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श्री कृष्ण ने किया था एकलव्य का वध, मगर क्योंएकलव्य अकेले सैकड़ों यादववंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युद्ध में कृष्ण ने एकलव्य का वध किया था। उसका पुत्र केतुमान भीम के हाथ मारा गया था। एकलव्य की कुशलता महाभारत काल में प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था। उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य की शक्ति मगध, हस्तिनापुर, मथुरा, चेदि और चंदेरी आदि बड़े राज्यों के समकक्ष थी। पांच वर्ष की आयु से ही एकलव्य की रुचि अस्त्र-शस्त्र में थी। युवा होने पर एकलव्य धनुर्विद्या की उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था। उस समय धनुर्विद्या में गुरु द्रोण की ख्याति थी, पर वे केवल विशेष वर्ग को ही शिक्षा देते थे। पिता हिरण्यधनु को समझा-बुझाकर एकलव्य आचार्य द्रोण से शिक्षा लेने के लिए उनके पास पहुंचा, पर द्रोण ने दुत्कार कर उसे आश्रम से भगा दिया।एकलव्य हार मानने वालों में से न था। वह बिना शस्त्र-शिक्षा प्राप्त किए घर वापस लौटना नहीं चाहता था। इसलिए उसने वन में आचार्य द्रोण की एक प्रतिमा बनाई और धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। शीघ्र ही उसने धनुर्विद्या में निपुणता प्राप्त कर ली। एक बार द्रोणाचार्य अपने शिष्यों और एक कुत्ते के साथ उसी वन में आए। उस समय एकलव्य धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे। कुत्ता एकलव्य को देख भौंकने लगा। कुत्ते के भौंकने से एकलव्य की साधना में बाधा पड़ रही थी, इसलिए उसने अपने बाणों से कुत्ते का मुंह बंद कर दिया। एकलव्य ने इस कौशल से बाण चलाए थे कि कुत्ते को किसी प्रकार की चोट नहीं लगी। कुत्ता द्रोण के पास भागा। गुरु द्रोण और शिष्य ऐसी श्रेष्ठ धनुर्विद्या देख आश्चर्य में पड़ गए। वे उस महान धुनर्धर की खोज में लग गए। अचानक उन्हें एकलव्य दिखाई दिया। साथ ही अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के वचन की याद भी हो आई। द्रोण ने एकलव्य से पूछा- तुमने यह धनुर्विद्या किससे सीखी? इस पर उसने द्रोण की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर इशारा किया। द्रोण ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में एकलव्य के दाएं हाथ का अगूंठा मांग लिया। एकलव्य ने साधनापूर्ण कौशल से बिना अंगूठे के धनुर्विद्या में पुन : दक्षता प्राप्त कर ली। पिता की मृत्यु के बाद वह श्रृंगबेर राज्य का शासक बना और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार करने लगा। वह जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर आक्रमण कर कृष्ण की सेना का सफाया करने लगा। सेना में हाहाकार मचने के बाद श्रीकृष्ण जब स्वयं उससे लड़ाई करने पहुंचे, तो उसे सिर्फ चार अंगुलियों के सहारे धनुष-बाण चलाते हुए देखा, तो उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। चूंकि वह मानवों के नरसंहार में लगा हुआ था, इसलिए कृष्ण को एकलव्य का संहार करना पड़ा। एकलव्य अकेले ही सैकड़ों यादव वंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युद्ध में कृष्ण ने छल से एकलव्य का वध किया था। उसका पुत्र केतुमान महाभारत युद्ध में भीम के हाथ से मारा गया था।जब युद्ध के बाद सभी पांडव अपनी वीरता का बखान कर रहे थे तब कृष्ण ने अपने अर्जुन प्रेम की बात कबूली थी। कृष्ण ने अर्जुन से स्पष्ट कहा था कि “तुम्हारे प्रेम में मैंने क्या-क्या नहीं किया है। तुम संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाओ इसके लिए मैंने द्रोणाचार्य का वध करवाया, महापराक्रमी कर्ण को कमजोर किया और न चाहते हुए भी तुम्हारी जानकारी के बिना भील पुत्र एकलव्य को भी वीरगति दी ताकि तुम्हारे रास्ते में कोई बाधा ना आए”। कथासार : लगातार अभ्यास से असंभव लगने वाले लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है। Edited By: Preeti jha श्रीकृष्ण को कैसे प्राप्त हुआ सुदर्शन चक्र? सबसे पहले इनका किया था वधBy मेघना वर्मा | Published: May 28, 2020 10:41 AM2020-05-28T10:41:01+5:302020-05-28T10:41:01+5:30 धार्मिक ग्रथों में सुदर्शन चक्र को सबसे विनाशक हथियारों में गिना जाता है। श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्र से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं।श्रीकृष्ण को कैसे प्राप्त हुआ सुदर्शन चक्र? सबसे पहले इनका किया था वधNext Highlightsजब दैत्यों का अत्याचार बढ़ गया तो सभी देवी देवता परेशान थे।भगवान विष्णु ने जब श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया तो उनके पास यह चक्र था। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। भगवान विष्णु का नाम चक्रधर भी था। इसका कारण उनकी उंगलियों पर दिखने वाला सुदर्शन चक्र था। सुदर्शन चक्र के विषय में बताया जाता है कि यह चक्र अमेघ है। जिस पर भी इसका प्रहार होता है उसका अंत जरूर होता है। हिन्दू धर्म में सभी देव-देवताओं के पास अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं। जिनके पीछे की कई कहानियां बताई जाती हैं। धार्मिक ग्रथों में सुदर्शन चक्र को सबसे विनाशक हथियारों में गिना जाता है। श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्र से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं। कहते हैं श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु से प्राप्त हुआ था। यह सुदर्शन चक्र भगवान कृष्ण के पास कहां से आया और किस प्रकार उनका अस्त्र बना, पढ़िए इससे जुड़ा प्रसंग हर चीज को खोजने में है सक्षमभगवान श्रीकृष्ण, विष्णु भगवान के आठवें अवतार माने जाते हैं। भगवान विष्णु के पास से ही ये सुदर्शन चक्र भगवान श्रीकृष्ण के पास पहुंचा। बताया जाता है कि ये सुदर्शन चक्र किसी भी चीज को खोज पाने में सक्षम है। इसे श्रीकृष्ण दुर्जनों का संहार किया करते थे। भगवान शिव ने किया था इसका निर्माणभगवात पुराण की मानें तो सुदर्शन चक्र को कुछ सबसे विध्वंसक अस्त्रों में गिना जाता है। मगर विष्णु भगवान ने नहीं बल्कि भगवान शिव ने किया था। इसके निर्माण के बाद शिव ने ये चक्र भगवान विष्णु को दिया था। इस विषय में शिवर पुराण के कोटि युद्ध संहिता में एक कथा मिलती है। जरासंध को किया था पराजितभगवान विष्णु ने जब श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया तो उनके पास यह चक्र था। बताया जाता है कि इन्होंने जरासंध को पराजित किया था। सिर्फ यही नहीं शिशुपाल का वध भी इसी चक्र से किया गया था। बताया जाता है कि जब श्री कृष्ण अवतार में यह चक्र भगवान श्रीकृष्ण को परशुराम जी से प्राप्त हुआ था क्योंकि रामावतार में परशुराम जी को भगवान राम ने चक्र सौंप दिया था। कृष्णावतार में वापस करने के लिए कहा था। ऐसे हुआ सुदर्शन चक्र प्राप्तजब दैत्यों का अत्याचार बढ़ गया तो सभी देवी देवता परेशान थे। सभी मिलकर भगवान विष्णु के पास गए। फिर भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की आराधना करने लगे। विष्णु भगवान ने उनके हजार नामों से स्तुति की। हर नाम पर कमल का फूल शिव को चढ़ाते जाते। भगवान शिव ने विष्णु भगवान की परीक्षा के लिए उनका एक कमल का फूल छिपा दिया। जब विष्णु भगवान उसे ढू्ंढने लगे और उन्हें वो नहीं मिला तो उन्होंने अपनी आंखे निकालकर भगवान शिव को अर्पित कर दीं। उनकी भक्ति देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान मारने को कहा। तब विष्णु ने दैत्यों को समाप्त करने वाला अजेय शस्त्र मांगा। जिसके बाद भगवान शंकर ने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र दिया। Web Title: how did krishna get sudarshan chakra, vishnu sudarshan chakra story puran hindiपूजा पाठ से जुड़ी हिंदी खबरों और देश दुनिया खबरों के लिए यहाँ क्लिक करे. यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा लाइक करेसंबंधित खबरेंश्री कृष्ण ने किसका वध कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था?महाभारत में श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध किया था। शिशुपाल चेदि राज्य के स्वामी दमघोष और श्रीकृष्ण की बुआ श्रुतश्रवा का पुत्र था।
श्री कृष्ण ने किसका वध किया था?हालांकि भगवान कृष्ण ने यूं तो कई असुरों का वध किया जिनमें ताड़का, पूतना, शकटासुर, कालिया, नरकासुर आदि का वध किया था जिनकी उनसे कोई शत्रुता नहीं थी और वे असुर भी कोई शत्रुता नहीं रखते थे। वे सभी क्रूर थे और जनता उनसे त्रस्त थी।
भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र कैसे प्राप्त हुआ?तब विष्णु ने उस फूल की पूर्ति के लिए अपना एक आंख निकालकर शिव को अर्पित कर दिया। विष्णु की भक्ति देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब विष्णु ने दैत्यों को समाप्त करने के लिए एक अजेय शस्त्र का वरदान मांगा। जिसके बाद भगवान शंकर ने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र प्रदान किया।
सुदर्शन चक्र किसका था?सुदर्शन चक्र भगवान श्री विष्णु का अंश तथा शस्त्र है। इसको उन्होंने स्वयं तथा उनके कृष्ण अवतार ने धारण किया है। किंवदंती है कि इस चक्र को विष्णु ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या कर के प्राप्त किया था। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक असुरों ( दानव , दैत्य और राक्षस ) का वध किया था।
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