उपर्युक्त सभी क्रियाएँ आर्थिक हैं क्योंकि ये सभी धन सम्बन्धी क्रियाएँ हैं और मौद्रिक लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। Show प्रश्न 3. 2. नीति-निर्माताओं द्वारा सांख्यिकीय आँकड़ों का प्रयोग-सांख्यिकीय आँकड़े नीति निर्माण की आधारशिला हैं। योजनाएँ बनाने, उन्हें क्रियान्वित करने तथा उनकी उपलब्धियों/असफलताओं का मूल्यांकन करने में पग-पग पर सांख्यिकीय आँकड़ों का सहारा लेना पड़ता है। नीति-निर्माता समंकों का प्रयोग निम्नलिखित बातों के लिए करते हैं
प्रश्न 4. उदाहरण 2 – माना एक व्यक्ति के पास मात्र १ 10,000 की पूँजी है। वह इसे अनाज को संग्रह करने, अंश पत्रों व ऋण पत्रों में लगाने, कम्प्यूटर लगाकर जॉब वर्क करने आदि कार्यों में लगाना चाहता है। वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास पूँजी सीमित (मात्र १ 10,000) है। अत: वह वही कार्य कर पाएगा जिसमें अधिकतम पूँजी की आवश्यकता मात्र १ 10,000 हो। प्रश्न 5.
प्रश्न 6.
प्रश्न 7. परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11 प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15.
प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
प्रश्न 21.
लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5. परिभाषा की विशेषताएँ – उपर्युक्त परिभाषा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11.
प्रश्न 12.
दीर्घ उतरीय प्रश्न प्रश्न 1. “अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन के स्वरूप तथा कारणों की खोज से सम्बन्धित है।” उपर्युक्त परिभाषा के समर्थन में स्मिथ के समर्थकों द्वारा दी गई कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नांकित हैं
अतः वह ‘आर्थिक मनुष्य’ (Economic Man) की भाँति है। उसका उद्देश्य मात्र धन कमाना होता धन सम्बन्धी परिभाषाओं की आलोचना
उपर्युक्त दोषों के कारण कार्लाइल (Carlyle), रस्किन (Ruskin), विलियम मॉरिस (William Morris) आदि विद्वानों ने अर्थशास्त्र को ‘कुबेर की विद्या’, ‘घृणित विज्ञान’, ‘रोटी और मक्खन का विज्ञान’ कहकर इसकी कड़ी आलोचना की। प्रश्न 2. मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की विशेषताएँ
मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की आलोचना
प्रश्न 3. रोबिन्स की परिभाषा के मूल तत्त्व
असीमित आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों के कारण मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या आती है और आर्थिक समस्या का जन्म होता है। यही आर्थिक समस्या आर्थिक जीवन (अर्थशास्त्र) का आधार है। परिभाषा की आलोचना
प्रश्न 4. प्रो० मेहता के अनुसार, सुख वह अनुभव है, जो मनुष्य को उस स्थिति में प्राप्त होता है जब उसे आवश्यकता का अनुभव ही न हो। प्रो० मेहता के अनुसार, इच्छारहित अवस्था में जबकि मानव का मस्तिष्क पूर्ण सन्तुलन में होता है, जो अनुभव प्राप्त होता है, उसे ‘सुख’ कहते हैं। अर्थशास्त्र का उद्देश्य इसी सुख को अधिकतम करना है। सुख की स्थिति प्राप्त करने के निम्नलिखित दो उपाय हैं
ऐसी स्थिति को एकदम प्राप्त करना मनुष्य के लिए असम्भव है। अतः उसे धीरे-धीरे अपनी आवश्यकताओं को कम करना चाहिए। परिभाषा की विशेषताएँ
परिभाषा की आलोचना
वास्तव में, जब मनुष्य आवश्यकताविहीनता की स्थिति में पहुँच जाता है तो उसके लिए अर्थशास्त्र का अध्ययन ही व्यर्थ हो जाता है। अत: इस परिभाषा का कोई व्यावहारिक महत्त्व नहीं है। प्रश्न 5. अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री अर्थशास्त्र मानव के व्यवहारों का अध्ययन है। मानव के आर्थिक व्यवहारों को अग्रलिखित पाँच भागों में बाँटा जा सकता है। ये विभाग ही अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री माने जाते हैं 1. उपभोग – उपभोग समस्त आर्थिक क्रियाओं का आदि तथा अंत है। इसके अंतर्गत मानवीय आवश्यकताओं, उनकी विशेषताओं, उनका वर्गीकरण, तुष्टिगुण व उससे संबंधित नियमों एवं सिद्धांतों, माँग का नियम व माँग की लोच आदि का अध्ययन किया जाता है। प्रश्न 6. विज्ञान का अर्थ – विज्ञान ज्ञान का एक क्रमबद्ध अध्ययन है, जो कारण तथा परिणाम के मध्य पारस्परिक संबंध स्थापित करता है। विज्ञान में विषय विशेष का नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। किसी भी शास्त्र को ‘विज्ञान’ होने के लिए उसमें निम्नांकित बातें होनी चाहिए
‘अर्थशास्त्र विज्ञान है, के पक्ष में तर्क – ‘अर्थशास्त्र विज्ञान है, इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं
विज्ञान के स्वरूप – विज्ञान दो प्रकार के होते हैं– (अ) वास्तविक विज्ञान – वास्तविक विज्ञान किसी विषय की वास्तविक रूप में अध्ययन करता है। इसमें क्या है? (What is?) का अध्ययन किया जाता है। यह ‘वस्तुस्थिति कैसी है?’, का उत्तर देता है। यह वस्तुस्थिति का अध्ययन करके कारण एवं परिणाम में संबंध स्थापित करता है। अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है – अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है, क्योंकि इसमें वास्तविक आर्थिक घटनाओं के कारण तथा परिणामों का विवेचन किया जाता है और इन संबंधों को नियमों के द्वारा व्यक्त किया जाता है; उदाहरण के लिए माँग को नियम यह बताता है कि कीमत में वृद्धि होने पर माँग में कमी और कीमत में कमी होने पर माँग में वृद्धि होती है। यहाँ कीमत में परिवर्तन ‘कारण’ और माँग में परिवर्तन परिणाम है। (ब) आदर्श विज्ञान – आदर्श विज्ञान का मुख्य कार्य मानवीय आचरण के लिए आदर्श प्रस्तुत करना है। यह ‘क्या होना चाहिए? (What ought to be?) का उत्तर देता है और बताता है कि हमें किन आदर्शों का पालन करना चाहिए। दूसरे शब्दों में, यह हमें वांछनीय और अवांछनीय का ज्ञान कराता है। अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है – अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है, क्योंकि यह हमें मानवीय कल्याण को अधिकतम करने के लिए आर्थिक आदर्शों का ज्ञान कराता है; उदाहरण के लिए एक अर्थशास्त्री केवल मजदूरी निर्धारण के विभिन्न सिद्धांतों का ही अध्ययन नहीं करता अपितु वह यह भी बताता है कि उचित मजदूरी क्या होनी चाहिए। इसी प्रकार अर्थशास्त्र में हम केवल इस बात का ही अध्ययन नहीं करते कि लगान कैसे निर्धारित होता है। अपितु इस बात का भी अध्ययन करते हैं कि लगान की आदर्श मात्रा क्या होनी चाहिए। इस प्रकार अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान भी है। कला – कला का आशय ‘किसी उद्देश्य को प्राप्त करने की विधियों से है। वास्तव में, कला ‘आदर्श को प्राप्त करने के सर्वोत्तम तरीका बतलाती है। यह वास्तविक विज्ञान और आदर्श विज्ञान के बीच पुल का कार्य करती है। कोसा के अनुसार–एक विज्ञान हमें जानने के संबंध में बतलाता है और कला करने के संबंध में बतलाती है। दूसरे शब्दों में–‘विज्ञान व्याख्या तथा खोज करता है, कला निर्देशन करती है।” अर्थशास्त्र कला है – अर्थशास्त्र कला है, क्योंकि अर्थशास्त्र की अनेक शाखाएँ व्यावहारिक समस्याओं का हल बनाती हैं; उदाहरण के लिए, अर्थशास्त्री बताता है कि ब्याज की उचित दर क्या होनी चाहिए, आदर्श मजदूरी व पूर्ण रोजगार के स्तर पर कैसे पहुंच जाए, किन करों के द्वारा बजट के घाटे को पूरा किया जाए? कींस, मिल, मार्शल व पीगू आदि अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को कला मानते हैं। उनके अनुसार, कला व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने का एक साधन है। निष्कर्ष – प्रो० पीगू के अनुसार-“अर्थशास्त्र न केवल विज्ञान है अपितु कला भी है।” वे अर्थशास्त्र के व्यावहारिक पक्ष को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं। वास्तव में, अर्थशास्त्र केवल प्रकाशदायक ही नहीं अपितु फलदायक भी है। प्रो० चैपमैन के शब्दों में–“अर्थशास्त्र आर्थिक तथ्यों के वांछित रूपों के बारे में जिज्ञासा करता हुआ एक आदर्श विज्ञान है तथा वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के तरीकों को ज्ञात करते हुए एक कला है।’ संक्षेप में, अर्थशास्त्र विज्ञान एवं कला दोनों है। प्रश्न 7. अर्थशास्त्र के अध्ययन का महत्त्व मार्शल के शब्दों में-“अर्थशास्त्र के अध्ययन का उद्देश्य प्रथम तो ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करना है। तथा दूसरे व्यावहारिक जीवन में मार्गदर्शन करना है।” नि:संदेह अर्थशास्त्र केवल ज्ञानवर्द्धक ही नहीं बल्कि फलदायक भी है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से प्राप्त होने वाले लाभों को दो भागों में बाँटा जाता है (I) अर्थशास्त्र के अध्ययन के सैद्धांतिक लाभ
(II) अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ 1. गृहस्वामियों तथा उपभोक्ताओं को लाभ-
2. उत्पादकों तथा व्यापारियों को लाभ-
3. कृषकों को लाभ-
4. राजनीतिज्ञों को लाभ-
5. श्रमिकों को लाभ-
6. समाज सुधारकों को लाभ – अर्थशास्त्र का अध्ययन करके समाज सुधारक विभिन्न आर्थिक तथा सामाजिक समस्याओं को सुलझा सकते हैं। जनसंख्या-वृद्धि, निर्धनता, बेकारी आदि समस्याओं के समाधान के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान अनिवार्य है। इसी प्रकार, जाति प्रथा, दहेज प्रथा तथा संयुक्त परिवार प्रथा के आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है। निष्कर्ष – माल्थस के विचार में–“अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसके बारे में यह कहा जा सकता है कि इसकी अज्ञानता केवल भलाई से ही वंचित नहीं करती बल्कि भारी बुराइयाँ भी उत्पन्न कर देती है।” प्रश्न 8. बहुवचन में स्टैटिस्टिक्स शब्द का अर्थ समंकों या आँकड़ों से है, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र से संबंधित संख्यात्मक तथ्य होते हैं, जैसे—कृषि के समंक, जनसंख्या समंक, राष्ट्रीय आय समंक आदि। एकवचन में ‘स्टैटिस्टिक्स’ शब्द का अर्थ सांख्यिकी विज्ञान से है। (I) एकवचन के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ स्टैटिस्टिक्स शब्द का एकवचन में अर्थ सांख्यिकी विज्ञान से है। सामान्य रूप में सांख्यिकी विज्ञान की परिभाषाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है
2. बोडिंगटन के अनुसार-“सांख्यिकी अनुमानों और सम्भाविताओं का विज्ञान है।” (II) बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की परिभाषाएँ
(ब) व्यापक परिभाषाएँ उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर सांख्यिकी की एक उपयुक्त परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-“सांख्यिकी एक विज्ञान और कला है, जो सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक व अन्य समस्याओं से संबंधित समंकों के संग्रहण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, संबंध स्थापन, निर्वचन और पूर्वानुमान से संबंध रखती है ताकि निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।” प्रश्न 9. सांख्यिकी का महत्त्व सांख्यिकी के बारे में सत्य ही कहा गया है-“संख्यिकी प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करती है तथा जीवन के अनेक बिन्दुओं को स्पर्श करती है।” सांख्यिकी के कारण ही अनेक क्षेत्रों में तीव्र गति से प्रगति हुई है। एफ०जे० मोरोने के अनुसार-आधुनिक जीवन का शायद ही कोई छेद या कोना हो, जिसमें; सांख्यिकीय सिद्धांतों का व्यवहार, चाहे वह सरल हो या न हो; परिणाम लाभपूर्ण न हो।” सेक्राइस्ट के अनुसार-“व्यापार, सामाजिक नीति तथा राज्य से संबंधित शायद ही कोई समस्या हो, जिसको समझने के लिए समंकों की आवश्यकता न पड़ती हो।” एडवर्ड जे० कैने के अनुसार-“आज सांख्यिकीय रीतियों का प्रयोग ज्ञान एवं अन्वेषण की लगभग प्रत्येक शाखा–बिन्दुरेखीय कला से लेकर नक्षत्र भौतिकी तक और प्रायः प्रत्येक प्रकार के व्यवहार–संगीत रचना से लेकर प्रक्षेपास्त्र निर्देशन तक में किया जाता है।” 1. अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्त्व-आर्थिक विश्लेषण में समंक अत्यधिक उपयोगी होते हैं। मार्शल के अनुसार-“समंक वे तृण हैं, जिनसे मुझे अन्य अर्थशास्त्रियों की भाँति ईंटें बनानी हैं।” अर्थशास्त्र की प्रत्येक शाखा में साख्यिकीय रीतियों का प्रयोग किया जाता है
2. आर्थिक नियोजन में सांख्यिकी का महत्व – समंकों की आधारशिला पर ही योजना का भवन बनाया जाता है। योजनाएँ बनाने, उन्हें क्रियान्वित करने तथा उनकी सफलताओं का मूल्यांकन करने में पग-पग पर समंकों का सहारा लेना पड़ता है। आर्थिक नियोजन में समंकों का प्रयोग निम्नलिखित बातों के लिए किया जाता है
3. राज्य के लिए सांख्यिकी को महत्व – ठीक ही कहा गया है कि समंक शासन के नेत्र हैं। कल्याणकारी राज्य की धारणा के साथ समंकों का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है। देश में पूर्ण रोजगार के स्तर को बनाए रखने के लिए सरकार को अपनी व्यय नीति, कर नीति, मौद्रिक नीति आदि में समायोजन करना पड़ता है, परन्तु समायोजन संख्यात्मक तथ्यों के आधार पर ही हो सकता है। सरकारी बजट का निर्माण भी समंकों के आधार पर ही किया जाता है। सरकार द्वारा नियुक्त आयोगों, समितियों आदि के प्रतिवेदनों के आधार भी समंक ही होते हैं। वास्तव में, समंक एक ऐसा आधार है, जिसके चारों ओर सरकारी क्रियाएँ घूमती हैं। 4. वाणिज्य तथा उद्योगों में सांख्यिकी का महत्त्व – व्यापार तथा उद्योगों में सांख्यिकीय रीतियों का महत्त्व लगातार बढ़ रहा है। प्रो० बोर्डिंगटन के अनुसार-“एक अच्छा व्यापारी वह है, जिसका अनुमान यथार्थता के बहुत निकट हो।” यह उसी दशा में सम्भव है, जबकि सांख्यिकीय रीतियों तथा समंकों को अनुमान का आधार बनाया जाए। विपणि तथा उत्पादन शोध, विनियोग नीति, गुण नियन्त्रण, कर्मचारियों के चुनाव, आर्थिक पूर्वानुमान, अंकेक्षण आदि अनेक व्यापारिक क्रियाओं में सांख्यिकीय रीतियों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक व्यापारी को मूल्यों की प्रवृत्ति व क्रियाओं की गति आदि का अनुमान करने के लिए सांख्यिकीय रीतियों का सहारा लेना पड़ता है। बीमा, व्यवसायी, बैंकर, स्टॉक व शेयर दलाल, सट्टेबाज, निवेशकर्ता आदि सभी के लिए सांख्यिकीय रीतियाँ समान रूप से उपयोगी हैं। किसका कथन है अर्थशास्त्र सीमित साधनों का विज्ञान है?ब्रिटेन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री लार्ड राबिन्स ने 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक, ''An Essay on the Nature and Significance of Economic Science'' में अर्थशास्त्र को दुर्लभता का सिद्धान्त माना है। इस सम्बन्ध में उनका मत है कि मानवीय आवश्यकताएं असीमित है तथा उनको पूरा करने के साधन सीमित है।
अर्थशास्त्र का जनक कौन है?एडम स्मिथ (5 जून 1723 से 17 जुलाई 1790) एक ब्रिटिश नीतिवेत्ता, दार्शनिक और राजनैतिक अर्थशास्त्री थे। उन्हें अर्थशास्त्र का पितामह भी कहा जाता है। आधुनिक अर्थशास्त्र के निर्माताओं में एडम स्मिथ (जून 5, 1723—जुलाई 17, 1790) का नाम सबसे पहले आता है.
एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र के जनक क्यों कहा जाता है?अर्थशास्त्र के नीतियों और सिद्धांतों को प्रमुख रूप से प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास स्कॉटलैंड के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने सन् 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “द वेल्थ ऑफ नेशंस” ( The Wealth Of Nations ) में किया था। इसलिए एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है।
अर्थशास्त्र कौन सा विज्ञान है?अर्थशास्त्र एक यथार्थवादी विज्ञान होने के साथ-साथ एक आदर्शवादी विज्ञान भी है, क्योंकि यह आर्थिक सिद्धान्तों के आधार पर आर्थिक घटनाओं को कारण एवं परिणामों का क्रमबद्ध अध्ययन करके मानव कल्याण में वृद्धि करने के विभिन्न उपायों का प्रस्तुतीकरण करता है।
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