संविधान सभा में कौन कौन सी महिलाएं थी? - sanvidhaan sabha mein kaun kaun see mahilaen thee?

Constitution Of India GK In Hindi: हम सभी जानते हैं कि भारत के संविधान का निर्माता डॉ भीम राव अंबेडकर को कहा जाता है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि सन् 1950 में लागू हुए इस संविधान के निर्माण में 389 लोग जुड़े हुए थे, जिसमें से 15 महिलाएं थी। आज हम आपको बताएंगे इन 15 महिलाओं के बारे में।सुचेता कृपलानी
संविधान निर्माण में योगदान देने वाली सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थी। इनका जन्‍म 25 जून 1904 को हरियाणा के अंबाला शहर में हुआ था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी में महिला शाखा का निर्माण किया था, सुचेता कृपलानी ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

मालती चौधरी
संविधान सभा की सदस्‍य मालती चौधरी का जन्म पूर्वी बंगाल में हुआ था, वे उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नाबकृष्ण चौधरी की पत्नी थी। मालती चौधरी ने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया था। भारतीय राष्ट्रीय में कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस समाजवादी कर्म संघ की स्थापना की थी।

विजयलक्ष्मी पंडित
18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद में जन्मी पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित भी संविधान निर्माण कमेटी की सदस्य थी। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत इलाहाबाद नगर-निगम चुनाव के साथ की थी। 1931 में विजयलक्ष्मी संयुक्त प्रांत सदन के लिए चुनी गई थी, जबकि उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। वे ऐसी पहली महिला थी जिन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
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सरोजिनी नायडू
देश की पहली महिला के तौर पर राज्‍यपाल का पद संभालने वाली सरोजनी नायडू का जन्‍म 23 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। इन्‍होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई थी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी। नायडू संविधान सभा के उन सदस्यों में शामिल थी। जिन्होंने संविधान का निर्माण किया था।

राजकुमारी अमृत कौर
कपूरथला के पूर्व महाराजा हरनाम सिंह की पुत्री राजकुमारी अमृत कौर भी संविधान सभा की सदस्‍य थी। उनका जन्म 2 फरवरी 1889 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था, इन्‍होंने ही देश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान की स्थापना की थी और करीब 10 साल तक देश की स्वास्थ्य मंत्री रही।

लीला रॉय
संविधास भा की सदस्‍य लीला रॉय का जन्‍म असम के गोलपाड़ा जिले में 2 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उन्होंने 1923 में दीपाली संघ और स्कूलों की स्थापना कर देशभर में चर्चा पायी थी। 1937 में वह कांग्रेस में शामिल हो गई, खास बात यह है कि उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बनाई गई महिला समिति में सदस्य बनाया गया था।

बेगम एजाज रसूल
संविधान सभा के सदस्यों में बेगम एजाज रसूल एक मात्र मुस्लिम महिला थी। उनका जन्म 2 अप्रैल 1909 को हुआ था। जिनका पूरा नाम बेगम कदसिया ऐजाज रसूल था। वह मुस्लिम लीग की सदस्य थी, बाद में जब मुस्लिम लीग भंग हुई तो वह कांग्रेस में शामिल हो गई। बेगम एजाज रसूल उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य, राज्यसभा की सदस्य रही।
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कमला चौधरी
लखनऊ के प्रतिष्ठित परिवार में 22 फरवरी 1908 को जन्मी कमला चौधरी भी संविधान सभा की सदस्य थी। वे एक प्रसिद्ध लेखिका थी। कमला चौधरी महात्मा गांधी से जुड़ी हुई थी, वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य थी, जबकि लोकसभा के सदस्य भी चुनी गई थी, उन्होंने अपनी कहानियों के जरिए महिलाओं को समाज में आगे लाने का काम किया था।

हंसा मेहता
हंसा मेहता स‍ंविधान निर्माण में अपना योगदान देने के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र से भी जुड़ी हुई थी। उनका जन्म 3 जुलाई 1887 को बड़ौदा में हुआ था, वे बड़ौदा के दीवान नंदशंकर मेहता की बेटी थी। वह 1945-46 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं। बाद में उन्हें संविधान सभा का सदस्य बनाया गया था।

रेनुका रे
आईसीएस अधिकारी संतीष चंद्र मुखर्जी और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की सदस्य चारूलता मुखर्जी की बेटी थी रेनुका रे पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्य और मंत्री रहीं। उन्होंने ही बंगाल में अखिल बंगाल महिला संघ और महिला समन्वयक परिषद का गठन किया था। रेनुका रे भी संविधान सभा की सदस्य थी।

दुर्गाबाई देशमुख
असहयोग आंदोलन में 12 साल की उम्र में जुड़ने वाली दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी में हुआ था। वे महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह का हिस्सा थी। उन्होंने महिलाओं की आवाज उठाने के लिए आंध्र महिला सभा की स्थापना की थी। दुर्गाबाई देशमुख संसद के लिए चुनी गई थी।
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अम्मू स्वामीनाथन
केरल राज्य के पालघाट में 22 अप्रैल 1894 को जन्मी अम्मू स्वामीनाथन भारतीय संविधान सभा की सदस्य थी। जब संविधान सभा के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी, तब अम्मू स्वामीनाथन ने कहा था कि बाहरी लोग कहते हैं कि भारतीय महिलाओं को संविधान का अधिकार नहीं दिया जाता, लेकिन अब हम कह सकते हैं कि भारतीयों ने अपना संविधान खुद बनाया है जिसमें महिलाओं को बराबर का हक दिया गया है।

दकश्यानी वेलयुद्धन
अनुसूचित जातिवर्ग के लोगों की आवाज उठाने के लिए दकश्यानी वेलयुद्धन को जाना जाता है। संविधान सभा की सदस्यों में अनुसूचित जातिवर्ग से आने वाली वे एक मात्र महिला सदस्य थी। उनका जन्म कोचीन में बोल्गाटी द्वीप पर 4 जुलाई 1912 को हुआ था। वे कोचीन विधान परिषद की सदस्य भी रही थी।

पूर्णिमा बनर्जी
सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी पूर्णिमा बनर्जी भी संविधान सभा की सदस्य थी। समाजवादी विचारधारा से प्रेरित पूर्णिमा बनर्जी उत्तर प्रदेश में आजादी की लड़ाई के लिए बने महिलाओं के समूह की सदस्य थी। वे किसान की सभाओं, ट्रेड यूनियनों की व्यवस्था और ग्रामीणों से जुड़े मुद्दे उठाती थी।

एनी मसकैरिनी
तिरुवनंतपुरम में जन्मी एनी मसकैरिनी भी संविधान सभा की सदस्य थी। एनी मसकैरिनी त्रावणकोर राज्य में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थी। राजनीतिज्ञ गतिविधियों के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था। 1951 के आम चुनावों में वे लोकसभा सदस्य के रुप में चुनी गई थी।

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संविधान सभा की बैठक में कितनी महिलाएं थी?

बँटवारे के बाद कुल सदस्यों (389) में से भारत में 299 ही रह गए। जिनमे 296 चुने हुए थे। वहीं 70 मनोनीत थे। जिनमें कुल महिला सदस्यों की संख्या 15 , अनुसूचित जाति के 26, अनुसूचित जनजाति के 33 सदस्य थे।

संविधान सभा के महिला सदस्य कौन थी?

विभाजन के बाद, भारत की संविधान सभा में 299 प्रतिनिधि थे। इनमें प्रांतों के 229 सदस्य और देसी रियासतों के 70 सदस्य शामिल थे। कुल 15 महिला सदस्य थे।

संविधान सभा की पहली महिला कौन थी?

राजकुमारी अमृत कौर भी संविधान सभा की सदस्य थी. देश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी का भी संविधान के निर्माण में अहम योगदान था. 25 जून 1904 को हरियाणा के अंबाला शहर में जन्मी सुचेता कृपलानी ने 1942 में शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका अदा की थी.

संविधान सभा में एकमात्र दलित महिला कौन थी?

दक्श्यानी वेलायुद्धन का जन्म 1912 में कोचिन में हुआ. वे संविधान सभा की एकमात्र दलित महिला सदस्य थीं.