विदेश भेजने वाले एजेंट का नंबर - videsh bhejane vaale ejent ka nambar

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अंतिम अद्यतन: Nov 14, 2022

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विदेश भेजने वाले एजेंट का नंबर - videsh bhejane vaale ejent ka nambar

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वर्क परमिट दिलाने वाले वैध एजेंट के जरिये विदेश जाएंगे तो फंसने पर विदेश मंत्रालय से मिलेगी मदद, हादसे पर कंपनसेशन भी संभव

चंडीगढ़. पंजाब के विभिन्न हिस्सों से काम के लिए रोजाना कई युवा विदेश जाते हैं। गल्फ और अन्य देशों में जाने वाले ये युवा इसके लिए ट्रैवल एजेंटों का सहारा लेते हैं, लेकिन कई युवा इसमें ठगी का शिकार हो जाते हैं। या तो वो गल्फ देशों में जाकर एक्पलाॅयटेशन का शिकार होते हैं या उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि वहां जाकर काम करने के दौरान उनके अधिकार क्या हैं।

लीगल एजेंट के जरिये जाने पर मिलती है सहायता: काम के दौरान हादसा होने की सूरत में उन्हें कंपनसेशन कैसे और कितना मिल सकता है। ये सभी जानकारियां युवाओं को तभी मिल पाती हैं अगर वो लीगल एजेंट के जरिये विदेश जाते हैं। इसके लिए विदेश मंत्रालय ने प्रोटेक्टर जनरल आॅफ एमिग्रेेंट के तहत प्रावधान कर रखा है। विदेश मंत्रालय के अंडर आने वाले प्रोटेक्टर जनरल आॅफ इमिग्रेंट के तहत पंजाब में 38 ट्रैवल एजेंट रजिस्टर्ड हैं। युवा अगर विदेश मंत्रालय के प्रोटेक्टर जनरल आॅफ इमिग्रेंट के तहत रजिस्टर्ड इन लीगल एजेंटों के जरिये ही विदेश जाएं तो उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। यह बात पंजाब पुलिस के एडीजीपी एनआरआई ईश्वर सिंह ने भास्कर से बातचीत के दौरान कही।  इसके अलावा स्टडी, टूरिस्ट आदि 7 वीजा पर विदेश भेजने वालों की संख्या 1188 तक है। इनमें वर्क परमिट दिलाने वाले ट्रैवल एजेंट भी शामिल हैं।  

लीगल ढंग से जाएंगे तो पता रहेगा कि कहां हैं: एडीजीपी (एनआरआई) ईश्वर सिंह ने बताया कि इमिग्रेशन एक्ट 1983 के तहत लोग काम के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन विदेश मंत्रालय की ओर से प्रोटेक्टर जनरल आॅफ इमिग्रेंट के तहत जिन ट्रैवल एजेंटों को रजिस्टर्ड किया गया है, उनके जरिये विदेश जाने से युवा ज्यादा सुरक्षित रह सकते हैं। अगर युवा इन लीगल एजेंटों के जरिये विदेश जाते हैं तो वहां जाने के बाद किसी हादसे का शिकार होने पर या गुम होने पर उनके बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है कि वो कहां और किस देश में किस जगह हैं। 

चंडीगढ़ आॅफिस के अंडर हैं आसपास के राज्य: एडीजीपी ने बताया, विदेश मंत्रालय के तहत आता प्रोटेक्टर जनरल आॅफ इमिग्रेंट पूरे हिंदुस्तान में है। इसके चंडीगढ़ कार्यालय के अंडर पंजाब, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, यूटी चंडीगढ़ और जेएंडके आते हैं। इन राज्यों के युवा इसके लिए चंडीगढ़ कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। चंडीगढ़ में यह आॅफिस सेक्टर 9 स्थित केंद्रीय सदन की पांचवीं मंजिल पर है। प्रोटेक्टर जनरल आॅफ इमिग्रेंट के अलावा विदेश जाने वाले युवा और उनके घरवाले विदेश मंत्रालय के मदद पोर्टल से भी ‘मदद’ ले सकते हैं। कोई परिवार विदेश में जाकर फंस जाए तो उनका पता लगाने के लिए मदद पोर्टल पर सूचना दी जा सकती है। इस पोर्टल पर उस परिवार के बारे में पूरी इंफाॅर्मेशन डाले जाने के बाद विदेश मंत्रालय उनकी मदद के लिए को-आॅर्डिनेशन करता है।

सांझ प्रोजेक्ट के तहत सेमिनार: एडीजीपी ने बताया कि विदेश जाने वाले युवाओं को फर्जी ट्रैवल एजेंटों के चक्कर में फंसने से बचाने और जागरूक करने के लिए विदेश मंत्रालय के सांझ प्रोजेक्ट के तहत समय समय पर सेमिनारों का आयोजन किया जाता है। इनमें युवाओं को विदेश जाकर आने वाली हर तरह की समस्याओं की जानकारी दी जाती है।

दोस्तों ,

आप  चाहते  हैं  कि  आपको  विदेशी  वीज़ा  मिले , बाहर  जाएं  और  अच्छी  ज़िन्दगी  जियें ? इसके  लिए  आज  आप  मेरा  एक  काम  करिये |

किसी  सब्जी  वाले  के  पास  जाओ , उसे  अपनी  जेब  से  100  रुपये  निकाल  के  दो , उसे  बोलो  कि  लंगड़ा  आम  दे , वह  कहेगा  कि  इस  मौसम  में  मैं  दे  नहीं  सकता , आप  अपने  पैसे  बिना  वापस  लिए  खाली  हाथ  घर  वापस  आ  जाना | यानी  100  रुपये  का  नुकसान  करवा  आना |

अब  आप  कहोगे  कि  ऐसे  थोड़े  ही  होता  है , हम  पहले  सोच  समझ  के  दुकान  पर  जाते  हैं , सामान  चुनते  हैं , और  जब  वह  चीज़  मिल  जाती  है  तभी  उसके  पैसे  देते  हैं | चाहे  वह  सब्जी  हो , कपडे  हो , गैस  का  सिलिंडर  हो , बिजली  का  सामान  हो – हर  एक  चीज़  में  पहले  सामान  लिया  जाता  है  और  फिर  पैसे  दिए  जाते  हैं |

हम  लोग  पूरे  पैसे  तभी  देते  हैं  जब  हमें  सामान  मिल  जाता  है

तो  फिर  हम  लोग  वीज़ा  लेने  के  समय  ऐसा  क्यों  नहीं  करते  हैं ?

हम  लोग  एजेंटों  के  पास  जाते  हैं , पैसे  जमा  करवा  आते  हैं , और  अगर  वीज़ा  ना  मिले  तो  दिए  हुए  पैसे  भी  वापस  नहीं  लेते | इससे  बड़ी  दुःख  की  बात  यह  है  कि  हम  50-100  रुपये  नहीं , पूरे  दो – ढाई  लाख  रुपये  का  नुकसान  करवाते  हैं , और  वह  भी  केवल  एक  बार  में | हम  अपने  माँ – बाप  की  बरसों  की  मेहनत , चंद  मिनटों  में  मिट्टी  कर  आते  हैं |

ऐसा  करने  से  काम  तो  होता  नहीं , बस  नुकसान  ही  होता  है , लोगों  की  कोठियां  तक  बिक  जाती  हैं  |

दोस्तों , अगर  आप  चाहते  हो  कि  आपको  वीज़ा  मिले , तो  अपने  पूरे  पैसे  वीज़ा  लगने  के  बाद  ही  दो | क्योंकि  इससे  धन – संपत्ति  ही  नहीं , वीज़ा  लगने  से  पहले  पैसे  देने  पर  और  भी  कई  नुकसान  होते  हैं  |

1. गलत  उम्मीद  से  दुःख  होता  है

वीज़ा  ना  लगने  से  बन्दे  का  आत्मविश्वास (confidence)  काम  होने  लगता  है , यह  देख  कर  कि  उसके  दोस्तों  का  वीज़ा  आ  गया  मगर  उसका  खुद  का  नहीं  लगा | उसे  लगने  लगता  है  कि  उसमें  कोई  कमी  है , जबकि  असली  कमी  तो  उस  एजेंट  में  थी  जिसने  उसे  गलत  सलाह  दी | वीज़ा  लगने  के  लिए  सही  कोर्स  में  आवेदन (apply)  करना  चाहिए | एक  प्रमाणित (certified)  एजेंट  सच  बता  देता  है , अगर  उसे  लगे  कि  वीज़ा  नहीं  लगेगा , बजाये  इसके  कि  बच्चे  को  गलत  उम्मीद  देकर  पैसे  ठगे | वीज़ा  ना  लगने  से  कुछ  लोग  इतने  ज़्यादा  उदास  हो  जाते  है , कि  एक  प्रमाणित  एजेंट  के  पास  जाने  से  भी  कतराने  लगता  है , मनोबल  खोने  के  कारण , कि  क्या  फायदा  जब  वीज़ा  लगना  ही  नहीं | निराश  मत  हो , सारे  एजेंट  एक  जैसे  नहीं  होते , अच्छे  वाला  एजेंट  आपका  फायदा  ही  करवाएगा |

2. फ़ालतू  में  समय  बर्बाद  होता  है

एक  बार  वीज़ा  ना  लगने  के  कारण  एक  व्यक्ति  को  फिर  से  नया  एजेंट  ढूंढना  पढता  है , कई  बार  ऐसे  लोगों  को  5-6  बार  वीज़ा  के  लिए  नामंजूरी  (rejection)  मिलती  है  जिसके  चलते  वह  10-12  लाख  तक  खो  बैठते  हैं , कुछ  लोग  तो  कर्ज़ा  तक  ले  बैठते  हैं | मैंने  कुछ  ऐसे  IELTS Centre  भी  देखे  हैं  जिनके  पास  जब  बच्चे  पूछताछ  करने  आते  हैं  तो  उस  IELTS Centre  वाले  को  पता  होता  है  कि  उनका  वीज़ा  नहीं  लगेगा , फिर  भी  IELTS  की  तैयारी  करवाते  हैं | याद  रखिये , IELTS  होने  से  आपका  वीज़ा  लगना  आसान  हो  जाता  है  मगर  कुछ  देशों  में  यह  ज़रूरी  नहीं  होता | आप  IELTS  की  घर  बैठ  कर  तैयारी  कर  सकते  हैं  और  अच्छे  बैंड  भी  ला  सकते  हैं |

3. तकलीफें  झेलनी  पढ़ती  हैं

कभी  भी  किसी  अप्रमाणित (unregistered)  एजेंट  के  पास  मत  जाओ , वह  आपका  केवल  नुकसान  करेगा | कुछ  लोग  ऐसे  कहेंगे  कि  बस  थोड़े  से  रुपये  दो , आपको  वीज़ा  मिल  जायेगा | वह  चीनी (Chinese)  माल  की  तरह  अपने  धंधे  को  दिखाते  हैं , कि  सस्ता  है  इसलिए  ले  लो | मगर  असलियत  कुछ  और  ही  होती  है | मैं  ऐसे  लोग  भी  जानता  हूँ  जो  विदेश  जाना  चाहते  थे  पढ़ाई  के  लिए , उन्हें  किसी  एजेंट  ने  नौकरी  का  झांसा  दिया , उनसे  पैसे  ले  लिए , और  वह  भोले -भले  लोग  घर  बैठ  गए | इससे  अच्छा  रहता  कि  वह  अध्ययन (study)  के  लिए  चले  जाते , जिसमें  विदेश  जाना  आसान  है |

4. जीना  मुश्किल  हो  जाता  है

वीज़ा  ना  मिलने  के  कारण  वह  व्यक्ति  यहीं  का  होकर  रह  जाता  है | जो  फिर  भी  थोड़ा  बहुत  पढ़ा  हुआ  होता  है , वह  तो  दिल्ली – बैंगलोर  जाकर  किसी  अच्छी  कंपनी  में  नौकरी  कर  सकता  है , समस्या  तो  उन  लोगों  को  आती  है  जो  इतने  पढ़े  हुए  या  फिर  अमीर  नहीं  होते | यहां  उन्हें  अच्छी  नौकरियां  मिलती  नहीं , और  जो  मिलता  है  उसमें  रोज़  के  खर्चे  निकलते  नहीं | वीज़ा  अस्वीकार (refusal)  होने  के  बाद  ऐसे  लोग  यहां  रहकर  वह  काम  नहीं  कर  पाते  जिनकी  उनमें  क्षमता  होती  है | एप्पल  और  फेसबुक  जैसी  कंपनियों  का  बढ़िया  काम  केवल  विदेश  में  ही  हो  सकता  है , यहां  नहीं | जो  लोग  विदेश  चले  जाते  हैं , वह  आगे  निकल  जाते  हैं , अच्छी  ज़िन्दगी  बिताते  हैं , बड़े – बड़े  घर  बनाते  हैं | अच्छे  लोग  मुश्किलें  ना  झेलें , इसलिए  ज़रूरी  है  कि  वह  विदेश  जाने  की  कोशिश  करें  |

5. लालची  एजेंटों  को  प्रोत्साहन  मिलता  है

आप  जानते  हैं  कि  वीज़ा  एजेंट  काम  होने  से  पहले  पैसे  क्यों  लेते  हैं ? क्योंकि  लोग  खुद  उन्हें  काम  होने  से  पहले  पैसे  देते  हैं | महान  कवि  Shakespeare  ने  कहा  था  कि  “security is mortals chiefest enemy”  यानी  कि  सुरक्षा  का  एहसास  होना  एक  मनुष्य  का  सबसे  बड़ा  दुश्मन  है | जब  किसी  एजेंट  को  पहले  पैसे  मिल  जाते  हैं , तो  बहुत  से  लोग  अपना  काम  ठीक  से  करने  के  लिए  प्रेरित (motivated)  महसूस  नहीं  करते  हैं | उन्हें  फ़र्क़  नहीं  पढ़ता  कि  बच्चे  को  वीज़ा  ना  मिले , क्योंकि  उन्हें  तो  अपने  पैसे  मिल  गए  होते  हैं | यही  अगर  उन्हें  कहा  जाए  कि  पैसे  तभी  मिलेंगे  जब  वीज़ा  आएगा , तो  वह  वीज़ा  दिलवाने  के  लिए  ज़्यादा  गंभीर (serious)  हो  जाएंगे  |

पूरे  पैसे  वीज़ा  लगने  के  बाद

दोस्तों , एक  अच्छा  एजेंट  आपको  सही  रास्ते  से  विदेश  पहुंचा  देता  है | मेरी  आपको  नेक  सलाह  है  कि  आप  जिस  भी  एजेंट  के  पास  जाओ , उसे  कहो  कि  आप  पूरे  पैसे  वीज़ा  लगने  के  बाद  ही  दोगे | इससे  आपके  प्रतिषेध (refusal)  वाले  पैसे  भी  बचेंगे , समय  पर  सब  काम  हो  जाएगा , आपका  मनोबल  भी  बना  रहेगा  और  आपके  वीज़ा  मिलने  की  संभावना  बढ़  जायेगी |

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मैं  यह  नहीं  कहता  हूँ  कि  मैं  सबसे  अच्छा  हूँ , मगर  मैं  सबसे  अच्छा  बनने  की  कोशिश  ज़रूर  करता  हूँ

  • मेरी कंपनी  सरकार  द्वारा  रजिस्टर्ड  है
  • ICEF agency और  AIRC certified  भी  है
  • मेरे चंडीगढ़ , मोहाली , अमृतसर  और  जालंधर  में  दफ्तर  हैं
  • हर महीने  मेरी  टीम  बहुत  से  वीज़े  लगवाती  है
  • हमारे ज़रिये  लोगों  के  4-5 refusal  के  बाद  भी  वीज़े  लगे  हैं
  • हमने 5  साल  गैप  और  33%  नंबर  वाले  लोगों  के  भी  वीज़े  लगवाए  हैं
  • हम  पूरे  पैसे  वीज़ा  लगने  के  बाद  ही  लेते  हैं

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विदेश जाने के लिए कितना पैसा लगता है?

वीजा बनवाने कि फीस हर देश की फीस एक समान है जो कहीं कहीं अलग है। यह फीस लगभग 50 USD (INR 3,750) है। यूएसए का वीजा कितने रुपए में बनता है? अमेरिकी वीजा के लिए आपको USD 160 (INR 12,000) से लेकर USD 265 (INR 19,875) तक की फीस चुकानी होती है।

विदेश में काम करने के लिए क्या करें?

यदि आप विदेश में जॉब करना चाहते है तो आपको शिक्षा के साथ भारत की नागरिकता होना चाहिए व जिस देश मे आप जॉब करना चाहते है वहाँ वर्किंग वीसा की जरूरत होती है तभी आप वहाँ के किसी कंपनी में वर्क कर सकते है ऐसे में आपको भारत मे नई दिल्ली में सभी देशों का एम्बेसी है वहाँ आप वर्किंग वीसा के लिए आवेदन कर सकते है जैसे ही आपका ...

वर्क वीजा कैसे मिलता है?

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नौकरी करने के लिए कौन सा देश अच्छा है?

एचएसबीसी की सालाना एक्सपैट एक्सप्लोरर रिपोर्ट के मुताबिक, रहने और नौकरी करने के लिहाज से सिंगापुर दुनिया में सबसे अच्छी जगह है. उसने लगातार आठवें साल यह खिताब हासिल किया है. सिंगापुर ने न्यूजीलैंड, जर्मनी और कनाडा को पीछे छोड़ यह रैंक हासिल की है. स्विट्जरलैंड इस सूची में आठवें पायदान पर है.