अरहर की दाल में प्रोटीन की मात्रा - arahar kee daal mein proteen kee maatra

अरहर दाल (Pigeon pea)
अरहर की दाल में प्रोटीन की मात्रा - arahar kee daal mein proteen kee maatra
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
विभाग: मैग्नोलियोफाइटा
वर्ग: मैग्निलियोप्सीडा
गण: फैबेलेस
कुल: फैबेसी
वंश: Cajanus
जाति: C. cajan
द्विपद नाम
Cajanus cajan
(L.) Millsp.

अरहर की दाल को तुअर भी कहा जाता है। इसमें खनिज, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, कैल्शियम आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह सुगमता से पचने वाली दाल है, अतः रोगी को भी दी जा सकती है, परंतु गैस, कब्ज एवं साँस के रोगियों को इसका सेवन कम ही करना चाहिए।

भारत में अरहर की खेती तीन हजार वर्ष पूर्व से होती आ रही है किन्तु भारत के जंगलों में इसके पौधे नहीं पाये जाते है। अफ्रीका के जंगलों में इसके जंगली पौधे पाये जाते है। इस आधार पर इसका उत्पत्ति स्थल अफ्रीका को माना जाता है। सम्भवतया इस पौधें को अफ्रीका से ही एशिया में लाया गया है।

दलहन प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जिसको आम जनता भी खाने में प्रयोग कर सकती है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। यदि प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ानी है तो दलहनों का उत्पादन बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्नतशील प्रजातियां और उनकी उन्नतशील कृषि विधियों का विकास करना होगा।

अरहर एक विलक्षण गुण सम्पन्न फसल है। इसका उपयोग अन्य दलहनी फसलों की तुलना में दाल के रूप में सर्वाधिक किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसकी हरी फलियां सब्जी के लिये, खली चूरी पशुओं के लिए रातव, हरी पत्ती चारा के लिये तथा तना ईंधन, झोपड़ी और टोकरी बनाने के काम लाया जाता है। इसके पौधों पर लाख के कीट का पालन करके लाख भी बनाई जाती है। मांस की तुलना में इसमें प्रोटीन भी अधिक (21-26 प्रतिशत) पाई जाती है।[1]

व्युत्पत्ति[संपादित करें]

अरहर की दाल में प्रोटीन की मात्रा - arahar kee daal mein proteen kee maatra

अरहर दाल का पेद़्अ बहुवर्षीय होता है और छोटे पेड़ के रूप में निकलता है

अरहर की दाल में प्रोटीन की मात्रा - arahar kee daal mein proteen kee maatra

अरहर की दाल में प्रोटीन की मात्रा - arahar kee daal mein proteen kee maatra

अंग्रेज़ी में: pigeon pea (Cajanus cajan, syn. Cajanus indicus) बांग्ला: अरहर असमी: रोहोर नेपाली: रहर ओडिआ : हरड़, कान्दुल गुजराती/मराठी/पंजाबी: तूर/तूवर तमिल: तुवरम परुप्पू (துவரம்பருப்பு), मलयालम: तूवर परुप्पू ("തുവര പരിപ്പ്"), कन्नड़: तोगड़ी तेलुगु: कांदी

परिचय[संपादित करें]

यह पूर्व उत्तरी भारत के दलहन की मुख्य फसल है। पूर्वी उत्तरप्रदेश में तो दाल माने अरहर की दाल। यह केवल उत्तर प्रदेश में ३० लाख एकड़ से अधिक रकबे में बोई जाती है। इसके लिये नीची तथा मटियार भूमि को छोड़कर सभी जमीनें उपयुक्त हैं। ऊँची दूमट भूमि में, जहाँ पानी नहीं भरता, यह फसल विशेष रूप से अच्छी होती है। यह बहुधा वर्षा ऋतु के आरंभ में और खरीफ की फसलों के साथ मिलाकर बोई जाती है। अरहर के साथ कोदो, बगरी-धान, ज्वार, बाजरा, मूँगफली, तिल आदि मिलाकर बोते हैं। वर्षा के अंत में ये फसलें पक जाती है और काट ली जाती हैं। इसके बाद जाड़े में अरहर बढ़कर खेत को पूर्णतया भर लेती है तथा रबी की फसलों के साथ मार्च के महीने में तैयार हो जाती है। पकने पर इसकी फसल काटकर दाने झाड़ लिए जाते हैं।

अन्य फसलों के साथ मिलाकर इसका बीज केवल दो किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डाला जाता है। अरहर को वर्षा के पहले दो महीनों में यदि निकाई व गोड़ाई दो-तीन बार मिल जाय, तो इसका पौधा बहुत बढ़ता है और पैदावार भी लगभग दूनी हो जाती है। चने की तरह इसकी जड़ों में भी हवा से खाद नाइट्रोजन इकट्ठा करने की क्षमता होती है। अरहर बोने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और इसे स्वयं खाद की आवश्यकता नहीं होती। इसको पानी की भी अधिक आवश्यकता नहीं होती। जब धान इत्यादि पानी की कमी से मर तथा मुर्झा जाते हैं तब भी अरहर खेत में हरी खड़ी रहती है। कमजोर अरहर की फसल पर पाले का असर कभी कभी हो जाता है, परंतु अच्छी फसल पर, जो बरसात में गोड़ाई के कारण मोटी हो गई है, पाले का भी असर बहुत कम, या नहीं, होता।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "अरहर की खेती : किस्में, संकर, सिंचाई, बीज और रोग". मूल से 7 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2015.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • अरहर की खेती (एग्रोपीडिया)
  • अरहर की खेती[मृत कड़ियाँ]
  • अरहर की खेती (उत्तम कृषि)
  • अरहर
  • दलहनी फसलों हेतु प्रश्‍न एवं उत्‍तर
  • अरहर की खेती (एम पी कृषि)
  • अरहर का उत्पादन (इ-फ्रेश ग्लोबल)
  • अरहर की खेती : किस्में, संकर, सिंचाई, बीज और रोग (आप की सहायता)
  • The Story of How Arhar Became India's Favourite Dal

एक कटोरी अरहर की दाल में कितना प्रोटीन होता है?

100 ग्राम पकी हुई अरहर की दाल में करीब 5.92g प्रोटीन होता है। इसके साथ ही इसमें अन्य पोषक तत्व जैसे- कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, शुगर, फाइबर इत्यादि से भरपूर होता है।

सबसे ज्यादा कौन सी दाल में प्रोटीन होता है?

इसलिए इस आर्टिकल में हम कुछ ऐसी दालों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है. उड़द की दाल जिसे हम आम तौर पर स्वादिष्ट दाल मखनी के रूप में खाते हैं, वह सबसे पौष्टिक दालों में से एक है. फैट और कम कैलोरी वाली यह दाल न्यूट्रिशन से भरपूर होती है.

सबसे कम प्रोटीन वाली दाल कौन सी है?

सबसे कम प्रोटीन किस दाल में पाया जाता है? छिलके वाली मूंग दाल (जिसे कुछ जगह हरे चने के रूप में जाना जाता है) सबसे अधिक रिकमेंडेड दाल या सुपरफूड्स में से एक है। हर घर में बनने वाली यह दाल हल्की होने के कारण पचाने में आसान होती है।

100 ग्राम मसूर दाल में कितना प्रोटीन होता है?

मसूर दाल आयरन, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी, बी6, बी2, फोलिक एसिड, कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम से भरपूर होती है. आधा कप मसूर दाल आपको लगभग 9 ग्राम प्रोटीन प्रदान करती है.