रहीम दास न सिर्फ एक अच्छे कवि के रूप में विख्यात हुए बल्कि वे मुगल सम्राट अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे। उनका पूरा नाम नवाब अब्दुल रहीम खान-ई-खाना था। रहीम दास जी का हिन्दी साहित्य में दिया गया योगदान अभूतपूर्व है और रहीम के दोहे जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। रहीम दास जी ने अपने दोहों – Rahim ke Dohe के माध्यम से न सिर्फ लोगों को सही तरीके से जीवन जीने की कला सिखाई बल्कि जनता को नीति से संबंधित बातें बताईं इसके साथ ही लोगों को सही मार्ग पर चलने के लिए भी प्रेरित किया है और उन्हें सही मार्गदर्शन देने की कोशिश की है। Rahim Ke Dohe With Image रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित – Rahim Ke Dohe In Hindiरहीम दास जी कलाप्रेमी, महान कवि और एक अच्छे साहित्यकार थे। रहीम दास जी अपने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के अंशो को उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करते थे। जो भारतीय संस्कृति की झलक को पेश करता है। रहीम दास ने अपनी काव्य रचना द्वारा हिन्दी साहित्य की जो सेवा की वह अद्भुत और काफी प्रशंसनीय है। रहीम के दोहे और रचनाएं प्रसिद्ध हैं। आपको बता दें कि उनकी सभी कृतियां “रहीम ग्रंथावली” में समाहित हैं। रहीम के ग्रंथो में रहीम दोहावली या सतसई, बरवै, मदनाष्ठ्क, राग पंचाध्यायी, नगर शोभा, नायिका भेद, श्रृंगार, सोरठा, फुटकर बरवै, फुटकर छंद तथा पद, फुटकर कवितव, सवैये, संस्कृत काव्य प्रसिद्ध हैं। रहीम ने तुर्की भाषा में लिखी बाबर की आत्मकथा “तुजके बाबरी” का फारसी में अनुवाद किया। “मआसिरे रहीमी” और “आइने अकबरी” में इन्होंने “खानखाना” और रहीम नाम से कविता की है। रहीम दास जी का व्यक्तित्व बेहद प्रभावशाली और हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित करने वाला था। वे मुसलमान होकर भी कृष्ण भक्त थे। रहीम ने अपने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के कथानकों को लिया है। आपको बता दें कि रहीम ने अपने दोहे में खुद को “रहिमन” कहकर भी सम्बोधित किया है। इनके काव्य में नीति, भक्ति, प्रेम और श्रृंगार का सुन्दर समावेश मिलता है। रहीम ने अपने जीवन के अनुभवों से कई दोहों को बेहद सरल और आसान भाषा शैली में अभिव्यक्त किया है। जो कि वास्तव में अदभुत है। रहीम दास जी ने अपनी कविताओं में छंदों, दोहों में पूर्वी अवधी, ब्रज भाषा तथा खड़ी बोली का इस्तेमाल किया है। रहीम ने तदभव शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल किया है। आज हम आपको अपने इस लेख में रहीम जी के दोहों समेत उनके अर्थ –Rahim ke Dohe with Meaning के बारे में बताएंगे जो कि इस प्रकार है – रहीम दास का दोहा नंबर 1 – Rahim Ke Dohe 1 रहीम दास जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से ऐसे लोगों को शिक्षा देने की कोशिश की है, जिन्हें यह लगता है कि उन्हें किसी अन्य नाम से पुकारने से उनका महत्व कम हो जाएगा या फिर वे छोटे हो जाएंगे। दोहा:
अर्थ: रहीम अपने दोहें में कहते हैं कि किसी भी बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन कम नहीं होता, क्योंकि गिरिधर को कान्हा कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती। क्या सीख मिलती है: रहीम दास जी के इस दोहे से माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि बड़प्पन नाम से नहीं बल्कि कामों से दिखता है। इसलिए किसी भी बड़े को छोटा कहने पर उसका बड़प्पन कम नहीं होता। रहीम दास का दोहा नंबर 2 – Rahim Ke Dohe 2 रहीम दास जी का यह दोहा उन लोगों के लिए है जो लोग अपनी असफलता के लिए या फिर किसी गलत काम के लिए खुद को नहीं बल्कि गलत लोगों से मित्रता यानि कि बुरी संगति को दोष देकर खुद को संतोष देते हैं। दोहा:
अर्थ: रहीम जी ने कहा की जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता हैं, उन लोगों को बुरी संगती भी बिगाड़ नहीं पाती, जैसे जहरीले साप सुगंधित चन्दन के वृक्ष को लिपटे रहने पर भी उस पर कोई प्रभाव नहीं दाल पाते। क्या सीख मिलती है: महाकवि रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने छोटों को हमेशा माफ करना चाहिए और उनकी गलतियों के लिए उन्हें प्यार से समझाना चाहिए और हमें हमेशा समझदारी से काम करना चाहिए। “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय||” इसी तरह के Rahim Ke Dohe इन हिंदी आपको पढ़ने के लिए मिलेगें । अब्दुल रहीम खानखाना का जन्म 17 दिसंबर 1556 ईवी लाहौर में हुआ था। इनके पिता का नाम बैरम खां और माता का नाम जमाल खान था और माता का नाम सईदा बेगम था। उनकी पत्नी का नाम महाबानू बेगम था। वह इस्लाम धर्म के थे। वर्ष 1576 में उनको गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया था। 28 वर्ष की उम्र में अकबर ने खानखाना की उपाधि से नवाज़ा था। उन्होंने बाबर की आत्मकथा का तुर्की से फारसी में अनुवाद किया था। नौ रत्नों में वह अकेले ऐसे रत्न थे जिनका कलम और तलवार दोनों विधाओं पर समान अधिकार था। उनकी मृत्यु 1 अक्टूबर 1627 ई में हुई। तो आइए जानते है Rahim Ke Dohe के बारे में Leverage Edu के साथ। यह भी पढ़ें :-कबीर के दोहे रहीमदास का जीवन परिचयरहीम जब 5 वर्ष के थे, उसी समय गुजरात के पाटन नगर में (1561 ई.) इनके पिता की हत्या कर दी गयी । इनका पालन-पोषण स्वयं अकबर की देख-रेख में हुआ। ■ इनकी कार्यक्षमता से प्रभावित होकर अकबर ने 1572 ई. में गुजरात की चढ़ाई के अवसर पर इन्हें पाटन की जागीर प्रदान की। अकबर के शासनकाल में उनकी निरन्तर पदोन्नति होती रही। 1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है। 2. दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय | अर्थ : दुःख में सभी लोग भगवान को याद करते हैं. सुख में कोई नहीं करता, अगर सुख में भी याद करते तो दुःख होता ही नही | 3. रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि. अर्थ: बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती। 4. रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ, अर्थ: रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा. 5. जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह, अर्थ: रहीम कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है – सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है. अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए| यहां पूरे हुए 5 Rahim Ke Dohe 6. बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर, अर्थ : बड़े होने का यह मतलब नहीं हैं की उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता हैं लेकिन उसका फल इतना दूर होता है की तोड़ना मुश्किल का कम है | rahim ke dohe in hindi 7. दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं। अर्थ: कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं। जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती। लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है| 8. समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात। Source: Pinterest अर्थ: रहीम कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है। सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है। 9. रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार, अर्थ: यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए। 10. निज कर क्रिया रहीम कहि सीधी भावी के हाथ अर्थ: रहीम कहते हैं कि अपने हाथ में तो केवल कर्म करना ही होता है सिद्धि तो भाग्य से ही मिलती है जैसे चौपड़ खेलते समय पांसे तो अपने हाथ में रहते हैं पर दांव क्या आएगा यह अपने हाथ में नहीं होता। यह भी पढ़ें :-तुलसीदास की बेहतरीन कविताएं और चर्चित रचनाएं यहां पूरे हुए 10 Rahim Ke Dohe। 11. बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय | अर्थ : अपने अंदर के अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दुसरों को और खुद को ख़ुशी हो। 12. खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय। अर्थ: खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है। रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है। 13. रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय अर्थ: रहीम कहते हैं कि उस व्यवहार की सराहणा की जानी चाहिए जो घड़े और रस्सी के व्यवहार के समान हो घडा और रस्सी स्वयं जोखिम उठा कर दूसरों को जल पिलाते हैं जब घडा कुँए में जाता है तो रस्सी के टूटने और घड़े के टूटने का खतरा तो रहता ही है। 14. संपत्ति भरम गंवाई के हाथ रहत कछु नाहिं अर्थ: जिस प्रकार दिन में चन्द्रमा आभाहीन हो जाता है उसी प्रकार जो व्यक्ति किसी व्यसन में फंस कर अपना धन गँवा देता है वह निष्प्रभ हो जाता है। 15. माह मास लहि टेसुआ मीन परे थल और अर्थ: माघ मास आने पर टेसू का वृक्ष और पानी से बाहर पृथ्वी पर आ पड़ी मछली की दशा बदल जाती है। इसी प्रकार संसार में अपने स्थान से छूट जाने पर संसार की अन्य वस्तुओं की दशा भी बदल जाती है. मछली जल से बाहर आकर मर जाती है वैसे ही संसार की अन्य वस्तुओं की भी हालत होती है। यहां पूरे हुए 15 Rahim Ke Dohe 16. रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय। Source: Pinterest अर्थ: रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता। 17. वरू रहीम कानन भल्यो वास करिय फल भोग अर्थ: रहीम कहते हैं कि निर्धन होकर बंधु-बांधवों के बीच रहना उचित नहीं है इससे अच्छा तो यह है कि वन मैं जाकर रहें और फलों का भोजन करें। 18. पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन। अर्थ : बारिश के मौसम को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया हैं। अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं तो इनकी सुरीली आवाज को कोई नहीं पूछता, इसका अर्थ यह हैं की कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रहना पड़ता हैं। कोई उनका आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता हैं | 19. रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय। अर्थ: रहीम कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है, क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं। 20. वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। अर्थ: रहीम कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार करता है। जिस प्रकार मेंहदी बांटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है, उसी प्रकार परोपकारी का शरीर भी सुशोभित रहता है. यहां पूरे हुए 20 Rahim Ke Dohe। यह भी पढ़ें :- ये हैं 10 Motivational Books जो देगी आपको आत्मविश्वास 21. ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों। अर्थ: ओछे मनुष्य का साथ छोड़ देना चाहिए। हर अवस्था में उससे हानि होती है – जैसे अंगार जब तक गर्म रहता है तब तक शरीर को जलाता है और जब ठंडा कोयला हो जाता है तब भी शरीर को काला ही करता है| 22. वृक्ष कबहूँ नहीं फल भखैं, नदी न संचै नीर अर्थ: वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते, नदी जल को कभी अपने लिए संचित नहीं करती, उसी प्रकार सज्जन परोपकार के लिए देह धारण करते हैं। 23. लोहे की न लोहार की, रहिमन कही विचार जा अर्थ: रहीम विचार करके कहते हैं कि तलवार न तो लोहे की कही जाएगी न लोहार की, तलवार उस वीर की कही जाएगी जो वीरता से शत्रु के सर पर मार कर उसके प्राणों का अंत कर देता है। 24. तासों ही कछु पाइए, कीजे जाकी आस Source: DevisinhSodha.com अर्थ: जिससे कुछ पा सकें, उससे ही किसी वस्तु की आशा करना उचित है, क्योंकि पानी से रिक्त तालाब से प्यास बुझाने की आशा करना व्यर्थ है। 25. रहिमन नीर पखान, बूड़े पै सीझै नहीं अर्थ: जिस प्रकार जल में पड़ा होने पर भी पत्थर नरम नहीं होता उसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति की अवस्था होती है ज्ञान दिए जाने पर भी उसकी समझ में कुछ नहीं आता। यहां पूरे हुए 25 Rahim Ke Dohe 26. साधु सराहै साधुता, जाती जोखिता जान अर्थ: रहीम कहते हैं कि इस बात को जान लो कि साधु सज्जन की प्रशंसा करता है यति योगी और योग की प्रशंसा करता है पर सच्चे वीर के शौर्य की प्रशंसा उसके शत्रु भी करते हैं। 27. राम न जाते हरिन संग से न रावण साथ अर्थ: रहीम कहते हैं कि यदि होनहार अपने ही हाथ में होती, यदि जो होना है उस पर हमारा बस होता तो ऐसा क्यों होता कि राम हिरन के पीछे गए और सीता का हरण हुआ। क्योंकि होनी को होना था – उस पर हमारा बस न था न होगा, इसलिए तो राम स्वर्ण मृग के पीछे गए और सीता को रावण हर कर लंका ले गया। 28. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। अर्थ: रहीम कहते हैं कि वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं। 29. रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत | अर्थ : गिरे हुए लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं, और न तो दुश्मनी। जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता | 30. एकहि साधै सब सधैए, सब साधे सब जाय | अर्थ: एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है – वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है। यहां पूरे हुए 30 Rahim Ke Dohe। यह भी पढ़ें :–पंचतंत्र की रोचक कहानियां 31. मथत-मथत माखन रहे, दही मही बिलगाय | अर्थ : सच्चा मित्र वही है, जो विपदा में साथ देता है। वह किस काम का मित्र, जो विपत्ति के समय अलग हो जाता है? मक्खन मथते-मथते रह जाता है, किन्तु मट्ठा दही का साथ छोड़ देता है। 32. रहिमन’ वहां न जाइये, जहां कपट को हेत | अर्थ : ऐसी जगह कभी नहीं जाना चाहिए, जहां छल-कपट से कोई अपना मतलब निकालना चाहे। हम तो बड़ी मेहनत से पानी खींचते हैं कुएं से ढेंकुली द्वारा, और कपटी आदमी बिना मेहनत के ही अपना खेत सींच लेते हैं। 33. छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात | अर्थ : उम्र से बड़े लोगों को क्षमा शोभा देती हैं, और छोटों को बदमाशी। मतलब छोटे बदमाशी करे तो कोई बात नहीं बड़ो ने छोटों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। अगर छोटे बदमाशी करते हैं तो उनकी मस्ती भी छोटी ही होती हैं। जैसे अगर छोटा सा कीड़ा लात भी मारे तो उससे कोई नुकसान नहीं होता। 34. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा। 35. खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान. अर्थ : सारा संसार जानता हैं की खैरियत, खून, खाँसी, ख़ुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब का नशा छुपाने से नहीं छुपता हैं। यहां पूरे हुए 35 Rahim Ke Dohe 36. जो रहीम ओछो बढै, तौ अति ही इतराय | अर्थ : लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में ज्यादा फ़र्जी बन जाता हैं तो वह टेढ़ी चाल चलने लता हैं। 37. चाह गई चिंता मिटीमनुआ बेपरवाह | अर्थ : जिन लोगों को कुछ नहीं चाहिए वों लोग राजाओं के राजा हैं, क्योकी उन्हें ना तो किसी चीज की चाह हैं, ना ही चिन्ता और मन तो पूरा बेपरवाह हैं। 38. रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन | अर्थ : इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है, पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं की मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिये | पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोटी का कोई मूल्य नहीं | पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे से जोड़कर दर्शाया गया हैं। रहीमदास का ये कहना है की जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोटी का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी यानी विनम्रता रखनी चाहिये जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है। 39. जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं। अर्थ: रहीम अपने दोहें में कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती। 40. मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय | अर्थ : मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं लेकिन अगर एक बार वो फट जाएं तो कितने भी उपाय कर लो वो फिर से सहज और सामान्य रूप में नहीं आते। यहां पूरे हुए 40 Rahim Ke Dohe। यह भी पढ़ें :- 150+ GK in Hindi 41. रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर | अर्थ : इस दोहे में रहीम का अर्थ है की किसी भी मनुष्य को ख़राब समय आने पर चिंता नहीं करनी चाहिये क्योंकि अच्छा समय आने में देर नहीं लगती और जब अच्छा समय आता हैं तो सबी काम अपने आप होने लगते हैं। 42. जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। अर्थ: रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते। 43. रहिमन वे नर मर गये, जे कछु मांगन जाहि | अर्थ : जो इन्सान किसी से कुछ मांगने के लिये जाता हैं वो तो मरे हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुह से कुछ भी नहीं निकलता हैं। 44. रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय | अर्थ : संकट आना जरुरी होता हैं क्योकी इसी दौरान ये पता चलता है की संसार में कौन हमारा हित और बुरा सोचता हैं। 45. जे गरिब पर हित करैं, हे रहीम बड | अर्थ : जो लोग गरिब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं। जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना हैं। यहां पूरे हुए 45 Rahim Ke Dohe 46. जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय, अर्थ : दिये के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता हैं. दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ अंधेरा होता जाता हैं | 47. चाह गई चिंता मिटीमनुआ बेपरवाह | अर्थ : जिन लोगों को कुछ नहीं चाहिये वों लोग राजाओं के राजा हैं, क्योकी उन्हें ना तो किसी चीज की चाह हैं, ना ही चिन्ता और मन तो पूरा बेपरवाह हैं। 48. बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय। Source: Nojoto अर्थ :- रहीम कहते हैं कि जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था। 49. जे सुलगे ते बुझि गये बुझे तो सुलगे नाहि अर्थ :- आग सुलग कर बुझ जाती है और बुझने पर फिर सुलगती नहीं है । प्रेम की अग्नि बुझ जाने के बाद पुनः सुलग जाती है। भक्त इसी आग में सुलगते हैं । 50. धनि रहीम गति मीन की जल बिछुरत जिय जाय अर्थ :- इस Rahim Ke Dohe बताया गया है की मछली का प्रेम धन्य है जो जल से बिछड़ते हीं मर जाती है। भौरा का प्रेम छलावा है जो एक फूल का रस ले कर तुरंत दूसरे फूल पर जा बसता है। जो केवल अपने स्वार्थ के लिये प्रेम करता है वह स्वार्थी है। यहां पूरे हुए 50 Rahim Ke Dohe। यह भी पढ़ें :- वर्ण-विच्छेद Source: Nupur Bhakti Sansaarआशा करते हैं कि आपको Rahim Ke Dohe का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप विदेश में पढ़ाई करने का अपना सपना पूरा करना चाहते हैं, तो आज ही 1800 572 000 पर कॉल करके हमारे Leverage Edu के विशेषज्ञों के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। वे आपको उचित मार्गदर्शन के साथ आवेदन प्रक्रिया में भी आपकी मदद करेंगे। |