अपराजिता पाठ के अवसर डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता क्यों कहा जाता है? - aparaajita paath ke avasar doktar chandra ko aparaajita kyon kaha jaata hai?

विषयसूची

  • 1 डॉ चन्द्रा की क्या क्या उपलब्धियाँ थी?
  • 2 बालिका चंद्रा चल क्यों नहीं सकती थी?
  • 3 डॉ चंद्रा को पहली बार देखकर लेखिका के मन में क्या क्या भाव उठे?
  • 4 चंद्रा को डॉक्टरेट कब मिली?
  • 5 अपराजिता पाठ की नायिका कौन है?
  • 6 श्यामू ने बोला के सामने क्या रहस्य खोला?

डॉ चन्द्रा की क्या क्या उपलब्धियाँ थी?

अपराजिता पाठ की लेखक शिवानी है।

  • डॉ. चंद्रा अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति थी।
  • डॉ. चंद्रा की माताजी श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम् ने अपनी बेटी के लिए कोई साधना नहीं की।
  • हमें विपरीत परिस्थितियों में हाथ-पर-हाथ धर कर बैठ जाना चाहिए।
  • डॉ. चंद्रा का निचला धड़ काम नहीं करता था।
  • बालिका चंद्रा चल क्यों नहीं सकती थी?

    इसे सुनेंरोकेंबालिका चन्द्रा का गर्दन से निचला शरीर जब निर्जीव-सा हो गया और डॉक्टरों ने स्पष्ट कहा कि इसका इलाज करने से कोई लाभ नहीं रहेगा। तब चन्द्रा की माता ने उस अपंगता को अपनी पुत्री के लिए और स्वयं के लिए भी भयानक अभिशाप माना। परन्तु उस दशा में भी वह बच्ची के जीवन की भीख माँगती रही और उसके स्वस्थ होने की आशा करती रही।

    डॉ चंद्रा की माताजी का क्या नाम है?

    इसे सुनेंरोकेंउत्तर– डॉ. चंद्रा की माताजी का नाम श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम है ।

    डॉक्टर चंद्रा क्या बनना चाहती थी?

    इसे सुनेंरोकेंउत्तर: डॉ. चन्द्रा चाहती थी कि कोई उसे सामान्य सा सहारा भी न दे और इसलिए वे ऐसी कार बनाना चाहती थी जिससे वे स्वयं चला सकती।

    डॉ चंद्रा को पहली बार देखकर लेखिका के मन में क्या क्या भाव उठे?

    इसे सुनेंरोकें’शिवानी’ द्वारा लिखी गई “अपराजिता” कहानी में जब डॉक्टर चंद्रा को लेखिका शिवानी ने पहली बार देखा तो वह डॉक्टर चंद्रा को देखकर अचंभित रह गई क्योंकि डॉक्टर चंद्रा का शरीर का निचला हिस्सा बिल्कुल निषप्राण था अर्थात डॉक्टर चंद्रा का धड़ से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता था और वह बैसाखी और व्हीलचेयर के सहारे चलती थी।

    चंद्रा को डॉक्टरेट कब मिली?

    इसे सुनेंरोकेंडॉक्टर चंद्रा को डॉक्टरेट की उपाधि कब मिली थी? 3. सन 1976 में ट.

    लेखिका क्यों चाहती है कि उसकी पंक्तियों को लखनऊ का मेधावी युवक अवश्य पढ़ें?

    इसे सुनेंरोकेंलखनऊ का युवक उनकी पंक्तियां पढ़े, लेखिका ऐसा इसलिए चाहती थी क्योंकि लेखिका ने देखा कि लखनऊ के युवक का केवल एक हाथ कटा था और वह उच्च शिक्षा भी प्राप्त था, फिर भी वह निराश था।

    साहसी जननी किसे कहा गया है और क्यों?

    इसे सुनेंरोकें’वीर जननी’ का पुरस्कार अद्भुत साहसी जननी श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम को मिला। श्रीमती सुब्रह्मण्यम ने लगातार पच्चीस वर्ष तक सहिष्णुता के साथ अपनी पुत्री के साथ-साथ कठिन साधना की।

    अपराजिता पाठ की नायिका कौन है?

    इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: अपराजिता पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा।

    श्यामू ने बोला के सामने क्या रहस्य खोला?

    इसे सुनेंरोकेंश्यामू ने भोला के सामने कौन-सा रहस्य खोला? श्यामू ने भोला के सामने पतंग को ऊपर राम के पास भेजने का रहस्य खोला।

    डॉ चन्द्रा को अपराजिता क्यों कहा गया है?

    इसे सुनेंरोकें➲ अपराजिता पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा।

    डॉक्टर चंद्रा की शिक्षा दीक्षा कैसे हुई?

    इसे सुनेंरोकेंउनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मद्रास में हुई। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके थे। उनमें से एक `प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी’ में प्रकाशित हुआ था, जो इतनी कम उम्र वाले व्यक्ति के लिए गौरव की बात।

    These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी).

    महत्वपूर्ण गद्यांशों की व्याख्या 

    कभी-कभी अचानक ………………………………………………………. नहीं ठहराता।
    संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के संकलित पाठ अपराजिता’ नामक कहानी से उद्धत है। इस कहानी की लेखिका शिवानी हैं।
    प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका ने दिव्यांगों की स्थिति को मार्मिक वर्णन किया है।
    व्याख्या-कभी-कभी हमें ऐसे विकलांग व्यक्ति भी मिलते हैं जिन्हें देखकर हमें अपने जीवन का खालीपन बहुत छोटा लगने लगती है। तब हमें यह एहसास होता है कि भले ही ईश्वर ने हमें कुछ विपत्ति दी है (UPBoardSolutions.com) परन्तु हमारे शरीर के किसी अंग को तो नहीं छीना। फिर भी हम सब विपत्ति में भगवान को ही दोषी ठहराते हैं। लेखिका ने एक विकलांग लड़की को देखा, जिसने खुशी से यातना झेलकर जीवन में संघर्ष किया, सफलता पाई और ईश्वर को दोष नहीं दिया।

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    बहुत बड़ी-बड़ी ………………………………………………………………… भी देता है।
    संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका ने एक दिव्यांग बेटी की माँ की संघर्ष का वर्णन किया है।
    प्रसंग-डॉ० चन्द्रा की माता शारदा सुब्रहमण्यम् को जे०सी० बेंगलुरू द्वारा वीर जननी पुरस्कार मिला। इस अवसर पर वे किस मुद्रा में दिखाई दे रही थीं, उसका वर्णन किया गया है।
    व्याख्या-उनकी बड़ी-बड़ी आँखों में उदासी थी। उनमें माँ की व्यथा और पुत्री की करुण व्यथा छिपी थी। वह पुत्री जिसके लिए वह अपना सुख भूलकर उसकी पहिया लगी कुर्सी को जहाँ-तहाँ घुमाती रही, नाकं के दोनों ओर हीरे की चमकदार लौंग पहने, होठों पर जीत की खुशी और जूड़े में फूलों की चोटी लगाए हुए। उस हिम्मत वाली असाधारण मा शारदा सुब्रह्मण्यम् के ये शब्द लेखिका के कानों में आवाज़ कर रहे हैं। “ईश्वर एक रास्ता बन्द करता है तो दूसरा खोलता है” भाव यह है कि ईश्वर क लड़की को विकलांग किया, तो असाधारण बुद्धि, धैर्य और साहस देकर उसे सफल जीवन का मार्ग भी दिखाया।

    पाठ का सर (सारांश)

    कभी-कभी विधाता हमें ऐसे विलक्षण व्यक्ति से मिला देता है, जिसे देख हमें अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है। हमें तब लगता है कि भले ही उस अनर्यामी ने हमें जीवन में कभी अकस्मात् दन्डित कर दिया हो किन्तु हमारे किसी अंग को हमसे वंचित नहीं किया। फिर भी हममें से कौन ऐसा है जो अपनी विपत्ति के कठिन क्षणों में विधाता को दोषी ठहराता। मैंने अभी पिछले ही महीने, एक ऐसी अभिशप्त काया देखी है, जिसे विधाता ने कठोरतम दंड दिया है। किन्तु उसे वह नतमस्तक तथा आनन्दित मुद्रा में झेल रही है, विधाता को कोसकर नहीं।कठिनतम स्थिति में भी मनुष्य अपने साहस, धैर्य और निरन्तर कोशिश से प्रगति कर सकता है। चन्द्रा एक विकलांग लड़की थी। उसे बचपन में पोलियो हो गया था।

    इस उसका गले से निचला भाग बेजान हो गया था। चन्द्रा की माता श्रीमती टी० सुब्रह्मण्यम् ने हिम्मत हारी। उसने एक सर्जन से एक वर्ष तक चन्द्रा का इलाज करवाया, जिससे उसकी ऊपरी धड़ में हरआ गई। निचला धड़ बेजान ही रहा। माँ ने उसे सहारा देकर उठना-बैठना सिखाया चन्द्रा बहुत ही कुशाग्र बुद्धि की थी। पाँच साल की आयु में उसक, पढाई शुरू हुई। माता ने पूरी . लगन से उसे पढ़ाना-लिखाना शुरू किया। बड़ी ही मिन्नतें करने के ब चन्द्रा को बेंगलुरु के माउंट (UPBoardSolutions.com) कारमेल में प्रवेश मिला क्योंकि स्कूल की मदर ने चन्द्रा की माता से का था “कौन आपकी पुत्री को ह्वील चेयर (पहिए वाली कुर्सी) में क्लास रूम में घुमाता रहेगा।” लंकन श्रीमती टी० सुब्रह्मण्यम् कई वर्ष तक अपनी बेटी को स्वयं क्लास रूम में घुमाती रहीं। चन्द्रा ने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उसे स्व. पदक मिले। प्राणी शास्त्र में एम०एस०सी० किया, जिसमें चन्द्रा ने पहला स्थान प्राप्त किया। प्रोफेसर ठना के निर्देशन में पाँच साल तक शोध कार्य किया। अन्त में उसे विज्ञान में डॉक्टरेट मिल गई।

    इतना सब कुछ होने पर भी डॉ० चन्द्रा ने कविताएँ लिखीं। जिनमें सकी उदासी का चित्रण हुआ था। उसने लेखिका को अपनी कढ़ाई-बुनाई के नमूने भी दिखाए। गर्ल ग ड में राष्ट्रपति का स्वर्ण कार्ड पाने वाली चन्द्रा पहली अपंग बालिका थी।  चन्द्रा के अलबम के अन्तिम पृष्ठ में है, उसकी जननी का बड़ा-सा चित्र, जिसमें वे जे०सी० बेंगलुरु द्वारा प्रदत्त एक विशिष्ट पुरस्कार ग्रहण कर रही हैं- ‘वीर जननी’ का पुरस्कार। बहुत बड़ी-बड़ी उदास आँखें, जिनमें स्वयं माँ की व्यथा भी है और पुत्री की भी, (UPBoardSolutions.com) अपने सारे सुख त्यागकर नित्य छाया बनी पुत्री की पहिया लगी कुर्सी के पीछे चक्र सी घूती जननी की व्यथा, नाक के दोनों ओर हीरे की दो जगमगाती लौंगें, होंठों पर विजय का उल्लास, जूड़े में पुष्पवेणी। मेरे कानों में उस अद्भुत साहसी जननी शारदा सुब्रमण्यम् के शब्द अभी भी जैसे गूंज रहे हैं, “ईश्वर सब द्वार एक साथ बन्द नहीं करता। यदि एक द्वार बन्द करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है।”

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     प्रश्न-अभ्यास

    विचार और कल्पना-   नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
    कुछ करने को-            नोट-
    विद्यार्थी स्वयं करें।
    कहानी से-

    प्रश्न 1.
    कौन-कौन से कथन सही हैं? हमें अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है, जब|
    (क) दूसरों के दुख अपने दुखों से बड़े लगने लगते हैं।
    (ख) हमारे कष्टों से बड़े कष्ट को कोई हँसकर झेलता दिखाई देता है।
    (ग) अपने कष्टों के लिए विधाता को दोषी मान लेते हैं।
    (घ) कष्टों को ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार कर लेते हैं।
    उत्तर-
    हमारे कष्टों से बड़े कष्ट को कोई हंसकर झेलता दिखाई देता है  कष्टों को ईस्वर की इच्छा मानकर स्वीकार कर लेते है।

    प्रश्न 2.
    लेखिका क्यों चाहती थीं कि लखनऊ का युवक उनकी पंक्तियॉ पढ़े?
    उत्तर-
    लखनऊ के युवक का केवल एक हाथ कटा था, वह भी तब जब वह उच्च शिक्षा प्राप्त युवक . था। डॉ० चन्द्रा बचपन से अपंग थी, फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी। युवक को नियति का आघात (UPBoardSolutions.com) सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ० चन्द्रा अपनी लगन से उत्साहपूर्वक आगे बढ़ी। उससे उत्साह, लगन, महत्त्वाकाक्षा और जिजीविषा की प्रेरणा लखनऊ के युवक को ग्रहण करनी चाहिए। इसलिए लेखिका चाहती थी कि लखनऊ का युवक उनकी पंक्तियाँ पढ़े।

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    प्रश्न 3.
    डॉ० चन्द्रा की कविताएँ देखकर लेखिका की आँखें क्यों भर आयीं?
    उत्तर-
    डॉ० चन्द्रा की कविताएँ देखकर लेखिका की आँखें भर आईं क्योंकि वह उदासी जो चन्द्रा के चेहरे पर कभी नहीं देखी गई थी, वह उसकी कविता में परिलक्षित थी।

    प्रश्न 4.
    डॉ० चन्द्रा ने विज्ञान के अतिरिक्त किन अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियाँ प्राप्त कीं? | उत्तर-डॉ० चन्द्रा ने विज्ञान के अतिरिक्त कई अन्य क्षेत्रों में भी उपलब्धियाँ प्राप्त कीं। उनकी कविता, कढाई-बुनाई और संगीत में रुचि थी। उसने जर्मन भाषा में विशेष योग्यता प्राप्त की। उन्होंने गर्ल गाइड में राष्ट्रपति का स्वर्णकार्ड प्राप्त किया।

    प्रश्न 5.
    निम्नलिखित कथनों का भाव स्पष्ट कीजिए-
    (क) वह बित्ते भर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी।
    भाव-लेखिका ने अपंग डा० चन्द्रा, जिसका छोटा-सा शरीर था, को देवलोक की स्त्री समान समझा क्योंकि उसके गुण, बुद्धि, पुरुषार्थ और उपलब्धियाँ किसी भी सांसारिक महिला से ज्यादा थीं।

    (ख) पूरा निचला धड़ सुन्न है, फिर भी बोटी-बोटी फड़क रही है।
    भाव-शरीर निष्क्रिय होते हुए भी जिन्दगी में कुछ करने की ललक (उत्सुकता)।

    (ग) मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे सामान्य-सा सहारा भी न दे।
    भाव-आशय यह है कि वह किसी पर भी आश्रित न होकर स्वावलम्बी हो।

    (घ) चिकित्सा ने जो खोया है, वह विज्ञान ने पाया है।
    भाव-चन्द्रा पहले चिकित्सक बनना चाहती थी, पर प्रवेश परीक्षा में प्रथम आने पर भी उसे इसलिए प्रवेश नहीं मिल पाया क्योंकि उसका धड़ काम नहीं करता था। यदि वह चिकित्सा के क्षेत्र में जाती, तो महान शल्य चिकित्सक बनती। प्रवेश न मिलने पर उसने विज्ञान के क्षेत्र में शोध किया और प्राणी-विज्ञान में पी०एच०डी० की (UPBoardSolutions.com) उपाधि पाने वाली पहली भारतीय बनी। वह एक अच्छी डॉक्टर बन सकती थी लेकिन बन गई वैज्ञानिक। इस प्रकार चिकित्सा ने चन्द्रा की प्रतिभा को खोया और विज्ञान ने उसे प्राप्त कर लिया।

    (ङ) ईश्वर सब द्वार एक साथ बन्द नहीं करता। यदि एक द्वार बन्द करता है तो दूसरी द्वार खोल भी देता है।
    भाव-ईश्वर कर्तव्य करने के लिए कोई रास्ता (क्षमता) जरूर प्रदान करता है.

    प्रश्न 6.
    शारदा सुब्रह्मण्यम को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों मिला?
    उत्तर-
    शारदा सुब्रह्मण्यम कों ‘वीर जननी’ का पुरस्कार इसलिए मिला क्योंकि चन्द्रा जैसी अपंग । बालिका को उसकी माँ ने स्वयं यातनाएँ सहकर भी पढ़ा-लिखा कर उच्चकोटि का वैज्ञानिक बनाया।

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    भाषा की बात
    प्रश्न 1.
    नोट-विद्यार्थी स्वयं शुद्ध बोलकर पढ़ें।

    प्रश्न 2.
    ‘यातना’ शब्द संज्ञा है। उसमें ‘प्रद’ प्रत्यय जोड़ देने से ‘यातनाप्रद’ शब्द विशेषण बन जाता है, जिसका अर्थ है- कष्ट देने वाला। नीचे लिखे शब्दों में ‘प्रद’ जोड़कर नए शब्द बनाइए और उनके अर्थ लिखिए।
    उत्तर-
    शब्द। ‘                 प्रद’ जोड़कर नए शब्द              अर्थ
    कट                        कष्टप्रद                                        
    कष्ट देने वाला
    आनन्द                  आनन्दप्रद                                 
    आनन्द देने वाला
    लाभ                       लाभप्रद                                      
    लाभ देने वाला
    हानि                       हानिप्रद                                      
    हानि देने वाला
    ज्ञान                       ज्ञानप्रद                                        
    ज्ञान देने वाला 

    प्रश्न 3.
    निम्नलिखित वाक्य पढ़िए-
    (क) इसके इस जीवन से तो मौत भली है।
    (ख) मैंने जब वे कविताएँ देखीं तो आँखें भर आईं।
    वाक्य (क) में ‘तो’ निपात के रूप में प्रयुक्त है। ‘निपात’ उस शब्द को कहते हैं, जो वाक्य में कहीं भी रखा जा सकता है, जैसे- पर, भर, ही, तो। किन्तु वाक्य (ख) में ‘तो’, ‘जब’ के साथ ‘तब’ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। क और ख की भाँति दो-दो वाक्य बनाकर लिखिए।
    उत्तर-
    (क) गुलामी करने से तो मर जाना अच्छा है।
    (ख) जब मैंने आसमान में काले बादल देखे तो भीगने से बचने को घर की तरफ दौड़ लगाई।
    (क) गरीबी के जीवन से तो पुरुषार्थ करना भला है।
    (ख) जब विद्यार्थी बस से टकराकर घायल हो गया तो लोगों ने उसे अस्पताल पहुँचाया।

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    प्रश्न 4.
    ‘वह बैसाखियों से ही हुवील चेयर तक पहुँच उसमें बैठ गई और बड़ी तटस्थता से उसे स्वयं चलाती कोठी के भीतर चली गई।’ इस वाक्य में दो वाक्य हैं, दोनों वाक्य स्वतन्त्र अर्थ दे रहे हैं। किन्तु ये वाक्य ‘और’ से (UPBoardSolutions.com) जुड़े हुए हैं, ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्य होते हैं, जो ‘और’,’किन्तु’ या ‘इसलिए’ से जुड़े रहते हैं। संयुक्त वाक्य के कोई दो उदाहरण पाठ से चुनकर लिखिए।
    उत्तर-
    (क) “पहले दुख भुलाने के लिए नशे की गोलियाँ खाने लगा और अब नूरमंजिल की शरण गही है।”
    (ख) “एक वर्ष तक कष्टसाध्य उपचार चला और एक दिन स्वयं ही ऊपरी धड़ में गति आ गई।”

    प्रश्न 5.
    पाठ में आए हुए अंग्रेजी भाषा के शब्दों को छाँटिए और लिखिए।
    उत्तर-
    ‘कार’, ‘सीट’, ‘ह्वीलचेयर’, ‘मशीन’, ‘बटन’, ‘आई०ए०एस०’, ‘स्टेशन’, ‘ट्रेन’, ‘मैडम’, ‘ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट’, ‘माइक्रोबायोलॉजी’, ‘ईस्ट’, ‘वेस्ट’, ‘सेंटर’,’बायोडाटा’, ‘फेलोशिप’, ‘आई०आई०टी०’, ‘थीसिस’, ‘डाक्टरेट’, ‘पी०एच-डी०’, ‘आर्थोपेडिक’, ‘सर्जन’, ‘डॉक्टर’, ‘पीरियड’, ‘एम०एस-सी०’, ‘स्पेशल’, ‘प्रोफेसर’, ‘लैदर’, ‘जैकेट’, ‘गर्ल’, ‘गाइड’, ‘कॉन्वेंट’, ‘बी०एस०सी०’, ‘इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस’, ‘अलबम’।

    We hope the UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 अपराजिता (मंजरी), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

    डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता क्यों कहा जाता है?

    अपराजिता पाठ के अनुसार डॉक्टर चंद्रा को अपराजिता इसलिए कहा गया है, क्योंकि डॉक्टर चंद्रा ने पक्षाघात से पीड़ित होने के बावजूद भी अपने जीवन को एक चुनौती की तरह लिया और उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की। वह जीवन में संघर्ष करती रही और उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा।

    अपराजिता का क्या अर्थ है लेखक ने अपराजिता किसे कहा?

    Solution : अपराजिता का अर्थ है जो पराजित कभी न हो डॉ o चंद्रा विधाता प्रदत्त विकलांगता को भी मात देकर जीवन का सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर ली।

    डॉक्टर चंद्रा क्या बनना चाहते थे?

    विषय है कि तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो।

    डॉक्टर चंद्रा ने लेखिका से क्या अनुरोध किया?

    Solution : लेखिका को जब अपराजिता ने डॉक्टरेट की तब डॉ. चंद्रा ने कहा उसकी सफलता के पीछे उसकी माँ के कठिन अभ्यास की यातनाप्रद भूमिका थी जो अपराजिता को विज्ञान का सर्वोच्च पुरस्कार तक खींच लाया। अर्थात् अपराजिता की माँ ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर उसके साथ लगी रही।