बिहार पर आक्रमण करने वाला पहला तुर्क कौन था? - bihaar par aakraman karane vaala pahala turk kaun tha?

Q.81. शेर खाँ के पिता हसन खाँ कहाँ के जागीरदार थे?

(A) वैशाली के
(B) दरभंगा के
(C) सासाराम के
(D) बिहारशरीफ के
Ans: (C)
Notes – शेर खाँ सूरी का वास्तविक नाम फरीद खाँ था। सासाराम के जागीरदार हसन खाँ सूर का पुत्र था।

Q.82. किस वर्ष तुगलक सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद ने बिहार का शासन ख्वाजाजहाँ को सौंप दिया था?

(A) 1294 ई.
(B) 1394 ई.(C) 1494 ई.
(D) 1594 ई.
Ans: (B)
Notes – 1394 ई. में तुगलक सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद शाह ने बिहार का शासन ख्वाजाजहाँ को सौंप दिया था, उसे सुल्तान उस शर्क की उपाधि प्राप्त थी। सुल्तान नासिरूद्दीन महमूद शाह तुगलक वंश का अंतिम शासक था।

Q.83. बल्लाल सेन का कौन-सा अभिलेख पूर्वी बिहार में सेनों के प्रसार का साक्ष्य है?

(A) सनोखर अभिलेख
(B) बोधगया अभिलेख
(C) भाभुआ अभिलेख
(D) बेदीबन अभिलेख
Ans: (C)
Notes – बल्लाल सेन का सनोखर अभिलेख पूर्वी बिहार में सेनों के प्रसार का साक्षी है। सेन वंश के शासक बल्लाल सेन का राज्य बिहार में मिथिला क्षेत्र पर स्थापित था।

Q.84. किस वर्ष बख्तियार खिलजी ने मिथिला के कर्नाट शासक नरसिंह देव के खिलाफ आक्रमण करके उसे भी अधीनता स्वीकार करने की बाध्य किया था?

(A) 1024 ई॰
(B) 1104 ई॰
(C) 1204 ई॰
(D) 1304 ई॰
Ans: (C)
Notes – 1204 वर्ष बख्तियार खिलजी ने मिथिला के कर्नाट शासक नरसिंह देव के खिलाफ आक्रमण करके उसे भी अधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया। इस समय तक दक्षिण बिहार के क्षेत्र को छोड़कर लगभग शेष भागों पर तुर्कों का आधिपत्य कायम हो गया।

Q.85. किस शासन ने मलिक अलाउद्दीन जानी को बिहार में दिल्ली के प्रथम प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था?

(A) बलबन
(B) बाबर
(C) इल्तुतमिश
(D) अकबर
Ans: (C)
Notes – इल्तुतमिश ने मलिक अलाउद्दीन जानी को बिहार में दिल्ली के प्रथम प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था, परन्तु शीघ्र ही हस्मुद्दीन इवाज खिलजी ने मलिक जानी को बिहार से मार भगाया। 1226
ई. में इल्तुतमिश के पुत्र नासिरूद्दीन महमूद ने हस्मुद्दीन इवाज खिलजी को मार डाला और बिहार का सूबेदार नियुक्त हुआ।

Q.86. कर्नाट वंश के किस शासक ने मुहम्मद गोरी को हिन्दू शासकों के विरुद्ध सहायता प्रदान की थी?

(A) रामसिंहदेव
(B) नरसिंहदेव
(C) हरिसिंहदेव
(D) सक्रसिंह
Ans: (B)
Notes – प्रारंभ में बंगाल के सेन शासकों एवं कर्नाट शासकों के बीच संघर्ष का दौर चला। कर्नाटों का संघर्ष गहड़वाल वंश के साथ भी हुआ।

Q.87. बिहार का गवर्नर हातिम खाँ किस शासक का पुत्र था?

(A) फिरोजशाह तुगलक
(B) बलबन
(C) जहाँगीर
(D) मुहम्मदशाह
Ans: (C)
Notes – हातिम खाँ [1309-15 ई.] फिरोजशाह तुगलक का पुत्र था जो बिहार के गवर्नर पद पर 1321-22 ई. तक बना रहा।

Q.88. सुल्तान इब्राहिम से पराजित होकर कौन- सा उज्जैन राजा जंगलों में भाग गया था?

(A) संग्रामदेव
(B) रामदेव
(C) जगदेव
(D) ओंकारदेव
Ans: (C)
Notes – सुल्तान इब्राहिम करूर के उज्जैनों से नाराज था। अत: उसने एक सेना उनके खिलाफ भेजी।

Q.89. निम्नलिखित में से किस चेरो सरदार का मुख्यालय बिहियाँ था?

(A) धुधीलिया
(B) बाघमल
(C) चाँद
(D) नारायणमल
Ans: (C)
Notes – धुधीलिया नामक चेरो सरदार का मुख्यालय बिहियाँ था। बिहार में चेर राज वंश ने शाहाबाद, सारण, चम्पारण, मुजफ्फरपुर एवं पलामू जिलों में शक्तिशाली राज्य की स्थापना की।

Q.90. बिहार में तुर्क सत्ता का संस्थापक कौन था?

(A) मलिक हिसामुद्दीन
(B) इब्ने बख्तियार खिलजी
(C) इल्तुतमिश
(D) कुतुबुद्दीन ऐबक
Ans: (B)
Notes – 12 वीं और 13 वीं शताब्दी के मोड़ पर बिहार में तुर्कों का आक्रमण हुआ। तुर्क सेना का प्रमुख इब्ने बख्तियार खिलजी था।

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मुल्तान एवं उच्छ की विजय: भारत पर अभियान के लिए भारत में एक स्थायी केंद्र की स्थापना की आवश्यकता को देखते हुए मुहम्मद गौरी ने 1175 ई0 में मुल्तान पर आक्रमण किया। मुल्तान पर उसने आसानी से आधिपत्य स्थापित कर लिया। इसके बाद उसने उच्छ पर आक्रमण किया। उसने वहां के राजा भट्टी को पराजित किया और उसकी रानी को पटरानी बनाने का लालच देकर भट्टी को मरवा दिया। बाद में मुहम्मद गौरी ने भट्टी की पुत्री के साथ विवाह कर लिया।

12वी और तेरहवीं सर्दियों के मोड़ पर तुर्क आक्रमण के समय बिहार का क्षेत्र एक संगठित राजनीतिक इकाई नहीं बना था. उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच गंगा नदी एक भौगोलिक विभाजन रेखा के साथ साथ राजनीतिक सीमा रेखा भी थी. उत्तरी बिहार का अधिकाश भाग उस समय मिथिला की के कर्नाट वंश द्वारा शासिंत था, जबकि दक्षिण बिहार विभिन्न छोटे-छोटे शासकों के अधीन था.

पठारी क्षेत्र में छोटानागपुर के नाग वंश की चर्चा मिलती है, परंतु विस्तृत रूप में नहीं. मध्यकालीन बिहार के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह रही है कि यह सभी क्षेत्र एक संगठित राजनीतिक और प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आए.

बिहार में तुर्क सता की स्थापना का वास्तविक श्रेय इख्तियारदीन मोहम्मद इब्ने बख्तियार खिलजी को जाता है. वह बनारस और अवध क्षेत्र के सेनापति मलिक हसमुद्दीन का सहायक था.

उसने 12 वीं और तेरहवीं के मोड़ पर बिहार में कर्मनाशा नदी के पूर्वी ओर सैनिक अभियान आरंभ किए. उस समय सेन वंश का शासक लक्ष्मण सेन था और पाल वंश का शासक इंद्रधनु पाल था. मनेर को अपने सैनिक अभियान का केंद्र बना कर 1198 से 1204 ईसवी के बीच उसने मगध एवं अन्य राज्यों को आत्मसमर्पण हेतु विवश कर दिया.

भौगोलिक कारणों से उसमें बिहार और बंगाल की राजनीतिक स्थिति या एक समान बनी रही. सल्तनत काल में बंगाल में कई बार स्वतंत्र राज्यों का निर्माण हुआ. बंगाल के साथ हमेशा बिहार पर नियंत्रण का प्रयास करते रहे क्योंकि वे दिल्ली की ओर से होने वाले किसी आक्रमण की स्थिति के लिए बिहार को एक अग्रिम पंक्ति के रूप में विकसित करना चाहते थे. फलत: बिहार का क्षेत्र दिल्ली और लखनौती (बंगाल) के सुल्तानों के बीच संघर्ष का अखाड़ा बन रहा था.

बिहार के क्षेत्र में इल्तुतमिश, बलबन, गयासुद्दीन तुगलक, फिरोजा और सिकंदर लोदी के अभियान (आक्रमण) हुए. इन सभी ने बिहार पर अपना वर्चस्व कायम करने के प्रयत्न किए.

लगभग 1225 ईसवी में इल्तुतमिश ने बिहार पर अधिकार कर लिया था. परंतु इल्तुतमिश के उत्तराधिकारी वह नियंत्रण बनाए रखने में विफल रहे. बाद में बलबन ने क्षेत्र में अभियान किए और तुगरिल के विद्रोह का दमन किया. इस समय तोपों का नियंत्रण गंगा नदी से तटे हुए दक्षिणी मैदान पर स्थापित था.

तुगलक के समय मुख्य रूप से बिहार पर दिल्ली के सुल्तानों का महत्वपूर्ण वर्चस्व कायम हुआ. गयासुद्दीन तुगलक ने 1324 में बंगाल अभियान से लौटते समय उत्तर बिहार में कर्नाटक वंशीय शासक हरि सिंह देव को पराजित किया.

मोहम्मद बिन तुगलक काल में बिहार के प्रांतपति मज्दुल मुल्क ने हरी सिंह देव के विरुद्ध अभियान चलाकर उन्हें  पहाड़ियों में शरण लेने हेतु मजबूर कर दिया. इस प्रकार तिरहुत क्षेत्रम को तुगलक साम्राज्य में मिला लिया गया और क्षेत्र को तुगलकपूर नाम रखा गया. यहां से मोहम्मद बिन तुगलक के सिक्के प्राप्त हुए.

दरभंगा में सुल्तान ने एक दुर्ग और जामा मस्जिद का निर्माण भी करवाया था. गया और पटना के क्षेत्रों से अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं. राजगीर के जैन मंदिरों के अभिलेखों में फिरोजशाह तुगलक द्वारा उन्हें दान दिए जाने का उल्लेख है.

तुगलक के काल में बिहार की राजधानी बिहार शरीफ में थी. बिहार राज्य का नाम बिहार संभवत इसी काल में पड़ा. बिहार शरीफ में ओदंतपुरी का महाविहार और अन्य अनेक विहार यहां मौजूद थे. माना जाता है कि इन्हीं विवादों के कारण राज्य का नाम बिहार पड़ा.