1. कश्मीर के भारत में विलय पत्र पर किसने हस्ताक्षर किए ? (A) लॉर्ड माउण्टबेटन 2. किशन बाबू राव को पद्म भूषण कब मिला था ? (A) 1996 ई० में 3. भारत में लौह पुरुष की संज्ञा किसे दी गई है ? (A) महात्मा गाँधी 4. प्रत्येक ग्राम पंचायत में 50% आरक्षण महिलाओं के लिए कब पारित किया गया ? (A) पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत 5. अकाली दल के नेता हरचरण सिंह लोगोंवाल के साथ भारत के किस प्रधानमंत्री ने समझौता किया था ? (A) पं० जवाहरलाल नेहरू 6. नीति आयोग का उद्देश्य है (A) राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों और आर्थिक नीति में तालमेल बैठाना 7. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष कौन थी ? (A) एनी बेसेन्ट 8. विश्व महिला दिवस कब मनाया जाता है ? (A) 10 दिसम्बर
को 9. मुम्बई के ताज होटल पर आतंकवादी हमला कब हुआ था ? (A) 26 सितम्बर, 2008 10. निम्नलिखित में से कौन एक सोवियत संघ के विखण्डन का परिणामनहीं है ? (A) सी० आई० एस० का
जन्म 11. दूसरे महायुद्ध के बाद कौन-से देश महाशक्ति के रूप में उभरे ? (A) रूस और फ्रांस 12. किस गुट-निरपेक्ष सम्मेलन में नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्थास्थापित करने का प्रस्ताव पास किया गया ? (A) 1961 के बेलग्रेड सम्मेलन में 13. भारत तथा पाकिस्तान के बीच 1972 में कौन-सी समझौता पर हस्ताक्षर हुआ ? (A) शिमला समझौता 14. निम्नलिखित में कौन-सा एक मानवाधिकार संगठन है ? (A) इन्टरपोल 15. भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का क्रम के हिसाब से स्थान क्या था ? (A) 12 वाँ 16. विश्व श्रम संगठन का मुख्यालय अवस्थित है (A) जिनेवा में 17. धारा 370 का सम्बन्ध किस प्रदेश से है? (A) उत्तर प्रदेश 18. पाँच सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत किसके द्वारा की गई ? (A) पंडित नेहरू 19. किस आन्दोलन ने आन्ध्र क्षेत्र के लिए स्वायत्त प्रदेश की मांग की थी ? (A) विशाल आन्ध्र आन्दोलन 20. राज्य पुनर्गठन आयोग के विषय में कौन-सा कथन असत्य है ? (A) इसकी स्थापना 1953 में की गई थी 21. योजना आयोग की स्थापना कब हुई ? (A) 1950 में 22. भारत एवं चीन के बीच पंचशील समझौता पर हस्ताक्षर किस वर्ष हुआ था ? (A) 1950 में 23. किस पंचवर्षीय योजना में समाज के समाजवादी प्रतिमान को साकारकरने का ध्येय रखा गया ? (A) पहली पंचवर्षीय योजना 24. नेहरू की गुटनिरपेक्षता की नीति का सबसे पहले परीक्षण कब हुआ? (A) 1950 में कोरिया की लड़ाई में 25. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कौन थे ? (A) मायावती 26. भारत ने किस देश के साथ सन्धि की जिसकी प्रस्तावना में पंचशील के सूत्र रखे हुए हैं ? (A) पाकिस्तान के साथ 27. प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किस समझौते पर हस्ताक्षर किए ? (A) शिमला समझौता
(1972) 28. भारत में किस सन्धि पर हस्ताक्षर किए ? (A) पाक्षिक परीक्षण प्रतिबन्न सन्धि 29. अनुसूचित जाति संघ की स्थापना किसने की थी ? (A) मायावती 30. ताशकन्द समझौता पर कब हस्ताक्षर हुआ था ? (A) 1966 में 31. इन्दिरा गाँधी ने किस समझौते पर हस्ताक्षर किए ? (A) 1960 का सिन्धु नदी जल समझौता 32. निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश नाटो का सदस्य है ? (A) चीन 33. किस पंचवर्षीय योजना में सबसे पहले ‘गरीबी हटाओ’ के कार्यक्रम को विशेष स्थान दिया गया ? (A) पहली योजना
(1951-56) 34. मैकमोहन रेखा कहाँ है ? (A) जम्मू-कश्मीर में 35. एशियाई क्षेत्रीय मंच का संबंध किस संगठन से है ? (A) यूरोपीय संघ 36. विश्वास प्रस्ताव के आधार पर सर्वप्रथम किस प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देना पड़ा ? (A) मोरारजी देसाई 37. चौन किस एशियाई देश से रेलवे द्वारा निकटता बनाने में कार्यरत है ? (A)
म्यांमार 38. 1975 में राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह का नेतृत्व किसने किया था ? (A) जयप्रकाश नारायण 39, 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई, उसको मौलिक सदस्य कौन था ? (A) पाकिस्तान 40. उल्फा एक आतंकबादी संगठन है (A) वी० पी० सिंह 41. दो महाशक्तियों की भूमिका ने कौन-सी स्थिति पैदा की जिससे तीसरामहायुद्ध घटित न हो सका ? (A) सत्ता का संतुलन 42. निम्नलिखित में से कौन श्रीमती इन्दिरा गाँधी की सरकार में उप-प्रधानमंत्री थे। (A) मोरारजी देसाई 43. ‘शान्ति के लिए एकजुट हो जाओ’ योजना का प्रस्तावक कौन था ? (A) डीन अचेसन 44. आर्थिक न्याय का तात्पर्य है (A) समाज में बराबरी का प्रयास करना 45. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का मुख्यालय कहाँ है ? (A) मनीला 46. बांग्लादेश का अस्तित्व में आया ? (A) 1970 47. नक्षत्र बुद्ध कार्यक्रम किस देश ने बनाया ? (A) संयुक्त राज्य अमेरिका 48. कौन भारतीय व्यक्ति भारत का प्रथम गर्वनर जनरल था ? (A) सी० आर० दास 49. कोरिया की लड़ाई रोकने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ को सुरक्षा परिषद् ने किस व्यवस्था का आह्वान किया ? (A) शान्ति स्थापना 50. सीमान्त गाँधी के नाम से कौन जाने जाते हैं ? (A) महात्मा गांधी 51. विश्व में सबसे अधिक सशस्त्र संघर्ष कहाँ होते हैं ? (A) अफ्रीका के सहारा मरुस्थल के दक्षिणवी देशों में 52. 1971 के चुनावों में कांग्रेस को लोक सभा में कुल कितने स्थान मिले ? (A) 283 53. 1992 के पृथ्वी शिखर सम्मेलन में निश्चित किया गया (A) सभी राज्य सांझी सम्पदा का शोषण कर सकते हैं 54. क्योटो प्रोटोकोल के अन्तर्गत राज्यों का दायित्व है कि (A) विषैली गैसों की मात्रा सीमित की जाए 55. कौन सा विन्दु अन्ना हजारे के कार्यक्रम में नहीं है ? (A) केन्द्र पर लोकपाल को स्थापना 56. क्षेत्रीय दलों के उदय का सबसे बड़ा कारण क्या है ? (A) कांग्रेस के नेतृत्व का पतन 57. सुन्दर लाल बहुगुणा का नाम किस आन्दोलन से जुड़ा है ? (A) कृषकों के आन्दोलन 58. अखिल भारतीय किसान काँग्रेस की स्थापना किसने की ? (A) जवाहरलाल नेहरू 59. किसने कहा कि महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने का अधिकार नहीं है ? (A) प्लेटो 60, यह किस आन्दोलन का नारा है “निजी सार्वजनिक है, सार्वजनिक निजी है ? (A) किसानों के आन्दोलन 61. हमारी नियोजन व्यवस्था किस विचारधारा पर आश्रित है ? (A) उदारवाद 62. किसने नए आर्थिक हितों को उभारा ? (A) निजी क्षेत्र ने 63. अरब बसन्त के पीछे अमरीकी कूटनीति किस तत्व से प्रभावित नहीं है। (A) इस्लामी आतंकवाद का भय 64. भारत में हरित क्रान्ति के जनक कौन हैं ? (A) इन्दिरा गाँधी 65. योजना आयोग कौन-सा निकाय है ? (A) संवैधानिक निकाय 66. दस सूत्रीय कार्यक्रम किसके द्वारा शुरू किया गया ? (A) पं० जवाहरलाल नेहरू 67. तीसरी पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी? (A) 1961-66 68. एम. एस. स्वामीनाथन का सम्बन्ध था (A) श्वेत क्रान्ति से 69. योजना आयोग के पदेन अध्यक्ष कौन होते थे ? (A) राष्ट्रपति 70. ‘गरीबी हटाओ’ का नारा किसने दिया ? (A) जवाहरलाल नेहरू ने 71. वृहत नागालैण्ड के आन्दोलन का समर्थक है (A) फौजो 72. बोडोलैण्ड स्वायत्त परिषद् किस राज्य में सक्रिय है? (A) असम 73. किस पंचवर्षीय योजना में ‘गरीबी हटाओ कार्यक्रम’ को विशेष स्थान दिया गया ? (A) पहली योजना (1951-56) 74. निम्न के देशों में आसियान का सदस्य कौन नहीं है ? (A) इन्डोनेशिया 75. गुटनिरपेक्षता का अर्थ है (A) परस्पर विरोधी गुणों में
शामिल होना 76. किस देश ने भारत पर आक्रमण कर ‘पंचशील’ का उल्लंघन किया ? (A) चीन 77. शिमला समझौता पर 3 जुलाई 1972 को किसके द्वारा हस्ताक्षर किया ? (A) जुल्फिकार अली भूटो और इन्दिरा गाँधी 78. 1971 में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण कहाँ किया ? (A) पोखरल 79. भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध कब हुआ ? (A) 1995 ई० में 80. ताशकंद समझौता पर 10 जनवरी, 1966 को किनके द्वारा हस्ताक्षर किया गया ? (A) अयूब खान और लाल बहादुर शास्त्री 81. भारत किस संगठन का पूर्ण संवादी भागीदार है ? (A) यूरोपीय संघ 82. किस देश के साथ भारत ने मित्रता व व्यापार की सन्धि की जिसकी प्रस्तावना में पंचशील के सूत्र रखे हुए हैं ? (A) सोवियत संघ 83. किस देश को गाजर व छड़ी की नीति का अनुकरणकर्ता कहा जाता है ? (A) संयुक्त राज्य अमेरिका 84. किस प्रधानमंत्री ने भारत के चीन के साथ टूटे सम्बन्धों को सुधारने का कदम उठाया ? (A) जवाहरलाल नेहरू 85. कौन-सा वर्ष भारत-चीन मित्रता वर्ष के रूप में मनाया गया ? (A) 1954 ई० को 86. यूरोपीय संघ की स्थापना कय हुई ? (A) 1957 ई. को 87. नीचे के देशों में आसियान का सदस्य कौन नहीं है ? (A) इण्डोनेशिया 88. एशिया का कौन-सा देश जो जी-8 समूह का सदस्य है ? (A) चीन 89. ‘साफ्टा’ समझौते पर किस वर्ष हस्ताक्षर हुए ? (A) 2004
ई० में 90. आसियान को मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया गया (A) 1994 ई० में 91. दक्षिण एशियाई देशों में सैनिक शासन सबसे पहले किस राज्य में स्थापित हुआ ? (A) श्रीलंका 92. दक्षिण एशिया का कौन-सा राज्य नस्लीय उग्रवाद से पीड़ित है ? (A) नेपाल 93. दक्षेस का पहला सम्मेलन किस राज्य में हुआ ? (A) भारत 94. दक्षिण एशिया के किस माओवादियों ने उथल-पुथल मचाई है ? (A) भारत 95. दक्षेस में कुल कितने राज्य शामिल है ? (A) 5 96. अभी तक दक्षेस का सम्मेलन किस सदस्य राज्य में नहीं हुआ है ? (A)
अफगानिस्तान 97. किस राज्य में संविधानवाद की पावनता से बार-बार खिलवाड़ किया जाता है ? (A) भारत 98. 1972 का शिमला समझौता किन दो देशों के बीच हुआ ? (A) भारत व नेपाल 99. दक्षिण एशिया में कौन-सा धर्म-सापेक्ष राज्य है ? (A) भारत 100. पंचायत व्यवस्था किस राज्य में स्थापित की गई थी ? (A) बांग्लादेश class 12th political science Question ( लघु उत्तरीय प्रश्न )1. गठबन्धन की राजनीति क्या है ? class 12th political science Question ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )31. 1975 के आपातकाल के बाद की राजनीति पर एक टिप्पणी लिखिए। लघु उत्तरीय प्रश्न 1. भारतीय राजनीति गठबंधन की राजनीति के दौर से गुजर रही है। भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और काँग्रेस संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (UPA)नाम से गठबंधन बनाए हुए है। लोकसभा का चुनाव दोनों गठबंधनों के बीच हुआ। गठबंधन की रक्षा, सरकार को बचाये रखना, गठबंधन हेतु नये सहयोगियों की खोज, राजनीति प्रक्रिया का मुख्य आयाम हो जाता है। गठबंधन सरकार के सफल संचालन का प्रथम श्रेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया जा सकता है। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)के नाम से सरकार बनाई जो करीब 5 वर्षों से अधिक तक चलती रही। इसे देखकर कांग्रेस ने भी गठबंधन राजनीति से जुड़ने का निर्णय लिया। उसके नेतृत्व में काँग्रेस गठित संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (UPA) नाम से अपना कार्यकाल पूरा किया और फिर 2009 में सरकार बनी। मनमोहन सिंह इस सरकार के
प्रधानमंत्री थे। 2014 में पुनः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनी, जिसके भविष्य में उम्मीद की जाती है कि गठबंधन राजनीति द्विध्रुवीय राजनीति के रूप में स्थायी रूप ले सकेगा। ऐसा होने पर संसदीय व्यवस्था मजबूत होगी। 2.सामान्य शब्दों में किसी एक देश की कम्पनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कम्पनी के प्रबन्धन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है। किसी निवेश का FDI का दर्जा दिलाने के लिए कम से कम कम्पनी में विदेशी निवेश 10% शेयर खरीदना पड़ता है। इसके साथ उसे निवेश वाली कम्पनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है। FDI दो तरह के होते हैं-इनवार्ड और आउटवार्ड। 3. 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता के पश्चात् भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया। भारत द्वारा इस नीति को अपनाने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं 4.एक दलीय प्रभुत्व व्यवस्था से तात्पर्य उस व्यवस्था से है जहाँ राजनीतिक प्रक्रिया में एक ही दल का प्रभुत्व होता है। प्रजातंत्र में कम-से-कम दो दलों का प्रभावशाली होना अनिवार्य है। साम्यवादी देशों में संविधान द्वारा एक ही दल (साम्यवादी पार्टी) को मान्यता प्रदान की जाती है। अन्य देशों में बहुदलीय प्रणाली होते हुए भी एक दल का प्रभुत्व हो सकता है। जैसे-भारत में काँग्रेस। 5. नगर निगम नागरिकों की स्थानीय आवश्यकता एवं सुख-सुविधा के लिए अनेक कार्य करता है। नगर निगम के कुछ कार्य निम्नलिखित हैं (i) नगर क्षेत्र की नालियों, पेशाबखाना, शौचालय आदि का निर्माण करना एवं उसकी देखभाल करना। 6.क्षेत्रीय पार्टी का कार्य क्षेत्र बहुत सीमित होता है। उसकी शाखाएँ किसी विशेष प्रांत या राज्य या भाग तक सीमित होती है जैसे आन्ध्र प्रदेश में तेलगु देशम या पंजाब में शिरोमणी अकाली दल, बिहार में जनता दल यूनाटेड आदि। क्षेत्रीय पार्टी का सरोकार अपने क्षेत्र के हित से होता है। हो सकता है कि ऐसी पार्टी राष्ट्रीय हित की उपेक्षा करके अपनी क्षेत्रीय हित के लिए संघर्ष करें। 7. गुटनिरपेक्ष देशों के समक्ष मुख्य चुनौती आर्थिक रूप से और ज्यादा विकास करने तथा अपनी जनता को गरीबी से उबारने की थी। नव स्वतंत्र देशों की आजादी के लिहाज से भी आर्थिक विकास महत्वपूर्ण था। वगैर टिकाऊ विकास के कोई भी देश सही मायने में आजाद नहीं रह सकता। उस परिप्रेक्ष्य में नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का धारणा का जन्म हुआ। 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन में ‘टुवार्डस अ न्यू द्रेक पॉलिसी फोरम डेवलपमेंट’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। उस रिपोर्ट में वैश्विक व्यापार प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव किया गया था। 8. द्वितीय पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया। पहली योजना का मूलमंत्र था धीरज, लेकिन दूसरी योजना की कोशिश तेज गति से संरचनात्मक बदलाव करने की थी। इसके लिए हरसंभव दिशा में बदलाव की बात तय की गई थी। सरकार ने देशी उद्योगों को संरक्षण देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाया। संरक्षण की इस नीति से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिली। 9.नहीं, गुटनिरपेक्षता नकारात्मक नीति नहीं है। गुटनिरपेक्षता एक सकारात्मक नीति हैं। गुटनिरपेक्षता से तात्पर्य किसी प्रतिद्वंद्वी गुट में शामिल न होकर स्वतंत्र रूप से अपनी वैदेशिक नीतियों के संचालन से है। गुटनिरपेक्ष देशों की ताकत को जड़ उनको आपसी एकता और महाशक्तियों द्वारा अपने-अपने खेमे में शामिल करने की पुरजोर कोशिश के बावजूद ऐसे किसी खेमे में शामिल न होने के संकल्प में हैं। 10. सोवियत संघ के ऑतम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने देश में राजनीतिक एवं आर्थिक सुधार आरंभ किए जिसे पेरेस्त्रोइका (पुनरचना) के नाम से जाना जाता है। इस सुधार कार्यक्रम के लागू होने के साथ ही सोवियत संघ का विघटन हो गया। 11. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार के निमित बहुराष्ट्रीय कंपनी का गठन किया जाता है। ये निगम वैश्विक स्तर पर पूँजी निवेश कर बाजार पर नियंत्रण कसे की कोशिश करते हैं। इन कंपनियों का एकमात्र उद्देश्य लाभार्जन होता है। 12.भूमण्डलीकरण- एक अवधारणा के रूप में भूमण्डलीकरण को बुनियादी बात है-प्रवाह। प्रवाह कई तरह से हो सकते हैं-विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना; पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना; वस्तुओं का अनेक देशों में पहुंचना और उनका व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही। उसका संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है। उदारीकरण-उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा आर्थिक क्रियाकलाप पर राज्य के नियंत्रण ढीले कर दिए जाते हैं और उन्हें बाजार की शक्तियों के हवाले कर दिया जाता है। सामान्यत: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कानूनों को अधिक उदार और सरल बना दिया जाता है, ताकि वस्तु पूँजी तकनीक व श्रम का निर्वाद्ध प्रजाह है। 13. भारत में लगभग 550 देशी रियासवें थीं। 1947 के भारत स्वतंत्रता अधिनियम में यह प्रावधान था कि रियासत का राजा अपनी रियासत को भारत संघ में मिलाए या पाकिस्तान में मिलाए या स्वतंत्र बना रहे। कश्मीर के राजा हरि सिंह ने तीसरा विकल्प चना अर्थात् स्वतंत्र रहने का विकल्प। स्थिति का लाभ उठाते पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। 26 अक्टूबर, 1947 को राजा ने भारत में कश्मीर के विलयपत्र पर हस्ताक्षर किए। तभी भारतीय सेनाएँ कश्मीर पहुंची और पाकिस्तानी सेना को पीछे खदेड़ दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ के कश्मीर में युद्ध विरामका निर्णय हुआ। युद्ध विराम के बाद कश्मीर का एक तिहाइ हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया जिसे आजाद कश्मीर का नाम दियागया और पूरे कश्मीर पर कब्जे के लिए पाकिस्तान 1947 के बाद से भारत के साथ युद्ध छेटे हुए हैं। दोनों देशों के बीच 1965, 1971, 1999 तीन युद्ध हो चुके हैं। 14. काँग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष एकजुट होकर संघर्ष का आह्वान किया। समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने उस रणनीति को गैर-काँग्रेसवाद का नाम दिया। उन्होंने गैर-काँग्रेसवाद के पक्ष में सैद्धांतिक तर्क देते हुए कहा कि काँग्रेस का शासन अलोकतांत्रिक और गरीब लोगों के हित के खिलाफ है इसलिए गैर-काँग्रेसी दलों का एक साथ आना जरूरी है ताकि गरीबों के हक में लोकतंत्र को वापस लाया जा सके। 15. 28 जून, 1954 के दिन भारतीय तथा चीनी प्रधानमंत्रियों ने अपने संयुक्त वक्तव्य में
पंचशील के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। 14 दिसम्बर, 1959 को संयुका राष्ट्र की महासभा में उपस्थित 82 देशों ने पंचशील के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया। 16.युद्ध के कारण यूरोप की अर्थव्यवस्था एकदम छिन्न-भिन्न हो गई थी और चारों ओर असंतोष, दरिद्रता और आर्थिक कष्ट का सामान्य छाया हुआ था। ऐसी हालत में यूरोप में साम्यवादी व्यवस्था फैल जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गयी। अतएव अमेरिकी विदेशी सचिव जॉर्ज मार्शल ने यूरोप के पुननिर्माण के लिए एक योजना प्रस्तुत को जिसे ‘मार्शल योजना’ के नाम से जाना जाता है। इस योजना के फलस्वरूप बहुत कम समय में यूरोपीय देशों को आर्थिक स्थिति युर पूर्व स्तर पर आ गई। आने वाले वर्षों में पश्चिम यूरोपीय देशों की व्यवस्था में बहुत तेजी से विकास हुआ। इस योजना के अंतर्गत सहायता पाने के लिए यह शतं लगायी गयी कि सहायता पाने वाले देश अपनी सरकारों में कम्युनिष्टों को कोई जगह नहीं देंगे। 17.विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव रहा है। इसके कई लाभ हैं- (i)यह विकासशील देशों की प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाता है। इस प्रकार से सूचना और संचार क्षेत्र में हुई प्रगति ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं 18. सुरक्षा परिषद में 15 सछसय होते हैं। इन 15 सदस्यों में 5 यात्री और 5 अस्थायी होते हैं। हर सदस्य को मतदान का अधिकार है। इनमें 5 स्थायी सदस्यों-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ग्रिटेन, फ्रांस और चीन को निषेधाधिकार (वीये पावर) प्रदान किया गया है। महत्त्वपूर्ण विषयों के निर्णयों के लिएपधा आवश्यक है कि सभी स्थायी सदस्य पश्न में हो। यदि एक श्री स्थायी अपनी वीटो पावर को प्रयोग करता है तो कोई भीनिर्णय स्वीकृत नहीं माना जाता। 19.भारत की राजनीति में जाति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज विभिन राजनीतिक पार्टियाँ विशेष जाति बहुल क्षेत्रों में उसौं जाति के उम्मीदवार की टिकट देती है। ऐसा माना जाता है कि जाति विशेष यह व्यक्ति (विधायक, सांसद) अपने जाति के लोगों के उत्थान के लिए कार्य करेगा। लेकिन यह सिर्फ भ्रम है। बहुत सारे उदाहरण मौजूद है जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि जीने के बाद वह व्यक्ति अपने क्षेत्रों में भी नहीं जाते हैं। वे केवल नांव के समय ही दिखाई देते हैं। फिर भी, अगले चुनाव में जनता अपने जाके उम्मीदवार को ही वोट देती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका विशेष स्थान परखती हैं। 20.
श्वेत क्रांति से तात्पर्य दुग्ध उत्पादन से हैं। 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लडर के नाम से एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू हुआ था। ऑपरेशन प्लस 21.नक्सलवाद, साम्यवाद व माओवाद की विचारधारा से प्रभावित पिकनिक आंदोलन है। इस आंदोलन को नक्सलवाद इसलिये कहते हैं क्योंकि इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलवाद के स्थान पर हुई थी। यह आंदोलन भारत में पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, झारखण्ड व मण प्रदेश राज्यों में अधिक सक्रिय है। नक्सलवादी हिंसा व क्रांति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था में मौलिक बदलाव चाहते हैं। 22. तनाव शैथिल्य (दताँत)- दाँत एक फ्रांसीसी शब्द है जिसका अर्थ तनाव शैधिल्ग है। क्यूबा संकट के बाद कैनेडी-खुश्चेव काल में ही अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में दाँत को प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी। इस शब्द का प्रयोग सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरोतर बढ़ रही मैत्री और सहयोग की भावना के संदर्भ में किया गया। ऑक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार, दतात (तनाव शैथिल्य) का अभिप्राय राज्यों के तनावपूर्ण संबंधों की समाप्ति है। 23.भारतीय संविधान के तीसरे अध्याय में नागरिकों के सात मौलिक अधिकारों का वर्णन है। इन सात मौलिक अधिकारों में संपत्ति का अधिकार भी प्रारंभ में मौलिक अधिकार था, लेकिन 44वें संविधान संशोधन (1978) द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की श्रेणी से निकाल दिया गया। अब यह सिर्फ कानूनी अधिकार के रूप में है। शिक्षा को भी अब मौलिक अधिकार श्रेणी में शामिल कर लिया गया है जिसके अंतर्गत 14 साल के बच्चों के लिए अनिवार्यतः शिक्षा का प्रबंध करना है। इस प्रकार, अब भारतीय नागरिकों को निम्नांकित मौलिक अधिकार प्राप्त है-(क) समता का अधिकार, (ख) स्वतंत्रता का अधिकार, (ग) शोषण के विरुद्ध अधिकार, (घ) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, (छ) संस्कृति एवं शिक्षा से संबद्ध अधिकार, (च) सांविधानिक उपचारों का अधिकार, (छ) शिक्षा का अधिकार। 24. 1970 के दशक में अकालियों को काँग्रेस पार्टी से पंजाब में चिढ़ हो गई क्योंकि वह सिख और हिंदू दोनों धर्मों के दलितों के बीच अधिक समर्थन प्राप्त करने में सफल हो गई थी। इसी दशक में अकालियों के एक समूह ने पंजाब के लिए स्वायत्तता (autonomy) की माँग उठाई। 1973 में, आनंदपुर साहिब में हुए एक सम्मेलन में इस आशय का प्रस्ताव पारित हुआ। आनंदपुर साहिब प्रस्ताव में क्षेत्रीय स्वायत्तता की बात उठायो गई थी। प्रस्ताव को मांगों में केंद्र-राज्य संबंधों को पुर्नपरिभाषित करने की बात भी शामिल थी। इस प्रस्ताव में सिख ‘कौम’ (नेशन या समुदाय) की आकांक्षाओं पर जोर देते हुए सिखों के ‘बोलबाला’ (प्रभुत्व या वर्चस्व) का ऐलान किया गया। यह प्रस्ताव संघवाद को मजबूत करनेकी अपील करती है। लेकिन इसे एक अलग सिख राष्ट्र की माँग के रूप में भी पढ़ा जा सकता है। 25. सामाजिक न्याय एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है, जिसमें मानव जीवन मूलभूत आवश्यकताओं की उपलब्धता समाज के प्रत्येक वर्ग को समान रूप से कराई जा सका इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा लायी गयी विभिन्न योजनाओं का लाभ राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से मिले। उपर्युक्त स्थिति प्रस्थापित करने के लिए सरकार आवश्यकतानुसार विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा जागरूकता अवसर प्रदान करती है। 26. 1978 ई. में जनता दल की सरकार ने वी. पी. मंडल की अध्यक्षता एक आयोग गठित किया, जो मंडल भायोग के नाम से जाना जाता है। आयोग को कार्य हर-पिछड़े वर्गों की पहचान करना, इन वर्गों को सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का पता लगानी तथा वन अर्गों की स्थिति में सुधार हेतु के उपाय बताना। आयोग ने 31 दिसम्बर, 1990 ई. को अपनी सिफारिश पेश की जिसके अन्तर्गत मुख्य सिफारियों में पिछड़ी जातियों को सरकारी नौकरी एवं मिथर्ण संस्थाओं में 27% अषण और भूमि सुधार मुख्य था। अगस्त, 1990 में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिश को लागु किया 27.तेलहन की फसल में अभूतपूर्व उत्पादन लक्ष्य रखने हेतु इसे पीली क्रांति नाम दिया गया। भारत नेलवरवादन के मामले में आत्मनिर्भर हुआ है। यहाँ, सरसों, तीसी, मेंकसम, सूर्यमुखी द्वारा तेल निकाला जाता है। 28. विज्ञान के बढ़ते कदम से कल कारखानों, गोटरवाहनों में काफी बढ़ोत्तरी हुई हैं इनके द्वारा उत्पन्न भुओं, गर्म वाष्प एवं ताप वातावरण को प्रभाषित करता हैं। इसके कारण धरती का ताप काफी बढ़ गया है। धरती के ऊपर धुंआ एवं धूलकणों की परत से धरती की गर्मी अंतरिक्ष में नहीं पहुंच रही है। फलत: भरती हरित गृह प्रभाव के कारण गर्म होती जा रही है। भूमंडलीय तापन इसी का नाम है। 29.सुशासन का तात्पर्य अच्छी शासन व्यवस्था से है। नागरिकों को बुनियादी सुविधा मिले, यातायात को अच्छी व्यवस्था हो। स्वच्छ जल एवं भोजन की उपलब्धता हो, समाज में अमन चैन हो, अमौर-गरीब के मध्य वैमनस्य न हो, क्षेत्रीयता एवं संकीर्णतावाद न हो, दंगा फसाद न हो, धर्म के लिए अकारण अशांति न फैले, ये व्यवस्थाएँ सुशासन कहलाती हैं। अभी बिहार में सुशासन का दौर चल रहा है। लोगों को भययुक्त माहौल से मुक्ति मिली है 30. नाटो(The North Atlantic Treaty Organisation-NATO)-उत्तर अटलांटिक गठबंधन की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 ई. को हुई। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। अभी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन में 28 सदस्य राज्य शामिल हैं बेल्जियम, कनाडा, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नौदरलैंड, नार्वे, पुर्तगाल, पोलैंड, स्पेन, टर्की, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, लातविया, लिथुआनिया, एस्टोनिया, स्लोवाकिया,
स्लोवानिया, बुल्गारिया, रूमानिया, अल्बानिया एवं क्रोएशिया। 1949 नाटो के अंग- नाटो संगठन के निम्नलिखित अंग है- (i) परिषद्-यह नाटो का सर्वोच्च अंग है। इसका निर्माण सदस्य राज्यों के मॉत्रयों से होता है। नाटो का महासचिव परिषद् का अध्यक्ष होता है। दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 31. 1975 में आपातकाल की घोषणा भारतीय राजनीति की सबसे विवादास्पद कहानी है। आपातकाल की घोषणा के संदर्भ में विवाद अथवा मतभेद(Discussion of different opinion of the scholars about declaration of emergency)- राजनैतिक इतिहास के आवास में जून 1975 के आपातकाल की घोषणा भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा विवादास्पद प्रकरण (घटना) है। इसका कारण यह है की दो विभिन्न प्रमुख दृष्टि कोणों वाले विद्वानों के समूह अथवा उनकी विचारधारा हमारे सामने आती है। इसका कारण यह भी है कि इंदिरा सरकार ने सनिधान के अंतर्गत दिए गए अधिकारों का प्रयोग करके लोकतांत्रिक कामकाज को पूरी तरह ठप्प कर दिया था। दोनों दृष्टिकोणों पर निम्नलिखित अनुच्छेदों में विचार किया जा रहा है- (i) आपातकाल की घोषण के समर्थक (Support of declartion of cmergency)-इंदिरा सरकार और उसके समर्थक विद्वानों का यह तर्क है कि जून 1975 ई. में आपातकाल लगाना बहुत जरूरी था। सरकार का तर्क था कि भारत में लोकतंत्र है और इसके अनुकूल विपक्षी दलों को चाहिए कि वे निवांचित शासक दल को अपनी नीतियों के अनुसार चलाने दें। सरकार का मानना था कि बार-बार का धरना प्रदर्शन सामूहिक कार्रवाई लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। इंदिरा गांधी के समर्थक यह भी मानते थे कि लोकतंत्र में सरकार पर निशाना साध ने के लिए लगातार गैर-संसदीय राजनीति का सहारा नहीं लिया जा सकता। इससे अस्थिरता पैदा होती है और प्रशासन का ध्यान विकास के कामों में भंग हो जाता है। सारी ताका कानून-व्यवस्था की बहाली पर लगानी पड़ती है। इंदिरा गाँधी ने शाह आयोग को चिट्ठी में लिया कि षड्यंत्रकारी ताकतें सरकार के प्रगतिशील कार्यक्रमों में अगें डाल रही थीं और मुझे गैर-संवैधानिक साधनों के बूते सत्ता से बेदखल करना चाहता था। कुछ अन्य दलों, मसलन सोपोआई (इसने आपातकाल के दौरान कांग्रेस को समर्थन देना जारी रखा था) का विश्वास था कि भारत की एकता के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय साजिश की जा रही हैं। सी० पी० आई० का मानना था कि ऐसी हालत में विरोध पर एक हद तक प्रतिबंध लगाना उचित है। (ii) आपातकाल घोषणा के विरोधी (Opponents of declaration of
emergency) (घ) वे अंत में तर्क देते रहे कि वस्तुतः खतरा देश की एकता और अखंडता को नहीं, बल्कि शासक दल और स्वयं प्रधानमंत्री को भाग आलोचक कहते हैं कि देश को बचाने के लिए बनाए गए संवैधानिक प्रावधान का दुरूपयोग इंदिरा गाँधी ने निजी ताकत को बचाने के लिए किया। 32. आसियान (ASEAN)- द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने पर इसे राष्ट्र-निर्माण, आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसे शीत युद्ध के दौर में किसी एक महाशक्ति के साथ जाने के दबावों को भी झेलना पड़ा। टकरावों और भागमभाग की ऐसी स्थिति को दक्षिण पूर्व एशिया संभालने की स्थिति में नहीं था। बाँडुग सम्मेलन और गुटनिरपेक्ष आंदोलन वगैरह के माध्यम से एशिया और तीसरी दुनिया के देशों में एकता कायम करने के प्रयास अनौपचारिक स्तर पर सहयोग और मेलजोल कराने के मामले में कारगर नहीं हो रहे थे। इसी चलते दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने 1967 ई० में दक्षिण पूर्व एशियाई संगठन आसियान (ASEAN) बनाकर एक वैकल्पिक पहल की। प्रमुख स्तंभ एवं उद्देश्य (Main pillars and Objects)- (A) बैंकाक घोषणा (Bankok declaration)-1967 ई. में इस क्षेत्र के पाँच देशों ने बैंकाक घोषणा पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान’ की स्थापना की। ये देश थे-इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाईलैंड। ‘आसियान’ का उद्देश्य मुख्य रूप से आर्थिक विकास को तेज करना और उसके माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हासिल करना था कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र के कायदों पर आधारित क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना भी इसका उद्देश्य था। बाद के वर्षों में ब्रुनेई, दारूस्सलाम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया भी आसियान में शामिल हो गए तथा इसकी सदस्य संख्या दस हो गई। (B) आसियान शैली(Asean Way)-यूरोपीय संघ की तरह इसने खुद को अधिराष्ट्रीय संगठन बनाने या उसकी तरह अन्य व्यवस्थाओं को अपने हाथ में लेने का लक्ष्य नहीं रखा। अनौपचारिक, टकरावरहित और असहयोगात्मक मेल-मिलाप का नया उदाहरण पेशं करके आसियान ने काफी यश कमाया है और इसको ‘आसियान शैली’ (आशियान वे) ही कहा जाने लगा है। आशियान के कामकाज में राष्ट्रीय सार्वभौमिकता का सम्मान करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण रहा है। (C) 2003 ई० में उद्देश्यों का विस्तार (Expansion ofaims in 2003)-दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आर्थिक तरक्की करने वाले सदस्य देशों के समह आसियान ने अब अपने उद्देश्यों को आर्थिक और सामाजिक दायरे से ज्यादा व्यापाक बनाया है। 2003 ई० में आसियान आर्थिक समुदाय और आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय नामक तीन स्तम्भों के आधार पर आसियान समुदाय बनाने की दिशा में कदम उठाए जो कुछ हद तक यूरोपीय संघ से मिलता-जुलता है। (D) सुरक्षा समुदाय(Security Community)-आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाने की सहमति पर आधारित है। 2003 ई. तक आसियान के सदस्य देशों ने कई समझौते किए जिनके द्वारा हर सदस्य देश ने शांति, निष्पक्षता, सहयोग, अहस्तक्षेप को बढ़ावा देने और राष्ट्रों के आपसी अंतर तथा संप्रभता के अधिकारों का सम्मान करने पर अपनी वचनबद्धता जाहिर की। आसियान के देशों की सरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाने के लिए 1994 ई० में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई। 33.संविदा अथवा साझी राजनीति से तात्पर्य ऐसी राजनीति से है जिसमें चुनाव से पहले अथवा बाद में अनेक दलों में सरकार के गठन या किसी अन्य मामले पर सहमति बन जाए और वे सामान्यतः स्वीकृत साझे कार्यक्रम के अनुसार शासन करें। ऐसी राजनीति को साझी राजनीति के नाम से जाना जाता है। 1989 के बाद साझी राजनीति का युग आरंभ हुआ। उस दौर में काँग्रेस के दबदबे के खात्मे के साथ बहुदलीय शासन प्रणाली का युग आरंभ हुआ। 1989 में गठित राष्ट्रीय मोर्चा; 1996 में बनी संयुक्त मोर्चे की सरकार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इसके निम्नलिखित लाभ हैं- (i) अनेक दलों को सत्ता में आने और अपने कार्यक्रम को लागू करने का अवसर मिलता है। इसके निम्नलिखित दोष हैं- (i)शासन में स्थायित्व नहीं आ पाता। 34. साम्प्रदायिकता का आरंभ उस धारणा से होता है कि किसी समुदाय विशेष के लोगों के एक सामान्य अर्थ के अनुयायी होने के नाते राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक हित भी एक जैसे ही होते हैं। उस मत के अनुसार भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई अलग-अलग सम्प्रदायों से संबंधित हैं। साम्प्रदायिकता को शुरुआत हितों को पारस्परिक भिन्नता से होती है किंतु इसका अंत विभिन्न धर्मानुयायियों में पारस्परिक विरोध तथा शत्रुता की भावना से होता है। साम्प्रदायवादी वह व्यक्ति है जो स्वयं अपने सम्प्रदाय के हितों या स्वार्थी की रक्षा करता है जबकि एक धर्म निरपेक्ष व्यक्ति व्यापक राष्ट्रीय हितों अधवा सभी सम्प्रदायों के हितों को ध्यान में रखता है। अर्थात् साम्प्रदायवादी हितों को बढ़ावा देने से संबंधित नीति को साम्प्रदायिकता कहा जाता है। भाजपा को 1980 और 1984 के चुनावों में खास सफलता नहीं मिली। 1986 के बाद उस पार्टी ने अपनी विचारधारा में हिंदू राष्ट्रवाद के तत्वों पर जोड़ देना शुरू किया। भाजपा ने हिंदुत्व की राजनीति का रास्ता चुना और हिंदुओं को लामबंद करने की रणनीति अपनायी। मुस्लिम साम्प्रदायिकता को जड़ें भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को नीत्तियों के कारण गहरी हो चुकी थी। भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक थे। अल्पसंख्यकों । की यह एक स्वाभाविक प्रवृत्ति हैं कि उन्हें यह खतरा रहता है कि बहुसंख्यक लोग उन पर हावी न हो जाएँ भले ही ऐसा महसूस करने के कोई वास्तविक आधार मौजूद न हों। इस संबंध में बहुसंख्यकों का विशेष दायित्व होता उन्हें एक निश्चित उदारता के साथ व्यवहार करना चाहिए जिससे कि अल्पसंख्या का यह भय धीरे-धीरे समाप्त हो जाय। दुर्भाग्यवश हिंदू साम्प्रदायवाद् ने उसले विपरीत भूमिका अदा की। उन्होंने भारत को हिंदुओं की भूमि कहा और घोषितकिया कि हिंदुओं का यह एक अलग शब्द है। भाजपा ने अयोध्या मसले को उभारकर देश में हिंदुत्व को लामबंद करने की कोशिश की। उन्होंने जनसमर्थन जुटाने के लिए गुजरात स्थिव सोमनाथ से उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या (राम जन्म भूमि) तक की बड़ी रथ यात्रा निकाली। राम मंदिर निर्माण का समर्थन कर रहे संगठन 1992 के दिसम्बर में एक कार सेवा का आयोजन किया। 6 दिसंबर, 1992 को देश के विभिन्न भागों में लोग अयोध्या पहुंचे और इन लोगों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया। मस्जिद के विध्वंस की खबर सुनते ही देश के कई भागों में हिंदू और मुसलमानों बीच झगड़ा हुई। 1993 के जनवरी में एक बार फिर मुम्बई में हिंसा भड़की और अगले दो हफ्तों तक जारी रही। बाबरी मस्जिद के विज की धर्मनिरपेक्ष छवि पर गहरा धक्का लगा। 2002 के फरवरी-मार्च में गुजरात के मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। गोधरा स्टेशन पर घटी एक घटना इस हिंसा का तात्कालिक कारण साबित हुई। इस साम्प्रदायिक हिंसा में 1100 व्यक्ति मारे गए जो अधिकतर मुसलमान थे। 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों के समान गुजरात के दंगों से भी यह जाहिर हुआ कि सरकारी मशीनरी साम्प्रदायिक भावनाओं के आवेग में आ सकती है। गुजरात में घटी यह घटनाएँ हमें अगाह करती है कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काना खतरनाक हो सकता है। इससे हमारी लोकतांत्रिक राजनीति को खतरा पैदा हो सकता है। 35. विदेश नीति (Foreign Policy) साधारण शब्दों में विदेश नीति से तात्पर्य उस नीति से है जो एक राज्य द्वारा राज्यों के प्रति अपनाई जाती है। वर्तमान युग में कोई भी स्वतंत्र देश संसार के अन्य देशों से अलग नहीं रह सकता। उसे राजनीतिक आर्थिक और सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है। इस संबंध को स्थापित करने के लिए वह जिन नीतियों का प्रयोग करना है उन नोतियों को उस राज्य की विदेश नीति कहते हैं। भारत की विदेश नीति की प्रमुख विशेषताएँ (Main features of India’s foreign policy) (i) गुट निरपेक्षता (Non-alignment)- दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व दो गुटों में विभाजित हो गया। इसमें से एक पश्चिमी देशों का गुट था और दूसरा साम्यवादी देशों का। दोनों महाशक्तियों ने भारत को अपने पीछे लगाने के काफी प्रयास किए, परंतु भारत ने दोनों ही प्रकार से सैनिक गुयें से अलग रहने का निश्चय किया और तय किया कि वह किसी सैनिक गठबन्धन का सदस्य नहीं बनेगा, स्वतंत्र विदेश नीति अपनाएगा तथा प्रत्येक राष्ट्रय महत्व के प्रश्न पर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रूप से विचार करेगा। (ii) उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का विरोध (Opposition to colenialism and imperialism)-साम्राज्यवादी देश दूसरे देशों की स्वतंत्रता का अपहरण करके उनका शोषण करते हैं। संघर्ष और युद्धों का सबसे बड़ा कारण साम्राज्यवाद है। भारत स्वयं साम्राज्यवादी शोषण का शिकार रहा है। द्वितीय महायुद्ध के बाद एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमेरिका के अधिकांश राष्ट्र स्वतंत्र हो गए। पर साम्राज्यवाद का अभी पूर्ण विनाश नहीं हो पाया है। भारत ने एशियाई और अफ्रीकी देर्शी की एकता का स्वागत किया है। (iii) अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध (Friendly relations with other countries)- भारत की विदेश नीति की अन्य विशेषता यह है कि भारत विश्व के अन्य देशों से अच्छे सम्बन्ध बनाने के लिए सदैव तैयार रहता
है। भारत ने न केवल मित्रतापूर्ण सम्बन्ध एशिया के देशों से ही बढ़ाए हैं बल्कि उसने विश्व के अन्य देशों से भी सम्बन्ध बनाए हैं। भारत के नेताओं ने कई बार स्पष्ट घोषणा (iv) पंचशील और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (Panchsheel) पंचशील का अर्थ है पाँच सिद्धांत। ये सिद्धांत हमारी विदेश नीति के मूल आधार हैं। इन पाँच सिद्धातों के लिए “पंचशील” शब्द का प्रयोग सबसे पहले 24 अप्रैल 1954 इ० को किया गया था। ये ऐसे सिद्धांत है कि यदि इन पर विश्व के सब देश चलें का विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। ये पाँच सिद्धांत निम्नलिखित हैं- (i)एक-दूसरे की अखण्डता और प्रभुसता को बनाए रखना। पंचशील के ये पाँच सिद्धांत विश्व में शांति स्थापित करने के लिए बहुत हो महत्वपूर्ण हैं। ये संसार के बचाव की एकमात्र आशा हैं क्योंकि आज का युग परमाणु बम और हाइड्रोजन बम का युग है। युद्ध छिड़ने से कोई नहीं बच पायेगा। अतः केवल इन सिद्धांतों को मानने से ही संसार में शांति स्थापित हो सकती है। (v) राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा(Safeguarding the national Interests)-भारतु प्रारंभ से ही शांतिप्रिय देश रहा इसलिए उसने अपने विदेश चीति को राष्ट्रीय हितों के सिद्धांत पर आधारित किया है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी भारत ने अपने उद्देश्य मैत्रीपूर्ण रखे हैं। इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने संसार के सभी देशों से मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित किए हैं। इसी कारण आज भारत आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में शीघ्रता से उन्नति कर रहा है। इसके साथ-साथ वर्तमान समय में भारत के संबंध विश्व की महाशक्तियों (रूस तथा अमेरिका) एवं अपने लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण और अमें हैं। 36. योजना आयोग के अनुसार नियोजन अनिवार्यतः एक प्रयास है ताकि समस्याओं का विवेकशील समाधान किया जा सके। आर्थिक नियोजन का अर्थ है-समुदाय के उपलब्ध साधनों का प्रभावी तरीकों से उपयोग किया जाए। वी० एस० मिन्हासके अनुसार, तेजी से आर्थिक विकास करना तथा रोजगार का विस्तार करता, आय व धन की असमानता को कम करना, आर्थिक सत्ता के संब को रोकना तथा एक स्वतंत्र व समान मूल्यों व रूझानों की रचना ही हमारी योजनाएँ के लक्ष्य रहे हैं। किसी पिछड़े राज्य के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए योजना को बहुत उपयोगी साधन माना जाता है। रूस ने नियोजन व्यवस्था अपनाकर चमत्कारी परिणाम दिखाए। भारत ने भी नियोजन के मार्ग को चुना और 1950ई० में योजना आयोग का गठन किया जिसके दीर्घकालीन ध्येय निश्चित किये गए- (i) राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय को बढ़ावा देने हेतु उत्पादन को
बढ़ाना। भारत ने नियोजन मार्ग को अपनाकर आशातीत सफलता हासिल की है। अब तक भारत ग्यारह पंचवर्षीय योजना का सफल संचालन कर चुका है। देश बारहवीं पंचवर्षीय योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रत्यनशील है। भारत में नियोजन के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता है। 37. सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व एक ध्रुवीय हो गया। एक ध्रुवीय विश्व का नायक अमेरिका है। 1991 के बाद अमरीका के वर्चस्व की शुरूआत हुई। विश्व राजनीति में विभिन्न देश या देशों का समूह ताकत पाने और कायम रखने की लगातार कोशिश करते हैं। यह ताकत सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति, राजनीतिक रूतबे और सांस्कृतिक बढ़त के रूप में होती है। वैश्विक स्तर पर इन क्षेत्रों में बढ़त होने के कारण अमरीका को महाशक्ति के रूप में दर्जा प्राप्त है। जब अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था किसी एक महाशक्ति के दबदबे में हो तो बहुधा उसे एकध्रुवीय व्यवस्था कहा जाता है। अमरीका की मौजूद, ताकत की रीढ़ उसकी चढ़ी-बढ़ी सैन्य शक्ति है। आज अमरीकी की सैन्य शक्ति अपने आप में अनूठी है। आज अमरीका अपनी सैन्य क्षमता के बूते पर पूरी दुनिया में कहीं भी निशाना साध सकता है। अपनी सेना को युद्धभूमि से अधिकतम दूरी पर सुरक्षित रखकर वह अपने दुश्मन को उसके घर में ही पंगु बना सकता है। अमरीका से नीचे कुल 12 ताकतवर देश एक साथ मिलकर अपनी सैन्य क्षमता के लिए जितना खर्च करते हैं उससे कहीं ज्यादा अपनी सैन्य क्षमता के लिए अकेले अमरीका करता है। अमरीका के सैन्य प्रभुत्व का आधार सिर्फ उच्च सैनिक व्यय नहीं बल्कि उसकी गुणात्मक बढ़त भी है। अमरीका आज सैन्य प्रौद्योगिकी के मामले में उतना आगे हैं कि किसी और देश के लिए इस मामले में उसकी बराबरी कर पाना संभव नहीं है। विश्व की अर्थव्यवस्था में अमरीका की 28% भागीदारी हैं। विश्व के कुल व्यापार में अमरीका की 15% की हिस्सेदार है। अमरीका की आर्थिक प्रबलता उसकी ढाँचागत ताकत यानी वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक खास शक्ल में ढालने की ताकत से जुड़ी है। विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन पर अमरीकी वर्चस्व कायम है। अमरीकी वर्चस्व न सिर्फ आर्थिक व सैन्य क्षमता के क्षेत्र में है बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि सभी क्षेत्रों में यह दबदबा या बढ़त कायम है। अमरीकी संस्कृति बड़ी लुभावनी है और उसी कारण सबसे ज्यादा ताकतवर है। वर्चस्व का यह सांस्कृतिक पहलू है जहाँ जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि रजामंदी से बात मनवायी जाती है। नि:संदेह आज कोई भी देश अमरीकी सैन्य शक्ति के जोड़ का मौजूद नहीं है। भारत, चीन और रूस जैसे बड़े देशों में अमरीकी वर्चस्व को चुनौती दे पाने की संभावना है लेकिन इन देशों के बीच आपसी मतभेद है और इन मतभेदों के रहते अमरीका के विरुद्ध उनका कोई गठबंधन नहीं हो सकता। 38. 20वीं शताब्दी के अंतिम चरण में विश्व स्तर पर उदारीकरण की लहर आई। इसने प्रादेशिकता तथा राष्ट्रीय पहचान को धूमिल कर दिया तथा व्यापार वित व सूचना का ऐसा विचित्र एकीकरण किया जिसे भूमण्डलीकरण की संज्ञा दी गई। समरूपी विश्वव्यापी बाजार व संस्कृति का उदय हुआ, स्थानीय व सार्वभौतिक बिन्दुओं का ऐसा अनूठा समागम हुआ कि राबर्टसन ने इसे विशिष्टवाद का सार्वभौमीकरण कहा। सरल शब्दों में इसका आशय है कि जो स्थानीय है वह सार्वभौम है; जो सार्वभौम है वह स्थानीय है। दूरियाँ मिट गई है जिससे सारा विश्व एक भूमण्डलीय ग्राम (Global Village) में बदल गया है। यातायात, संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इतने चमत्कारी परिवर्तन हुए कि उन्होंने दूर-दूर के स्थानों को एक दूसरे के निकट ला दिया। पूँजी के मुक्त प्रवाह ने दुनिया आर्थिक बंधन तोड़ दिये; यहाँ तक कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने लोगों की जीवन शैली को बदल दिया। भूमण्डलीकरण ने राजनीतिक सत्ता के केन्द्र को आर्थिक क्षेत्रों की ओर परिवर्तित कर दिया है। वैश्वीकरण के कारण आज राजनीतिक सत्ता के केन्द्र के रूप में चीन, भारत, ब्राजील आदि का उदय हुआ। भूमण्डलीकरण के कारण भारत आज एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभारा है। विश्वव्यापी मंदी के बावजूद भारत का आर्थिक क्षेत्र में सफल प्रदर्शन रहा। विश्व की सारी निगाहें आज चीन और भारत पर टिकी है। यह आर्थिक विकास के इंजन के रूप में अवतरित हुआ है। भूमण्डलीकरण ने विकासशील देशों में विकास की गति को तीव्र किया है। आज कोई भी देश ऐसा नहीं है जो इसके प्रभाव से अछूता हो। |