पौधों के वायवीय भागों से जल का वाष्प के रूप में उड़ना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। दूसरे शब्दों में वाष्पोत्सर्जन वह क्रिया है, जिसमें पादप सतह से जल वाष्प के रूप में उड़ता है। जल पौधों में अस्थायी होता है। जल की पर्याप्त मात्रा वाष्प के रूप में पत्ती की निम्न सतह पर उपस्थित रंध्रों (stornatas) के माध्यम से निष्कासित हो जाती है। पत्ती में वाष्पोत्सर्जन द्वारा हुई जल हानि की क्षतिपूर्ति जड़ से परिवहन द्वारा हुई नई आपूर्ति द्वारा होती रहती है। वास्तव
में पत्ती की कोशिकाओं से जल के वाष्पित होने से कर्षण (Pull) उत्पन्न होता है जो जल को दारु (xylem) से खींचता है। इस प्रकार वाष्पोत्सर्जन की क्रिया जड़ से पतियों तक जल के ऊपर की ओर पहुँचने में सहायक है। अनुकूलतम अवस्थाओं में पत्ती द्वारा उसके भार के समान जल के वाष्पोत्सर्जन में एक घंटे से भी कम समय लगता है। एक वृक्ष अपने जीवन काल में औसतन अपने भार का 100 गुना जल वाष्पित करता है। पादप द्वारा अवशोषित जल का 1 से 2% भाग ही प्रकाश संश्लेषण एवं अन्य उपापचयी क्रियाओं में उपयोग होता है। वाष्पोत्सर्जन में
जल का वाष्प बनकर उड़ने के अलावा ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान पत्तियों में उपस्थित छोटे छिद्रों जिन्हें रंध्र (stornata) कहते हैं के द्वारा होता है। सामान्यतः ये रंध्र दिन में खुले रहते हैं और रात में बन्द हो जाते हैं। रंध्र का बंद होना और खुलना रक्षक कोशिकाओं के स्फीति (Turgor) में बदलाव से होता है। बाष्पोत्सर्जन के प्रकार: वाष्पोत्सर्जन मुख्यतः 4 प्रकार का होता है। ये हैं- वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक: वाष्पोत्सर्जन का महत्व: पौधों में वाष्पोत्सर्जन की दर को गैनोंग पोटोमीटर (Ganong potometer) के द्वारा मापा जाता है।
वाष्पोत्सर्जन कारक के प्रकारवाष्पोत्सर्जन की क्रिया अनेक कारकों (factors) से प्रभावित होती है, इन्हें दो शीर्षको में बांटा जा सकता है- वातावरणीय कारक- वायुमंडलीय आर्द्रता, प्रकाश, तापमान, वायु, प्राप्य मृदा जल (soil water), वायुमंडलीय दाब। संरचनात्मक कारक– पत्ती का क्षेत्रफल (leaf area), मूल-प्ररोह अनुपात (hit ratio), पत्ती की संरचना। वातावरणीय कारकवाष्पोत्सर्जन के वातावरणीय कारक (environmental factors) को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है। Table of Contents
वायुमंडलीय आर्द्रतारंध्रो (stomata) से होने वाला वाष्पोत्सर्जन मुख्य रूप से अपेक्षित आद्रता (relative humidity) पर निर्भर करता है। कम आपेक्षित आद्रता पर वायु शुष्क (air dry) होती है और वाष्पोत्सर्जन कारक की दर अधिक होती है। आपेक्षित आद्रता अधिक होने पर वायु नम (air moist) होती है और वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है। यदि वायुमंडल जल-वाष्प से पूर्णतः संतृप्त (saturated) हो तो ऐसी स्थिति में वाष्पोत्सर्जन लगभग न के बराबर होता है। प्रकाशप्रकाश की उपस्थिति में रंध्र (stomata) खुल जाते हैं और इसकी अनुपस्थिति में बंद हो जाते हैं। अतः वाष्पोत्सर्जन के लिए प्रकाश (light) का होना आवश्यक है। अधिक प्रकाश में वाष्पोत्सर्जन (transpiration) अधिक होता है तथा प्रकाश की मात्रा घटने पर वाष्पोत्सर्जन की दर भी कम हो जाती है। तापमानतापमान बढ़ने से वायुमंडल की आपेक्षिक आद्रता (relative humidity) कम हो जाती है अतः वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है अर्थात तापमान वाष्पोत्सर्जन को अप्रत्यक्ष (indirect)रूप से प्रभावित करता है। इन्हें भी पढ़ें:- रसारोहण क्या है व रसारोहण के सिद्धांत (12th, Biology, Lesson-1) वायुअधिक गति से वायु चलने पर वाष्पोत्सर्जन की दर (transpiration rate) बढ़ जाती है क्योंकि पत्तियों के ऊपर की वाष्प वाली वायु हट जाती है तथा पत्ती (leaf) के अंदर व बाहर के वाष्प दाब (vapor pressure) में अंतर बढ़ जाता है। वायु के न चलने या मंद वायु (cool air) में वाष्पोत्सर्जन की दर कम होती है। परंतु बहुत तेज वायु (आंधी) में वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है क्योंकि इस स्थिति में रंध्र (stomata) आंशिक रूप से बंद होने लगते हैं। प्राप्य मृदा जलमृदा में प्राप्य जल (available water) की कमी में पौधे को जल की मात्रा कम मिलेगी, परिणामस्वरूप वाष्पोत्सर्जन (transpiration) कम होगा। वायुमंडलीय दाबकम वायुमंडलीय दाब पर वाष्पोत्सर्जन कारक की दर अधिक हो जाती है। लेकिन पहाड़ों पर पौधों में सामान्य वाष्पोत्सर्जन मिलता है क्योंकि कम वायुमंडलीय दाब के कारण वाष्पोत्सर्जन की अधिक दर कम तापमान से संतुलित हो जाती है। संरचनात्मक कारकवाष्पोत्सर्जन के संरचनात्मक कारक (structural factor) को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है। इन्हें भी पढ़ें:- बिंदु स्त्राव किसे कहते है (12th, Biology, Lesson-1) पत्ती का क्षेत्रफलयदि पत्ती का क्षेत्रफल (leaf area) अधिक होगा तो वाष्पोत्सर्जन कारक की दर भी अधिक होगी। परंतु प्रति इकाई क्षेत्र से होने वाली वाष्पोत्सर्जन दर (transpiration rate) अधिक क्षेत्रफल की पत्तियों (leaf) में कम तथा कम क्षेत्रफल (area) की पत्तियों में अधिक होती है। मूल-प्ररोह अनुपातजल अवशोषण (मूल) तथा वाष्पोत्सर्जन करने वाली सतहों (प्रभोह) का अनुपात वाष्पोत्सर्जन कारक की दर को प्रभावित करता है। मूल-प्रभोह अनुपात के बढ़ने पर वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है। पत्ती की संरचनावाष्पोत्सर्जन की दर पत्ती की संरचना से बहुत अधिक प्रभावित होती है। उपत्वचा (cuticle) की मोटाई, मोम अथवा रोमो की परत आदि वाष्पोत्सर्जन कारक की दर को कम करते हैं। रंध्रो (stomata) की संख्या, उनकी पत्ती की सतह पर उपस्थित (ऊपरी सतह पर, निचली सतह पर अथवा दोनों सतहों पर) आदि भी वाष्पोत्सर्जन की दर (transpiration rate) को प्रभावित करती है। मरूदभिद पौधों में वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करने के लिए कई प्रकार के रूपांतरण (conversion) पाये जाते हैं, जैसे- पत्ती की न्यूनतम सतह, मोटी उपत्वचा (thick skin), मोम की परत, रोमों की उपस्थिति, स्थूलभित्ति (macro wall) वाली अधोत्वचा, पत्तियों का कांटो में परिवर्तन, धंसे (sunken) रंध्र आदि। प्रतिवाष्पोत्सर्जकप्रतिवाष्पोत्सर्जक वे पदार्थ (antitoxic substances) होते हैं जिनके द्वारा पौधे को उपचारित (treated) कर देने पर उनमें वाष्पोत्सर्जन कम होने लगता है। इन पदार्थों को कई समूहो (group) में रखा गया है। एक समूह के प्रतिवाष्पोत्सर्जको में रंगहीन प्लास्टिक (colorless plastic), सिलीकन तेल तथा मोम को रखा गया है। इन पदार्थों का छिड़काव (spraying) पौधे की पत्तियों पर कर देने पर, ये पदार्थ पत्तियों के ऊपर एक परत (film) बना लेते हैं। यह परत ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के लिए पारगम्य होती है। इन्हें भी पढ़ें:- सक्रिय अवशोषण और निष्क्रिय अवशोषण (12th, Biology, Lesson-1) लेकिन जल वाष्प के लिए अपारगम्य (inaccessible) होती है। अर्थात प्रकाश-संश्लेषण (photosynthesis) एवं श्वसन क्रियाओ में कोई रुकावट नहीं आती है, किंतु पानी का उड़ना (वाष्पोत्सर्जन) कम हो जाता है। दूसरे समूहो में ऐसे पदार्थों (substance) को शामिल किया जाता है। जिनको पत्तियों पर छिड़कने से उनके रंध्र (stoma) आंशिक रूप से बंद हो जाते हैं। जिससे वाष्पोत्सर्जन की दर (transpiration rate) कम हो जाती है। उदाहरण के लिए फिनाइल मरक्यूरिक ऐसीटेक (Phenylmercuric acetate), ऐब्सीसिक अम्ल आदि। वाष्पोत्सर्जन का महत्वयह वाष्पोत्सर्जन के महत्व के संबंध में वैज्ञानिक (scientist) एकमत नहीं है। कुछ वैज्ञानिक वाष्पोत्सर्जन को उपयोगी मानते हैं परंतु कुछ वैज्ञानिक इसे हानिकारक (harmful) और व्यर्थ मानते हैं। वाष्पोत्सर्जन से पौधों को मुख्य लाभ (benefit) व हानियां (loss) निम्न प्रकार है- वाष्पोत्सर्जन के लाभ
वाष्पोत्सर्जन से हानियां
More Information– वाष्पोत्सर्जन क्या है, प्रकार व अंतर (12th, Biology, Lesson-1) My Website- 10th22th.com इन्हें भी पढ़ें:- परासरण दाब क्या है (12th, Biology, Lesson-1) Recommended
वाष्पोत्सर्जन का क्या महत्व है इस क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक
तापमान: पौधे अधिक तापमान में ज्यादा तेजी से वाष्पोकत्सार्जन करते हैं क्योंकि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है पानी और ज्यादा तेजी से भाप बनकर उड़ता है। आर्द्रता: आर्द्रता को वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक क्या हैं वे वाष्पोत्सर्जन दर को कैसे प्रभावित करते हैं?वाष्पोत्सर्जन की क्रिया अनेक कारकों (factors) से प्रभावित होती है, इन्हें दो शीर्षको में बांटा जा सकता है- वातावरणीय कारक- वायुमंडलीय आर्द्रता, प्रकाश, तापमान, वायु, प्राप्य मृदा जल (soil water), वायुमंडलीय दाब। संरचनात्मक कारक– पत्ती का क्षेत्रफल (leaf area), मूल-प्ररोह अनुपात (hit ratio), पत्ती की संरचना।
वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधे के लिए क्या महत्व?वाष्पोत्सर्जन का महत्व
वाष्पोत्सर्जन मिट्टी से पानी के अवशोषण में मदद करता है। अवशोषित पानी जड़ों से पत्तियों तक जाइलम वाहिकाओं के माध्यम से जाता है। ये बहुत हद तक वाष्पोत्सर्जन खिंचाव से प्रभावित होते हैं। वाष्पीकरण के दौरान वाष्पोत्सर्जन पौधे की सतह ठंडी रखने में मदद करता है।
निम्न में से कौन सा कारक वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करता है?स्पष्टीकरण: ऐसे कई कारक हैं जो वाष्पोत्सर्जन दर को प्रभावित करते हैं जैसे प्रकाश, आर्द्रता और ताप, वायु।
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