श्राद्ध में किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या होता है? - shraaddh mein kisee kee mrtyu ho jae to kya hota hai?

श्राद्ध में किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या होता है? - shraaddh mein kisee kee mrtyu ho jae to kya hota hai?

shradh - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

Death In Pitru Paksha: इस समय पितृपक्ष चल रहा है। इस साल 10 सितंबर 2022 से शुरू हुआ पितृपक्ष 25 सितंबर 2022 तक चलेगा। पितृपक्ष में पितरों की शांति के लिए तर्पण श्राद्ध और पिंडदान आदि अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान सभी पितर पृथ्वी पर आते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनकी संतानें उनके लिए श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि करेंगे, क्योंकि इन कार्यों से वे तृप्त होते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब किसी की मौत होती है तो वह पितृदेव का रूप धारण कर अपने वंशजों की रक्षा करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, क्योंकि शास्त्रों और नक्षत्रों के अनुसार ये समय अच्छा नहीं माना जाता है। वहीं अदि किसी की पितृपक्ष के दौरान मृत्यु होती है, तो इसका मतलब होता है? आइए जानते हैं... 

पितृ पक्ष में मृत्यु हो जाए तो क्या होता है?
आपने बड़े-बुजुर्गों को अक्सर ये कहते सुना होगा कि पितृ पक्ष में जो लोग प्राण त्यागते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी इस बात को सत्य माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसे लोग बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं।

पितृपक्ष में प्राण त्यागने वाले लोगों को स्वर्ग में स्थान मिलता है। मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष के दिनों में भले ही कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं, लेकिन ये दिन अशुभ नहीं हैं। इस समय में प्राण त्यागने वाले परलोक जाते हैं, क्योंकि इस दौरान स्वर्ग के द्वार खुले होते हैं।

ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में मृत्यु को प्राप्त होने वाले व्यक्ति की आत्मा अपने दिवंगत परिजनों की आत्माओं से संबंध जोड़ने की कोशिश करती है। साथ ही अपने दिवंगत परिजनों की आत्माओं का सान्निध्य पाकर अपनी आत्म उन्नति का मार्ग प्राप्त करती है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

पितृ पक्ष में किसी की मृत्यु होने पर क्या होता है?

Pitru Paksha 2022: ऐसा कहते हैं कि श्राद्धपक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को स्वर्ग प्राप्त होता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी मरते हुए इंसान के पास चार चीजें हों तो स्वर्ग जाने के लिए श्राद्धकर्मों की आवश्यकता नहीं होती है.

श्राद्ध पक्ष में मृत्यु होने से क्या होता है?

आपने बड़े-बुजुर्गों को अक्सर ये कहते सुना होगा कि पितृ पक्ष में जो लोग प्राण त्यागते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी इस बात को सत्य माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसे लोग बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं। पितृपक्ष में प्राण त्यागने वाले लोगों को स्वर्ग में स्थान मिलता है।

मरे हुए व्यक्ति का श्राद्ध कब करना चाहिए?

हिंदू धर्म में पितरों के लिए 16 दिन विशेष होते हैं। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक पितरों का तर्पण देने और उनकी की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष रखे गए हैं। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं। पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने पर पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

आदमी की मौत के बाद कितने दिन बाद श्राद्ध किया जाता है?

अपमृत्यु वाले व्यक्तियों को श्राद्ध केवल चतुर्दशी तिथि को ही करना चाहिए, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी ति‍थि को हुई हो। 3. सौभाग्यवती स्‍त्रियों की अर्थात पति के जीवित रहते हुए ही मरने वाली सुहागिन स्‍त्रियों का श्राद्ध भी केवल पितृपक्ष की नवमी तिथि को ही करना चाहिए, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी ति‍थि को हुई हो। 4.