हां, बच्चों में लार गिरना उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ड्रूलिंग एक बच्चे में दांत के आने का संकेत है। ड्रूलिंग और बबल्स आना टॉडलर्स में शारीरिक विकास को भी दर्शाते हैं। अगर आपका बच्चा दूध या भोजन सूंघने के बाद ड्रूल करता है, तो आपको समझ जाना चाहिए कि उसकी सूंघने की शक्ति बढ़ रही है। Show
बच्चों के सलाइवा में एंजाइम होते हैं, जो 4 से 6 महीने की उम्र के बीच बच्चे को सेमी-सॉलिड या सॉलिड फूड पचाने के लिए उपयोगी होते हैं। लार पेट के एसिड को बेअसर करती है और यह बच्चे के इंटेस्टाइन की लाइनिंग को पूरी तरह से विकसित करने में मदद करती है और एसोफेगल की लाइनिंग में जलन से बचाती है। लार भोजन को एक साथ बांधने में मदद करती है जिससे भोजन को निगलने में आसानी होती है। यूं तो बच्चों में लार गिरना सामान्य है लेकिन ज्यादा लार गिरने से बच्चों को परेशानी हो सकती है। और पढ़ेंः जानिए क्या है स्वाडलिंग? इससे शिशु को होते हैं क्या फायदे? लार गिरने से हो सकती है त्वचा की समस्याबच्चों में लगातार लार गिरने से बच्चे के निचले होंठ, गाल, गर्दन और छाती की त्वचा में जलन के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अगर आपके बच्चे की लार ज्यादा गिरती है, तो लार उसके गाल, गर्दन या छाती पर आ जाएगी और आप इन क्षेत्रों में लाल, असमान चकत्ते देख सकते हैं। अगर बच्चे के मुंह के आस-पास रैशेज दिखते हैं, तो उसे ड्रूल रैश के रूप में जाना जाता है। ड्रूल रैश का इलाज करने के लिए आपको प्रभावित क्षेत्र को अच्छी तरह से धोना चाहिए और एक लैनोलिन-आधारित क्रीम लगानी चाहिए। आप अपने बच्चे की गर्दन के चारों ओर एक बिब बांध सकते हैं, जिससे बच्चे की लार गर्दन और छाती के आसपास ना फैलें। आप प्रभावित क्षेत्र पर पेट्रोलियम जेैली भी लगा सकते हैं ताकि इसे मॉश्चराइज्ड रखा जा सके और यह जल्दी ठीक हो सके। हालांकि, अपने बच्चे की त्वचा पर कोई भी क्रीम या लोशन लगाने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। और पढ़ेंः जब शिशु का दांत निकले तो उसे क्या खिलाएं? बच्चों के लार गिराने को कैसे रोकेंहालांकि बच्चों में लार गिरना उनके शारीरिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन दो साल के बाद भी अगर उनकी लार गिरती है, तो ये सामान्य नहीं है। अगर आपका बच्चा दो साल की उम्र के बाद भी ड्रूल कर रहा है, तो आपको इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि इसे इलाज की जरूरत है। अगर आपका बच्चा अधिक ड्रूल कर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह करें क्योंकि यह उसके सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकता है और इससे उसकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। डॉक्टर लार गिरने के लिए बच्चे का इलाज करने के लिए इन लक्षणों को देखेंगें: • क्या आपका बच्चा अपने होठों को ठीक से बंद कर सकता है और जीभ को इधर-उधर हिला सकता है? और पढ़ेंः जानिए शिशु को स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के फायदे और नुकसान इन चीजों को देखने के बाद डॉक्टर ये इलाज बता सकते हैं: • बच्चे को होंठ मिलाने की एक्सरसाइज कराना। ड्रूलिंग बच्चे को सॉलिड फूड को नरम करने में मदद करने का एक प्राकृतिक तरीका है और यह भोजन को निगलने में आसान बनाता है। हालांकि, यह बच्चे के लिए जरूरी है, लेकिन अगर बच्चे में एक समय के बाद ड्रूलिंग होती है, तो यह परेशानी की बात हो सकती है। समस्या के बिगड़ने से पहले ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपने देखा होगा कि छोटे बच्चे अक्सर मुंह से लार गिराते रहते हैं और उनकी माताएं बड़े ही प्यार से उनकी बहती लार को समय-समय पर साफ करती हैं। कुछ मामलों में ऐसा होना बहुत ही सामान्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ विशेष परिस्थितियों में बच्चों का लार टपकाना किसी समस्या का इशारा भी हो सकता है। इस बारे में बच्चे बोल कर नहीं बता सकते। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सभी माताओं को बच्चों में लार आने के कारण और उनसे जुड़ी अच्छी और बुरी दोनों ही बातों की पूरी जानकारी हो। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इस विषय से जुड़े जरूरी पहलुओं को सामने रखने की कोशिश करेंगे, ताकि अच्छी तरह समझा जा सकें कि कब बच्चों की लार पर चिंता करने की जरूरत है और क्यों। आइए, लेख में सबसे पहले हम जान लेते हैं कि बच्चों का लार टपकाना कितना आम है। कितना आम होता है बच्चों का लार टपकाना? | Baby Ka Lar Girnaबच्चों में दो साल की उम्र तक लार का टपकना बहुत ही सामान्य है। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ दांतों का निकलना भी शामिल है। वहीं कुछ असामान्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से बच्चों में लार गिरने की समस्या हो सकती है। हालांकि, इस विषय में हम लेख के अगले भागों में विस्तार से बताएंगे। फिलहाल आपका बच्चा अगर दो साल से कम उम्र का है तो ऐसे में आपको बच्चों में लार आने को लेकर किसी तरह की फिक्र करने की जरूरत नहीं है (1) (2)। बच्चों में लार टपकना कितना आम है, इस बारे में जानने के बाद अब हम उस समय के बारे में जानेंगे जब से बच्चे लार गिराना शुरू करते हैं। बच्चे लार टपकाना कब शुरू करते हैं?जन्म के 22 हफ्ते बाद यानी पांचवें महीने से बच्चों में सलाइवरी ग्लैंड (लार बनाने वाली ग्लैंड) तेजी से विकसित होती हैं, जिससे बच्चों में लार बनने की प्रक्रिया तीव्र हो जाती है (3)। इस वक्त बच्चों में बिलकुल भी दांत नहीं होते हैं, तो ऐसे में बच्चे लार को मुंह में रोक नहीं पाते। वहीं इस दौरान उनमें लार को निगलने की क्षमता भी नहीं होती। इस कारण यह कहा जा सकता है कि पांचवें महीने के बाद से बच्चे लार टपकाना शुरू कर देते हैं। वहीं नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन द्वारा इस संबंध में किए गए एक शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि बच्चों में पांचवें और छठे महीने से लार आने की प्रक्रिया पहले के मुकाबले अधिक तेज हो जाती है। इसलिए, इस अवस्था में बच्चे अधिक मात्रा में लार टपका सकते हैं, जो एक सामान्य स्थिति है (1)। लेख के अगले भाग में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि लार का टपकना क्या बच्चे के विकास में मदद कर सकता है। क्या लार टपकाना बच्चे के विकास में मदद करता है?जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि दो साल की उम्र तक बच्चों में लार का टपकना एक सामान्य बात है। लेकिन लार का टपकना बच्चे के विकास में मदद करता है, यह कहना गलत होगा। हां, यह जरूर है कि लार का बनना और बच्चे के मुंह में मौजूद लार बच्चे के विकास में मुख्य भूमिका निभाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे के मुंह में मौजूद लार दूध के साथ मिलकर उसे पचाने में आसन बनाती है और दूध में मौजूद आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करती है, जिससे बच्चे के शरीर को पोषण मिलता है। साथ ही लार दूध के कारण मुंह में पैदा होने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने में भी मदद करती है (4)। साथ ही लार में कई एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर कुछ खास तत्व और एलजीए (एक प्रकार का इम्यूनोग्लोबिन) भी पाए जाते हैं, जो मुंह के संक्रमण से बचाव करते हैं। वहीं, दूध के कारण मुंह में पैदा होने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने में भी ये मदद कर सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, लार में डायजेस्टिव गुण होता है, जो न सिर्फ दूध बल्कि इस उम्र में बच्चों द्वारा लिए जाने वाले अन्य खाद्य पदार्थों को पचाने में भी मदद कर सकता है। वहीं जब बच्चे ठोस आहार लेने लगते हैं, तो ऐसे समय में लार खाद्य पदार्थों को नर्म करने के साथ उसे निगलने में आसान बनाती है। साथ ही उपापचय प्रक्रिया को सक्रिय कर पोषक तत्वों के अवशोषण के साथ-साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करती है, जो बच्चे के विकास के लिए अतिआवश्यक है (5)। लार बच्चों के विकास में कितनी सहायक है यह जानने के बाद अब हम बच्चों में लार टपकने के कारणों के बारे में बात करेंगे। बच्चों के लार टपकाने का क्या कारण होता है?बच्चों में लार टपकने की बात करें तो इसके कुछ सामान्य कारणों के साथ कई संभावित कारण भी हो सकते हैं, जिनके बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं (1)। 1. सामान्य कारण
अब हम आपको उन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो असामान्य हैं और बच्चों में अत्यधिक लार आने की वजह बन सकते हैं। इन स्थितियों में आपको अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने की आवश्यकता होती है। 2. असामान्य कारण
लेख के अगले भाग में अब हम जानेंगे कि ज्यादा लार टपकाने पर बच्चों को डॉक्टर के पास कब ले जाना चाहिए। क्या शिशु के ज्यादा लार टपकाने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए?हम आपको लेख में पहले भी बता चुके हैं कि बच्चों का दो साल तक लार टपकाना एक सामान्य बात है। इसलिए, अगर आपका शिशु दो साल से छोटा है तो आपको इस मामले में बिलकुल भी फिक्र करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इस बात को जरूर सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि बच्चे को मौखिक अल्सर या कैविटी की समस्या न हो। वहीं, दो साल की उम्र के बाद अगर बच्चा लार टपकाए, तो संभव है कि इसके कुछ असामान्य कारण भी हो सकते हैं। इन दोनों ही स्थितियों में आपको बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए (1)। आगे लेख में अब हम बच्चों के लार टपकाने से जुड़े इलाज के बारे में बात करेंगे। बच्चों के लार टपकाने का इलाजबच्चों में अत्यधिक लार आने के इलाज के तौर पर निम्न प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है (1)।
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इलाज के बारे में जानने के बाद आइए अब हम बच्चों में लार आने की समस्या से निपटने के कुछ घरेलू उपायों के बारे में भी जान लेते हैं। बच्चों की लार को रोकने के घरेलू उपाय | Baccho Ki Laar Rokne Ke Upayबच्चों में लार रोकने के कोई भी ज्ञात घरेलू उपाय नहीं हैं। फिर भी इसकी अधिकता से होने वाली त्वचा संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए कुछ सावधानियां जरूर बरती जाती हैं, जो निम्न प्रकार से हैं:
अक्सर पूछे जाने वाले सवालशिशुओं में लार टपकाना कितने समय तक रहता है?लेख में हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि जन्म से दो साल की उम्र तक बच्चों में लार टपकाने की आदत देखी जाती है, जो एक सामान्य स्थिति है। वहीं यह भी माना जाता है कि आगे के दांत आने के बाद और लार निगलने की क्षमता विकसित होने पर बच्चे स्वाभाविक तौर पर लार टपकाना बंद कर देते हैं (1) (2)। क्या अधिक लार टपकाना आटिज्म से जुड़ा हुआ है?आटिज्म की समस्या (विकास संबंधी एक मानसिक विकार) एक कारण हो सकता है, जिसमें बच्चे लक्षण के रूप में लार टपकाते हैं (6)। लेकिन प्रत्येक स्थिति में बच्चों का लार टपकाना आटिज्म से जुड़ा नहीं होता। लेख को अच्छी तरह से पढ़ने के बाद अब आपको पता चल गया होगा कि बच्चों का लार टपकाना किस हद तक सामान्य है अथवा नहीं। वहीं, लेख में इस बारे में भी जानकारी दी गई है कि सामान्य अवस्था में बच्चे किस उम्र से लार टपकाना शुरू करते हैं और कब तक यह समस्या बच्चों में देखी जा सकती है। इतना ही नहीं लेख में उन उपायों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें अपना कर इस समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इससे इतर अगर लार टपकाने की असामान्य स्थिति की बात की जाए, तो इसके बारे में भी विस्तृत जानकारी दी जा चुकी है। इस विषय से जुड़ा कोई अन्य सवाल अगर आपके मन में हो, तो आप उसे बेझिझक नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं। References:1. Drooling in children By Ncbi Was this article helpful? The following two tabs change content below. ताज़े आलेख
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