भारत का कौन सा राज्य सबसे बाद में आजाद हुआ - bhaarat ka kaun sa raajy sabase baad mein aajaad hua

सन १९१९ में भारतीय उपमहाद्वीप की मानचित्र। ब्रितिश साशित क्षेत्र व स्वतन्त्र रियासतों के क्षेत्रों को दरशाया गया है

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सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे। ये रियासतें भारतीय उपमहाद्वीप के वो क्षेत्र थे, जहाँ पर अंग्रेज़ों का प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं था, बल्कि ये रियासत सन्धि द्वारा ब्रिटिश राज के प्रभुत्व के अधीन थे। इन संधियों के शर्त, हर रियासत के लिये भिन्न थे, परन्तु मूल रूप से हर संधि के तहत रियासतों को विदेश मामले, अन्य रियासतों से रिश्ते व समझौते और सेना व सुरक्षा से संबंधित विषयों पर ब्रिटिशों की अनुमति लेनी होती थी, इन विषयों का प्रभार प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजी शासन पर था और बदले में ब्रिटिश सरकार, शासकों को स्वतन्त्र रूप से शासन करने की अनुमती देती थी।

सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता व विभाजन के पश्चात सिक्किम के अलावा अन्य सभी रियासत या तो भारत या पाकिस्तान अधिराज्यों में से किसी एक में शामिल हो गए, या उन पर कब्जा कर लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को "दूसरी श्रेणी" के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी", "मध्य भारत राज्य" बन गया)। इन राज्यों के मुखिया को राज्यपाल नहीं राजप्रमुख कहा जाता था। १९५६ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर वर्तमान स्थिती में लाया। परिणामस्वरूप सभी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हो गया।

सन १९६२ में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शासनकाल के दौरान इन रियासतों के शासकों के निजी कोशों को एवं अन्य सभी ग़ैर-लोकतान्त्रिक रियायतों को भी रद्ध कर दिया गया

सन १८५७ तक, भारतवर्ष के सारे बड़े व शक्तिशाली साम्राज्यों और रियासतों(मुग़ल साम्राज्य, मराठा साम्राज्य, अवध, मैसूर, सिख साम्राज्य आदि) को अंग्रेज़ों ने युद्ध या कूटनीती से पस्त कर दिया था और भारतीय उपमहाद्वीप के ज़्यादातर हिस्सों पर अधिकार जमा लिया था। इस्के अलावा उन्होंने फ़्रान्सिसी और पुर्तगाली ईस्ट इण्डिया कंपनीयों को भी हरा कर उनका भी भारत में विस्तार रोक दिया था। १९वीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप मैं अपनी प्रभुता व नायकत्वता(अंग्रेज़ी: hegemony) स्थापित कर ली थी और भारत में ख़ुद को एकमात्र नायक के रूप मैं स्थापिन कर लिया था। १८५७ के संग्राम के बाद अगस्त १८५८ के इलाहाबाद घोषणा के बाद ब्रिटिश सरकार ने विस्तारवादी नीती छोड़ दी और रियासतों से अब तक हुई संधि के तहत रियासतों से रिश्तों को आगे बढ़ाने की घोषणा की। रियासतों से हुए सहायक संधियों के तहत राज्यों पर ब्रिटिश ताज अधिपत्य था और राज्यों के विदेशी मामलों और सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार था। संधि द्वारा रियासत के शासकों को क्षेत्रिय स्वायत्तता (राजकीय शासन संभालने की स्वतन्त्रता) परन्तु यह स्वायत्तता केवल सैद्धान्तिक थी, वास्तव में रजवाड़ों के आंतरिक मामलों में ब्रिटिशों का काफ़ी प्रभाव व हस्तक्षेप था।

ब्रिटिश सरकार हर राज्य के लिये एक स्थायी अफ़सर नियुक्त करती थी जिसे रेसीडेंट (अंग्रेज़ी: Resident) कहा जाता था। "रेसिडेंट " एक राजनयिक पद्धती थी जो रजवाड़ों में ब्रिटिश सरकार के दूतों को दिया जाता था। रेसिडेंट ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किये गए सलाहकार थे जिनका काम था रियासतों में ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधितव करना और शासकों के सामने ब्रिटिश हितों को रखना। १९४७ तक केवल चार राज्यों, जो सबसे विशाल और महत्वपूर्ण थे, में रेसिडेंट बचे थे जबकी अन्य सभी छोटे राज्यों समूहों में वर्गीकृत कर दिया गया। इन समूहों को "एजेंसी" कहा जाता था जेसे की "राजपूताना एजेंसी", "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी" और "बलूचिस्तान एजेंसी"। महत्वपूर्ण राजायों को सलामी राज्य का दरजा दिया जाता था।

१९२० में रियासतों का प्रतिनिधित्व करने के लिये "नरेन्द्र मंडल" की स्थापना की गई जो शासकों के लिये ब्रिटिश सरकार से अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को प्रस्तुत करने का एक मंच था। इस्की बैठक "संसद भवन" के सेंट्रल हाॅल में होती थी। इसे १९४७ में विस्थापित कर दिया गया।

१९४७ में भारत की आज़ादी के समय अंग्रेज़ सरकार ने "इण्डियन इन्डिपेंडेंस ऐक्ट" के तहत सभी रियासतों को ३ विकल्पों के साथ छोड़ा था भारत या पाकिस्तान में विलय या स्वतन्त्र रहना। अधिकतर राज्यों ने भारत या पाकिस्तान में विलय को स्वीकार कर लिया सिवाए हैंदराबाद, जुनागढ़, जम्मू-कश्मीर, बिलासपुर, भोपाल और त्रावणकोर के जिन्होंने पहले आज़ाद रहने का फ़ैसला लिया था। बाद में इन सभी राज्यों को भारत या पाकिस्तान में मिला लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में एजेंसियों को " भाग-B " के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी" बन गया "मध्य भारत राज्य")। इन राज्यों के मुखिया को राज्यपाल नहीं राजप्रमुख कहा जाता था। १९६२ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर मौजूदा स्थिति में लाया। परिणामस्वरूप सारी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हा गया।

अंतिम बचा राज्य सिक्किम को भी १६ मई १९७५ में जनमत-संग्रह के पश्चात भारत में शामिल कर लिया गया था, जिसमें सिक्किम के लोगों ने भारी मतों से इस्के लिये वोट दिया।

1947 में रियासतों की सूची[संपादित करें]

व्यक्तिगत रेसिडेंसीयों की सूची[संपादित करें]

Basantpur riyasatriyasatBasantpur Siwan IndiaAnshu 1stहैदराबादरेसिडेंसी{{देश आँकड़े भा

रत|flagicon/core|variant=|size=}} तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नटक, भारत

उस्मान अलि ख़ान, असफ़ जाह अष्टमजम्मू और कश्मीररेसिडेंसीजम्मू और कश्मीर, भारत;महाराज हरि सिंहमैसूररेसिडेंसीकर्नाटक, भारतश्री जयचामराजेंद्र वडियार(यादव)सिक्किमरेसिडेंटसिक्किम, भारतचोग्याल वांग्चूक् नामग्यालत्रावणकोरमद्रास प्रेसिडेंसी के अंतरगत स्थाई रेसिडेंटकेरल और तमिल नाडु के 5 तालुकत्रावणकोर के महाराज, श्री पद्मनाभ दास श्री चित्थिरा थिरुनाल बलराम वर्मा वंचि पाल महाराज मारतंड वर्मा पंचम, श्री उथ्रडोम थिरुनाल कुलशेखरा कीर्तिपती मन्नेय सुल्तान महाराज राजा रामराज बहादुर शमशेर जंग

[1]

[2] काठीयाव़ाड एजेंसी की रियासते।

रियासत का नामराज्य का पदवर्तमान देश का भागअंतिम शाशकध्रोल राज्यरज़वाडाकाठीयाव़ाड,भारत ठाकोर साहेब श्री श्री चंद्रसिंहजी जाडेजानवानगर रियासतरज़वाडाकाठीयाव़ाड,भारत जाम साहेब श्री श्री शत्रुशैल्यसिंहजी जाडेजाराजकोट रियासतरज़वाडाकाठीयाव़ाड,भारत ठाकोर साहेब श्री प्रद्युमनसिंहजी जाडेजागोंडल (रियासत)रज़वाडाकाठीयाव़ाड,भारतठाकोर साहेब श्री भगवतसिंहजी जाडेजामोरबी रियासतरज़वाडाकाठीयाव़ाड,भारत ठाकोर साहेब श्री लगधीरसिंहजी जाडेजामकाजी मेधपर (रियासत)राज्य भायाती गांवकाठीयाव़ाड,भारत ध्रोल राज्य

दक्खन राज्य एजेंसी एवं कोल्हापुर रेसिडेंसी[संपादित करें]

ग्वालियर रेसिडेंसी (मराठा)[संपादित करें]

ग्वालियर रेसिडेंसी के राज्यों की सूची।

मद्रास प्रेसिडेंसी की रियासतें[संपादित करें]

उत्तर-पष्चिमी सीमांत राज्य एजेंसी के राज्य[संपादित करें]

हुंज़ा और नगर रियासतों समेत गिलगित एजेंसी के कई जागीर जम्मू और कश्मीर के महाराज के आधीन थे।

रियासत का नामरायासत का पदवर्तमान देशों का भागअंतिम शासकख़ैरपुर रियासतरियासतसिंध, पाकिस्तानज्यौर्ज अलि मुरद ख़ान

राजपूताना एजेंसी के राज्यों की सूचि।

गुजराती राज्य एजेंसी एवं बरोडा रेसिडेंसी[संपादित करें]

सबरकांथा एजेंसी[संपादित करें]

मध्य भारत एजेंसी के राज्यों की सूचि[संपादित करें]

पूर्वी राज्य एजेंसी के राज्यों की वर्गित सूचि[संपादित करें]

पूर्व ताचेर रियासत का राजमहल

पूर्वी राज्य एजेंसी का गठन सन1933 में ओड़िसा, छत्तिसगढ़ और बिगाली राज्यों की एजेंसिसों के विलय द्वारा हुआ था। इसके अंतर्गयत ओड़िसा, छत्तिसगढ़ और बंगाल एजेंसियों (अर्थात पूर्वी भारत की सारी रियासतें) के सारे राज्य आते थे।

भारत का कौन सा राज्य सबसे बाद में आजाद हुआ था?

1961 में गोवा राज्य आज़ाद हुआ, देश को आज़ादी मिलने के बाद भी पुर्तगाली सेना ने इस पर कब्ज़ा कर रखा था. पुर्तगाली सेना ने आखिरकार बिना किसी शर्त के भारतीय सेना के समक्ष 19 दिसंबर को आत्मसमर्पण किया.

भारत में सबसे पहले कौन सा राज्य आजाद हुआ था?

भारत का पंजाब राज्य में गुरदासपुर जिल्ला सबसे पहले आज़ाद हुआ था

जब भारत आजाद हुआ था तब कितने राज्य थे?

15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता के समय, भारत में निम्नलिखित 12 राज्य थे। 26 जनवरी 1950 को जब भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना, तब तक हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्य भी भारतीय संघ में शामिल हो गए थे

भारत के बाद कौन सा देश आजाद हुआ?

पड़ोसी देश पाकिस्‍तान 14 अगस्‍त को आजादी का जश्‍न मनाता है, लेकिन 5 ऐसे देश हैं जो हमारे साथ यानी 15 अगस्‍त को ही आजादी का जश्‍न मनाते हैं. गल्‍फ कंट्री बहरीन को भी 15 अगस्‍त को ही आजादी मिली थी. यह देश भी ब्रिटिश उपनिवेशवाद का हिस्‍सा था. 1971 में बहरीन को आजादी मिली थी.