भाई दूज पर भाई को क्या देते हैं? - bhaee dooj par bhaee ko kya dete hain?

भाई दूज पर भाई को क्या देते हैं? - bhaee dooj par bhaee ko kya dete hain?

भाई दूज के दिन बहनें भाई को क्यों देती हैं नारियल का गोला? - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

Bhai Dooj 2022: हिंदू संस्कृति में मुख्यतः दो ऐसे त्योहार हैं जहां भाई बहन के रिश्ते को महत्व दिया जाता है। एक है रक्षाबंधन और दूसरा है भाई दूज। भाई दूज कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।  रक्षाबंधन में बहनें भाई को राखी बांधती हैं वहीं भैया दूज पर भाई को तिलक लगाती हैं और सूखा नारियल या गोला देती हैं। भाई दूज के दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगा कर उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन बहनें भाई को नारियल का गोला देती हैं। तो चलिए जानते हैं कि भैया दूज के दिन क्यों बहनें अपने भाई को नारियल देती हैं...   

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नारियल देने का महत्व
इस दिन बहनें पहले अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उसके बाद ही भोजन करती हैं। इस दिन नारियल का गोला देने के पीछे एक कारण ये भी है कि यम को उनकी बहन यमुना ने भी नारियल दिया था और यमुना का ये मानना था कि नारियल का गोला उनके भाई यम को उनकी याद दिलाता रहेगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को हाथ में कलावा बांधकर उनके माथे पर रोली का टीका लगाकर और नारियल का गोला देकर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

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क्यों मनाते है भाई दूज?
भाई दूज का त्योहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक खास पर्व होता है। यह दिन भाई-बहन के बीच सद्भावना और प्रेम को  प्रोत्साहित करने का दिन है। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उन्हें नारियल का गोला भी देती हैं। भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और फिर उनकी बहन सुभद्रा ने कई सारे दीए जलाकर उनका स्वागत किया था। साथ ही सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण को तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु होने की कामना की थी।

Bhai Dooj 2022: भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है. भाई दूज को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है. भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. इस मौके पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट देते हैं. भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी किया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन यम देव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आए थे. इस बार भाई दूज 26 अक्टूबर यानी आज और 27 अक्टूबर यानी कल भी मनाया जाएगा. 

भाई दूज के शुभ मुहूर्त 

उदया तिथि के अनुसार भाई दूज 26 अक्टूबर और 27 अक्टूबर दोनों दिन मनाई जाएगी. 26 अक्टूबर यानी आज 02 बजकर 43 मिनट से भाई दूज की शुरुआत होगी. 27 अक्टूबर को इसका समापन दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर होगा. 

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26 अक्टूबर तिलक और पूजा शुभ मुहूर्त- दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 07 मिनट तक

27 अक्टूबर तिलक शुभ मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
 

पूजा सामग्री

भाई दूज पर भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास और केला जरूर होना चाहिए. इन सभी चीजों के बिना भाई दूज का त्योहार अधूरा माना जाता है.

पूजन विधि

भाई दूज के मौके पर बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती हैं. इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल,फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए. तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं. चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें. तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें.

भाई दूज के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां

1. आज के दिन भाई बहन आपस में बिल्कुल भी लड़ाई न करें.  

2. भाई दूज के दिन झूठ न बोलें. आपस में भी झूठ न बोलें और न कोई गलत काम करें.

3. बहनें अपने भाई के तोहफों का अपमान न करें. ये भी अशुभ माना जाता है.

4. भूलकर भी आज के दिन बहन या भाई काले वस्त्र न पहनें. 

5. भाई को तिलक करने से पहले बहनें अन्न ग्रहण न करें. बल्कि तिलक के बाद साथ में बैठकर भोजन करें.

6. तिलक सही दिशा में बैठकर ही करें. बहनें पूर्व की तरफ मुख करके बैठें और भाई उत्तर की तरफ मुख करके बैठें.  

भाई दूज कथा

हिंदू धर्म में जितने भी पर्व और त्यौहार होते हैं उनसे कहीं ना कहीं पौराणिक मान्यता और कथाएं जुड़ी होती हैं. ठीक इसी तरह भाई दूज से भी कुछ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. ये प्राचीन कथाएं इस पर्व के महत्व को और बढ़ाती है.

यम और यमि की कथा

पुरातन मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे. इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई. सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे. यमुना के अनेकों बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे. इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की. इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन में मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा. बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया. इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई. इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है.

भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी. इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं.