वायु प्रदूषण के क्या कारण है बचने के उपाय? - vaayu pradooshan ke kya kaaran hai bachane ke upaay?

 विश्व की बढ़ती जनसंख्या ने प्राकृतिक साधनों का अधिक उपयोग किया है। औद्योगीकरण से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते  जा रहे हैं। इन शहरों व नगरों की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इससे शहरों व नगरों में आवास-समस्या उत्पन्न हो गई है। इस आवास-समस्या को सुलझाने के लिए लोगों ने बस्तियों का निर्माण किया और वहाँ पर जल-निकासी, नालियों आदि की समुचित व्यवस्था नहीं होने से गन्दी बस्तियों ने वायुप्रदूषण को बढ़ावा दिया है। उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, कृषि में रासायनों के उपयोग से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही कारखानों की दुर्घटना भी भयंकर होती है। भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने की दुर्घटना गत वर्षों की बड़ी दुर्घटना थी जिससे एक ही समय हजारों व्यक्तियों को असमय मरना पड़ा था और जो जिन्दा रहे वो भी  विकंलाग और विकृत होकर इस दुर्घटना या गैस त्रासदी की कहानी बताते हैं।

वायु मनुष्य, जीव जंतु तथा वनस्पति जगत के लिए अनिवार्य तत्त्व है। वायुमंडल हमारे चारों ओर पाया जाता है जिसमें विभिन्न गैसों का अंश विद्यमान है । जब इसकी सामान्य मात्रा में अधिकता या कमी आ जाती है तब वायु प्रदूषण की दशा उत्पन्न हो जाती है। वायु प्रदूषण की परिभाषा प्रदूषण निवारण अधिनियम में इस प्रकार दी गई है– “वायु प्रदूषण से वायुमंडल में उपस्थित कोई ठोस,तरल या गैसयुक्त पदार्थ जिसमें ध्वनि शामिल है,ऐसे संकेन्द्रण में अभिप्रेत है जो मानव का अन्य जीव प्राणी या पौधों या पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है या हानि कारक होने के लिए प्रवृत्त है।"

वायु प्रदूषण के कारणों को दो भागों में बाँटकर देखा जा सकता है–

(1) प्राकृतिक वायु प्रदूषण तथा (2) कृत्रिम या मानव प्रदत्त वायु प्रदूषण प्राकृतिक प्रदूषण का कारण प्रकृति ही है । ज्वालामुखी के विस्फोट से खतरनाक गैसों,लावा, धूल, धुआं निकलना, पहाड़ या चट्टानें टूटकर गिरना, धूल भरी आंधी चलना, बिजली गिरना आदि प्राकृतिक कारण हैं जिनसे वायु प्रदूषित हो रही है। मशीनों का कोलाहल भी ध्वनि वायु प्रदूषण का एक कारण है।

धूल– लौह अयस्क तथा कोयले की खानों की धूल वहाँ काम करने वाले धनिकों में कई प्रकार के रोग उत्पन्न करती है। फ्रिज तथा जेट विमानों से विसर्जित होने वाला ऐरोसोल हानिकारक होता है।

धुआं– घरेलू ईंधन को जलाने से उत्पन्न धुआं तथा कारखानों की चिमनियों और ताप बिजलीघरों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण फैलाता है। इस धुएं में बिना जले कार्बन के कण, विषैली गैसें तथा हाइड्रोकार्बन डायऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसें होती हैं जो वायु प्रदूषण का कारण है।

उद्योगों की बढ़ती संख्या– तीव्र औद्योगिकीकरण फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं जो गैसों के रूप में वायुमंडल में प्रवेश करता है वह भी वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। सीमेंट, ईट भट्टा व रसायनों से संबंधित उद्योगों से अत्यधिक मात्रा में गैसें निकलती हैं जो वायुमंडल को प्रदूषित करती हैं।

कीटनाशकों का प्रयोग– आजकल फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों का नाश करने के लिए खेतों में अनेक प्रकार के कीटनाशी छिड़काव किये जाते हैं । इस प्रकार के छिड़काव से विषैले रसायन वाष्प एवं सूक्ष्म कणों के रूप में वायुमंडल के विस्तृत क्षेत्र में पहुँच जाते हैं तथा गंभीर वायु प्रदूषण के कारण बनते हैं । इन रसायनों से आंख और श्वसन तंत्र से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है।

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव– वायु प्रदूषण के कारण निम्नलिखित दुष्प्रभाव सामने आते हैं– (1) बढ़ते वायु प्रदूषण और विषैली गैसों के कारण महानगरों में जीवन अत्यनत कठिन हो चुका है। फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं और विषैली गैसों के कारण मनुष्य की श्वास प्रक्रिया बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

(2) वाहनों से निकलने वाला धुआं भी कोई कम घातक नहीं है। कार के इंजन से निकलने वाले धुएं से सिरदर्द व भतली की शिकायत होती है, आंखों के आगे अंधेरा छा सकता है और खून में प्राणवायु ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।

(3) वाहनों के अधजले व जले हुए ईधन के अवशेषों से धुएं में हाइड्रोकार्बन निकलती है जिससे कैंसर की आशंका रहती है।

(4) बड़े वाहन हवा में सीसा छोड़ते हैं जो विषैला है तथा हड्डियों को गलाता है।

(5) वायु प्रदूषण के कारण खाँसी, दमा, फेफडों का कैंसर आदि बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

(6) धुएं के बढ़ते कोहरे के कारण आंखों में जलन होती है।

(7) कलकारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुआं और जहरीली गैसें वायु मंडल के ऊपर स्थित ओजोन परत पर सीधे वार कर रही है और इससे ओजोन के सुरक्षा कवच में छेद हो गया है। ओजोन की परत सूरज से पृथ्वी की ओर जाने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणों को रोक लेती है। ओजोन परत में छेद होने से पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगती हैं। इससे त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है । इन किरणों से आंखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

हवा में प्रदूषण की मात्रा एवं इसके बढ़ते प्रभाव का अध्ययन दिल्ली महानगर में किया गया जिसके आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि महानगरों में प्रदूषण इतना बढ़ जाएगा कि श्वास लेना भी कठिन हो जाएगा तथा जगह– जगह ऑक्सीजन गैस के सिलेण्डर भरने के लिए स्टेशन खुल जाएंगे जिससे लोगों की लंबी कतारें लगेंगी जो श्वास लेने के लिए गैस भरवाने खड़े होंगे। इससे स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण के कारण पर्यावरण किस प्रकार विषैला होता जा रहा है। यदि वाहनों व अन्य ज्वलनशील पदार्थों से निकलने वाली गैसों पर तुरंत नियंत्रण न किया गया तो मनुष्य व अन्य जीव जंतुओं के लिए यह पृथ्वी जीवन योग्य नहीं रह जाएंगी।

लगभग 100 वर्षों से वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि वायुमंडल में कार्बन डायऑक्साइड गैस की मात्रा में लगातार बढ़ने के कारण भूमंडल में गर्मी बढ़ेगी। गर्मी बढ़ने से मौसम बदलेंगे। गर्म प्रदेशों में अथाह गर्मी से सूखा पड़ जाएगा। फसलों को भारी नुकसान होगा। तापमान बढ़ने से ध्रुवों की बर्फ पिघलेगी। बर्फ पिघलने से नदियों में बाढ़ आएगी। समुद्र का जलस्तर बढ़ जाएगा और नगर व लोग डूबने लगेंगे। यह भविष्य की भयावह आशंका है |

वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के उपाय

(1) घरेलू ईधन दहन से छुटकारा पाना होगा। वैसे भी परम्परागत स्रोत कम होते जा रहे हैं। धुएं रहित चूल्हों का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग किया जा सकता है। सौर ऊर्जा, आधुनिक एल.पी.जी. गोबर गैस तथा बायोगैस के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

(2) विभिन्न प्रकार के वाहनों, स्वचालित यंत्रों से निकलने वाले गैसों पर नियंत्रण उपकरण लगाए जाने चाहिए। भारी वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जैसा दिल्ली महानगरपालिका में हाल ही में ऑड– ईवन वाहनों के उपयोग का प्रयोग किया गया। इससे जहाँ एक ओर यातायात अवरोध समाप्त होगा वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण पर रोक लगेगी।

(3) विषैली गैसों को छोड़ने वाली दवाओं कीटनाशक पदार्थों को बंद किया जाए या उन्हें नियंत्रित किया जाए। (4) तेल शोधक कारखानों पर शोधक संयंत्र लगाए जाएं।

(5) कूड़े– कर्कट को खुले में न डाला जाए।

(6) मृत पशुओं को भी खुले में न डाला जाए।

(7) हरित पट्टियों का विकास किया जाए ताकि ऑक्सीजन की प्राप्ति एवं कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग हो सके।

(8) प्रदूषण संबंधी सर्वेक्षण नियमित रूप से किये जाकर सूचनाओं को एकत्र कर उनका उपचार किया जाए।

(9) हरित गृहों (ग्रीन हाउस) को अधिक प्रोत्साहित न किया जाए।

(10) वायु के साथ मिश्रित सल्फर डायऑक्साइड को गैस विल्फाइजेशन (PGD) विधि से अलग किया जाए।

(11) 550° से. ने. तापमान पर कोयले के जलाने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड का कम उत्सर्जन होता है। अब ऐसे ईधनों की दहन प्रणाली में परिवर्तित करके कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जाए।

(12) जनमानस में वायु प्रदूषण संबंधी ज्ञान के प्रति चेतना उत्पन्न की जाए। यह कार्य प्रत्येक स्तर पर हो।

(13) विद्यालयों, एन.जी.ओ. तथा सरकारी प्रतिष्ठानों द्वारा वायु प्रदूषण रोकने के लिए जनजागरण किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रचार– प्रसार आवश्यक है अन्यथा शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी वायु प्रदूषण बढ़ेगा।

(14) उद्योगों धूल आदि को अलग करने के लिए इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रोसीविटेटर लगाए जाएं।

(15) शवदाह हेतु जलाऊ लकड़ी के स्थान पर विद्युत शवगृहों का उपयोग प्रोत्साहित किया जाए।

(16) द एक्सप्लोसिव एक्ट (1908) का पालन किया जाए तथा द एयर प्रिवेंशन एण्ड कंट्रोल पोल्यूशन एक्ट 1981 का कठोरता से पालन किया जाए।

(17) वन विकास रोका जाए। वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाए।

(18) बढ़ती जनसंख्या भी पर्यावरण को नष्ट करने में सहायक है क्योंकि बढ़ी जनसंख्या से आवश्यकताओं के कारण वन आदि विनष्ट हो रहे हैं अत: जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण हो ।

वायु प्रदूषण से बचने का उपाय क्या है?

1. निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें क्योंकि सड़क पर जितनी कम गाड़ियाँ रहेंगी उतना कम प्रदूषण भी होगा। अपने बच्चों को निजी वाहन से स्कूल छोड़ने की जगह उन्हें स्कूल की बस में जाने के लिए प्रोत्साहित करें। जहाँ तक मुमकिन हो, खुद भी ऑफ़िस जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें।

वायु प्रदूषण क्या है इसके कारण एवं रोकने के उपाय लिखिए?

वायु प्रदूषण के कारण.
ईंधनों का जलना, जैसे - घरेलू गतिविधि के लिए घरों में कोयला और लकड़ी। ... .
आटोमोबाइल में प्रयुक्त ईंधन, जैसे - डीजल और पेट्रोल कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड तथा धुँआ उत्सर्जित करते हैं। ... .
बिजली संयंत्रों एवं उद्योगों में कोयले का जलना गैसों के प्रदूषकों के मुख्य साधन हैं, जैसे - सल्फर और नाइट्रोजन।.

वायु प्रदूषण के क्या कारण हैं?

वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाले गैसों के कारण हवा (वायु) प्रदूषित होती है। मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है।

क्या वायु प्रदूषण के 10 कारण होते हैं?

Vayu Pradushan par 10 Vakya – Set 1 1) वातावरण की वायु में घुली हानिकारक गैस और अशुद्ध कण वायु प्रदुषण कहलाती हैं। 2) उद्योग, वाहन व ज्वालामुखी से उत्सर्जित गैस वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। 3) मानवजनित गतिविधियां वायु प्रदूषण के कारण होते हैं। 4) जीवाश्म ईंधन का अधिक दोहन और जंगल की आग भी प्रदूषण का कारण है।