विद्यालय में भाषा का क्या महत्व है? - vidyaalay mein bhaasha ka kya mahatv hai?

विषयसूची

  • 1 विद्यालयी भाषा क्या है?
  • 2 भाषा की भूमिका क्या है?
  • 3 घर की भाषा और विद्यालयी भाषा में क्या अंतर है?
  • 4 मातृभाषा का शिक्षण में क्या योगदान है?
  • 5 शिक्षा में भाषा की भूमिका क्या है?
  • 6 भाषा पुस्तकों का पाठ्यक्रम में क्या स्थान है?

विद्यालयी भाषा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबच्चे का मनोवैज्ञानिक व सामाजिक विकास मुख्यत: उस भाषा पर निर्भर करता है जिसका बच्चे को घर में, आस-पड़ोस मेें और पहली बार स्कूल जाने पर अनुभव होता है। यही उस बच्चे की मातृभाषा या पहली भाषा होती है। भारत में दूसरी भाषा सम्पर्क भाषा होती है जो या तो हिन्दी होती है या अँग्रेज़ी।

विद्यालय पाठ्यक्रम में मातृभाषा का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंमातृभाषा का महत्व मातृभाषा से बच्चों का परिचय घर और परिवेश से ही शुरू हो जाता है। इस भाषा में बातचीत करने और चीज़ों को समझने-समझाने की क्षमता के साथ बच्चे विद्यालय में दाख़िल होते हैं। अगर उनकी इस क्षमता का इस्तेमाल पढ़ाई के माध्यम के रूप में मातृभाषा का चुनाव करके किया जाये तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।

भाषा की भूमिका क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा विचारों को व्यक्त करने का एक प्रमुख साधन है। भाषा मुख से उच्चारित होने वाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है, जिनके द्वारा मन की बता बतलाई जाती है। भाषा की सहायता से ही किसी समाज विशेष या देश के लोग अपने मनोगत भाव अथवा विचार एक-दूसरे पर प्रकट करते हैं। दुनिया में हजारों प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं।

विद्यालय पाठ्यक्रम में भाषा का क्या स्थान है?

इसे सुनेंरोकेंअपने विस्तृत अर्थ में पाठ्यक्रम के पार भाषा वह सामान्य भाषा है जो विद्यालय की सभी गतिविधियों में किसी न किसी रूप में व्याप्त है । राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद की मान्यता है कि भारत में भाषा व साक्षरता को सामान्यतः भाषा शिक्षक से ही संबंधित माना जाता है, परिणामतः अन्य विषयों के शिक्षक भाषा को उतना महत्त्व नहीं देते।

घर की भाषा और विद्यालयी भाषा में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकें# भाषा विस्तृत होती है जबकि बोली स्थानीय होती है. # भाषा का प्रयोग शिक्षा, समाजिक व्यवहार, साहित्य आदि में होता है जबकि बोली को कभी बोलने में उपयोग कर सकते हैं अर्थात बात करने में. # भाषा में शुद्धता और अशुद्धता का ध्यान रखना होता है जबकि बोली को बोलने के कोई नियम नहीं होते हैं.

भाषा शिक्षण कौशल क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा कौशल से तात्पर्य है|भाषा के ठीक तरह से काम करने की योग्यता या सामर्थ्य हासिल करना । अर्थात् अध्येता भाषा के चारों कौशलों सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना में पूर्ण रूप से दक्षता हासिल कर सके। अध्यापक को चाहिए कि वह अध्येता को भाषा शिक्षण के दौरान भाषा के चारों कौशलों का सामान रूप से विकास करवाए ।

मातृभाषा का शिक्षण में क्या योगदान है?

इसे सुनेंरोकेंसमाचारों में मातृभाषा से भिन्न भाषाओं में शिक्षित प्रवासी बच्चों की सफलता का गुणगान किया जाता है। अगर कम उम्र में ही बच्चे नई भाषाओं के प्रति अनुकूलित हो जाते हैं, तो मातृभाषा का प्रभाव उतना महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है, और नीतिनिर्माता महज कुछ राष्ट्रीय भाषाओं में ही पढ़ाकर दक्षता बढ़ा सकते हैं।

मातृभाषा क्या है मातृभाषा के बारे में विस्तार से समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंघर पर मातृभाषा बोलने वाले बच्चे मेधावी होते हैं विदेश में रहने वाले बच्चे जो अपने घर में परिवार वालों के साथ मातृभाषा में बात करते हैं और बाहर दूसरी भाषा बोलते हैं, वह ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।

शिक्षा में भाषा की भूमिका क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रणाली के तहत सुशिक्षित बनाने हेतु प्रयासरत रहते हैं । इसीलिए भाषा का शिक्षा से घनिष्ठ संबंध है या हम यह कह सकते हैं कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं । बच्चे भाषा के माध्यम से ही हर प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने की कोशिश करते हैं ।

शिक्षा में भाषा का क्या योगदान है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा के बिना हम दैनिक कार्य नहीं कर सकते हैं। इसलिए मनुष्य के जीवन के लिए इसका महत्व बढ़ जाता है। बच्चा समाज में ही भाषा सीखता है व प्रयोग करता है, जिससे उसकी भाषा विकसित होती है। भाषा से सामाजिक व्यक्तिव का विकास होता है जिससे सामाजिक दक्षता भी बच्चों के अंदर पैदा होती है।

भाषा पुस्तकों का पाठ्यक्रम में क्या स्थान है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं।

पाठ्यचर्या में भाषा का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा बच्चे स्वयं से और दूसरों से बात करते हैं। शब्दों से ही वे अपने यथार्थ का सृजन तथा उसकी समझ बनाना शुरू करते हैं। सीखने की प्रक्रिया के लिए भाषा को समझने और उसे स्पष्ट तथा प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता हासिल करना आवश्यक है।

विद्यालय में भाषा की क्या भूमिका है?

भावों और विचारों की स्वतंत्रता अभिव्यक्त करना । भाषायी बारीकियों के प्रति संवेदनशील होना । विद्यार्थियों की सृजनात्मक क्षमता को पहचानना । बच्चों के भाषायी विकास के प्रति समझ बनाना और उसे समुन्नत करने के लिए विद्यालय में तरह-तरह के अवसर जुटाना ।

शिक्षा में भाषा का क्या महत्व है?

बच्चे भाषा के माध्यम से ही हर प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने की कोशिश करते हैं । हमारे भारत देश में ही आप देखिएगा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में प्रवेश करते ही भाषा में परिवर्तन आ जाता है और यही भाषा ही हमें एक-दूसरे के साथ से कार्य करने हेतु सहयोग करती है ।

विद्यालय पाठ्यक्रम में मातृभाषा का क्या महत्व है?

मातृभाषा का पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान है। मात्र भाषा के शब्दों में हमारी जाति संस्कृति का इतिहास छिपा रहता है। बालकों का बौद्धिक नैतिक एवं सांस्कृतिक विकास उनकी भाषा क्षमता पर ही निर्भर करता है। इस प्रकार बाल मनोविज्ञान का प्रधान साधन मात्र भाषा की ही शिक्षा है।

भाषा का महत्व क्या है?

भाषा के द्वारा मानव अपने पूर्वजों के भाव विचार एवं अनुभव को सुरक्षित रखने में सफल हो सकता है भाषा के द्वारा किसी भी समाज का ज्ञान सुरक्षित रहता है भाषा सामाजिक एकता में सहायता पहुंच आती है भाषा के द्वारा शारीरिक विकास बौद्धिक विकास एवं व्यक्तित्व का विकास होता है भाषा ही भावनात्मक एकता राष्ट्रीय एकता एवं अंतरराष्ट्रीय ...