सुदर्शन जी का वास्तविक नाम पं. बदरीनाथ भट्ट था। इनका जन्म सन् 1896 में सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। हिंदी और उर्दू में आप ‘सुदर्शन’ नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हें बचपन से ही कहानी पढ़ने और लिखने का शौक था। प्रेमचंद की भाँति आप पहले उर्दू में लिखते थे। बाद में हिंदी में लिखना शुरू किया। उनकी पहली कहानी ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। हिंदी में आपने सैकड़ों कहानियाँ लिखी हैं। सुदर्शन जी की कहानियों का मुख्य लक्ष्य समाज व राष्ट्र को स्वच्छ व सुदृढ़ बनाना रहा है। इनकी भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी और मुहावरेदार हैं। सुदर्शन जी प्रेमचंद परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। इनको प्रायः सभी प्रसिद्ध कहानियों में समस्याओं का समाधान आदर्शवाद से किया गया है। ‘हार की जीत’, ‘सच का सौदा’, ‘अठन्नी का चोर’, ‘साइकिल की सवारी’, ‘तीर्थ यात्रा’, ‘पत्थरों का सौदागर’, ‘पृथ्वी वल्लभ’ आदि उनकी चर्चित कहानियाँ है। कहानियों के अतिरिक्त उन्होंने ‘अंजना’, ‘भाग्यचक्र’, ‘ऑनरेरी मजिस्ट्रेट’ जैसे नाटकों तथा ‘परिवर्तन’ नामक उपन्यास की भी रचना की है। सन् 1967 में आप परलोकगामी हुए। Show
‘पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तरबोध एवं विचार1.सही विकल्प का चयन कीजिए:(क) लाजवंती के आखिरी पुत्र का नाम क्या था ? (i) हेमराज (ii) दुर्गादास (ii) रामलाल (iv) परमेश्वर उत्तर: (i) हेमराज (ख) लाजवंता का पति कहाँ नौकरी करता था ?(i) दिल्ली (ii) मथुरा (iii) मुलतान (iv) बरेली उत्तर: (iii) मुलतान (ग) गाँव के प्रसिद्ध वैद्य दुर्गादास को लोग क्या मानते थे ?(i) चरक (ii) लुकमान (ii) सुश्रुत (iv) वैद्यराज उत्तर: ii) लुकमान (घ) हरो को लाजवंती ने कितने रूपए दिए ?(i) एक सौ (ii) दो सौ (iii) सुश्रुत (iv) वैद्यराज उत्तर (ii) दो सौ (ङ) हरो कौन थी ?(i) लाजवंती की माँ (ii) लाजवंती की सास (iii) लाजवंती की पड़ोसि (iv) लाजवंती की नौकरानी उत्तर: (iv) लाजवंती की पड़ोसिन 2.पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए :(क) हेमराज कौन है ?उत्तर: हेमराज लाजवंती का पुत्र है। (ख)हेमराज को किस बुखार ने जकड़ रखा था ?उत्तरः हेमराज को मियादी बुखार ने जकड़ रखा था। (ग) हेमराज के इलाज करनेवाले वैद्य का नाम क्या है ?उत्तर: हेमराज के इलाज करनेवाले वैद्य का नाम दुर्गादास था। (घ) लाजवंती जब वैद्य जी के पास पहुँची उस समय वे क्या कर रहे थे ।उत्तर: लाजवंती जब वैद्य जी के पास पहुँची उस समय अखबार पढ़ रहे थे। (ङ) लाजवंती ने फीस के रूप में वैद्य जी को कितने पैसे दिए ?उत्तर: लाजवंती ने फीस के रूप में वैद्य जी को एक अठन्नी (आठ आना) दी। (च) हेमराज का बुखार कितने दिनों पर उतरा ?उत्तरः हेमराज का बुखार इक्कीसवें दिन पर उतरा। (छ) लाजवंती के पति का क्या नाम है ?उत्तर: लाजवंती के पति का नाम रामलाल है। Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-10 तीर्थ यात्रा3 संक्षिप्त उत्तर दीजिए:(क) लाजवंती अपने पुत्र हेमराज को हमेशा छाती से लगाए क्यों फिरती थी ?उत्तर: हेमराज लाजवंती का एकमात्र पुत्र था। कई पुत्रों के मरने के बाद हेमराज पैदा हुआ था। उसे इस बात का डर था कि हेमराज को किसी की बुरी नजर न लग जाए। वह उसकी विशेष देखभाल करती थी। इसलिए वह हेमराज को हमेशा अपनी छाती से लगाए रहती थी। (ख) लाजवंती के मन में हमेशा किस बात का डर लगा रहता था ?उत्तर: कई पुत्रों के बचपन में ही मर जाने के बाद हेमराज का जन्म हुआ था। हेमराज लाजवंती का एकलौता पुत्र था। उसे वह हमेशा अपने कलेजे से लगाए रहती थी। उसके मन में हमेशा यह डर था कि कहीं हेमराज का भी वही होगा, जो उसके पहले के सभी बेटों का हुआ। (ग) वैद्य दुर्गादास को लोग लुकमान क्यों समझते थे ?उत्तर: कुरान शरीफ के अनुसार लुकमान एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे। उनके इलाज के से रोगी जल्द ही ठीक हो जाता था। वैद्य दुर्गादास भी लाजवंती के गाँव का बेहद अनुभवी वैद्य थे। सैकड़ों लोग उनके हाथों से स्वस्थ होते थे। इसलिए वैद्य दुर्गादास को लोग लुकमान समझते थे। (घ) कई दिन बीतने पर भी हेमरात का बुखार क्यों नहीं उतरा ?उत्तर: हेमराज को मियादी बुखार हो गया था। मियादी बुखार मियाद (अवधि) पूरा होने पर ही उतरता है। इसलिए हेमराज को बदल बदलकर दवा देने पर भी बुखार नहीं उतरा। ङ) वैद्यजी की कौन-सी बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया ?उत्तरः हेमराज का बुखार उतर नहीं रहा था। उसे मियादी बुखार था। इस बात से लाजवंती पहले ही दुःखी थी। परंतु वैद्य जी ने जब यह कहा कि बुखार सख्त है और हानिकारक भी हो सकता है। मेरी राय मानो तो हेम के पिता को बुलवा लो। यह बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया। च) वैद्य जी ने लाजवंती को अपने पति को बुलवा लेने सलाह क्यों दी ?उत्तर: हेमराज को मियादी बुखार ने जकड़ लिया था। बुखार बहुत सख्त था। वह मियाद पूरा होने पर ही उतरने वाला था। हेमराज के लिए यह बुखार हानिकारक भी हो सकता था। इसलिए आनेवाले खतरे को भाँपकर बैद्य जी ने लाजवंती को यह सलाह दी कि वह अपने पति को बुलावा ले। छ) लाजवंती ने देवी माता से क्य मन्नत माँगी ?उत्तर: लाजवंती ने देवी माता से यही मन्नत माँगी कि उसका हेम बच जाएगा तो वह तीर्थ यात्रा करेगी। (ज) हेमराज का बुखार कब और किसप्रकार उतरा ?उत्तर: हेमराज को मियादी बुखार ने जकड़ लिया था। उस बुखार की मियाद 21 दिनों की थी। वैद्य जी की दवा का सेवन करने से भी उसका बुखार इक्कीसवाँ दिन पर धीरे-धीरे उतरा था। झ) हरो के रोने का क्या कारण था ?उत्तरः हरो लाजवंती की पड़ोसिन थी। वह बहुत ही गरीब महिला थी। उसकी एक बेटी अभी कुँवारी थी। उसकी शादी में होनेवाले खर्च और बारातियों का स्वागत करने में वह असमर्थ थी। इसी दुःख के कारण वह रो रही थी। ञ) तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले की रात लाजवंती के घर में क्या-क्या कार्यक्रम हो रहा था ?उत्तरः तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले की रात लाजवंती के आंगन में सारा गाँव इकट्ठा हुआ था। झाँझैं और करताले बज रही थीं। भजन-कीर्तन हो रहा था। ढोलक की थाप पर स्त्रियाँ गीत गा रही थीं। गाँव वालों के लिए भोज का भी इंतजाम था। कहीं पूरियाँ बन रही थीं। कहीं हलुआ की सुगंध दिमाग को तर कर रही थी। लाजवंती के घर में विवाह जैसा वातावरण था। (ट) रामलाल के अनुसार उसकी असली दौलत क्या थी ?उत्तर: रामलाल के अनुसार उसकी असली दौलत एकलौता बेटा हेमराज थी। उसकी सलामती उसके प्राणों से भी प्यारी थी। (ठ) हरो की अवस्था देख-सुनकर लाजवंती क्यों काँप उठी ?उत्तर: हरो लाजवंती की पड़ोसिन थी। वह अत्यंत गरीब महिला थी। वह अपनी बेटी की शादी में होनेवाले खर्च को लेकर बहुत दुःखी थी। उसकी अवस्था ऐसी न थी कि वह बेटी के विवाह का खर्च उठा सके। हरो की ऐसी अवस्था देखकर लाजवंती काँप उठी। Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-10 तीर्थ यात्रा4. सम्यक उत्तर दीजिए:(क) एक पड़ोसी का दूसरे पड़ोसी के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए ? तीर्थ यात्रा कहानी के आधार पर उत्तर दीजिए।उत्तर: पड़ोसी धर्म निभाना मनुष्य का परम कर्तव्य है। एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी के सुख दुख, पूजा-पाठ, शादी-ब्याह हर प्रकार के कार्यक्रम में शामिल होता है। यदि हमारा पड़ोसी दुख-या कष्ट में हो तो हम भी शांत नहीं बैठ सकते। पड़ोसी धर्म के नाते हमें उसका हाल-चाल जानना-सुनना चाहिए और उसका दुःख दूर करने का प्रयास करना चाहिए। तीर्थ यात्रा कहानी भी इसी त्याग और परोपकार पर आधारित पड़ोसी धर्म निभाने की कहानी है। हरो लाजवंती की पड़ोसिन है। वह विधवा और गरीब महिला है। वह अपनी बेटी के विवाह के लिए चिंतित और दुखी है। लाजवंती समय से पहले उसकी सहायता करके बड़ा ही पुण्य का कार्य किया है। लाजवंती जैसी पड़ोसिन पर सबको गर्व होना चाहिए। (ख) लाजवंती ने तीर्थ यात्रा की तैयारी कैसे की ?उत्तर: हेमराज का बुखार उतरने के बाद घर में खुशियों का माहौल हुआ। लाजवंती और उसके पति रामलाल बहुत खुश हुए। तीन महीने बीतने के बाद लाजवंती तीर्थ यात्रा के लिए तैयार हुई। तीर्थ यात्रा की तैयारियाँ बड़ी खुशी के साथ हो रही थीं। तीर्थ यात्रा पर जाने से एक दिन पहले लाजवंती के आँगन में सारा गाँव इकट्ठा हुआ। झाँझे और करतालें बजने लगे। ढोलक की थाप गूँजने लगी। स्त्रियाँ गाने-बजाने लगीं। दूसरी तरफ लोगों को खिलाने के लिए हलवा-पूरी बन रहे थे। लाजवंती के घर विवाह का माहौल जैसा लग रहा था। सब कोई खा-पीकर विदा हो गए। उसके बाद लाजवंती में टीन के एक बक्से में जरूरी कपड़े रखे, एक बिस्तर तैयार किया, गले में लाल रंग की सूती माला पहनी, माथे पर चंदन का लेप किया। अपनी गाय को पड़ोसिन को सौंप दी और कहने लगी- इसका पूरा पूरा ध्यान रखना। मैं तीर्थ यात्रा पर जा रही हूँ। लाजवंती अपनी तीर्थ यात्रा के लिए करीब दो सौ रुपये भी इकट्ठे किए थे। लाजवंती हरिद्वार, मथुरा, वृंदावन जाना चाहती थी। परंतु वह तीर्थ यात्रा पर नहीं गई क्योंकि उसने हरो की बेटी के विवाह के लिए अपनी जमा की हुई राशि दे दी। हरो को रुपये देते समय जो आनंद लाजवंती को हुआ, वह तीर्थ यात्रा की कल्पित आनंद की अपेक्षा अधिक बढ़कर था। (ग) तीर्थ यात्रा के लिए संचित रुपए हरो को देकर भी लाजवंती प्रसन्न थी, क्यों ?उत्तर: अपने बीमार पुत्र की सलामती के लिए लाजवंती ने देवी माता से मन्नत माँगी थी कि उसका पुत्र हेमराज ठीक हो जाएगा तो वह तीर्थ यात्रा पर जाएगी। उसका पुत्र हेमराज भला-चंगा भी हो गया और वह तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए तैयार भी हो गई। यात्रा पर खर्च करने के लिए रुपये भी संचित कर ली। परंतु अपनी पड़ोसिन हरो का दुख देख-सुनकर उसने तीर्थ यात्रा का कार्यक्रम रोक दिया और उसके लिए संचित रुपये उसने हरो को दे दिए। ऐसा करके उसने एक अच्छी पड़ोसिन का धर्म निभाया। दूसरी तरफ इस परोपकार से उसे जो आनंद प्राप्त हुआ वह कई तीर्थ यात्राओं के कल्पित आनंद से बढ़कर था। इस प्रकार तीर्थ यात्रा के लिए संचित रुपए हरो को देकर भी लाजवंती बहुत प्रसन्न थी। (घ) लाजवंती की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।उत्तर: लाजवंती ‘तीर्थ यात्रा’ कहानी की प्रमुख पात्र है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं: (i) लाजवंती एक सामाजिक घरेलू महिला है। वह अपनी गृहस्थी को सर्वोपरि मानती है। वह मिलनसार महिला है। समाज की महिलाओं के साथ उसके अच्छे संबंध हैं। (ii) लाजवंती त्याग एवं ममता की प्रतिमूर्ति है। वह जी-जान से अपने पुत्र हेमराज का पालन-पोषण करती है। बीमार पड़ने पर वह उसकी सेवा में दिन-रात एक कर देती है। फलतः उसका एकलौता पुत्र हेमराज मौत के मुँह से वापस आ जाता है। (iii) लाजवंती बड़ा ही संवेदनशील महिला है। अपने पुत्र हेमराज के बीमार पड़ने पर वह बहुत बेचैन हो जाती है। वही संवेदना वह अपनी पड़ोसिन हरो के प्रति भी प्रदर्शित करती हैं। (iv) लाजवंती एक धार्मिक महिला है। देवी माता के प्रति भी उसके मन में बेहद आस्था और विश्वास है। देवी माता के आशीर्वाद पर भी उसे पूरा भरोसा है। उन्हीं के आशीर्वाद और कृपा से उसके पुत्र हेमराज की जान बच जाती है। (v) लाजवंती त्याग एवं परोपकार की जीती-जागती मिशाल है। उसने तीर्थ यात्रा के खर्च के लिए संचित रुपए हरो को देकर बहुत बड़ा त्याग एवं परोपकार करती है और स्वयं कई तीर्थ यात्राओं के कल्पित आनंद से बढ़कर आनंद प्राप्त करती हैं। उसका चरित्र भारतीय समाज के लिए प्रेरणादायक और हर मामले में अनुकरणीय है। Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-10 तीर्थ यात्रा(ङ) ‘तीर्थ यात्रा’ कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?उत्तर: ‘तीर्थ यात्रा’ सुदर्शन जी द्वारा रचित त्याग एवं परोपकार पर आधारित एक सामाजिक कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लोकप्रिय कहानीकार सुदर्शन जी ने भारतीय लोगों की मुख्य विशेषता परोपकार की भावना को जगजाहिर किया है। भारतीय संस्कृति में परोपकार को परम धर्म माना गया है। प्रस्तुत कहानी में एक घरेलू महिला लाजवंती ने हरो की आर्थिक मदद करके तथा तीर्थ यात्रा का कार्यक्रम एकाएक रोककर जिस प्रकार का त्याग एवं परोपकार किया वह बेहद सराहनीय है। अतः ‘तीर्थ यात्रा’ कहानी हमें स्वार्थ का परित्याग कर परमार्थ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। 5. आशय स्पष्ट कीजिए:(क) जब थककर उसने सिर उठाया तो उसकी मुखमंडल शांत था, जैसे तूफान शांत हो जाता है।उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ तीर्थ यात्रा’ कहानी की है। सुदर्शन जी इसके कहानीकार हैं। यहाँ अपने पुत्र को बचाने के लिए लाजवंती द्वारा किए गए अथक परिश्रम और आस्था पर प्रकाश डाला गया है। उक्त पंक्तियों का आशय यह है कि वैद्य जी की बातें सुनकर लाजवंती बेचैन हो गई और वह देवी माता के मंदिर जाकर उनसे बहुत देर तक प्रार्थना करती रही जब तक वह थक नहीं गई। जब उसने सिर उठाया उसका मुखमंडल बिल्कुल शांत था। उसके हृदय में किसी प्रकार की बेचैनी नहीं थी। वह पूरी तरह विश्वास से भर गई थी। वह अब पूरी तरह आस्वस्त हो गई थी कि देवी माता की कृपा से उसके हेम को अब कोई खतरा नहीं है। (ख) जो सुख त्याग में है, वह ग्रहण में कहाँ ?उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति ‘तीर्थ यात्रा’ कहानी की है। इसके कहानीकार सुदर्शन जी है। यहाँ कहानीकार ने लाजवंती के त्याग और परोपकार पर प्रकाश डाला है। लाजवंती तीर्थ यात्रा के लिए रुपये संचित करके रखी थी। यह रुपये जमा करके वह बहुत प्रसन्न हुई थी। उसे लगा था कि यात्रा पर जाकर वह मथुरा वृन्दावन, हरिद्वार के मंदिरों को देखकर बहुत आनंदित होगी। परंतु वही संचित रुपये हरो को देकर उससे भी अधिक प्रसन्न हुई। ठीक ही कहा गया है कि जो सुख त्याग में है, वह सुख ग्रहण करने में नहीं है। 6.किसने, किससे और किस प्रसंग में ऐसा कहा ?(क) रुपये का क्या है, हाथ का मैल है, आता है, चला जाता है।”उत्तर: इसे रामलाल ने लाजवंती से उस प्रसंग में कहा जब लाजवंती ने देवी माता से तीर्थ यात्रा पर जाने की मन्नत माँग आई थी। (ख) ” आज की रात बड़ी भयानक है, सावधान रहना !”उत्तर: इसे वैद्य दुर्गादास ने रामलाल और लाजवंती से कहा जब इक्कीसवाँ दिन हेमराज का बुखार एकाएक उतरने वाला था। (ग) “मैं तुम्हें दूसरी सावित्री समझता हूँ”उत्तरः इसे वैद्य दुर्गादास ने लाजवंती से कहा जब हेमराज का बुखार पूरी तरह उत्तर चुका था। भाषा एवं व्याकरण1. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिए: प्रसन्नता, साप्ताहिक, बचपन, मुस्कुराहट, कृतज्ञता, कल्पित, पुलकित, वास्तविक, पड़ोसिन, निराशा, असंभव, परिश्रमउत्तर: प्रसन्नतासाप्ताहिक बचपन मुस्कुराहट कृतगगता कल्पित पुलकित वस्तोबिक पोडोसिन निराशा असम्भव परिश्रमप्रसन्न + ता सप्ताह+ इक बच्चा + पन मुस्कुराना आहट कृतज्ञ + ता कल्पना + इत पुलक + इत वास्तव + इक पड़ोसी + इन निर् + आशा अ + संभव परि + श्रम(प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (प्रत्यय) (उपसर्ग) (उपसर्ग) 2. ‘भी’, ‘ही’, ‘भर’, ‘तक’, ‘मात्र’, ‘केवल’ इन निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच-पाँच वाक्य बनाइए:उत्तर भी: राम भी वहाँ गया था। मेरे बजट में मिठाई भी है।लोग ऐसा भी कहते हैं।तुम भी जा सकते हो।जौ के साथ घुन भी पिसता है।हीमुकेश ऐसा ही है।मैं तो ऐसे ही बोल दिया। जो खाना बचा था शाम को ही खत्म हो गया। मैं पैदल ही चला गया।तुम वहाँ जाओ ही नहीं।भर: नाम भर लिखना सीख लो खाने भर को हो जाए वही ठीक रहेगा। बिता भर का आदमी, तुम क्या कर सकोगे ? रुपये तो दिखाई भर देते हैं।मेरा कहा भर मान लो ।तक: तुम आए तक नहीं।उसके घर में एक गिलास तक नहीं है। तुम वहाँ तक पहुँच सकते हो। राम उसे देखता तक नहीं।वह अपराधी का नाम तक नहीं जानता।मात्र/केवलवह मात्र/केवल खाना जानता है। उसके पास मात्र/केवल दो हजार रुपये हैं। उसे मात्र/केवल बोलना आता है। आपको मात्र / केवल वहाँ जाना है।वह यहाँ मात्र / केवल रुपये लेने आता है।3. निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त पदों का परिचय दीजिए:(क) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। उत्तर: मैं पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तमपुरुष पुलिंग, एकवचन,कर्ताकारक दसवीं संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन कक्षा में पढ़ता हूँ जातिवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक पढ़ता हूँ सकर्मक क्रिया, अन्यपुरुष, पुलिंग, एकवचन, वर्तमान काल (ख) भूषण वीर रस के कवि थे। उत्तर: भूषण व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष वीर रस विशेषण, पुलिंग, एकवचन कवि थे जातिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, भूतकाल (ग) वह अचानक दिखाई दिया ? उत्तरः वह पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुलिंग, एकवचन अचानक रीतिवाचक क्रिया-विशेषण दिखाई दिया। क्रिया, भूतकाल (घ) लाजवंती का माथा ठनका उत्तर: लाजवंतीव्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, स्त्रीलिंग, एकवचन माथा कर्म, पुलिंग ठनका क्रिया, एकवचन, भूतकाल (ङ) हेमराज का बुखार नहीं उतरा। हेमराज व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष सर्वनाम, पुलिंग, एकवचन बुखार कर्म के स्थान पर प्रयक्त, पुलिंग नहीं उतर निबेधवाचक, क्रिया, पुलिंग एकबचन (च) लाजवंती के मुख पर प्रशन्नता थी। उत्तर: लाजवंती – व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, सर्वनाम, स्त्रीलिंग मुख पर अधिकरण कारक प्रसन्नता भाववाचक संज्ञा स्त्रीलिंग (छ) तुम्हारा परिशम सफल हो गया। उत्तर: तुम्हारा संबंधकारक, पुलिंग, एकवचन परिक्षम भाववाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन सफल हो गया विशेषण गुणवाचक क्रिया (ज) आज की रात बड़ी भयानक है। उत्तर: आज क्रिया विशेषण रात गतिवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन बड़ी परिमाणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, प्रविशेषण भयानक गुणवाचक, विशेषण, पुलिंग (झ) यह पुस्तक किसकी है ? उत्तर: यह सार्वनामिक विशेषण पुस्तक जातिवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग एकवचन, किसकी संबंधवाचक कारक, स्त्रीलिंग (ञ) गंगा पवित्र नदी है। उत्तर: गंगा व्यक्तिवाचक संज्ञा, सत्रीलिंग एकवचन पवित्र विशेषण, पुलिंग नदी गतिवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन कर्म Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-10 तीर्थ यात्रा4. पाठ में आए अनेक स्थलों पर मुहावरों का प्रयोग हुआ है। उन मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।उत्तर: • माथा ठनकना (संदेह होना) : रात में रहीम को चुपके से आते देखकर मेरा माथा ठनका। • प्राण सूखना ( अत्यंत भयभीत होना) : सामने शेर को देखकर हरि के प्राण सूख गए। • दिल बैठ जाना (बुरी तरह घबरा जाना) : वैद्य जी की बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया। सिर उठाना (विरोध करना) : औरंगजेब के सामने कोई भी सिर नहीं उठाता था। • पाँव जमीन पर न पड़ना (त्यधिक प्रसन्न होना) : रीमा प्रथम श्रेणी में मैट्रिक पास की है इसलिए उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं। • फूला न समाना (खुश होना) : हेमराज को खेलता देखकर लाजवंती फूला न समाती थी। • कान खड़े होना ( सचेत या चौकन्ना होना): पुलिस को आते देखकर चोर के कान खड़े हो गए। • जमीन में गड़ना ( शर्मिंदा होना) : सीमा परीक्षा में चोरी कर रही थी। जब शिक्षिका ने उसे पकड़ा तो ऐसा लगा कि अब वह जमीन में गड़ जाएगी। • नाक कटना ( बेइज्जत होना) : भरी सभा में नेताजी की नाक कट गई। • हाथ फैलाना ( माँगना): दूसरों के आगे हाथ फैलाना ठीक नहीं है। मुँह फुलाना (गुस्सा होना): रुपये न मिलने से अनिता मुँह फुलाए बैठी है। सुदर्शन जी की निम्नलिखित कौनसी कहानी है *?सुदर्शन १९४५ में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। उनकी रचनाओं में हार की जीत, सच का सौदा, अठन्नी का चोर, साईकिल की सवारी, तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
सुदर्शन जी ki प्रथम कहानी कौनसी है *?"हार की जीत" पंडित जी की पहली कहानी है और १९२० में सरस्वती में प्रकाशित हुई थी। मुख्य धारा के साहित्य-सृजन के अतिरिक्त उन्होंने अनेकों फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे हैं।
सुदर्शन जी का मूलनाम क्या है?Answer. Answer: सुदर्शन जी का मूल नाम बदरीनाथ है।
सुदर्शन का पूरा नाम क्या है?
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