शिक्षण और सीखने में आईसीटी के उपयोग से एक शिक्षक कैसे लाभान्वित हो सकता है? - shikshan aur seekhane mein aaeeseetee ke upayog se ek shikshak kaise laabhaanvit ho sakata hai?

शिक्षण और सीखने में आईसीटी के उपयोग से एक शिक्षक कैसे लाभान्वित हो सकता है? - shikshan aur seekhane mein aaeeseetee ke upayog se ek shikshak kaise laabhaanvit ho sakata hai?
"Share your Knowledge, It’s a way to achieve Immortality"

  • सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का शैक्षिक महत्व
    • शिक्षक के लिए शिक्षण कार्य में महत्व-
    • अधिगम कार्य में महत्वपूर्ण-
  • शिक्षक की ज्ञान वृद्धि हेतु ICT का उपयोग
    • शिक्षण कार्य की कार्यकुशलता में वृद्धि–
    • शिक्षण कार्य में सरलता-
    • गुणात्मक उन्नति में सहायक–
    • समय की बचत–
    • विशिष्टीकरण में सहायक–
    • प्रौद्योगिकी दूर शिक्षा (दूरस्थ शिक्षा) में सहायक–
    • महत्वपूर्ण लिंक

सूचना एवं संचार तकनीकी (ICT)

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का शैक्षिक महत्व

(Educational Importance of I.C.T)

  1. शिक्षक के लिए शिक्षण कार्य में महत्व-

    शिक्षा जगत में शिक्षण कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य है। जो शिक्षक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ज्ञाता है और वह अपने कार्य-क्षेत्र में इसको व्यवहार में लाता है वही शिक्षक अपने छात्रों को ठीक से समझ सकता है तथा अध्ययन कार्य को सफल बना सकता है। इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से वह अपने छात्रों के व्यवहार में महती परिवर्तन ला सकता है। यह प्रौद्योगिकी एक योग्य शिक्षक के अध्ययन अध्यापन की कला में सटीक रणनीति बनाने में सहायक सिद्ध होती है। सटीक रणनीति तैयार करके एक शिक्षक अपने शिक्षण कार्य को प्रभावशाली बना सकता है।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी एक सफल शिक्षक के लिए छात्रों को उनकी क्षमता तथा कुशलता के साथ अध्ययन कराने में; यथा—अभिक्रमित अध्ययन सामग्री पाठ्यक्रमों के प्रभावशाली शिक्षण हेतु नयी-नयी विधियाँ तैयार करने; जैसे—माइक्रो टीचिंग, सिम्युलेटेड टीचिंग, मिनी-टीचिंग के माध्यम अध्ययन कराने के लिए नवीन आधार प्रदान करते हैं, अर्थात् सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षण कार्य में एक शिक्षक के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है।

  1. अधिगम कार्य में महत्वपूर्ण-

    सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी सीखने (अधिगम) के क्षेत्र में अपनी विशेष भूमिका का निर्वाह कर रही है। यथा—छात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार सीखने के सिद्धान्तों का ज्ञान कराती है, विषय सामग्री को धरोहर के रूप में स्थायी बनाना तथा वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करना शिक्षण के नवीन प्रतिमान स्थापित करने में यह प्रौद्योगिकी विशिष्ट महत्व रखती है तथा साथ ही सिखाने और सीखने की रणनीति को अत्यन्त प्रभावी स्वरूप प्रदान करती है।

शिक्षक की ज्ञान वृद्धि हेतु ICT का उपयोग

(Use of I.C.T. to Increase the Teacher’s Knowledge)

व्यवहारिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचार करें तो हमें जान पड़ता है कि इस प्रौद्योगिकी के द्वारा एक तरफ शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को महत्व दिया गया है तथा दूसरी ओर शिक्षा का दायरा विस्तृत हुआ है। अध्यापकों के विषयगत उत्तरदायित्वों को पूरा करने में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है।

आधुनिक समय में अध्यापक, छात्र एवं शिक्षा के क्षेत्र से सम्बद्ध प्रत्येक व्यक्ति सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अभाव में अपनी ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा को तृप्त नहीं कर सकता। आधुनिक युग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग व्यापकता ग्रहण करता जा रहा है। हम देखते हैं कि आज प्रायः एक विषय विशेष पर अनेका लेखकों, विद्वानों के विचारों को सी. डी., फोन तथा इण्टरनेट के माध्यम से प्राप्त करक उक्त विषय पर पूर्ण रूप से विचार-विमर्श के आधार पर एक सिद्धान्त या नियम का निर्माण किया जाता है तथा उक्त विषय पर विस्तृत आधार प्रदान किया जाता है।

आज सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रभाव शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर पूरी तरह से सबको ज्ञात हो चुका है। वर्तमान में सीखने के सिद्धान्तों की अपेक्षा शिक्षण तकनीक के नियमों एवं सिद्धान्तों को अत्यधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

शिक्षण सिद्धान्तों के पूर्व के स्तर तथा उनसे सम्बन्धित तकनीकों को ही इस क्षेत्र में उजागर किया गया। यह खोजें सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सम्भव हो सकी हैं। अर्थात् यह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का ही परिणाम है।

कक्षा में अध्यापकों द्वारा छात्रों को पढ़ाने के लिए वर्तमान समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी किस स्तर तथा रूप में उपयोगी हो रही है उसका विस्तृत वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं-

  • शिक्षण कार्य की कार्यकुशलता में वृद्धि

    सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षण में विषय विशेष को कुशलतापूर्वक स्पष्ट करने का अवसर मिलता है। छात्र भी अध्ययन हेतु पूर्ण रूप से तैयार होते हैं तथा विषय को पूरे ध्यान से समझने की कोशिश करते हैं, जिससे शिक्षक की कुशलता का आभास होता है।

  • शिक्षण कार्य में सरलता-

    शिक्षण कार्य सरल हो जाता है। सूचना एवं संचार माध्यमों के द्वारा छात्र किसी भी विषय से सम्बन्धित ज्ञान विशेष को सी. डी., रेडियो, कम्प्यूटर इत्यादि के माध्यम से सरलता से अर्जित कर रहे हैं। अर्थात् शिक्षण कार्य में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से शिक्षण अधिगम को सरल बनाया गया जो वर्तमान में शिक्षण का एक आधार-स्तम्भ के रूप में उभर कर हमारे सामने आया है।

  • गुणात्मक उन्नति में सहायक

    शिक्षण में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से शिक्षण अधिगम में गुणात्मक सुधार हुआ है, आज पढ़ाने के स्तर में तरह-तरह के प्रयोग हो रहे हैं तथा उन्नति करने के अवसर बढ़ते ही जा रहे हैं।

  • समय की बचत

    शिक्षण अधिगम में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से पढ़ाने तथा अध्ययन कार्य कराने में समय की बचत अधिक हो रही है। प्रायः आज शिक्षण में तरह-तरह के अनुप्रयोग; यथा—सी. डी. रेडियो, रिकॉर्डर कम्प्यूटर आदि के माध्यम से शिक्षण कार्य में समय की बचत हो रही है। छात्र सीखने के उक्त माध्यमों के द्वारा कम समय में अधिक-से-अधिक ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।

  • विशिष्टीकरण में सहायक

    सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से आज शिक्षण कार्य करने में तथा किसी विषय विशेष को खास तरह से उजागर करने या कक्षा में किसी विशिष्ट विषय को पढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के द्वारा पूर्ण रूप से सहयोग लिया जा रहा है। शिक्षक एक योजना बनाकर छात्रों को विशिष्ट ज्ञान प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर रहे हैं जिससे शिक्षा जगत को विशेष लाभ हो रहा है।

  • प्रौद्योगिकी दूर शिक्षा (दूरस्थ शिक्षा) में सहायक

    वर्तमान में दूरदर्शन, रेडियो तथा टेपरिकॉर्डर के माध्यम से शिक्षण कार्य अधिक आसान हो गया है। उपरोक्त मशीनों के माध्यम से दूर-दराज में बैठे छात्र इनका लाभ उठा रहे हैं। अर्थात् सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने दूरस्थ शिक्षा में भी बहुमूल्य योगदान दिया है।

महत्वपूर्ण लिंक

  • संरचनात्मक तथा योगात्मक मूल्यांकन- इन दोनों के बीच का अंतर
  • साक्षात्कार (Interview) की कार्यविधिऔर महत्व एवं उपयोग
  • मौखिक अभिव्यक्ति- उद्देश्य, महत्व, आवश्यकता, शिक्षण विधियाँ
  • उत्तम परीक्षण- विशेषताएँ, व्यावहारिक कसौटियाँ, तकनीकी कसौटियाँ
  • निदानात्मक परीक्षण- विशेषताएँ, उपलब्धि परीक्षण और निदानात्मक परीक्षण में अंतर
  • क्रियात्मक अनुसन्धान (Action Research)- अर्थ, क्षेत्र (Scope), महत्व, लाभ
  • क्रियात्मक शोध के चरण या सोपान (Steps of Action Research)
  • शैक्षिक नवाचार- अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, क्षेत्र, परिवर्तन और नवाचार में सम्बन्ध
  • शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता और महत्व
  • संचार (Communication) की विशेषताएँ एवं बाधाएँ | सूचना के गुण
  • सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (I.C.T.) का विद्यालय में अनुप्रयोग एवं लाभ
  • शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी- क्षेत्र और उपयोगिता (Scope & Use of ICT)

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शिक्षा में आईसीटी के क्या लाभ हैं?

सूचना व संचार प्रौद्योगिकी दूरस्थ शिक्षा में अति महत्त्वपूर्ण व सहायक है। ICT से नवीन जानकारी, शैक्षिक जगत में हो रहे परिवर्तनों क किसी भी विषय की प्रमाणिक जानकारी आसानी से सर्वसुलभ कराने में सहायक है। ICT ग्रामीण व सुदूर दुर्गम व पिछड़े क्षेत्रों को राष्ट्रीय नेटवर्क से जोड़ने में सहायक है।

शिक्षण में आईसीटी का उपयोग क्यों करें?

विषय अध्ययन में समर्थन करने के लिए आईसीटी का प्रयोग करना: आईसीटी का प्रयोग पाठ्यक्रम के विशिष्ट भागों का समर्थन करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर रिकॉर्डिंग उपकरणों से भाषा शिक्षण को समृद्ध बनाया जा सकता है, तथा अनुकरणों से विज्ञान के शिक्षण को समृद्ध बनाया जा सकता है।

शिक्षण प्रक्रिया में सूचना एवं संचार तकनीकी की क्या उपयोगिता है?

शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी ने मानवीय ज्ञान में वृद्धि की है, जिसके प्रमुख पक्ष-(1) ज्ञान को संचित करना (Preservation of Knowledge) (2) ज्ञान का प्रसार करना (Transmission of Knowledge) तथा (3) ज्ञान का विकास करना (Advancement of Knowledge) है। प्रथम पक्ष ज्ञान को संचित करना है।

आईसीटी का उपयोग करने के फायदे और नुकसान क्या है?

आईसीटी की मदद से, यह जल्दी और अधिक कुशल हो गया है। सूचना युग में, ज्ञान प्रसार के लिए आईसीटी मुख्य माध्यम हैं। यह उन लोगों के बीच एक डिजिटल विभाजन बनाता है जो जानकारी तक पहुँच सकते हैं और जो नहीं कर सकते हैं। वस्तुओं और सेवाओं का अधिक कुशलता से उत्पादन करने के लिए विभिन्न देशों से संसाधनों को प्राप्त किया जा सकता है।