शुक्र नीच का हो तो क्या होता है? - shukr neech ka ho to kya hota hai?

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शुक्र ग्रह भोग और ऐश्वर्य के नजरिए से बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह है। अगर किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत है तो वह व्यक्ति को सब कुछ प्रदान कर देता है जिससे व्यक्ति का जीवन बड़े ही ऐश्वर्य के साथ व्यतीत होता है।

अक्सर लोग पूछते हैं कि अगर नीच का शुक्र कुंडली में हो तो उसका क्या उपाय करें। दोस्तों सबसे पहले मैं आपको बता दूं कुंडली में नीच का शुक्र 6 अंक की राशि यानी कन्या राशि में होता है।

अगर आप चाहें तो आप अपनी कुंडली खोल कर देख सकते हैं यदि आपकी कुंडली में शुक्र 6 अंक जहां पर लिखा है अगर उसकी राशि में स्थित है तो निश्चित ही आपका शुक्र नीच का है।

इसका अर्थ यह नहीं कि आपके जीवन में कभी ऐश्वर्य नहीं आएगा या सदैव ही आपको कष्ट भोगने पड़ेंगे। आज मैं आपको नीच के शुक्र के बारे में सभी प्रकार की जानकारी दूंगा और साथ ही साथ यह भी बताऊंगा कि किस प्रकार आप अपने नीच के शुक्र का उपाय करके उसे अच्छा परिणाम देने के लिए मजबूर कर सकते हैं इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

नीच का शुक्र के उपाय

अगर आपने यह जान लिया की आपकी कुंडली में शुक्र नीच का है तो अब आपको यह भी जानना होगा कि क्या आपको नीचे शुक्र का उपाय करने की जरूरत है या नहीं।

आपकी कुंडली में शुक्र अगर 3, 6, 8, और 12 भाव का स्वामी है तो फिर आपको नीच के शुक्र का उपाय करने के लिए बहुत ही सतर्क रहना होगा क्योंकि इन भावों के स्वामी का कमजोर होना हमारे लिए बुरा नहीं होता।

शुक्र नीच का हो तो क्या होता है? - shukr neech ka ho to kya hota hai?

अगर आपकी कुंडली में शुक्र महत्वपूर्ण भूमिका में है तो निश्चित ही आपको उसके उपाय करने चाहिए। इसके लिए हम आपको नीचे कुछ बेहतरीन उपाय बताने वाले हैं जिन्हें निश्चित तौर पर आपको करना चाहिए।

1. शुक्र के नीच होने की स्थिति में आपको कभी भी महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर आपका विवाह हो गया है तो अपनी पत्नी का कभी अपमान ना करें और अगर विवाह नहीं हुआ तो आपको अपने साथ काम करने वाली महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।

2. नीच के शुक्र के उपाय के लिए आपको श्रृंगार का सामान दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपके शुक्र को सकारात्मकता मिलेगी जिससे वह आपको शुभ परिणाम देने में सक्षम हो जाएगा।

3. किसी गरीब, असहाय बच्ची का विवाह कराने से भी आपके शुक्र की स्थिति बेहतर हो सकती है। अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो काम से काम उनको वस्त्र दान करें जिसे धारण करके उनका विवाह हो।

4. शुक्र के नीच होने से दांपत्य जीवन में समस्याएं बढ़ जाती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए आपको शुक्रवार के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

5. नीच का शुक्र होने से आपके जेब से पैसे चोरी होने की संभावना बनती है इसलिए आपको ज्यादा पैसा लेकर सफर नहीं करना चाहिए बल्कि आप अपने खाते में पैसा रखें और आवश्कता अनुसार उसका उपयोग करें।

6. देवी स्थल पर वस्त्र दान करने से शुक्र में शुभता आती है जिससे हमारा जीवन सरल होता है साथ ही साथ हम बड़ी ही कुशलता से रह पाते हैं।

7. शुक्र के नीच होने पर आपको नित्य प्रति दिन शुक्र के मंत्र का जप करना चाहिए जो आपके शुक्र को मजबूत करेगा साथ ही साथ आपके जीवन को ऐश्वर्य पूर्ण कर देगा।

शुक्र शुभ ग्रह होकर भोग और विलास का कारक ग्रह है और इस पृथ्वी पर जातक पांच कर्मेंद्रियों और पांच ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से सुखोपभोग करता है अर्थात जातक को कब, कितनी मात्रा में किस प्रकार का सुख उपलब्ध होगा, इसका निर्णय शुक्र की जन्म कुंडली में स्थिति देखकर किया जाता है।

बिगड़ा हुआ शुक्र जातक का जीवन ही व्यर्थ सिद्ध करता है, क्योंकि मनुष्य का जन्म ही कर्मों के फल भोगने हेतु होता है। यदि उसे जीवनपर्यंत अशुभ फल ही भोगने पड़ते हैं तो इस जीवन के कर्म भी अशुभ हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप वह पुनर्जन्म के बंधनों में जकड़न महसूस करता है। शुक्र का जन्म कुंडली में निम्न स्थितियों में जातक को अशुभ फल या अनिष्ट भोगना पड़ता है।

शुक्र से होते हैं यह अनिष्ट

(1) यदि जन्म कुंडली के किसी भी भाव में शुक्र वक्री, नीच राशि, शत्रु राशि में स्थित हो या पापी ग्रहों के युक्त या दुष्ट हो तो जातक को घर-वाहन, वैभव, स्त्री सुख से वंचित कर परस्त्रीगामी तथा यौन रोगों से ग्रस्त बनाता है।

(2) छठे या आठवें भाव में शुक्र किसी भी राशि में हो तो जातक कई प्रकार के रोग और शत्रुओं से ग्रस्त रहता है। छठे भाव में शुक्र होने से जातक दुराचार, डरपोक, सातवें भाव में शुक्र होने से परस्त्रीगामी और स्‍त्रियों के पीछे भागने वाला तथा उनसे अपमानित होता है।

(3) तृतीय भाव में स्थित शुक्र जातक को आलसी, कायर तथा अष्टमस्थ शुक्र जातक को क्रोधी, दुखी, पत्नी से पीड़ित तथा गुप्त रोगी बनाता है। पुरुष की जन्म कुंडली में शुक्र स्त्री जाति का प्रतिनिधित्व करता है अत: शुक्र से जितने पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट होता है, जातक के जीवन में उतनी ही स्त्रियों से हानिकारक और अपमानजनक संबंध होते हैं।

(4) किसी भी भाव का स्वामी होकर यदि उसके छठे या आठवें भाव में शुक्र हो तो उस भाव से संबंधित अशुभ फल प्राप्त होते हैं जबकि बारहवें भाव में स्थित शुक्र शुभ फल प्रदान करता है, क्योंकि बारहवां भाव व्यय भाव है तथा जातक अपने जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए ही व्यय करता है। अत: यदि बारहवां शुक्र शुभ ग्रहों से युक्त या दुष्ट होगा तो शुभ व्यसनों या कार्यों पर व्यय होता है अन्यथा नहीं।

(1) स्नानादि :- जायफल, मैनसिल, पीपरामूल, केसर, इलायची, मूली बीज, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि में जो सामग्री उपलब्ध हो उनके मिश्रित जल से स्नान करने से शुक्र से उत्पन्न अरिष्ट शांत होते हैं।

(2) पूजा-पाठ :- शुक्र का मंच, दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ, शतचंडी का पाठ, शुक्र स्तोत्र या कवच का पाठ, आचार्य शंकर कृत सौंदर्य लहरी के श्लोक का पाठ, इंद्राक्षी कवच, अन्नपूर्णा स्तोत्र, विवाह बाधा उत्पन्न होने पर कन्याओं को कामदेव मंत्र और पुरुषों को मोहिनी कवच का पाठ उत्तम फल प्रदान करता है। साथ ही श्रीसूक्त, लक्ष्मी कवच आदि का पाठ करते रहना चाहिए।

(3) रत्नादि :- शुक्र के अनिष्ट नाश और सुख प्राप्ति के लिए हीरा धारण किया जाता है। जरिकन युक्त शुक्र यं‍त्र धारण करने से पत्नी सुख, व्यापार और धन में वृद्धि होती है। कम से कम एक रत्ती हीरे को सात रत्ती सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। सोने के अभाव में हीरे को विचित्र रंग के वस्त्र में बांधकर गले या भुजा में धारण करना चाहिए। हीरे के अभाव में उसके उपरत्न संग कांसला, संग दुतला, संग कुरंज या संग तुरमुली को भी धारण किया जा सकता है। इनके अलावा चांदी अथवा सिंहपुच्छी नामक पौधे की जड़ को भी धारण करने से लाभ होता है। 

(4) अन्य उपाय : - सौभाग्यवती स्त्रियों को मिष्ठान्न भोजन, श्वेत रेशमी वस्त्र, चांदी के आभूषण आदि का दान करना। स्वर्ण या चांदी का दान। सफेद गुलाब के फूलों को जल में डालना, उड़द एवं घी का सेवन करना, सामान्यजन की सेवा करना, घी, दही, कपूर, अदरक आदि का दान या जल में प्रवाहित करना, गाय-बछड़े या भैंस का दान करना या गाय की भूसी या चारा दान करना, पत्नी का कहना मानना (स्त्रियों को प्रसन्न रखना), शरीर पर सुगंधित पदार्थ लगाना, फटी हुई पोशाक न पहनना और न किसी को पहनने देना (जली हुई भी नहीं) आदि सामान्य उपायों से शुक्र से उत्पन्न अनिष्ट शांत होते हैं। 

नीच का शुक्र क्या फल देता है?

नई दिल्ली: जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह नीच भाव का हो यानि कमजोर, तो ऐसे में शुक्र ग्रह से शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाते और जातक जीवन भर स्त्री सुख और धन के लिए संघर्ष करता रहता है.

शुक्र नीच का हो तो क्या करना चाहिए?

कमजोर शुक्र को मजबूत करने के उपाय - सप्ताह के प्रत्येक शुक्रवार को व्रत रखें और सफेद वस्तु जैसे दूध,मोती,दही,चीनी,आटा और दूध,घी आदि का दान करें। - शुं शुक्राय नम: या शुं शुक्राय नम:” का कम से कम 108 बार जाप करें। - गाय को रोज सुबह रोटी खिलाएं। - कभी भी महिलाओं का अपमान न करें।

नीच का शुक्र कब होता है?

गुरु मकर राशि में नीच के होते हैं। मकर राशि में 5 डिग्री पर जब गुरु आते हैं तो यह परम नीच हो जाते हैं। शुक्र कन्या राशि में नीच हो जाते हैं। यहां 27 डिग्री पर आ जाने पर शुक्र परम नीच कहलाते हैं।

शुक्र कमजोर होने के क्या लक्षण है?

लक्षण से जानिए शुक्र की स्थिति अगर जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। उसे भोग-विलास का मौका नहीं मिलता और जीवन में आराम से बैठना नसीब नहीं होता। कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है। उसका खाने-पीने, गीत-संगीत या भोग विलास में मन नहीं लगता।