वृषभ राशि के पति कैसे होते हैं? - vrshabh raashi ke pati kaise hote hain?

राशि चक्र की यह दूसरी राशि है, इस राशि का चिन्ह ’बैल’ है, बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। यह स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है, वॄष राशि का विस्तार राशि चक्र के 30 अंश से 60 अंश के बीच पाया जाता है, इसका स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके तीन देष्काणों में उनके स्वामी ’शुक्र-शुक्र”, शुक्र-बुध’, और शुक्र-शनि, हैं। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण,रोहिणी के चारों चरण, और मृगसिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी कॄत्तिका के द्वितीय चरण के स्वामी सूर्य-शनि, तॄतीय चरण के स्वामी चन्द्रमा-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी सूर्य-गुरु, हैं।रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी चन्द्रमा-मंगल, दूसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-शुक्र, तीसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-बुध, चौथे चरण के स्वामी चन्द्रमा-चन्द्रमा, है।मृगसिरा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य, और दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध है।


दूसरे चरण और तीसरे चरण के मालिक सूर्य-शनि, जातक के जीवन में पिता पुत्र की कलह फ़ैलाने में सहायक होते है, जातक का मानस सरकारी कामों की तरफ़ ले जाने, और सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता देते हैं, पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिक तर मंगल के बद हो जाने की दशा में शराब, काबाब और भूत के भोजन में अपनी रुचि को प्रदर्शित करता है।

  • कॄत्तिका के चौथे चरण के मालिक सूर्य और गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो गर्व की बात करता है, सरकारी क्षेत्रों की शिक्षाये और उनके काम जातक को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं, और किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है।
  • रोहिणी के प्रथम चरण का मालिक चन्द्रमा-मंगल है, दोनो का संयुक्त प्रभाव जातक के अन्दर मानसिक गर्मी को प्रदान करता है, कल कारखानों, अस्पताली कामों और जनता के झगडे सुलझाने का काम जातक कर सकता है, जातक की माता आपत्तियों से घिरी होती है, और पिता का लगाव अन्य स्त्रियों से बना रहता है।
  • रोहिणी के दूसरे चरण के मालिक चन्द्र-शुक्र जातक को अधिक सौन्दर्य बोधी और कला प्रिय बनादेता है। जातक कलाकारी के क्षेत्र में अपना नाम करता है, माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण में सामजस्यता लाता है, जातक या जातिका अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है।
  • रोहिणी के तीसरे चरण के मालिक चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है, और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है, जातक या जातिका के जीवन में व्यापारिक यात्रायें काफ़ी होती हैं, जातक अपने ही बनाये हुए उसूलों पर अपना जीवन चलाता है, अपनी ही क्रियायों से वह मकडी जैसा जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने जाल में फ़ंस कर अपने को समाप्त भी कर लेता है।
  • रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्र-चन्द्र है, जातक के अन्दर हमेशा उतार चढाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।
  • मॄगसिरा के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य हैं, अधिक तर इस युति मैं पैदा होने वाले जातक अपने शरीर से दुबले पतले होने के वावजूद गुस्से की फ़ांस होते हैं, वे अपने को अपने घमंड के कारण हमेशा अन्दर ही अन्दर सुलगाते रहते हैं। उनके अन्दर आदेश देने की वॄति होने से सेना या पुलिस में अपने को निरंकुश बनाकर रखते है, इस तरह के जातक अगर राज्य में किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी सम्पत्ति को किसी भी तरह से क्षति नहीं होने देते.
  • मॄगसिरा के दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध जातक के अन्दर कभी कठोर और कभी नर्म वाली स्थिति पैदा कर देते हैं, कभी तो जातक बहुत ही नरम दिखाई देता है, और कभी बहुत ही गर्म मिजाजी बन जाता है। जातक का मन कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक सामान को बनाने और इन्ही की इन्जीनियरिंग की तरफ़ सफ़लता भी देता है।

जब चन्द्रमा निरयण पद्धति से वॄष राशि में होता है तो जातक की वॄष राशि मानी जाती है, जन्म समय में जन्म लगन वॄष होने पर भी यही प्रभाव जातक पर होता है। इस राशि में पैदा होने वाले जातक शौकीन तबियत, सजावटी स्वभाव, जीवन साथी के साथ मिलकर कार्य करने की वॄत्ति, अपने को उच्च समाज से जुड कर चलने वाले, अपने नाम को दूर दूर तक फ़ैलाने वाले, हर किसी के लिये उदार स्वभाhhhhव, भोजन के शौकीन, बहुत ही शांत प्रकॄति, मगर जब क्रोध आजाये तो मरने मारने के लिये तैयार, बचपन में बहुत शैतान, जवानी में कठोर परिश्रमी, और बुढापे में अधिक चिंताओं से घिरे रहने वाले, जीवन साथी से वियोग के बाद दुखी रहने वाले, और अपने को एकांत में रखने वाले, पाये जाते हैं। इनके जीवन में उम्र की 45 वीं साल के बाद दुखों का बोझ लद जाता है, और अपने को आराम में नहीं रखपाते हैं। वॄष पॄथ्वी तत्व वाली राशि और भू मध्य रेखा से 20 अंश पर मानी गई है, वॄष, कन्या, मकर, का त्रिकोण, इनको शुक्र-बुध-शनि की पूरी योग्यता देता है, माया-व्यापार-कार्य, या धन-व्यापार-कार्य का समावेश होने के कारण इस राशि वाले धनी होते चले जाते है, मगर शनि की चालाकियों के कारण यह लोग जल्दी ही बदनाम भी हो जाते हैं। गाने बजाने और अपने कंठ का प्रयोग करने के कारण इनकी आवाज अधिकतर बुलन्द होती है। अपने सहायकों से अधिक दूरी इनको बर्दास्त नहीं होती है।

वृष राशि - श्वेत वर्ण, शुक्रग्रह स्वामी, लंबा कद, चतुप्पाद (चार पैर), रात्रिबली, दक्षिण दिशा का स्वामी, ग्रामवासी, वैश्य जाति, भूमिचारी, रजोगुणी और पृष्ठोदयी।[1] वृष राशि वाले जातक शांति पूर्वक रहना पसंद करते हैं, उनको जीवन में परिवर्तन से चिढ सी होती है, इस राशि के जातक अपने को बार बार अलग माहौल में रहना अच्छा नहीं लगता है। इस प्रकार के लोग सामाजिक होते हैं और अपने से उच्च लोगों को आदर की नजर से देखते है। जो भी इनको प्रिय होते हैं उनको यह आदर खूब ही देते हैं, और सत्कार करने में हमेशा आगे ही रहते है। सुखी और विलासी जीवन जीना पसंद करते हैं।

इस राशि के जातको में धन कमाने की प्रवॄति और धन को जमा करने की बहुत इच्छा होती है, धन की राशि होने के कारण अक्सर ऐसे जातक खुद को ही धन के प्रयुक्त करते हैं, बुध की प्रबलता होने के कारण जमा योजनाओं में उनको विश्वास होता है, इस राशि के लोग लेखाकारी, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, कलाकार, सजावट कर्ता, सौन्दर्य प्रसाधन का कार्य करने वाले, प्रसाधन सामग्री के निर्माण कर्ता, आभूषण निर्माण कर्ता, और आभूषण का व्यवसाय करने वाले, विलासी जीवन के साधनो को बनाकर या व्यापार करने के बाद कमाने वाले, खाद्य सामग्री के निर्माण कर्ता, आदि काम मिलते हैं। नौकरी में सरकारी कर्मचारी, सेना या नौसेना में उच्च पद, और चेहरे आदि तथा चेहरा सम्भालने वाले भी होते हैं। धन से धन कमाने के मामले में बहुत ही भाग्यवान माने जाते हैं।

वृष राशि वालो के लिये अपने ही अन्दर डूबे रहने की और आलस की आदत के अलावा और कोई बडी बीमारी नहीं होती है, इनमे शारीरिक अक्षमता की आदत नहीं होती है, इनके अन्दर टांसिल, डिप्थीरिया, पायरिया, जैसे मुँह और गले के रोग होते हैं, जब तक इनके दांत ठीक होते है, यह लोग आराम से जीवन को निकालते हैं, और दांत खराब होते ही इनका जीवन समाप्ति की ओर जाने लगता है। बुढापे में जलोदर और लकवा वाले रोग भी पीछे पड जाते है।

वृषभ राशि से कौन सी राशि प्यार करती है?

वृषभ के लिए बेस्‍ट लाइफ पार्टनर ज्योतिष के मुताबिक वृषभ राशि वाले जातक कन्या राशि की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं. मीन और कन्या राशि के साथ उनकी ज्यादा पटती है. व्यवहार के मामले में कर्क राशि के साथ इनकी पर्याप्त समानताएं होती हैं. धन और प्रेम के मामले में दोनों राशि के लोग व्यावहारिक होते हैं.

एक साथी में वृषभ राशि क्या दिखती है?

चूँकि वृष राशि पर स्वयं प्रेम ग्रह का शासन है, इसलिए वृषभ राशि के लोग एक साथी के साथ पूरी तरह से घुलने-मिलने में बहुत रुचि रखते हैं। उन्हें एक रिश्ते में प्यार, आराम और सबसे बढ़कर, स्थिर महसूस करने की जरूरत है। वे नाटक के लिए नहीं हैं। अनुवाद: यह एक संकेत है कि जीवन के लिए साथी।

वृषभ प्रेम क्या है?

सूर्य के तहत पैदा हुए वृषभ राशि वालों को कामुक प्रेमी के रूप में जाना जाता है। ये दिल से वफादार होने के कारण वे अपने साथी के साथ कभी-कभी ही सुखद पलों का आनंद लेते हैं। उनकी भावनाएं गहरी और मजबूत होती हैं।

वृषभ राशि वालों की शादी कब तक हो सकती है?

वृषभ (Taurus): ज्योतिष शास्त्र के मुतबिक वृष राशि के जातकों का विवाह 23 साल की उम्र में हो जाता है। यदि इस उम्र में विवाह नहीं हुआ तो फिर 25 वर्ष, 27 वर्ष, 29 वर्ष और 33 वर्ष की उम्र में होता है।