9 Show काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। उक्त पंक्ति में मुरलीधर के होठों सी लगी बांसुरी को गोपियाँ अपने होठों से लगाने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वे मानती है कि बांसुरी उनकी सौतन है। वह हर समय श्री कृष्ण जी के पास रहती है। सभी गोपियाँ श्री कृष्ण जी की बांसुरी से ईर्ष्या करती हैं। गोपी ने अपनी सखी को जब श्री कृष्ण जी का रूप धारण करने का आग्रह
किया तो सखी कहती है की वह मोर का मुकुट लगा लेगी, पीले वस्त्र धारण कर लेगी, गले में माला दाल लेगी और हाथों में लाठी लेकर गायों को चराने के लिए भी चली जायेगी लेकिन वह श्री कृष्ण जी की बांसुरी को नहीं बजाएगी। भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए मुरली प्रभाव / सुजान-रसखानKavita Kosh से कवित्त दूध दुह्यौ सीरो पर्यौ तातो न जमायौ कर्यौ, जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं, सवैया चंद सों आनन मैन-मनोहर बैन मनोहर मोहत हौं मन बाँकी बिलोकनि रंगभरी रसखानि खरी मुसकानि सुहाई। डोरि लियौ मन मोरि
लियो चित जोह लियौ हित तोरि कै कानन। मेरो सुभाव चितैबे को माइ री लाल निहारि कै बंसी बजाई। मोहन की मुरली सुनिकै वह बौरि ह्वै आनि अटा चढ़ि
झाँकी। बंसी बजावत आनि कढ़ौ सो गली मैं अली! कछु टोना सौ डारे। काल काननि कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजति है। काल्हि भटू मुरली-धुनि में रसखानि लियौ कहुं नाम हमारौ। आज भटू इक गोपबधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखि! हमको चहिहै। बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारी न जीहै। मोर-पखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माला गरें पहिरौंगी। या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी पंक्ति में कौनसा अलंकार है *?यहाँ पर 'ल' वर्ण और 'म' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है इस कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
या मुरली मुरलीधर की पंक्ति में मुरलीधर कौन हैं?9. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। यहाँ श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के अनन्य प्रेम के साथ उनकी मुरली के प्रति ईर्ष्या प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जब श्रीकृष्ण गोपी की ओर देखकर मुस्कुराएंगे तो उस समय उत्पन्न होने वाले आनन्द को सम्भालना असम्भव हो जाएगा।
मुरली मुरलीधर की अधरान पंक्ति का क्या आशय है?या मुरली मुरलीधर की अधरन धरी अधरा न धरौंगी। भाव सौंदर्य - इस छंद में गोपी दूसरी सखी से श्री कृष्ण की भाँति वेशभूषा धारण करने को कहती है। सखी उसके इस आग्रह पर तयार तो हो जाती है। गोपी अपनी सखी के कहने पर कृष्ण के समान वस्त्राभूषण तो धारण कर लेगीं परन्तु कृष्ण की मुरली को अधरों पर नहीं रखेगीं।
या मुरिह मुरिहधर की अधरान धरह अधरा न धरौंगी में कौन सा अिींकार है?सभंग यमक अलंकार को अन्य उदाहरण के द्वारा भी समझा जासकता है।
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