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रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के लिए प्रयुक्त ऐण्टेना रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है। खोज सबसे पहले 1864 में James Clerk Maxwell ने Theoretical और Mathematically ये दिखाया था की विद्युतचुम्बकीय तरंगें (electromagnetic waves) बिना तार के एक जगह से दूसरी जगह कैसे भेजी जा सकती है . लेकिन पांच साल बाद यानी के1869 में उनकी मृत्यु हो गई और वो रेडियो को नहीं बना सके। उसके बाद 1886-1889 में एक जर्मन वैज्ञानिक Heinrich Hertz ने रेडियो की Theory को साबित किया की ये Theory सही है . इसके बाद 1890 में एक इटालियन वैज्ञानिक Guglielmo Marconi ने wireless टेलीग्राफी पर काम करना शुरू किया जब वो सिर्फ 16 साल के थे . और 1900 में उन्होंने पहली बार रेडियो संदेश भेज कर दिखाया .लेकिन एक से अधिक व्यक्तियों के पास रेडियो सन्देश 1906 में भेज गया था वो भी अटलांटिक महासागर में तैर रहे जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों के पास और ये कोई संदेश नहीं बल्कि एक संगीत उनको सुनाया गया था . रेडियो के बारे में रोचक जानकारी:- • सबसे पहले 1918 में New York में एक रेडियो स्टेशन लगाया गया जिसका नाम था “The Forest” पर कुछ दिनों बाद ही पुलिस को पता लगा गया और उसे बंद करवा दिया लेकिन नवंबर 1920 में पहली बार क़ानूनी तौर पर रेडियो स्टेशन शुरू करने की अनुमति मिली • रेडियो पर Advertising की शुरुआत 1923 में हुई | •1936 में भारत में एक सरकारी रेडियो की शुरुआत हुई जो भारत आजाद होने के बाद ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी बन गया। •1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सारे रेडियो स्टेशन सरकार ने बंद कर दिए थे | एक हजार किलो हर्ट्ज(1000kHz) रेडियो तरंग की तरंगदैर्ध्य 300 मीटर होती है| ये बनती कैसे हैं ?[संपादित करें]रेडियो तरंगें विद्युत धारा को रेडियो आवृत्ति पर प्रत्यावर्तन करने पर बनती हैं। यह धारा एक विशिष्ट चालक जिसे एण्टीना कहते हैं, से पास कराई जाती है। इसकी लम्बाई तरंग दैर्घ्य के बराबर ही होनी चाहिये, जिससे कि दक्षता से कार्य हो पाए। अत्यधिक लम्बी तरंगें प्रायौगिक नहीं हैं, क्योंकि उनके हेतु अत्यधिक लम्बा एण्टीना चाहिए, जो सम्भव नहीं है। हालांकि वे भी कभी कभी तडित (बिजली) गिरते समय बनती हैं। रेडियो तरंगें अंतरिक्षीय प्रक्रिया से भी बनतीं हैं, परंतु वे सुदूर गहन अंतरिक्ष में ही बनती हैं।u संचरण[संपादित करें]खोज[संपादित करें]Rough plot of Earth's atmospheric transmittance (or opacity) to various wavelengths of electromagnetic radiation, including radio waves. विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का रेडियो भाग[संपादित करें]इन्हें तरंग दैर्घ्य पर आधारित, विभिन्न पट्टीयों (बैण्ड) में बांटा गया है।
नामकरण की गईं आवृत्ति पट्टियाँ[संपादित करें]General[संपादित करें]प्रसार आवृत्तियाँ:
For more information see the NTIA frequency allocation chart: https://web.archive.org/web/20080204194331/http://www.ntia.doc.gov/osmhome/allochrt.html ऍमेच्योर रेडियो पट्टियाँ[संपादित करें]मान्य आवृत्तियों का रेंज विभिन्न देशों में भिन्न है।
IEEE US[संपादित करें]
EU, NATO, US ECM frequency designations[संपादित करें]
वेव गाइड आवृत्ति रेंज[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
रेडियो तरंगों की गति कितनी होती है?रेडियो तरंगों की आवृत्ति 30 - 300 गीगाहर्ट्ज़ से होती है।
रेडियो में कौन सी तरंग होती है?रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं।
तरंग की गति कितनी होती है?हवा में ध्वनि तरंगों का वेग 330 मीटर/सेकेंड होता है। इस्पात में ध्वनि तरंगों का वेग 5920 मीटर/सेकेंड होता है। निर्वात में ध्वनि तरंगों का वेग शून्य होता है। जल में ध्वनि तरंगों का वेग 1480 मीटर/सेकेंड होता है।
रेडियो तरंग की आवृत्ति क्या होती है?3 किलोहर्ट्ज से 300 गीगा हर्ट्ज़ की आवृत्ति वाली तरंगों को रेडियो आवृत्ति (RF) कहते हैं। रेडियो तरंगें, रेडियो आवृत्ति की तरंगे ही होतीं हैं।
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