नक्षत्रपंचांग में नक्षत्र का विशेष स्थान है। वैदिक ज्योतिष में किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व नक्षत्रों को देखा जाता है। इसके अतिरिक्त नक्षत्र व्यक्ति के जीवन पर भी अपना प्रभाव डालता है। जिससे जातक के गुण व अवगुण निर्धारित होते हैं। आगे हम नक्षत्र की गणना कैसे की जाती है, नक्षत्र की पौराणिक मान्यता क्या है, नक्षत्रों का वर्गीकरण कैसे किया गया है, नक्षत्र कितने प्रकार के हैं और पंचांग में इसका क्या महात्व है, इसके बारे में जानेंगे। Show नक्षत्र की गणना23 November 2022 | Nakshatra - उत्तराषाढ़ा 5:10:22 तक उसके बाद श्रावण नक्षत्र के लिए दिनांक और स्थान दर्ज करेंआपका स्थान
नक्षत्र की गणनावैदिक ज्योतिष के अनुसार राशि चक्र 360 अंश का है। चूंकि इसमें 27 नक्षत्र (नक्षत्र) हैं, प्रत्येक नक्षत्र का मान 13 अंश और 20 मिनट है जब यह निर्धारित प्रारंभिक बिंदु से मापा जाता है। इसके अलावा, प्रत्येक नक्षत्र को पाद या चरण में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक नक्षत्र में 4 पाद होते हैं। नक्षत्र की पौराणिक मान्यताहिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सत्ताईस नक्षत्रों को प्रजापति दक्ष की बेटी माना जाता है और चंद्रमा इन सभी से विवाहित हैं। यही कारण है कि चंद्र माह लगभग 27 दिनों का होता है (नक्षत्रों की संख्या के बराबर) क्योंकि चंद्रमा प्रत्येक नक्षत्र में लगभग एक दिन बिताता है। नक्षत्रों का वर्गीकरणनक्षत्रों को विभिन्न तरीकों से वर्गीकृत किया गया है। विभाजन के समय नक्षत्र के मूल गुण, खगोलीय नाम और श्रेणियों के अनुसार, नक्षत्र के स्वामी देवता साथ ही नक्षत्र के स्वामी ग्रह और दशा, उनके लिंग और वर्ण को ध्यान में रखा जाता है। विशेष विश्लेषण करते समय ज्योतिषाचार्य इन नक्षत्रों के प्राथमिक गुणों को ध्यान में रखते हैं। जिसमें काम शामिल हैं; जो कामुक इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है, अर्थात; जो भौतिक इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है। धर्म - जो आध्यात्मिक सिद्धांतों के आधार पर जीवन जीने का प्रतिनिधित्व करता है, और अंत में मोक्ष - जो जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। नक्षत्र के प्रकारकुल 27 प्रकार के नक्षत्र हैं, जिनके अपने देवता व स्वामी ग्रह हैं।
कछ ज्योतिषी 28 वें नक्षत्र में भी विश्वास रखते हैं, जो अभिजीत नक्षत्र है। माना जाता है इसके स्वामी ग्रह सूर्य और देवता भगवान ब्रह्मा हैं। परंतु सामान्यतः 27 नक्षत्रों को ही माना जाता है। पंचांग में नक्षत्रों का महत्व नक्षत्र एक तारामंडल हैं और यह शब्द "आकाश मानचित्र" में अनुवाद करता है। नक्षत्रों को किसी व्यक्ति के जन्म के समय किसी विशेष राशि में चंद्रमा के अंश की मदद से पाया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को पढ़ने के लिए सूर्य राशि की तुलना में जन्म नक्षत्र (चंद्रमा का नक्षत्र) पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। ग्रह के नक्षत्र पदों का अध्ययन जन्म कुंडली में किया जाता है, इस प्रकार यह वैदिक ज्योतिष में राशि चिन्हों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र वैदिक ज्योतिषी कुंडली मिलान के दौरान नक्षत्रों को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। वैदिक ज्योतिषी सूर्य राशि के बजाय जन्म नक्षत्र (चंद्र नक्षत्र) के माध्यम से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विश्लेषण करना पसंद करते हैं। सूर्य लगभग एक माह बाद राशि बदलते हैं, जबकि चंद्रमा हर 2-3 दिन में अपना राशि बदलते हैं। यही कारण है कि चंद्रमा पर आधारित भविष्यवाणियां अधिक सटीक और अधिक विश्वसनीय हैं, क्योंकि हमारे विचार और परिस्थितियां भी अक्सर बदलती रहती हैं। अश्विनी भरणी कृतिका रोहिणी म्रृगशीर्ष आर्द्रा पुनर्वसु पुष्य अश्लेषा मघा मूल पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त चित्रा स्वाति विशाखा अनुराधा ज्येष्ठ पूर्वाषाढ़ा उत्तराषाढ़ा रेवती श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद 2022 में हथिया नक्षत्र कब है?पंचांग के अनुसार 27 सितम्बर, मंगलवार के दिन हस्त नक्षत्र रहेगा जो आकाश मंडल 13वां नक्षत्र है।
हथिया नक्षत्र कब से लग रहा है?ग्रहों के योग के अनुसार 26 सितंबर से और छह अक्टूबर तक कई बार वर्षा के योग बनेंगे। 27 सितंबर को प्रातः 6:42 पर सूर्य हस्त नक्षत्र में आएंगे जो 10 अक्टूबर को 19:30 बजे तक रहेंगे।
अभी बरसात का कौन सा नक्षत्र चल रहा है?वर्षा के मुख्यत: आठ नक्षत्र होते है। वर्षा ऋतु के नक्षत्र आर्द्रा 22 जून, पुनर्वसु छह जुलाई, पुष्य 20 जुलाई, अश्लेषा तीन अगस्त, मघा 17 अगस्त, पूर्वा फाल्गुनी 31 अगस्त, उत्तरा फाल्गुनी 14 सितंबर एवं हस्त 27 सितंबर तक वर्षा श्रेष्ठ होगी।
अभी कौन सा नक्षत्र है 2022?4 अक्टूबर 2022 को पंचांग के अनुसार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र आकाश मंडल का 21वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य ग्रह है.
|