कभी देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर क्यों करना चाहता है? - kabhee desh ke lie apana sarvasv nichhaavar kyon karana chaahata hai?

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 11 समर्पण (मंजरी)

समस्त पद्यांशों की व्याख्या

मन समर्पित ………………. और भी दें।

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ की ‘समर्पण’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता रामावतार त्यागी जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने स्वदेश के प्रति अनन्य भक्ति प्रकट करते हुए तन-मन-धन-जीवन अर्थात् सर्वस्व समर्पित करने के पश्चात भी कुछ और भेंट चढ़ाने की इच्छा की है।

व्याख्या – कवि के हृदय में स्वदेश प्रेम का महासागर हिलोरें ले (UPBoardSolutions.com) रहा है। वह तन-मन-धन-जीवन सब कुछ देश को समर्पित कर देना चाहता है; फिर भी उसे सन्तोष नहीं होता तथा वह देश की मिट्टी पर कुछ और न्योछावर करने की कामना करता है।

कभी देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर क्यों करना चाहता है? - kabhee desh ke lie apana sarvasv nichhaavar kyon karana chaahata hai?

माँ तुम्हारा …………………….. और भी दें।

संदर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववत् ।

व्याख्या – कवि कहता है- हे माँ! मैं दीन-हीन तुम्हारे ऋण से पूरी तरह दबा हुआ हूँ; फिर भी यह निवेदन है कि मैं जब भी थाल में अपना सिर सजाकर तुम्हें समर्पित करने आऊँ; तुम दयाकर अवश्य स्वीकार कर लेना! मेरा गीत, प्राण और एक-एक रक्तबिन्दु तुम्हें समर्पित है; फिर भी, हे मेरे देश की पुण्य भूमि! मैं कुछ और न्योछावर करना चाहता हूँ!

माँज दो ………………………….. और भी हूँ।

संदर्भ और प्रसंग – पूर्ववत् ।

व्याख्या – कवि अनुरोध करता है- हे माता! थोड़ा भी विलम्ब किए बिना मेरी तलवार की धार पैनी करे मुझे दे दो, मेरी पीठ पर ढाल बाँध दो; मेरे माथे पर अपने चरणों की धूलि का टीका लगा दो तथा सिर (UPBoardSolutions.com) पर आशीष (आशीर्वाद) की घनी छाया कर दो!

मेरे सपने, प्रश्न, आयु का एक-एक क्षण तुम्हें समर्पित है; फिर भी, हे मेरे देश की धरती! मैं तुम पर कुछ और न्योछावर करना चाहता हूँ।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

विचार और कल्पना –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें

कविता से

प्रश्न 1.
सब कुछ समर्पण के बाद भी कवि क्यों सन्तुष्ट नहीं है?
उत्तर :
कवि स्वयं को स्वदेश का अत्यन्त ऋणी समझता है। वह जानता है कि माता का ऋण चुकाना असम्भव है; तथापि तन-मन-धन-जीवन (सर्वस्व) न्योछावर करने के बाद भी उसे सन्तोष नहीं होता एवं वह कुछ और समर्पित करना चाहता है।

कभी देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर क्यों करना चाहता है? - kabhee desh ke lie apana sarvasv nichhaavar kyon karana chaahata hai?

प्रश्न 2.
‘थाल में भाल सजाने से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
‘थाल में भाल सजाने’ से कवि का तात्पर्य है–अत्यधिक श्रद्धापूर्वक मातृभूमि के श्री चरणों पर समर्पित हो जाना।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित भाव कविता की किन पंक्तियों में व्यक्त हुए हैं

(क) जननी जन्मभूमि की देन के समक्ष कवि अपने को बहुत दीन-हीन समझ रहा है।
उत्तर :
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है मैं अकिंचन।

(ख) कवि अपना हर्ष-उल्लास और प्राण न्योछावर कर देना चाहता है।
उत्तर :
गान अर्पित, प्राण अर्पित।

(ग) कवि अपने जीवन की कल्पनाओं, जिज्ञासाओं और आयु को हर क्षण समर्पित करना चाहता है।
उत्तर :
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।

(घ) कवि अपने हाथों में तलवार लेकर रणक्षेत्र में कूदना चाहता है।
उत्तर :
माँज दो तलवार को लाओ न देरी,
बाँध दो अब पीठ पर वह ढाल मेरी,
भाल पर मल दो चरण. की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया घनेरी।

कभी देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर क्यों करना चाहता है? - kabhee desh ke lie apana sarvasv nichhaavar kyon karana chaahata hai?

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) भाल पर ……………. छाया घनेरी।
उत्तर :
कवि अपनी मातृभूमि से प्रार्थना करता है कि – हे जननी, अपनी चरण की धूल से मेरा तिलक कर दो और मुझे इतना आशीर्वाद दो कि मैं अपने देश की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहूँ।

(ख) गान अर्पित ………………………. कण-कण समर्पित।
उत्तर :
कवि मातृभूमि की कृपा से इतना उपकृत है कि वह न केवल सर्वस्व समर्पित करने की इच्छा करता है; अपितु अपनी भावनाएँ हर्ष-उल्लास, प्राण एवं रक्त की एक-एक बूंद न्योछावर करना चाहता है अर्थातृ समस्त भौतिकता के साथ-साथ अपना मानस-चितंन-मनन, इच्छा-अपेक्षा भी समर्पित करने की कामना करता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे……………समर्पित। इस प्रकार के शब्दों के चार जोड़े दिए जा रहे हैं; उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके) –
उत्तर :

(क) घर-घर – नासमझी के कारण घर-घर में झगड़ा होता है।
(ख) मीठे-मीठे – मीठे-मीठे बोल किसे अच्छे नहीं लगते!
(ग) डाली-डाली – बसन्त में डाली-डाली महक उठती है।
(घ) चलते-चलते – इस दुनिया से चलते-चलते भी मानव बहुत कुछ समेट लेना चाहता है।

पढ़ने के लिए

थाल सजाकर किसे पूजने चले प्रात ही मतवाले,
कहाँ चले तुम राम नाम का पीताम्बर तन पर डाले।
इधर प्रयाग न गंगा सागर उधर न रामेश्वर काशी,
इधर कहाँ है तीर्थ तुम्हारा कहाँ चले तुम संन्यासी।।

चले झूमते मस्ती से क्या तुम अपना पथ आये भूल,
कहाँ तुम्हारा दीप जलेगा कहाँ चढ़ेगा माला फूल।

मुझे न जाना गंगा सागर मुझे न रामेश्वर काशी,
तीर्थराज चित्तौड़ देखने को मेरी आँखें प्यासी।

शिक्षण संकेत –
नोट – शिक्षक छात्रों से कराएँ।

कभी देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर क्यों करना चाहता है? - kabhee desh ke lie apana sarvasv nichhaavar kyon karana chaahata hai?

इसे भी जानें –
नोट – विद्यार्थी ध्यान से पढ़ें।

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कवि देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर क्यों करना चाहते हैं?

प्रश्न 1. कवि देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर क्यों करना चाहता है ? उत्तर– कवि राष्ट्रीय भावना से ओत- प्रोत होकर अपने देश के लिए कुछ करने की चाहत के फलस्वरूप अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहता है| कवि के मन मे देश प्रेम की भावना कूट -कूट कर भरी है।

1 कवि देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर क्यों करना चाहता है ?`?

कवि अपनी मातृभूमि की सेवा में सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहता है। वह फिर भी सन्तुष्ट नहीं दिखता है। इसका कारण यह है कि वह इस सबके अतिरिक्त भी जो कुछ उसके पास है, उसे भी अर्पित कर देने की कामना करता है। कामनाएँ कभी भी शान्त नहीं हुआ करती।

कभी अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना चाहता है?

Explanation: उत्तर कविता में कवि अपनी मातृभूमि पर अपना तन - मन और जीवन न्योछावर करना चाहता है क्योंकि इस मातृभूमि का कवि पर बहुत कर्ज है वह इस कर्ज को उतारने के लिए मन, प्राण, रक्त की एक - एक बूंद समर्पित करना चाहता है ।

चाहता हूँ कविता में कवि धरती माता से क्या निवेदन कर रहा है?

कवि मातृभूमि से निवेदन कर रहा है कि जब वह अपना मस्तक उसकी सेवा में समर्पित करे तो वह उसे स्वीकार कर ले।