देव का विलोम शब्द क्या है - dev ka vilom shabd kya hai

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देव का विलोम शब्द या देव का विलोम , देव का उल्टा क्या होता है ? Dev ka vilom shabd , Dev ka vilom shabd kya hai

शब्द विलोम शब्द
देव ‌‌‌दानव
Dev Danav, Daity

‌‌‌देव का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों देव के बारे मे तो आपने अच्छी तरह से सुना ही होगा । देव का मतलब देवता से होता है। और देवता वह होता है जोकि अच्छे कार्यों के लिए जाना जाता है। आपको पता ही होगा कि इस धरती पर तीन तरह के गुण मानें गए हैं। एक है सतोगुण ,रजोगुण और तमोगुण । जो इंसान सतोगुण  ‌‌‌को धारण करता है वह देवता कहलाता है।सतोगुण का मतलब है अच्छी चीजें जो किसी की भलाई के अंदर विश्वास रखता है वही तो देवता होता है। लेकिन जो इंसान रजो या तमोगुण को धारण करता है वह राक्षस भूत प्रेत या दानव होता है। दानव विध्वंस मे भरोशा करते हैं।

‌‌‌बहुत से लोगों को  यह लगता है कि देवता नहीं होते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। हां किसी की देवता को देखने की औकात नहीं है तो वह अलग बात है। अक्सर आपने पुराणों की कथाओं के अंदर सुना होगा कि देवो और दनावों के लड़ाई हुई। यह सिर्फ उस समय की कहानी नहीं थी। आज भी देवों और दानवों मे झगड़ा होता है।

देव का विलोम शब्द क्या है - dev ka vilom shabd kya hai

‌‌‌भले ही हम इसको अपनी आंखों से ना देखें लेकिन यही सच है कि देवो और दानवों मे झगड़ा होता है।जैसे कि भूत प्रेत आमतौर पर लोगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं तो देवता अपने भगतों की रक्षा करने के लिए दौड़े चले आते हैं। साल 2020 की बात है जब ओंकार नामक एक व्यक्ति रात के अंधेरे मे बाइक लेकर ‌‌‌जा रहा था। पता नहीं उसका कैसे एक्सीडेंट हो गया और फिर उसका एक पैर कट गया और वह रोड़ पर पड़ा रहा । उस दिन उसकी मौत भी हो सकती थी लेकिन उसके घर के पितरों ने उसको बचा लिया । पितरों के बारे मे भी आप जानते ही होंगे जिनको घर के पूर्वज के नाम से भी जाना जाता है। और ‌‌‌यह एक अच्छी आत्मा होते हैं जिनका कार्य अपने लोगों की मदद करना ही होता है।

दोस्तों देवता वह इंसान बनता है जो अपने जीवन के अंदर अच्छे गुणों को धारण करता है। जैसे अपने जीवन भर दूसरों की भलाई करने वाला और दूसरों के प्रति अच्छी सोच रखने वाला इंसान देवता बन जाता है।

‌‌‌असल मे मरने के बाद भी इंसान के अंदर वैचारिक अशुद्धियां रह जाती हैं। इसी वजह से देवता बनने से पहले उसकी वैचारिक अशुद्धियां की जाती हैं। कारण यही है कि वह गलत चीजों से प्रेरित ना हो ।

‌‌‌आपको यह भी पता होना चाहिए कि योगी लोग एक ऐसी आत्मा को बना सकते थे जो सूक्ष्म जगत के अंदर होती थी और पूरी तरह से इंसानी आत्मा । इतना ही नहीं उसको एक इंसानी शरीर भी दिया जा सकता था।

‌‌‌हालांकि इस प्रकार की तांत्रिक क्रियाएं तेजी से विलुप्त होती जा रही हैं। क्योंकि अब उच्च कोटी के साधक बहुत ही कम बचे हैं और जो कम बचे हैं वे दुनिया के सामने नहीं आते हैं। क्योंकि अधिकतर लोग अब राक्षस किस्म के हो चुके हैं। वे बस भोग विलास मे डूबे रहना चाहते हैं। धरती के अंत तक यहां पर ‌‌‌तमोगुणी और रजोगुणी लोगों की संख्या बहुत अधिक हो जाएगी जोकि धरती पर तरह तरह से अत्याचार और आतंक मचाएंगे ।

‌‌‌दानव का मतलब

दानव का नाम तो आपने सुना ही होगा दानव का मतलब होता है राक्षस और राक्षस के बारे मे आप जानते ही होंगे । प्राचीन कथा और कहानी के अंदर तो राक्षसों के बारे मे बहुत ही अच्छे से उल्लेख मिलता है।‌‌‌और अनेक प्रकार के दानवों के बारे मे बताया गया है।जैसे कि रावण भी एक दानव था जिसके दस सिर थे । इसी प्रकार से

  • अंधक
  • बाणासुर
  • भस्मासुर
  • बकासुर
  • चन्दा
  • धेनुक
  • दूषण
  • हिरण्यकश्यपु

‌‌‌जैसे भयंकर दानव प्राचीन काल मे हुए थे ।आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सत्ता की ताकत हमेशा दानवों के पास ही रही है। दानव ही ने हमेशा सुखों का भोग किया है। कारण यही है कि दानव भोग और विलास के अंदर भरोशा करते थे । लेकिन इसके विपरित देवों ने कभी भी सही तरीके से सत्ता का भोग नहीं किया ।

‌‌‌भले ही आज आपको लंबे सींग वाले दानव नहीं दिखाई देते हैं लेकिन दानव आज भी मौजूद हैं। कोरोना काल मे आपने अनेक अस्पतालों को दानव का घर के रूप मे देखा । और अनेक दानवों ने आपदा को अवसर मे बदल डाला । इसी प्रकार से कुछ दानवों ने तो जनता को जमकर लूटा । लेकिन ‌‌‌दानव यह हमेशा भूल जाते हैं कि जो सुख और भोग विलास के अंदर डूबा रहता है उसकी गति रावण के समान होती है। उसकी गति बकासुर के समान होती है। वो कहते ना अंत समय मे वे लोग पछताते हैं ना माया मिली ना राम । हालांकि दानवों का इतिहास ही रहा है कि वे स्त्री भोग और पैसे के पीछे अपनी पूरी जिदंगी ‌‌‌लगा देते हैं और जब अंत समय आता है तो फिर सब कुछ बरबाद हो जाता है।

देव का विलोम शब्द क्या है - dev ka vilom shabd kya hai

खैर दानवों को आप किसी भी तरीके से समझा नहीं सकते हैं। कारण यही है कि वे भोग पर यकीन करते हैं। उनको लगता है कि इससे बड़ा सुख नहीं है। आजकल आप जो अत्याचार यहां पर देख रहे हैं वह सब दानवों के कारण ही है।

 महिलाओं का रेप होना और ‌‌‌देश के नेता का तो कहना ही क्या ।80 साल के नेता अभी भी मंत्री की मलाई खाना चाहते हैं लोग भोग मे इतने डूबे हैं कि उनकी दुर्गति होना तय है। यह प्रकृति आपको वही देती है जो आप सही मायेने मे चाहते हो । यदि आप गदंगी चाहते है तो आपको वही मिलता है। भगवान ने तो आज से हजारों साल पहले ही कहदिया था कि ‌‌‌अर्जुन हमारी सोच ही हर चीज होने का कारण है।उन्हें किसी को प्रूफ देने की जरूरत नहीं थी क्योंकि वे अपने अंदर सब कुछ देख रहे थे । वे डार्विन की तरह वन मे नहीं भटके । वे अपने अंदर सब कुछ घटित हुआ देख चुके थे ।

‌‌‌तो आप इस दानवों की दुनिया मे यदि अकेला महससू करते हैं तो  कोई नई बात नहीं है क्योंकि अक्सर ऐसा हो जाता है। ‌‌‌लेकिन चिंता करने की कोई बात नहीं है। धरती पर दानवों का आतंक आज का नहीं हजारों सालों पुराना है।यह ऐसे ही आपस मे लड़ते रहेंगे और पैदा होते रहेंगे । और फिर धीरे धीरे किसी जन्म मे देव के रूप मे आयेंगे ।

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