवाह करने के बाद राजा शांतनु (Raja Shantanu) के चित्रांगद (Chitrangad) और विचित्रवीर्य (Vichitravirya) नामक दो पुत्र हुए. दोनों ही बड़े पराक्रमी और होनहार थे. दोनों के युवावस्था में प्रवेश करने के पहले ही राजा शांतनु स्वर्गवासी हो गए. भीष्म ने सत्यवती की सहमति से चित्रांगद को राजगद्दी पर बिठाया. उसने अपने पराक्रम से सभी राजाओं को पराजित कर दिया. वह किसी भी मनुष्य को अपने समान नहीं समझता था.

तीन वर्ष तक चला युद्ध

गंधर्वराज चित्रांगद ने देखा कि शांतनु नंदन चित्रांगद अपने बल पराक्रम के कारण देवता, मनुष्य और असुरों को नीचा दिखाने का काम कर रहा है. यह बात गंधर्वराज को खराब लगी तो गंधर्वराज ने उसके राज्य पर चढ़ाई कर दी. एक ही नाम के दोनों वीर योद्धाओं के बीच सरस्वती नदी के तट पर कुरुक्षेत्र के मैदान में घमासान युद्ध हुआ.

मायावी था चित्रांगद

यूं तो चित्रांगद बहुत पराक्रमी और बलशाली था किंतु गंधर्वराज चित्रांगद मायावी था. तीन वर्ष तक चले युद्ध में गंधर्वराज चित्रांगद ने युद्ध में मायावी शस्त्रों का इस्तेमाल किया, जिसके सामने राजा चित्रांगद नहीं टिक सका. युद्ध क्षेत्र में गंधर्वराज ने राजा चित्रांगद को घेरकर मार दिया.

विचित्र वीर्य ने किया शासन

राजा चित्रांगद की मृत्यु के बाद देवव्रत भीष्म ने भाई चित्रांगद का अंत्येष्टि कर्म किया और फिर विचित्र वीर्य को राज सिंहासन पर बिठाया. विचित्र वीर्य तो अभी बालक ही थे फिर भी भीष्म के दिशा-निर्देश पर अपने पैतृक राज्य का शासन करने लगे.

सत्यवती के दोनों पुत्रों का नाम क्या था?

विशेष—जब राजा शांतनु ने अपने पुत्र भीष्म के आजन्म ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा करने पर सत्यवती के साथ विवाह कर लिया था, तब उसी सत्यवती के गर्भ से उन्हें चित्रांगद और विचित्रवीर्य नाम के दो पुत्र उत्पन्न हुए थे ।

सत्यवती के कितने पुत्र हुए थे?

सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया। भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया लेकिन कुछ ही काल में गन्धर्वों से युद्ध करते हुये चित्रांगद मारा गया।

सत्यवती के कितने पति थे?

महाभारत के अनुसार, सत्यवती राजा शांतनु की पत्नी थी। सत्यवती के दो पुत्र थे चित्रांगद और विचित्रवीर्य। विचित्रवीर्य का विवाह काशी की राजकुमारी अंबिका और अंबालिका से हुआ था। धृतराष्ट्र और पांडु विचित्रवीर्य की ही संतान थे

सत्यवती किसकी बेटी थी?

सत्यवती महाभारत की एक महत्वपूर्ण पात्र है। उसका विवाह हस्तिनापुर नरेश शांतनु से हुआ। उसका मूल नाम 'मत्स्यगंधा' था। वह ब्रह्मा के शाप से मत्स्यभाव को प्राप्त हुई 'अद्रिका' नाम की अप्सरा के गर्भ से उपरिचर वसु द्वारा उत्पन्न एक कन्या थी