भोजपुर जिला में सबसे बड़ा गांव कौन है - bhojapur jila mein sabase bada gaanv kaun hai

'का हमरा के चिन्हब बबुआ, हम हई भोजपुर के, जेकरा माथा माटी चमकत,ललकी हाथ लउर से।' सचमुच भोजपुर वीरों की धरती रही है। आज गुरुवार को भोजपुर जिला की स्थापना के करीब 39 साल पूरे होने जा रहे है। जिले की स्थापना 10 नवम्बर 1972 को हुई थी। जिसके पहले डीएम एस.पी जखनवाल थे। जिले का क्षेत्रफल 2474 वर्ग कि.मी तथा कुल जनसंख्या 22,43,144 के आसपास है। जिले के अन्तर्गत तीन अनुमंडल ,14 प्रखंड, 1244 गांव, 228 पंचायत, एक जिला परिषद, एक नगर निगम तथा पांच नगर पंचायत आते हैं। स्थापना से लेकर आज तक के इतिहास में संभवत:यह तीसरा मौका है जब समारोह पूर्वक स्थापना दिवस मनाया जा रहा है।

कब हुआ था जिले का सृजन- पूर्व के इतिहास पर नजर डालें तो भोजपुर जिले के सृजन से पूर्व यह जिला शाहाबाद जिले के नाम से जाना जाता था। जिसकी नींव करीब जुलाई 1785 के आसपास पड़ी थी। उस वक्त शाहाबाद जिले के अन्तर्गत रोहतास, बक्सर तथा कैमूर आते थे। तब के शाहाबाद जिले के पहले कलक्टर अगस्टल विलियम ब्रुक्स बनाये गये थे। समय के साथ -साथ जिस तरह आबादी बढ़ी उसके तहत एक-एक कर बक्सर, रोहतास एवं कैमूर को अलग जिला का दर्जा दिया गया। इसके बाद ही भोजपुर जिले का सृजन संभव हो सका।

छिपी हैं अनगिनत कहानियां- ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिला देने वाले भोजपुर जिले की धरती धन्य है जिसकी कोख में वीरों एवं शहीद सपूतों की अनगिनत कहानियां छिपी है। 1857 के महान योद्धा बाबू कुंवर सिंह इनमें से एक हैं। जिनके नाम पर आगे चलकर वर्ष 1992 में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। सन् 1942 के अगस्त क्रांति में भी इस जिले ने अहम भूमिका निभायी। 15 सितम्बर 1942 को अगिआंव प्रखंड के लसाढ़ी एवं उसके आसपास के गांवों के वासुदेव सिंह, गिरीवर सिंह, रामानंद पांडेय, रामदेव साह, जग्रन्नाथ सिंह, शीतल लोहार ,सभापति सिंह, केशव सिंह तथा शीतला प्रसाद सिंह सहित 12 सपूत अंग्रेज सैनिकों से लोहा लेते वीर गति को प्राप्त हो गये थे। जिसमें अकली देवी नामक एक महिला भी थी। लसाढ़ी में बारह शहीद सपूतों का आदमकद प्रतिमा भी स्थापित है। जिसे अब पर्यटन स्थल का दर्जा भी मिल गया है। यहीं नहीं कवि कैलाश एवं पीर अली जैसे सपूतों की भी यह धरती रही है। इस पौराणिक जिले में कई एतिहासिक एवं धार्मिक स्थल भी है। आरा की आरण्य देवी, नागरी प्रचारिणी, गुरुद्वारा, हेली सेवियर चर्च, आरा हाउस, शाही मस्जिद, बाल हिन्दी पुस्तकालय तथा बिहियां में महथिन माई मंदिर इनमें से एक है। यहीं नहीं यहां जैन धर्मावलंबियों का भी स्वर्णिम इतिहास रहा है।

पौराणिक एवं धार्मिक महत्व : भोजपुर

जिले का महत्व पौराणिक एवं धार्मिक रूप से भी रहा है। यहां की धरती राजा मोरध्वज की न्याय भूमि रही है। अंग्रेजी शासन में भी पूर्वी भारत का शासन संचालन यहीं से होता था। राजा टोडरमल ने यहीं से सम्राट अकबर के समय में भी भूमि सुधार का कार्य प्रारंभ किया था। पांडवों ने माता कुन्ती सहित आरा के भलुहीपुर में अज्ञातवास में आश्रय लिया था तथा बकासुर राक्षक का वध किया था।

.. और भोजपुर में नहीं रहा 'भोजपुर '

इसे संयोग कहे अथवा विडंबना कि जिस जिले की स्थापना के लिए आज समारोह मनाया जा रहा है उस स्थान का कोई जगह वर्तमान में यहां नहीं है। शाहाबाद से कटकर जब भोजपुर जिला बना था तो उस समय भोजपुर एक गांव जरूर हुआ करता था। जहां के राजा भोज हुआ करते थे। जब भोजपुर से कटकर बक्सर अलग जिला बना तो भोजपुर गांव भी इससे अलग हो गया। बक्सर में ये गांव आज नया एवं पुराना भोजपुर के नाम से जाना जाता है।

बिक्रमगंज (बिहार). गांवों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव की खबरों के बीच बिक्रमगंज अनुमंडल के एक गांव की स्थिति सुकून देने वाली है। यह वैसे हुक्मरानों के लिए नजीर भी है, जो जनसुविधाओं के लिए गांव की आबादी और भौगोलिक स्थिति की बात करते हैं। 


यह गांव है, अनुमंडल के दिनारा प्रखंड के चिताव का मनसापुर गांव। गांव की पूरी आबादी मात्र 18 है। रोचक है कि ये सभी 18 लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं। फिर भी गांव पक्की सड़क से जुड़ा है। गांव में बिजली भी है। इसके अलावा सामुदायिक भवन और पशु अस्पताल भी है। सरकारी फाइलों में मनसापुर गांव सबसे छोटे राजस्व गांव के तौर पर दर्ज है। गांव में खेती का रकबा 200 बीघा है।  

बात इतने पर खत्म नहीं होती। गांव के एकमात्र परिवार के दंपति अपने पूरे पंचायत चिताव का दस वर्षों तक नेतृत्व भी कर चुके हैं। पप्पू राय 2001 से 2006 और उनकी पत्नी प्रतीक्षा परमार 2006 से 2011 तक पंचायत की मुखिया रह चुकी हैं। चिताव पंचायत में बन्दौर, बलुआ, पांचोडिहरी, भलतापुर और मनसापुर मिलाकर पांच गांव हैं।

पप्पू राय ने बताया कि 1990 के दशक में उनके पूर्वज बक्सर जिला के चौगाईं से आकर मनसापुर गांव में आकर बस गए थे। उस समय भी इस चिरागी गांव में 200 एकड़ जमीन का रकबा उपलब्ध था। इसके बाद धीरे-धीरे गांव तक सड़क व बिजली पहुंचाई गई। सामुदायिक भवन व पशु अस्पताल भी बनाए गए। जिसमें मुखिया दंपति का बड़ा योगदान रहा है। यही कारण है कि क्षेत्र में पूर्व मुखिया दंपति का बहुत सम्मान है।

बिहार की राजधानी पटना से चालीस किलोमीटर की दूरी पर बसा भोजपुर जिला ऐतिहासिक महत्व रखता है।[3] भोजपुर जिले के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। भोजपुर की सीमा दो तरफ से नदियों से घिरी है। जिले के उत्तर में गंगा नदी और पूर्व में सोन इसकी प्राकृतिक सीमा निर्धारित करते हैं।[4] भोजपुर उत्तर में सारण और बलिया (उत्तर प्रदेश), दक्षिण में रोहतास, पूर्व में पटना, अरवल और जहानाबाद और पश्चिम मे बक्सर से घिरा है ।

भोजपुर जिला पहले शाहाबाद के अन्तर्गत था जिसको सन् १९७२ में बांटकर भोजपुर और रोहतास नामक दो जिले बनाए गए।[4] १९९२ तक बक्सर भी भोजपुर जिले का एक अनुमण्डल था जिसे १९९२ में एक अलग जिला बना दिया गया। वर्तमान समय में भोजपुर जिले में तीन अनुमण्डल हैं- आरा सदर, पीरो और जगदीशपुर। जिले में तेरह प्रखण्ड है।

मुख्यालय आरा भोजपुर का एक प्राचीन नगर है। यहाँ कई दर्शनीय मंदिर हैं। आरण्य देवी इस शहर की आराध्य देवी हैं। माँ आरण्य देवी के अलावा अन्य धार्मिक स्थल भी हैं, जिनमें महथिन माई(बिहिया), बखोरापुर काली मंदिर आदि चर्चित स्थल हैं।[5] जैन समाज के भी कई प्रसिद्ध मंदिर यहां है।[6] भोजपुर में ही जगदीशपुर है, जहां के बाबू कुंवर सिंह ने पहले स्वतंत्रता संग्राम १८५७ की क्रांति में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया था।

आरा देश के बाकी हिस्सों से रेलमार्ग और सड़क मार्ग से भी जुड़ा है। वीर कुंवर सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय है। कई उच्चस्तरीय कॉलेज और स्कूल जिले की शैक्षणिक पहचान दिलाते हैं। विद्यालय में क्षत्रिय उच्च विद्यालय, हर प्रसाद जैन उच्च विद्यालय, जिला विद्यालय और टाउन उच्च विद्यालय आदि हैं। हर प्रसाद दास जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानंद महिला कॉलेज प्रमुख कॉलेज हैं।

भोजपुर जिला में सबसे बड़ा गांव कौन सा है?

भोजपुर के उदवंतनगर प्रखंड स्थित मसाढ़ गांव को मंदिरों की नगरी कहा जाता है। इस गांव को पहले सोनीतपुर के नाम से जाना जाता था।

भोजपुर जिले में कुल कितने गांव हैं?

जिले का क्षेत्रफल 2474 वर्ग कि. मी तथा कुल जनसंख्या 22,43,144 के आसपास है। जिले के अन्तर्गत तीन अनुमंडल ,14 प्रखंड, 1244 गांव, 228 पंचायत, एक जिला परिषद, एक नगर निगम तथा पांच नगर पंचायत आते हैं

भोजपुर के राजा कौन थे?

उनके बादशाह उस समय राजा भोज थे. इस जिला का नाम शायद उन्हीं के नाम पर भोजपुर पड़ा है. आरा मे रहते हुए , अफगानों पर विजय प्राप्त कर बाबर ने 1529 मे बिहार पर अधिकार जमाया. इस घटना के बाद इस क्षेत्र का नाम शाहाबाद पड़ा जिसका शाब्दिक अर्थ है – शाहों का शहर.

भोजपुर जिले में कितने शहर हैं?

वर्तमान समय में भोजपुर जिले में तीन अनुमण्डल हैं- आरा सदर, पीरो और जगदीशपुर।