वैदिक गणित का लेखक कौन है?... Show
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। वैदिक गणित के लेखक भारती कृष्ण तीर्थ वार्षिक स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने 1965 में वैदिक गणित को लिखा था और इसके ऊपर वेद बनाए थे टेक्निक्स लिखी थी मेहंदी मैथमेटिक्स रिलेटेड गणेश रिलेटेड इनके किताबें भी आती आप खरीद सकते हैं ऑनलाइन Romanized Version 1 जवाब Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!
वैदिक गणित, जगद्गुरू स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा सन १९६५ में विरचित एक पुस्तक है जिसमें अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियाँ दी गयीं हैं। इसमें १६ मूल सूत्र ,तथा 13 उपसूत्र दिये गये हैं। वैदिक गणित गणना की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं अत्यंत ही सरल, सहज व त्वरित संभव हैं। स्वामीजी ने इसका प्रणयन बीसवीं सदी के आरम्भिक दिनों में किया। स्वामीजी के कथन के अनुसार वे सूत्र, जिन पर ‘वैदिक गणित’ नामक उनकी कृति आधारित है, अथर्ववेद के परिशिष्ट में आते हैं। परन्तु विद्वानों का कथन है कि ये सूत्र अभी तक के ज्ञात अथर्ववेद के किसी परिशिष्ट में नहीं मिलते। हो सकता है कि स्वामीजी ने ये सूत्र जिस परिशिष्ट में देखे हों वह दुर्लभ हो तथा केवल स्वामीजी के ही संंज्ञान में हो। वस्तुतः आज की स्थिति में स्वामीजी की ‘वैदिक गणित’ नामक कृति स्वयं में एक नवीन वैदिक परिशिष्ट बन गई है। वैदिक गणित के सोलह सूत्र[संपादित करें]स्वामीजी के एकमात्र उपलब्ध गणितीय ग्रंथ ‘वैदिक गणित' या 'वेदों के सोलह सरल गणितीय सूत्र’ के बिखरे हुए सन्दर्भों से छाँटकर डॉ॰ वासुदेव शरण अग्रवाल ने सूत्रों तथा उपसूत्रों की सूची ग्रंथ के आरम्भ में इस प्रकार दी है—
वैदिक गणितीय सूत्रों की विशेषताएँ[संपादित करें]
कुछ सूत्रों का परिचय[संपादित करें]एकाधिकेन पूर्वेण(गुणा का सरल स्वदेशी तरीका)[संपादित करें]इस सूत्र का शाब्दिक अर्थ है : 'पहले वाले की तुलना में एक अधिक से'। यह सूत्र 1/x9 (जैसे.: 1/19, 1/29, आदि) का मान निकालने के लिये बहुत उपयोगी है। यह सूत्र गुणा करने वाले और भाग करने वाले दोनो प्रकार के अल्गोरिद्म में उपयोग में लिया जा सकता है। मान लीजिए कि 1/19 का मान निकालना है, अर्थात् x = 1 . गुणन अल्गोरिद्म का उपयोग करने के लिये (यह दाएँ से बाएँ काम करता है) भाज्य (dividend) 1 ही परिणाम का सबसे दायाँ अंक होगा। इसके बाद इस अंक को 2 से गुणा करें (अर्थात् x + 1) और गुणनफल को बाएँ लिखें। यदि गुणनफल 10 से अधिक आये तो (गुणनफल – 10) को लिखें और "1" हासिल बन जाता है जिसे अगली बार गुणा करने पर सीधे जोड़ दिया जायेगा। 'एकाधिकेन' और 'पूर्वेण' में तृतीया विभक्ति (करण) है जो यह संकेत करती है कि यह सूत्र गुणा या भाग पर आधारित है। क्योंकि योग और घटाना में द्वितीया या पंचमी विभक्ति (to और from) आती। इस सूत्र का एक रोचक उपयोग पाँच (५) से अन्त होने वाली संख्याओं का वर्ग निकालने में किया जा सकता है, जैसे: 35×35 = ((3×3)+3),25 = 12,25 and 125×125 = ((12×12)+12),25 = 156,25या 'एकाधिकेन पूर्वेण' का प्रयोग करते हुए, 35×35 = ((3×4),25 = 12,25 and 125×125 = ((12×13),25 = 156,25उपपत्ति (Proof)[संपादित करें]यह सूत्र जहाँ और , पर आधारित है, अर्थात् बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]वैदिक गणित से प्रश्न हल करने के सूत्र व विधियां(Download PDF)
वैदिक गणित का दूसरा नाम क्या है?इसलिए वैदिक गणित को मानस गणित भी कहा जाता है। वैदिक गणित के सूत्र-उपसूत्रों आधारित विधियों के अभ्यास से गणित के कठिनतम प्रश्नों को हल किया जा सकता है।
वैदिक गणित के 16 सूत्र कौन कौन से हैं?(16 Sutras of Vedic Ganit with Examples). सूत्र – 1 – एकाधिकेन पूर्वेण।।. सूत्र – 2 – निखिलं नवतश्मचरमं दशतः. सूत्र – 3 – ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्. सूत्र – 4 – परावर्त्य योजयेत्. सूत्र – 5 – शून्यं साम्यमुच्चये. सूत्र – 6 – अनुरूप्ये शून्यमन्यत्. सूत्र – 7 – संकलनव्यवकलनाभ्याम्. सूत्र – 8 – पूरणापूरणाभ्याम्. वैदिक गणित का उद्देश्य क्या है?अतः वैदिक गणित का उद्देश्य यही है कि कैसी भी गणना हो उसे कुछ ही समय में तथा आसान तरीके से हल किया जा सकें । की गई हैं। अतः वैदिक गणित का उद्देश्य हमारी भारतीय संस्कृति को फिर से जीवत करने का है।
वैदिक गणित का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रंथ कौन है?शुल्व सूत्र वैदिक गणित का महत्वपूर्ण अंग है।
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