शैल व खनिज में क्या अंतर है? - shail va khanij mein kya antar hai?

शैल किसे कहते है ? , शैल के प्रकार :: आज Hindivaani आपको एक महत्वपूर्ण टॉपिक पर आज चर्चा करेंगे। इसके अंतर्गत हम आपको विस्तृत रूप से शैल किसे कहते है या शैल क्या है , शैल के प्रकार आदि की जानकारी प्रदान करेंगे।

अनुक्रम

  • शैल किसे कहते है ? , शैल के प्रकार
  • शैल किसे कहते है ?
  • शैल की परिभाषा
  • शैल के प्रकार
  • आग्नेय शैल –
  • अवसादी शैल –
  • कायान्तरित शैल –

शैल किसे कहते है ? , शैल के प्रकार

शैल व खनिज में क्या अंतर है? - shail va khanij mein kya antar hai?
शैल किसे कहते है ? , शैल के प्रकार

शैल किसे कहते है ?

भूपर्पटी की संरचना जिन तत्वों से हुई है।उन्हें शैल या चट्टान कहते हैं।यह अनेक खनिज एवं लवणों लवणों का मिश्रण होती हैं।इस प्रकार भूपर्पटी का निर्माण विभिन्न प्रकार की सालों सालों से हुआ है शैलो की रचना में फेलस्पार, क्वार्ट्ज,अभ्रक के सिलिकेट खनिजों का अधिक मिलता है मिलता है।

शैल की परिभाषा

शैल की परिभाषा निम्नलिखित हैं।

आर्थर होम्स के अनुसार शैल की परिभाषा

“शैले विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों का मिश्रण होती हैं। कुछ शैले एक ही खनिज के योग से मिलकर बनती हैं। जबकि अधिकांश का निर्माण एक से अधिक खनिजों के योग से होता है ।वह चाहे चीका की भांति मुलायम हो अथवा ग्रेनाइट की भांति कठोर हो शैल कहलाती हैं।”

शैल के प्रकार

उत्पत्ति के आधार पर शैल के तीन प्रकार होते है।

  1. आग्नेय शैल।
  2. अवसादी शैल।
  3. कायान्तरित शैल।

आग्नेय शैल –

जो चट्टाने गर्म हवा पिघले चट्टानी पिघले हवा पिघले चट्टानी पिघले चट्टानी पदार्थों के ठंडे होने से ठोस हो गई हैं।आग्नेय शैल कहलाती हैं। भू पृष्ठ पर पाई जाने वाली शैलो में आग्नेय शैल प्राचीनतम शैले हैं।इन शैलो को प्राथमिक सेल भी कहा जाता है।क्योंकि अन्य शैलो की उत्पत्ति इन्हीं के कारण होती है। भूगर्भ का तरल एवं तप्त मैग्मा या लावा भूपृष्ठ पर पहुंचकर ठंडा होने से रवेदार कणों के रूप में जमकर आग्नेय शैल का रूप धारण करता है। आग्नेय शैल के उत्तम उदाहरण बैसाल्ट और ग्रेनाइट हैं।

अवसादी शैल –

अवसादी शैलो का निर्माण तलछट के जमाव से होता है। जिसका जमाव सागरों एवं झीलों की तली में होता है। अवसादो में बजरी, बालू ,चूना ,कीचड़ ,गाद और चिकनी मिट्टी के कण मिले रहते हैं। इसका निक्षेपण कणों के आधार और भार के अनुरूप होता है। अर्थात भारी कण नीचे की ओर तथा हल्के कण ऊपर की ओर निक्षेपित हो जाते हैं। अवसाद की परतों से नीचे होने के कारण ही इन्हें परतदार शैल भी कहा जाता है। भू पृष्ठ पर अवसादी शैलो का विस्तार सबसे अधिक मिलता है।चूना पत्थर और बलुआ पत्थर अवसादी शैल के प्रमुख उदाहरण है

कायान्तरित शैल –

कायांतरण शब्द अँग्रेजी भाषा के मेटामॉरफिक शब्द का हिंदी अनुवाद हैं। इन शैलो का निर्माणा आग्नेय एवं परत दार शैलो के रूप परिवर्तन के कारण होता है।इसलिए इन्हें कायांतरित शैल या रूपांतरित शैल कहा जाता है। कभी-कभी कायांतरित शैल का पुनः कायांतरण हो जाता है। कायांतरण के समय मूल सेल की प्रकृति बदल जाती है इस प्रक्रिया में पुराने खनिज नया रूप धारण कर लेते हैं। जिससे नवीन खनिजों का निर्माण हो जाता है। शैलो में रवे बन जाते हैं।तथा पूर्व निर्मित रवो का रूप भी बदल सकता है संगमरमर महत्वपूर्ण कायांतरित शैल है ।जिसकी रचना चूना पत्थर के कायांतरण से हुई है ।बलुआ पत्थर का कायांतरण क्वार्टजाइट में होता है।

आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी शैल किसे कहते है ? , शैल के प्रकार की जानकारी आपको पसन्द आयी होगी। यदि आपको शैल किसे कहते है ? , शैल के प्रकार आपको पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तो से जरूर शेयर करे।

(ii) भूपृष्ठीय शैलों में प्रमुख प्रकार की शैलों की प्रकृति एवं उनकी उत्पत्ति की पद्धति का वर्णन करें। आप उनमें अंतर स्थापित कैसे करेंगे?

उत्तर- पृथ्वी का धरातल शैलों से बना है। शैलों या चट्टानों का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। शैल कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों की हो सकती है। जैसे- ग्रेनाइट, संगमरमर आदि।

पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं।

प्रकार

चट्टान मुख्यतः आग्नेय अवसादी एवं कायांतरित तीन प्रकार के होते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के तप्त, पिघले मैग्मा के ठंडा होकर ठोस हो जाने से निर्मित होती हैं। हमारी पृथ्वी प्रारम्भ में गर्म एवं पिघली अवस्था में थी। अतः पृथ्वी के ऊपरी आवरण के ठंडा होने से पृथ्वी पर सर्वप्रथम आग्नेय चट्टानें ही बनीं। इसी से आग्नेय चट्टानों को प्रारम्भिक चट्टानें भी कहते हैं।[1] स्थिति के आधार पर ये अन्तर्निर्मित या बहिनिर्मित प्रकार की होती हैं। सूर्य-ताप, वर्षा, पाला आदि द्वारा चूर्ण किए गये पदार्थों को नदी या हिमनदी बहाकर अथवा हवा उड़ाकर किसी झील, समुद्र या अन्य निचले भागों में परत के ऊपर परत जमा कर देती हैं। इन जमा किए गये पदार्थों को 'अवसाद' तथा इनसे निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टानें कहते हैं। चूँकि इन चट्टानों में परते पायी जाती हैं अतः इन्हें परतदार चट्टानें भी कहते हैं। पृथ्वी के आन्तरिक ताप, दबाव अथवा दोनों के प्रभाव से आग्नेय, अवसादी अथवा अन्य परिवर्तित चट्टानों के मूल रूप में परिवर्तन हो जाने से बनने वाली चट्टानों को परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टान कहते हैं।

बेसाल्ट

बेसाल्ट एक ज्वालामुखी चट्टान होती है। यह चट्टान काले भूरे रंग की होती है। यह चट्टान सूक्ष्म कणों से बनी होती है। इस प्रकार की चट्टान मेंटल के पिघलने की वजह से बनती है। इसका प्रयोग मूर्तियाँ बनाने में होता है।

बसाल्ट एक ज्वालामुखी चट्टान है

यह चट्टानें गुलाबी भूरे रंग की होती हैं। यह बहुत ही कठोर होती हैं, और इनका प्रयोग निर्माण कार्य में बहुत अधिक मात्रा में होता है। इन्हें हिन्दी में कणाश्म भी कहते हैं।

सॅडिमॅन्टरी

  • अर्गिलिते
  • आर्गोसे
  • कोल
  • डोलमाइट
  • फ्लिंट
  • ग्रिटस्टोन
  • लिग्नाइट
  • लाइम्स्टोन
  • मार्ल
  • मड्सटन
  • सँडस्टोन
  • स्लिटस्टोने

शैलों का आर्थिक महत्व

मनुष्य पृथ्वी तल पर विविध क्रियाकलाप लम्बे समय से कर रहा है। समय और तकनीकी विकास के साथ वह शैलों और खनिजों का विविध उपयोग करता रहा है। वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे मनुष्य की सुख-सुविधाओं के लिए शैलों और खनिजों की उपयोगिता बढ़ती गई।

शैल और खनिज आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ये सभी प्रकार की धातुओं, मूल्यवान पत्थर, उद्योगों के लिए माल और ईंधन के स्रोत हैं। शैलों के महत्व के संबंध में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है:

  • (1) मृदा शैलों से प्राप्त होती है। मृदा से मानव के लिये भोजन मिलता है, इसके साथ ही विभिन्न कृषि उत्पादों से उद्योग-धंधों के लिए कच्चा माल भी प्राप्त होता है।
  • (2) भवन निर्माणकारी सामग्री शैलों से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्राप्त होती है। शैलें ही सभी प्रकार के भवनों की सामग्री का एकमात्रा स्रोत है। ग्रेनाइट, नीस, बलुआ पत्थर, संगमरमर और स्लेट आदि का मकान बनाने में भारी मात्रा में उपयोग होता है। दिल्ली का लाल किला लाल-बलुआ पत्थर तथा आगरा का ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है। भारत और विदेशों में भी स्लेट का उपयोग छतों के निर्माण में किया जाता है।
  • (3) खनिजों के स्रोत : खनिज आधुनिक सभ्यता की आधारशिला हैं। धात्विक खनिजों में मूल्यवान सोना, प्लेटिनम, चांदी, तांबा से लेकर एल्यूमीनियम और लोहा मिलता है। ये धात्विक खनिज विभिन्न प्रकार की शैलों में पाये जाते हैं।
  • (4) कच्चामाल : कई शैलों और खनिजों का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में होता है। सीमेंट उद्योग तथा चूना भट्टियों में कई प्रकार की शैलों और खनिजों का उपयोग तैयार माल प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। ग्रेफाइट का उपयोग सुरमा और पेंसिल निर्माण उद्योग में किया जाता है।
  • (5) मूल्यवान पत्थर : विभिन्न प्रकार की रूपान्तरित अथवा आग्नेय शैलों से प्राप्त होते हैं। हीरा बहुत ही मूल्यवान पत्थर है। उसका उपयोग जवाहरात बनाने में होता है। ये एक रूपान्तरित शैल है। इसी प्रकार दूसरे मूल्यवान पत्थर पन्ना, नीलम आदि भी विभिन्न प्रकार के शैलों से प्राप्त होते हैं।
  • (6) ईंधन : कोयला, पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस महत्वपूर्ण खनिज ईंधन हैं। परमाणु ऊर्जा भी ईंधन के रूप में हमें विभिन्न प्रकार की शैलों से मिलती है।
  • (7) उवर्रक भी शैलों से प्राप्त किये जाते हैं। फास्फेट उर्वरक फास्फेराइट नामक खनिज से मिलता है। संसार के कुछ भागों में फास्फेराइट खनिज अधिक मात्रा में पाया जाता है।

सन्दर्भ

टीका टिप्पणी

क. ...rocks are the books of earth's history and fossils are the pages: S. W. Woolridge & R. S. Morgan 1959.

शैल एवं खनिज में क्या अंतर है?

शैल या चट्टानें – एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण जो स्थलमंडल का निर्माण करता है। खनिज– भूपर्पटी से प्राप्त वह पदार्थ जिसमें चट्टानों के विपरीत साधारणतया एक विशेष प्रकार की रासायनिक संरचना होती है। आग्नेय चट्टानें — मैग्मा और लावा के ठंडे और तोस होने से बनी चट्टानें आग्नेय चट्टानें होती हैं।

शैल क्या है परिभाषा?

पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं।

शैल किसे कहते हैं शैल कितने प्रकार के होते हैं?

पृथ्वी की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैंशैल विभिन्न रंग, आकार एवं गठन की हो सकती हैं। मुख्य रूप से शैल तीन प्रकार की होती हैं - आग्नेय ( इग्नियस ) शैल, अवसादी (सेडिमेंट्री) शैल एवं कायांतरित ( मेटामोरफ़िक ) शैल

शैल का निर्माण कैसे होता है?

बर्लिभेदी आग्नेय शैल का निर्माण – जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी का उदगार होता है तब आग की तरह लाल द्रवित मैग्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलकर सतह पर आता है। जब द्रवित लावा पृथ्वी की सतह पर आता है, तो यह तेजी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार । से बने शैल को बर्लिभेदी आग्नेय शैल कहते हैं।