वरदे, वीणावादिनिवरदे। Show काटअंधउरके
बंधनस्तर वीणावादिनि वर दे।……………………………………जग कर दे। शब्दार्थ:
नवगति, नवलय, ताल
छंदनव नव गति, नवे ………………………………………… नव स्वर दे। शब्दार्थ:
कविता में भारत के लिए क्या वरदान मांगा गया था?" हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा । '
कवि वीणा वादिनी से क्या मांग रहा है?भारत में भर दे! जगमग जग कर दे! नव पर, नव स्वर दे!
कविता में क्या वर मांगा गया है?कविता के पहले पद को दुबारा पढ़ो ।
वीणा वादिनी वर दे कविता के रचयिता कौन है?संदर्भ- प्रस्तुत पद्यांश 'वीणावादिनि वर दे' नामक कविता से ली गई है। इस पाठ के रचयिता सुविख्यात कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला' हैं। प्रसंग-इसमें कवि ने सरस्वती माँ की वन्दना की है। व्याख्या-कवि सरस्वती माता से प्रार्थना करता है कि हे वीणा वादिनी सरस्वती!
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