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विभवमापी के द्वारा किसी विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं के बीच शुद्ध विभवांतर या किसी सेल का शुद्ध विभवांतर बल नाप सकते हैं। दूसरे शब्दों में, विभवमापी एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी सेल का विद्युत वाहक बल या परिपथ के दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर ज्ञात किया जाता है। Table of Contents
विभव प्रवणता क्या हैविभवमापी के तार के प्रति एकांक लंबाई में विभव का जो पतन होता है, उसे विभव प्रवणता कहते हैं। इन्हें भी पढ़ें:- ओजोन क्या है? और ओजोन परत से उपयोग विभवमापी की सुग्रहिताएक विभव मापी सुग्राही कहलाता है यदि वह अल्प विद्युत वाहक बल या अल्प विभवांतर को यथार्थपूर्वक माप सके। विभवमापी का सिद्धांतचित्र अनुसार विभवमापी का सिद्धांत बताया गया है। जिसमे A B विभव मापी तार है। B, एक संचायक सेल है जिसका धनात्मक सिरा विभव मापी तार के सिरे A से तथा ऋणात्मक सिरा कुंजी K तथा परिवर्ती प्रतिरोध Rh से होकर विभवमापी तार के सिरे B पर लगा है। इसे प्राथमिक परिपथ कहते हैं। इन्हें भी पढ़ें:- कार्बन प्रतिरोध का वर्ण कोड क्या है (12th, Physics, Lesson-4) E वह सेल है जिसका विद्युत वाहक बल हमें ज्ञात करना है। इस सेल E के धन सिरे को तार A B के सिरे A से संबंधित कर देते हैं तथा ऋण सिरे को धारामापी G से संबंधित कर देते हैं इसमें जौकी लगी होती है। इसे द्वितीयक परिपथ कहते हैं। प्राथमिक परिपथ में लगे सेल B, से तार A B में धारा A से B की ओर बहती है यदि A B सिरों के बीेच विभवांतर V तथा R हो तों इन्हें भी पढ़ें:- ईंधन सेल के बारे में व इसके उपयोग V = RI – समीकरण एक अब यदि विभवमापी के तार की लंबाई L CM है तथा धारामापी G में शून्य विक्षेप की स्थिति में तार A B की लंबाई l CM है। इन्हें भी पढ़ें:- चल कुंडली धारामापी क्या है? तथा निलंबित कुंडली धारामापी विभवमापी के तार की एकांक लंबाई पर विभव K = V/L तथा तार के भाग A D के सिरों पर विभवांतर Va – Vd = K l, अतः सेल का विद्युत वाहक बल E = विभव प्रवणता × संतुलनकारी लंबाई। विभवमापी के उपयोग
विभवमापी तथा वोल्टमीटर में अंतर
अंतिम निष्कर्ष– दोस्तों आज मैंने इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताया कि विभवमापी क्या होता है और वोल्ट मीटर के बीच अंतर भी बताया है अगर यह पोस्ट आपको मेरी पसंद आती है तो इसे जरूर शेयर करें, जय हिंद जय भारत। इन्हें भी पढ़ें:- पृष्ठ अधिशोषण के बारे में Read More–
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Post navigationविभवमापी का सिद्धांत क्या होता है?विभवमापी (Vibhav Mapi Kya Hai) :- विभवमापी एक ऐसी युक्ति है। जिससे किसी से सेल का विद्युत वाहक बल या परिपथ के किन्ही दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर का मापन शुद्धता से किया जाता है। जो वोल्ट मीटर से संभव नहीं है। यह अनंत प्रतिरोध के वोल्ट मीटर की तरह कार्य करता है।
विभवमापी का संक्षिप्त वर्णन कीजिए इसकी सहायता से किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध कैसे ज्ञात करते हैं?यदि किसी विभवमापी के १०० सेमी. तार का प्रतिरोध १० ओम हो और उसमें ०.०१ ऐंपियर की धारा प्रवाहित हो तो सार के दोनों सिरों के बीच की वोल्टता ०.१ वोल्ट होगी। उस में तार को नापने योग्य न्यूनतम लंबाई (मान लें एक मिमी.) के सिरों के बीच का विभवांतर ०.०००१ वोल्ट होगा, जिसे विभवमापी की सुग्राहिता कहेंगे।
7 विभवमापी का सिद्धांत समझाइए किसी सेल का आंतरिक प्रतिरोध कैसे ज्ञात करते हैं ?`?बैटरी E के श्रेणी क्रम में धारा नियंत्रक का उपयोग करके तार AB के दोनों सिरों के बीच एक स्थायी विभवांतर स्थापित किया जाता है; जिसमें सिरे A को सिरे B की अपेक्षा उच्च विभव पर रखा जाता है। ध्यान रहे emf E> emf E, तथा emf E, रखी जानी है। कार्यविधि E.
विभवमापी की सुग्राहिता कैसे बनाई जा सकती है?विभवमापी की सुग्राहिता इसकी विभव प्रवणता पर निर्भर करती है। विभव प्रवणता x का मान कम होने पर, विभवमापी की सुग्राहिता अधिक होती है। <br> `:' x = ( E )/( L)` <br> तार पर आरोपित विभवांतर E के नियत मान के लिए, विभव प्रवणता x का मान तार की लम्बाई L अधिक होने पर कम होता है।
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