सऊदी अरब किसका गुलाम रहा है? - saoodee arab kisaka gulaam raha hai?

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सऊदी अरब को बनाने के लिए सऊद के संघर्ष की कहानी क्या है

  • अक़ील अब्बास जाफ़री
  • रिसर्चर व इतिहासकार, कराची

28 फ़रवरी 2022

सऊदी अरब किसका गुलाम रहा है? - saoodee arab kisaka gulaam raha hai?

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19वीं सदी में मदीना शहर का दृश्य

सऊदी अरब में 22 फ़रवरी को सऊदी अरब का स्थापना दिवस मनाया गया. असल में, यह साल 1727 में मोहम्मद बिन सऊद द्वारा पहले सऊदी राज्य की स्थापना का उत्सव है.

इस मौक़े पर कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने बधाई संदेश जारी किए. इस आलेख में हम पढ़ेंगे कि सऊदी अरब की स्थापना कैसे और किन परिस्थितियों में हुई.

सऊदी अरब को मज़हब के लिहाज से इस्लामिक दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण देश माना जाता है.

इस देश के संस्थापक वैसे तो शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद हैं जिनका जन्म 15 जनवरी, 1877 को हुआ था. लेकिन इस राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, जब 1725 में अल सऊद के मुखिया अमीर सऊद बिन मोहम्मद बिन मकरन का देहांत हुआ.

उस समय नजद में छोटे-छोटे राज्य थे और हर राज्य का अलग शासक होता था. अमीर सऊद बिन मोहम्मद के चार बेटे थे. उन्होंने संकल्प लिया था कि वो नजद में एक सऊदी राज्य स्थापित करेंगे.

अमीर सऊद बिन मोहम्मद के सबसे बड़े बेटे का नाम मोहम्मद बिन सऊद था. वह दिरियाह के शासक बने और उन्होंने शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मदद से दिरियाह में अपना शासन स्थापित किया और धीरे-धीरे इसे मज़बूत करना शुरू कर दिया.

शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब नजद के एक प्रसिद्ध विद्वान थे और मुसलमानों की मान्यताओं में सुधार करने की कोशिश में लगे हुए थे.

ऐतिहासिक संदर्भों में यह दावा किया जाता है कि मोहम्मद बिन सऊद और शेख़ मोहम्मद अब्दुल वहाब के बीच साल 1745 में एक ऐतिहासिक मुलाक़ात हुई थी जिसमें उन दोनों ने तय किया था कि अगर मोहम्मद बिन सऊद कभी नजद और हिजाज में अपनी सत्ता स्थापित करने में सफल हुए तो वहां शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मान्यताओं को लागू करेंगे.

साल 1765 में शहज़ादा मोहम्मद और 1791 में शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मृत्यु हो गई. उस समय तक अरब द्वीप के ज़्यादातर इलाक़े पर अल सऊद का शासन स्थापित हो गया था.

शहज़ादा मोहम्मद के बाद, इमाम अब्दुल अज़ीज़ क्षेत्र के शासक बने, लेकिन साल 1803 में उनकी हत्या कर दी गई. इमाम अब्दुल अज़ीज़ के बाद उनके बेटे सऊद शासक बने, और साल 1814 में उनकी मृत्यु हो गई.

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19वीं सदी में मक्का शहर से आने वाला एक कारवां

रियाद कब और कैसे राजधानी बना?

सऊद के बेटे अब्दुल्लाह एक महान धार्मिक विद्वान भी थे. उनके शासनकाल के दौरान उनके क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा उनके हाथों से निकल गया और दिरियाह ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में आ गया.

इमाम अब्दुल्लाह को बंदी बना लिया गया और उन्हें इस्तांबुल ले जाकर सज़ा-ए-मौत दे दी गई.

लेकिन जल्द ही उनके भाई मशारी बिन सऊद अपना राज्य वापस लेने में सफल हो गए, लेकिन वह लंबे समय तक शासन नहीं कर सके और उनका राज्य दोबारा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में चला गया.

इसके बाद, उनके भतीजे शहज़ादा तुर्की बिन अब्दुल्लाह रियाद पर क़ब्ज़ा करने में सफल हुए. यहां उन्होंने साल 1824 से 1835 तक शासन किया.

अगले कई दशकों तक अल सऊद की क़िस्मत का सितारा उगता और डूबता रहा और द्वीप नुमा सऊदी अरब पर नियंत्रण के लिए मिस्र, ऑटोमन साम्राज्य और अन्य अरब क़बीलों में टकराव होता रहा. अल सऊद के एक शासक इमाम अब्दुल रहमान थे जो 1889 में बेअत (उनके प्रति निष्ठा की शपथ) लेने में सफल रहे.

इमाम अब्दुल रहमान के बेटे शहज़ादा अब्दुल अज़ीज़ एक साहसी व्यक्ति थे और साल 1900 में उन्होंने अपने पिता के जीवित रहते हुए ही, उनके खोए हुए साम्राज्य को वापस लेने और उसके विस्तार की कोशिशें शुरू कर दीं.

साल 1902 में उन्होंने रियाद शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया और इसे अल सऊद की राजधानी घोषित कर दिया. अपनी विजय का सिलसिला जारी रखते हुए उन्होंने अल-एहसाई, क़ुतैफ़ और नजद के कई क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया.

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13 अक्टूबर, 1924 को शाह अब्दुल अज़ीज़ ने मक्का पर भी क़ब्ज़ा कर लिया

मक्का और मदीना पर क़ब्ज़ा

ऑटोमन साम्राज्य के आख़िरी दौर में हिजाज (जिसमें मक्का और मदीना के क्षेत्र शामिल थे) पर शरीफ़ मक्का हुसैन का शासन था जिन्होंने 5 जून, 1916 को तुर्की के ख़िलाफ़ विद्रोह की घोषणा कर दी. हुसैन को न केवल अरब के विभिन्न क़बीलों का बल्कि ब्रिटेन का भी समर्थन प्राप्त था. 7 जून, 1916 को, शरीफ़ मक्का हुसैन ने हिजाज की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.

21 जून को मक्का पर उनका क़ब्ज़ा पूरा हुआ और 29 अक्टूबर को उन्होंने औपचारिक रूप से ख़ुद को पूरे अरब का शासक घोषित कर दिया. साथ ही, उन्होंने सभी अरबों से कहा कि वो तुर्कों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा करें. 15 दिसंबर, 1916 को ब्रिटिश सरकार ने हुसैन को हिजाज के बादशाह के रूप में मान्यता देने की घोषणा कर दी.

इसी बीच, अमीर अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने पूर्वी अरब के एक बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया और 26 दिसंबर, 1915 को ब्रिटेन के साथ दोस्ती का एक समझौता भी कर लिया. 5 सितंबर, 1924 को उन्होंने हिजाज को भी जीत लिया.

लोगों ने अमीर अब्दुल अज़ीज़ का साथ दिया और शरीफ़ मक्का शाह हुसैन ने सरकार से इस्तीफ़ा दे कर अपने बेटे अली को हिजाज का बादशाह बना दिया. लेकिन अमीर अब्दुल अज़ीज़ के बढ़ते क़दमों के कारण उन्हें भी अपना तख़्त छोड़ना पड़ा.

13 अक्टूबर, 1924 को शाह अब्दुल अज़ीज़ ने मक्का पर भी क़ब्ज़ा कर लिया. इस दौरान शाह अब्दुल अज़ीज़ लगातार आगे बढ़ रहे थे.

5 दिसंबर, 1925 को उन्होंने मदीना की सत्ता भी हासिल कर ली. 19 नवंबर, 1925 को शरीफ़ मक्का अली ने पूरी तरह से सत्ता छोड़ने की घोषणा की और इस तरह जेद्दा पर भी अल सऊद का क़ब्ज़ा हो गया. 8 जनवरी, 1926 को हिजाज के बादशाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने एक विशेष समारोह में नजद और हिजाज का पूरा नियंत्रण संभालने की घोषणा कर दी.

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इतना तेल निकला कि वे विशेषज्ञ भी दंग रह गए

20 मई, 1927 को, ब्रिटेन ने क़ब्ज़े वाले सभी क्षेत्रों पर जो उस समय हिजाज और नजद कहलाते थे, अब्दुल अज़ीज़ बिन सऊद के शासन को मान्यता दी. 23 सितंबर, 1932 को शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन सऊद ने हिजाज और नजद के साम्राज्य का नाम बदलकर 'अल-मुमालिकत-अल-अरबिया-अल-सऊदिया' (सऊदी अरब) करने की घोषणा कर दी.

शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने जल्द ही अपने राज्य को इस्लामी रंग में ढाल दिया. दूसरी ओर, उनकी ख़ुश-क़िस्मती से सऊदी अरब में तेल भंडार होने का पता चला. साल 1933 में शाह अब्दुल अज़ीज़ ने कैलिफ़ोर्निया पेट्रोलियम कंपनी के साथ तेल निकालने का समझौता किया.

पहले कुछ वर्ष कोशिशों में बीत गए, लेकिन साल 1938 में जब कैलिफ़ोर्निया पेट्रोलियम कंपनी के विशेषज्ञ नाकाम होकर वापस लौटने ही वाले थे कि अचानक एक कुएं से ख़ज़ाना उबल पड़ा और इतना तेल निकला कि वे विशेषज्ञ भी दंग रह गए.

अब इतिहास के एक नए युग की शुरुआत हुई. यह घटना न केवल सऊदी शासकों और कैलिफ़ोर्नियाई कंपनी के लिए बल्कि पूरे अरब द्वीप के लिए एक चमत्कार थी. तेल की खोज ने सऊदी अरब को ज़बर्दस्त आर्थिक स्थिरता दी और वहां में ख़ुशहाली आ गई.

9 नवंबर, 1953 को शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद का निधन हो गया.

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शाह अब्दुल अज़ीज़

जन्नत अल-बक़ी का विध्वंस

अपने शासनकाल के दौरान शाह अब्दुल अज़ीज़ ने सऊदी अरब को दुनिया की एक महान शक्ति में बदल दिया, लेकिन धार्मिक लिहाज़ से कुछ ऐसे क़दम भी उठाए जिससे इस्लामी दुनिया के एक बड़े हिस्से में अशांति फैल गई.

उन्होंने अपने राज्य को शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मान्यताओं के अनुसार बनाया और बिदअत (जो चीज़ें इस्लाम में बाद में जोड़ी गई) को ख़त्म कर दिया. उनके समय में ही मदीना में इस्लामी दुनिया के मुक़द्दस क़ब्रिस्तान जन्नत-उल-बक़ी को भी तोड़ दिया गया था.

बक़ी उस जगह को कहते हैं जहां जंगली पेड़ पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं और चूंकि इस क़ब्रिस्तान की जगह में पहले कंटीली झाड़ियां और कांटे ऊसज यानी ग़रक़द के पेड़ बहुत ज़्यादा थे, इसलिए इस क़ब्रिस्तान का नाम भी बक़ी (ग़रक़द) पड़ गया.

इस क़ब्रिस्तान में इस्लाम के पैगंबर के समय से मुसलमानों को दफ़नाने का सिलसिला शुरू हो गया था. इस क़ब्रिस्तान में दफ़नाए जाने वाले पहले सहाबी (पैगंबर-ए-इस्लाम के साथी) हज़रत उस्मान बिन मज़ऊन थे. उनके बाद इस क़ब्रिस्तान में हज़ारों लोगों को दफ़नाया गया.

शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने जन्नत-अल-बक़ी में मौजूद सभी गुंबदों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. ये घटना 21 अप्रैल 1926 की है. जन्नत-अल-बक़ी के विध्वंस पर इस्लामिक दुनिया ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

इस समय, पूरे क़ब्रिस्तान को एक मैदान में बदल दिया गया है, हालांकि, मदीना जाने वाले तीर्थयात्री अभी भी जन्नत-अल-बक़ी के दर्शन ज़रूर करते हैं.

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सऊदी किसका गुलाम था?

अब ये वर्तमान परिस्थिति है और इससे आपको निपटना है.

सऊदी अरब में किसका राज है?

वर्तमान राजा मोहम्मद बिन सलमान २१ जून २०१७ को सउदी अरब के नए शासक बने।

सऊदी अरब के प्रधानमंत्री राजा कौन है?

राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान को मंगलवार को सऊदी अरब का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। वह सऊदी अरब के राजा सलमान बिन अब्दुल अजीज के उत्तराधिकारी हैं। वहीं, उनके दूसरे बेटे राजकुमार खालिद को मुल्क का रक्षा मंत्री बनाया गया है।

सऊदी अरब के शासक को क्या कहा जाता है?

रियाद, रायटर: सऊदी अरब के शासक किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ने मंगलवार को एक शाही फरमान जारी कर अपने बेटे और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को देश का प्रधानमंत्री और दूसरे बेटे प्रिंस खालिद को रक्षा मंत्री बनाया है। इनके अलावा एक अन्य बेटे प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान को ऊर्जा मंत्री बनाया है।