आज के लेख में हम सीखेंगे स्वर और व्यंजन की परिभाषा, स्वरुप, वर्गीकरण और विशेषता। इन्हीं से अन्य महत्वपूर्ण विषय के बारे में भी जानेंगे। ध्यान पूर्वक इस लेख को अंत तक अवश्य करें ताकि इस विषय के पर आपको संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। Show
स्वर और व्यंजन की परिभाषा – Swar aur Vyanjan ki paribhasha
प्रश्न – स्वर और व्यंजन ध्वनियों का स्वरूप स्पष्ट करते हुए हिंदी की स्वर ध्वनियों का वर्गीकरण कीजिए . उत्तर विंदुवार क्रम से निम्ननलिखित है –
स्वरस्वर में ध्वनियों का वर्ण है जिसके उच्चारण से मुख विवर सदा कम या अधिक खुलता है , स्वर के उच्चारण के समय बाहर निकलती हुई श्वास वायु मुख विवर से कहीं भी रुके बिना बाहर निकल जाती है . इसकी विशेषताएं क्या क्या है अब उस पर ध्यान दीजिए – स्वर की विशेषता ( Swar ki Visheshta )
व्यंजनव्यंजनों के उच्चारण में स्वर यंत्र से बाहर निकलती श्वास वायु मुख – नासिका के संधि स्थूल या मुख – विवर में कहीं न कहीं अवरुद्ध होकर मुख या नासिका से निकलती है। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं – व्यंजनों की विशेषता ( Vyanjan ki Visheshta )
स्वरों का वर्गीकरणअब हम स्वरों के वर्गीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। १ मात्रा के आधार परमात्रा के आधार पर स्वरों को तीन वर्गों में बांटा जाता है – ह्रस्व , दीर्घ , प्लुत।
२ मुख कुहरइस आधार पर स्वरों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है – विवृत , इष्यत विवृत , संवृत , इष्यत संवृत ,
३ जिह्वा की स्थिति के आधार परजब स्वरों का उच्चारण किया जाता है तो जीवा अग्र , मध्य , पश्च की स्थिति में होती है।
४ ओष्ठ के आधार पर –ओष्ठ के आधार पर भी स्वरों का वर्गीकरण किया जाता है। ओष्ठ को दो वर्ग में विभजि किया गया है अवृत्तमुखी , वृतमुखी
५ अनुनासिकता के आधार परस्वरों के उच्चारण में जब मुख विवर से पूरी तरह से स्वांस निकल जाए तब अनुनासिकता कहलाते हैं।अनुनासिकता दो प्रकार के है –
Swar aur vyanjan in hindi
व्यंजन के आधार पर वर्गीकरणहिंदी व्याकरण में व्यंजनों की संख्या ३३ मानी गयी है। व्यंजनों का अध्ययन ३ बहगों में किया जाता है स्पर्श व्यंजन , अन्तः स्थ व्यंजन , उष्म/संघर्षी। स्पर्श व्यंजन –जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ों से निकलते हुए मुंह के किसी स्थान विशेष कंठ , तालु , मूर्धा , दात या होंठ का स्पर्श करते हुए निकले।
अन्तः स्थ व्यंजनजिन वर्णों का उच्चारण पारंपरिक वर्णमाला के बीच अर्थात स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित हो। उष्म/संघर्षीजिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख से किसी स्थान विशेष पर घर्षण कर निकले वहां ऊष्मा , गर्मी पैदा करें , वह संघर्षी व्यंजन कहलाता है। श , सा। अयोग्यवाहक – अनुस्वार , विसर्ग परंपरा अनुसार अनुस्वार और विसर्ग स्वरों के साथ रखा जाता है किंतु यह स्वर ध्वनियां नहीं है क्योंकि इनका उच्चारण व्यंजनों के उच्चारण की तरह स्वर की सहायता से होता है। यह व्यंजन भी नहीं है क्योंकि इनकी गणना स्वरों के साथ होती है , और उन्हीं की तरह लिखने में इनके लिए मात्राओं का प्रयोग किया जाता है।
उपवाक्य
उदाहरण के लिए – ” वह लड़की चली गई जो शॉर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी। ” उपरोक्त वाक्य में ‘ वह लड़की चली गई ‘ प्रधान वाक्य है। ‘ जो शॉर्ट स्कर्ट पहनी थी ‘ आश्रित उपवाक्य है।
अयोगवाहअं , अः को अयोगवाह क्यों कहते हैं ? क्योकि इनमे आधारभूत अंतर इनमे अनुस्वर और विसर्ग का मिश्रण है। अनुस्वर और विसर्ग को स्वर के साथ रखा जाता है किन्तु ये स्वर ध्वनियाँ नहीं है क्योंकि इनका उच्चारण व्यंजनों के साथ स्वर की सहायता से किया जाता है। और ये व्यंजन भी नहीं है क्योंकि इनकी गणना परंपरागत रूप से स्वर में किया जाता है। आसान शब्दों में – अनुस्वर और विसर्ग लिखने की दृष्टि से स्वर एवं उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन होते है इसलिए इन्हे ‘ अयोग ‘ कहा जाता है। किन्तु यह अर्थ का वहन करते हैं इसलिए इन्हे ‘ अयोगवाह ‘ कहा जाता है।
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कुछ शब्दआशा है आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पसंद आया होगा और आपको स्वर और व्यंजन के विषय पर अच्छी जानकारी प्राप्त हुई होगी। इस लेख को पढ़ने के बाद आपके मन में कोई सवाल हो तो आप मुझे नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते हैं। हम जल्द से जल्द उत्तर देने का प्रयास करेंगे। अगर आपको इस लेख में कुछ पसंद ना आया हो या फिर किसी प्रकार की त्रुटि लगी हो तो उसे भी आप हमें जरूर बताएं ताकि हम उसे जल्दी से जल्दी सही कर सके। स्वर तथा व्यंजन में क्या अंतर होता है?1. स्वर वर्ण के उच्चारण में किसी दूसरे वर्ण की सहायता नही ली जाती है जबकि व्यंजन वर्ण के उच्चारण में स्वर वर्ण की सहायता ली जाती है । 2. स्वर वर्णो की संख्या 11 होती है जबकि व्यंजन वर्णो की संख्या 41 होती है ।
स्वर या व्यंजन कितने होते हो?हिंदी में वर्णों (स्वर और व्यंजन) की कुल संख्या 52 है, जिसमें 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। इन वर्णों के व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं।
स्वर और व्यंजन कौन कौन से होते हैं?आधुनिक हिंदी भाषा में अब स्वरों (vowels) की संख्या 11 है. अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ. व्यंजनों (consonants)की संख्या 33 है – क ख ग घ ड़, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह ।
स्वर किसे कहते हैं और क्यों?स्वर (vowel) उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि।
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